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नारी में जागृति लाती है आध्यात्मिक शिक्षा

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देश को दिशा दे सकती है नारी
नारी स्वयं का सम्मान करना सीखें और स्वयं के अंदर आत्मविश्वास पैदा करे


आबू रोड।
पिछले तीन दिनों से चल रहे महिला सम्मेलन का आज समापन हो गया। इस सम्मेलन में मुख्य रूप से नारी की सुरक्षा और आत्मरक्षा जैसे विषयों पर चर्चा की गई। इस सम्मेलन से निष्कर्ष यही निकला कि यदि नारी खुद को सम्मान दे, अपनी संस्कृति के दायरे में रहकर कार्य करें और अपना आत्मविश्वास बढ़ाएं तो उसे कोई भी अपमानित या प्रताडि़त नहीं कर सकता है। इसलिए नारी को शक्ति का अवतार कहा जाता है।

इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए हरियाणा के आदित्य बिरला ग्रुप की वाइस-प्रेसीडेंट मिसेज सपना कपूर ने कहा कि अगर नारी चाहे तो पूरे समाज के लिए संजीवनी बुटी बन सकती है, इसके लिए सिर्फ उसे अपने जीवन में आध्यात्मिकता का समावेश करना होगा। नारी तो एक पवित्र ज्योति है जिसके प्रकाश से परिवार, समाज और देश सुख प्राप्त करता है। प्राचीन समय में नारी का जो स्वरूप लक्ष्मी और सीता के रूप में था, वह आज खो गया है। हमें पुन: अपने उस स्वरूप को पहचानने की आवश्यकता है। हमारे वैल्यूज कम हो जाने के कारण ही आज समाज में नारी की ये स्थिति हो गई है। इसके लिए हमें परमात्मा शिव की याद से शक्ति लेनी होगी, तभी हम अपने मूल गुणों की अनुभूति कर पाएंगे। और नारी शिवशक्ति का अवतार कहलाएगी और उसका खोया हुआ गौरव भी उसे प्राप्त होगा।

यूरोप में ब्रह्माकुमारीज़ के सेवाकेंद्रों की डायरेक्टर बीके जयंति ने कहा कि जब भी कोई कार्य शुभभावना से किया जाता है तो उसमें परिवर्तन अवश्य आता है। आध्यात्मिक शिक्षा से ही नारी में जागृति लायी जा सकती है। राजयोग मेडिटेशन के द्वारा हम स्वयं के आंतरिक वेल्यूज का अनुभव कर सकते हैं। जब वैल्यूज और कर्तव्य आपस में मिल जाते हैं तब आत्मा में विश्वास आ जाता है।

केशोद की नैयना बहन रमानी
ने कहा कि हमारी संस्कृति की यह विशेषता है कि हम नारी को सम्मान देते हैं। नारी की महिमा और विशेषता इसी बात से स्पष्ट हो जाती है कि देवियों की पूजा नवरात्रि के रूप में नौ दिन मनायी जाती है। उन्होंने नारी का आह्वान करते हुए कहा कि अब वह समय आ गया है कि हम आध्यात्मिक शक्ति से उस संस्कृति को वापस लाएं, जिसके लिए कहा जाता है कि जहां नारियों की पूजा होती है वहीं देवता भी निवास करते हैं। नारी खुद अपना सम्मान करना सीख लेगी, तब एक स्वस्थ समाज का निर्माण होगा और स्वस्थ समाज में ही नारी को सम्मान और गौरव प्राप्त होता है। उन्होंने अपने अनुभव के आधार पर बताया कि जिस परिवार में नारी को प्रताडि़त किया जाता है वह परिवार हमेशा ही दु:खी एवं समस्याओं से घिरा रहता है। महिलाओं को सिर्फ शिक्षा का ही अधिकार नहीं मिलना चाहिए बल्कि उसे मुक्त जीवन जीने का भी अधिकार मिलना चाहिए। महिलाओं को स्वयं के अंदर लीडरशिप की भावना को विकसित करना होगा, आत्मविश्वास बढ़ाना होगा, तभी इस देश में परिवर्तन आएगा अन्यथा नारी सिर्फ एक रबर स्टैम्प बनकर रह जाएगी।