ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका का धूमधाम से मनाया गया जन्मदिन
12 अप्रैल, शान्तिवन। ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका तथा युवा प्रभाग की राष्ट्रीय संयोजिका
दादी रतनमोहिनी का 93वाँ जन्मदिन संस्थान के अन्तर्राष्ट्रीय मुख्यालय शांतिवन में धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर संस्था की मुख्य प्रशासिका दादी जानकी समेत सभी वरिष्ठ पदाधिरी उपस्थित थे।
संस्था प्रमुख दादी जानकी ने उन्हें जन्मदिन की बधाई देते हुए कहा कि रतनमोहिनी दादी आज संस्थान की सेवाओं में जो अपना सहयोग दे रही है, इससे सभी कार्य पूर्णरूपेण सफल होते जा रहे है। आज अपने 93वें वर्ष में भी दादी में जो अथकपन, सेवाओं का उमंग दिखाई देता है वह सभी युवाओं के लिए भी प्रेरणास्त्रोत है। संस्थान को दादी का अकल्पनीय सहयोग मिल रहा है।
इस अवसर पर संस्थान की घाटकोपर सबजोन प्रभारी बीके नलिनी ने कहा कि दादी हमारे लिए सदा ही प्रेरणा की स्त्रोत रही है। आदरणीय दादी का इतना बड़ा पदाभार होते हुए भी सदा परमात्म स्मृति में समाये हुए तथा सर्व सेवाकार्यों को पूर्ण करने की कला हमारे लिए अनुकरणीय है।
दादी ने बोया विदेश सेवा का बीज:
इस अवसर पर संस्थान के महासचिव बीके निर्वैर ने दादी द्वारा की गई सेवाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्तमान समय में संस्थान की लगभग पूरे विश्व में शाखायें है। पूरे विश्व में ब्रह्माकुमारीज़ ने जो आध्यात्मिक क्रान्ति लाई है उस क्रान्ति का बीजारोपण भी सर्वप्रथम संस्था की पूर्व मुख्य प्रशासिका दादी प्रकाशमणि के साथ-साथ दादी रतनमोहिनी ने ही किया था।
इस अवसर पर संस्थान की कार्यक्रम निर्देशिका बीके मुन्नी, संस्थान के मल्टीमीडिया अध्यक्ष बीके करूणा, कार्यकारी सचिव बीके मृत्युंजय, महाराष्ट्र जोन प्रभारी बीके संतोष तथा अन्य वरिष्ठ सदस्य मौजूद थे। इस अवसर पर देश-विदेश से आये लगभग 25000 लोग सम्मिलित हुए तथा अनेक सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ भी दी गई।
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सभ्यता और संस्कृति ने प्राचीन काल में विश्व को वातावरण स्वच्छ रखना,सद्भाव और सदाचार जैसे गुणों को अपनाते हुए जीवन जीने का दिया है संदेश वर्तमान में भी ऐसे संदेशों को अंगीकृत करने की जरूरत : मुख्यमंत्री मनोहर लाल
करनाल 2 अप्रैल, प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय करनाल सेक्टर 7 द्वारा कर्मा एंड डेस्टिनी पर एक अध्यात्मिक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमे बतौर मुख्यातिथि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति ने प्राचीन काल में विश्व को वातावरण स्वच्छ रखना, तरंगे अच्छी करना, सद्भाव और सदाचार जैसे गुणों को अपनाते हुए जीवन जीने का संदेश दिया है। आज फिर इसी प्रकार का वातावरण बनाने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मौजूदा समय में हम अपने व्यवहार और आचरण की बदौलत सतयुग से कलयुग में प्रवेश कर गए है, लेकिन वह दिन दूर नहीं जब हम पुन: सतयुग में प्रवेश करेंगे। इसके लिए हमें संतो व ऋषि मुनियों द्वारा बताएं गए मार्ग का अनुसरण करना होगा और ऐसा करने से समाज में अतुलनीय परिवर्तन देखने को मिलेगा। लोगों की अपराधिक प्रवृति लगभग समाप्त हो जाएगी तथा पुलिस व जेलों के कार्यबोझ में भी कमी आएगी। उन्होंने कहा कि हमें अपने व्यवहार में बदलाव लाने की आवश्यकता है। आज हम दो-तीन घंटे आध्यात्मिक प्रवचन सुनने उपरांत अपने पुराने व्यवहार को तुरंत अपना लेते है,जबकि आध्यात्म को बनाये रखना जरूरी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम