हर कर्म ईश्वर को समर्पित होकर करें… ब्रह्माकुमारी सरिता दीदी
उज्जैन ३ मई : प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा सिंहस्थ में दत्त अखाड़ा क्षेत्र बडऩगर रोड में सत्यम शिवम सुन्दरम मेले में आयोजित राजयोग श्वििर में ब्रह्माकुमारी सरिता बहन ने ईश्वरीय महावाक्यों का महत्व बतलाते हुए कहा कि हर कर्म ईश्वर के प्रति समर्पण भाव से करे तो कोई भी पाप कर्म नहीं होगा और कर्म में सफलता भी मिलेगी। उन्होंने कर्मों की गहन गति को स्पष्ट करते हुए कहा कि श्रीमदभगवद्गीता के अनुसार हर कर्म का फल अवश्य मिलता है। आत्मा अपना ही मित्र और अपना ही शत्रु है। आपका मन इसका दर्पण है। एक बार मन आवाज अवश्य देता है कि इस कर्म का फल कैसा होगा। आज कोई धर्मशाला का निर्माण करता है, तो उसको रहने के लिये अच्छे मकान मिल जायेंगे। कोई विद्यालय बनवाता है तो उसको अच्छी बुद्घि प्राप्त होती है। इसी प्रकार यदि कोई स्वास्थ्य सेवाओं में अपना सहयोग देता है तो उसे अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है। यह सभी प्राप्तियाँ एक जन्म के लिए होती हैं। किन्तु वर्तमान संगम युग अर्थात पुरूषोत्तम माह में दान पुण्य करने से उसका लाभ कई गुणा होकर इक्कीस जन्मों के लिए प्राप्त होता है।
ब्रह्माकुमारी सरिता दीदी ने आगे कहा कि भविष्य के बारे में चिन्तन करें, लेकिन चिन्ता नही करें क्योंकि चिन्ता करने से हमारी एकाग्रता कम हो जाती है। चिन्ता करने से सोचने की शक्ति नष्टï होने लगती है। उन्होने चिन्ता और तनाव को आधुनिक जीवन की सबसे भयावह बीमारी बतलाते हुए कहा कि तनाव के कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और हमारा शरीर छोटी-छोटी बीमारियों का सामना करने में भी असमर्थ हो जाता है। वैज्ञानिकों ने अनुसंधान के बाद यह सिद्घ किया है कि जो व्यक्ति बहुत समय तक चिन्ता करता है, धीरे-धीरे उसकी स्मरण शक्ति घटने लगती है।
अपने प्रवचन में उन्होने आगे कहा कि चिन्ता बहुत से मनोरोगों की जनक है। एक सर्वेक्षण के अनुसार हमारे देश में पांच करोड़ लोग चिन्ता की बिमारी से ग्रसित हैं। उन्होने चिन्ता उत्पन्न होने के कारणों की चर्चा करते हुए कहा कि लोगों की यह जिद ही चिन्ता का प्रमुख कारण है कि मैं जो चाहती हूॅं वही होना चाहिए तथा जो मुझे पसन्द नही है वह कार्य कभी कोई न करे।
आज सत्यम शिवम सुन्दरम मेले का अवलोकन करने के लिए कबीरपंथी संत और नेता नारायण प्रसाद जो कि मध्यप्रदेश हस्तशिल्प एवं हाथकरघा विकास निगम के अध्यक्ष भी हैं, मेला स्थल पर पधारे। मेले का अवलोकन करके वह बहुत खुश हुए। बाद में उन्होंने अपना अभिमत व्यक्त करते हुए कहा कि माँ देवी का रूप बनकर जो ब्रह्माकुमारियाँ बहनें चैतन्य देवियों की झाँकी दिखा रही हैं, वइ अनूठा है। मेले में परमात्मा से मिलने का मार्ग दिखाया जा रहा है, इससे लोगों को शान्ति की अनुभूति होगी। प्रदर्शनी बहुत ही शानदार और देखने लायक है। आज ही रामकृष्ण मिशन के स्वामी ओमानन्द जी भी मेला देखने के लिए पधारे थे।