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श्रेष्ठ समाज एवं संस्कार का निर्माता है शिक्षक: शर्मा अखिल भारतीय शिक्षाविदों के सम्मेलन में बोले मिजोरम के राज्यपाल

आबू रोड, 3 सितम्बर, निसं। समाज में एक उक्ति बहुत प्रसिद्ध है, योग कर्मेशु कौशलम अर्थात योग से हमारे कर्मो में कुशलता आती है, राजयोग हमारे कर्मो में कुशलता लाने का एक सशक्त राजयोग है। आज भी शिक्षक की भूमिका बच्चों में संस्कार निर्माण के साथ श्रेष्ठ समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण है। उक्त विचार मिजोरम के राज्यपाल पूर्व लेफ्टिनेन्ट जनरल निर्भय शर्मा ने व्यक्त किये। वे ब्रह्माकुमारीज संस्था के शांतिवन में आयोजित शिक्षाविदों के सम्मेलन के उदघाटन अवसर पर बोल रहे थे।

आगे उन्होंने कहा कि बच्चों में संस्कार देने की पहली सीढ़ी माता पिता की होती है परन्त जब वे स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने आते है तो शिक्षक उनके जीवन में सर्वागिण विकास से लेकर मूल्यों की शिक्षा देकर उन्हें समझदार बनाता है। परन्तु अब देखने में आता है िक शिक्षक और विद्यार्थी दोनो की परिभाषा बदली है। ऐसे में शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है कि युवाओं में श्रेष्ठ संस्कार देने में अपनी महती भूमिका निभायें। युवा ही कल के भविष्य है। संस्कारविहिन युवा से श्रेष्ठ देश का निर्माण नहीं हो सकता है। ब्रह्माकुमारीज संस्था का शिक्षा प्रभाग कई विश्वविद्यालयों के माध्यम से मूल्य आधारित शिक्षा दे रही है जो सराहनीय है।

कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारीज संस्था की संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी ने कहा कि परमात्मा सभी पिताओं के पिता ओर शिक्षकों के परमशिक्षक है। उनके बताये शिक्षा पर चलने से मनुष्य का जीवन महान बन जाता है। हमने उसे नजर अंदाज किया इसलिए आज मनुष्य में मूल्यों की दिन प्रतिदिन कमी होती जा रही है। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि वे नये भारत निर्माण के लिए युवाओं में नैतिक मूल्यों की शिक्षा को बढ़ावा दें। आईएमआरटी विजनेस स्कूल लखनउ के अध्यक्ष डीआर बंसल ने कहा कि आज समय की मांग है कि भौतिक शिक्षा के साथ आध्यात्मिक और मूल्य आधारित शिक्षा को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाये। यह संस्थान इस क्षेत्र में सराहनीय कार्य कर रहा है।

इस अवसर पर शिक्षा प्रभगा के उपाध्यक्ष ने देशभर के 12 विश्वविद्यालयों में पढ़ाये जा रहे मूल्यनिष्ठ शिक्षा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस शिक्षा के प्रति युवाओं का रूझान तेजी से बढ़ रहा है। इसलिए इस संस्थान का प्रयास है कि सभी स्कूलों, कालेजों एवं विश्वविद्यालयों मेें नैतिक मूल्यों की शिक्षा अवश्य दी जाये।

कार्यक्रम में काठमांडू जोन की प्रभारी बीके राज तथा मूल्य आधारित शिक्षा के निदेशक बीके पांडयामणि ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में संस्थान द्वारा संचालित किये जा रहे मूल्य आधारित दूरस्थ शिक्षा को युवाओं ने बड़ी रूचि के साथ अपने विषयों में शामिल किया है। इसलिए हमें इसे व्यापक रूप में चलाने की जरूरत है।

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राजनीति में दिव्यता का अभाव दूर होगा सत्य से : थावर चंद गहलोत
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ज्ञान सरोवर ( आबू पर्वत ),03 सितंबर २०१६। आज ज्ञान सरोवर स्थित हार्मनी हॉल में ब्रह्माकुमारीज एवं आर ई आर एफ की भगिनी संस्था ,

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राजनीतिज्ञ सेवा प्रभाग के संयुक्त तत्वावधान में एक अखिल भारतीय सम्मेलन का आयोजन हुआ। सम्मलेन का मुख्य विषय था ” गौरवशाली भारत के लिए राजनीति में दिव्यता . इस सम्मलेन में भारत के विभिन्न प्रान्तों से बड़ी संख्या में प्रतिनिधिओं ने भाग लिया . दीप प्रज्वलित करके इस सम्मेलन का

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उद्घाटन सम्पन्न हुआ।

आज के कार्य क्रम की अध्यक्षा ज्ञान सरोवर की निदेशक राजयोगिनी डॉक्टर निर्मला दीदी ने अपना आशीर्वचन इन शब्दों में दिया . आपने कहा कि मोदी जी के सद्प्रयासों से आज भारत विषय के 10 महत्वपूर्ण देशों में से एक हो गया है

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ईश्वरीय प्रयत्नों के बिना भारत को राम राज्य नहीं बना सकते . बापू ने काफी कोशिश की . मगर परिणाम हमारे सामने है . भारत में माताओं की क्या इज़्ज़त है आज ? बेटियों की क्या हालात है आज ? डेल्ही रेप और हिंसा की राजधानी बनी हुई है . फिर भी हमारी गारंटी है की एक दिन भारत विश्व पर राज्य करेगा . क्योंकि भारत ईश्वरीय ताकत के सहयोग से आज जीवन को दिव्य और शक्तिशाली बना रहा है . स्वराज्य से यानी स्वयं पर राज्य से विजय मिलेगी . काम ,क्रोध आदि विकारों पर विजय से दिव्यता आती है . राजयोग के अभ्यास से हम निर्विकारी बन रहे हैं . राजनीतिज्ञ भी ऐसा करें तो सफल हो सकते हैं .

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि

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केंद्रीय मंत्री सामजिक न्याय और सहकारिता विभाग थावर चंद गहलोत जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि मैं भाव विभोर हूँ . सोचता हूँ के पहले ही आ गया होता तो कितना अच्छा होता . आज का विषय परिस्थिति की मांग है . आज दिव्यता का अभाव है राजनीती में . लोग अपनी ही संस्कृति की आलोचना कर रहे हैं . दुःख की बात है की आज भारत माता की जय कहने का विरोध हो रहा है . हम सत्यता से दूर हो गए हैं . परोपकार को भूल गए हैं . स्वार्थ में लिप्त हुए हैं .सात्य मार्ग पर होने के कारण कृष्णा ने पांडवों का साथ दिया .

राम जी ने लंका नरेश रावण का वध किया क्योंकि रावण अहंकार और विकार का प्रतिनिधि था . आज के राजनीतिज्ञों को दिव्यता अपना कर समाज कर समाज का कल्याण करना होगा . सही है की राजनीतिज्ञ दिव्य होंगे तो समाज की समस्या का समाधान जल्दी निकलेगा . अफ़सोस है की सत्ता लोलुपों ने सत्ता के लिए दिव्यता का त्याग किया और तुस्टिकरण की नीति अपनायी . देश इससे काफी पीछे चला गया .
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कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि डॉक्टर सुब्रमनियम स्वामी जी , सांसद ,राज्य सभा ने कहा कि दिव्यता रामायण  और महाभारत से सीख सकते हैं . हमें सबसे पहले अपने लक्ष्य का निर्धारण करना होगा .गाँधी के अनुसार लक्ष्य की प्राप्ति के लिए साधन और मार्ग भी उत्तम होना चाहिए . हमारे देश के अनेक माननीय राजा महाराजा हमेशा साधुओं सन्यासियों से मार्ग दर्शन लिया करते थे . क्योंकि साधु सन्यासी पूज्य हुआ करते थे . हमारी इसी परंपरा ने आज भी भारत को महान राष्ट्र बना कर रखा है .जन्म से कोई ब्राह्मण या शुद्र नहीं होगा – कर्म से होगा . बाद में मिलावट के द्वारा स्वरुप ख़राब किया गया . अपनी परम्पराओं का पालन करके राजनीती को दिव्या बना सकते हैं . मार्दर्शन करने वाले नहीं रहे . उनकी  तलाश करनी होगी .
भारत के सभी लोगों का डी एन ए समान है . हम सभी एक हैं और हमको मिल कर रहना होगा . हमारी संस्कृति हमें ऐसा ही सिखाती है . अपनी संस्कृति की पहचान सबसे जरूरी है .
 
राजनीतिज्ञ सेवा प्रभाग के अध्यक्ष राजयोगी बृज मोहन जी ने कार्य क्रम की विषय वस्तु को स्पस्ट किया . आपने कहा भारत वासी दिव्यता के मूल्य को जानते हैं . तभी राजनीती में दिव्यता की होती है . अगर हम ये जान लें की कभी भारत में राजनीती में दिव्यता थी – तो यह जरूरत बेमानी नहीं लगेति . राजनीति सबसे बड़ी सत्ता है दुनिया की . सत्ता बनी रहे उसके लिए सत्यता और दिव्यता बना कर रखनी होगी . सर्व शास्त्रों की शिरोमणि है गीता . सत्य और अहिंसा ही मूल आधार है शांति और समृद्धि का . हम जानते हैं की परमात्मा सत्य है . परमात्मा ने कहा है की हम सभी आत्मा हैं . विश्व बन्धुत्व कहा जाता है . क्योंकि सभी एक परमात्मा की संतान हैं और भाई भाई हैं . एक दूसरों को आत्म देखने और समझने से दिव्यता आती है . दिव्यता से आती है मर्याद . मर्यादा से ही संसार उत्तम बनता है .सर्व श्रेष्ठ दिव्यता प्रकट हुई है श्री लक्ष्मी और श्री नारायण के द्वारा . इनके पास राज सत्ता और धर्म सत्ता एक साथ रहे हैं . फॉलो इनको करना है .