नवरात्रों में तो सात्विक भोजन ग्रहण करते हुए अपने मन को सात्विक रखने का प्रयास करते है,लेकिन नवरात्रों के बाद अपनी पुरानी प्रवृति में ढल जाते है,यह सही नहीं है। हमें अपने मन को नियंत्रित करते हुए सद्मार्ग पर चलने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज समाज में दो प्रकार के व्यक्ति मिलते है,एक वह जो हमेशा अच्छे मार्ग का अनुसरण करते है और दूसरे वह जो अपराधिक गतिविधियों में भाग लेते है। दुर्भाग्यपूर्ण दूसरी प्रकार के लोगों की पंक्ति लम्बी है, हमें अपनी शक्ति को पहचानते हुए इन लोगों को भी सदाचार के मार्ग पर लाने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय इस दिशा में बेहतर कार्य कर रहा है और इस दिशा में आगे बढऩे के लिए हरियाणा सरकार भी अपना हर संभव सहयोग देने के लिए तैयार है।
इस मौके पर उपस्थित ब्रह्माकुमारी शिवानी बहन ने कर्म और भाग्य विषय पर विस्तार से बताते हुए कहा कि हम अपने जीवन में जैसा कर्म करते है, भविष्य में हमें उसी प्रकार फल मिलता है। हम ही अपने भाग्यविधाता है। उन्होंने कहा कि मनुष्य कईं बार अपने भूतकाल में इस प्रकार के अनैतिक व अनुचित कार्य कर बैठता है,जिसका उसे भविष्य में लम्बे समय तक भुगतान करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि आज के समय में मनुष्य धन कमाने की दौड़ में लगा हुआ है, उसे धन के अलावा अन्य कोई वस्तु नजर नहीं आती। अपनी इस प्रवृति के कारण वह सामने वाले का अहित भी करने को तैयार है। ऐसा धन हमारे सुखों का नहीं अपितू दुखों का कारण बनता है। उन्होंने कहा कि हमें केवल सात्विक धन ही कमाना चाहिए, इससे हमारा तन भी सात्विक होगा और मन भी मनुष्य श्रेष्ठता की ओर अग्रसर होगा।
बीके शिवानी बहन ने प्रवचनों में समाहित संदेश को आगे बढ़ाते हुए कहा कि मनुष्य अपनी बुराई रूपी काली बॉल को अपने वचनों के माध्यम से दूसरों को भेजता है, लेकिन वह यह नहीं समझता कि यह बुराई रूपी काली बॉल दोबारा फिर उसकी तरफ आने वाली है। सरल शब्दों में इसका मतलब समझाते हुए उन्होंने कहा कि मनुष्य कईं बार किसी दूसरे व्यक्ति का अहित या बुरा करता है। उसे यह समझना चाहिए कि जैसा वह करेगा वैसा ही उसे मिलने वाला है। इसलिए मनुष्य को हमेशा दूसरे को दुआएं ही भेजनी चाहिए व किसी को दुख नहीं देना चाहिए। जिंदगी में लोग धन तो कमाते है लेकिन दुआएं नही कमाते। लेकिन जो आदमी दुआएं कमा लेता है,धन उसके पास स्वत: ही चला आता है। प्रकृति के इस विधान को समझने की जरूरत है।
इस मौके पर घरौंडा के विधायक एवं हैफेड के चेयरमैन हरविन्द्र कल्याण , मेयर रेणूबाला गुप्ता, श्रीमती सुमन मंजरी (I.P.S. I.G. हरियाणा) एवं नीलोखेड़ी के विधायक बीजेपी के जिलाध्यक्ष भगवानदास कबीरपंथी ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए संस्था के कार्यो की सरहना की |
इस मौके पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल जी तथा स्टेज पर उपस्थित अन्य अतिथियों ने ज्योति प्रज्जवलित की
करनाल सब जोन की इंचार्ज राजयोगिनी प्रेम दीदी ने कार्यक्रम का कुशल सचालन किया तथा प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की ओर से मुख्यमंत्री मनोहर लाल सहित सभी विशिष्ट अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित भी किया |
ब्रह्माकुमारी विद्यालय धर्म एवं संस्कृति की जड़ें कर रहा मजबूत: राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित
– ब्रह्माकुमारी संस्था के 80वीं वर्षगांठ पर आयोजित महासम्मेलन के तीसरे दिन राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने किया संबोधित
– नॉर्थ उड़ीसा विश्वविद्यालय बारीपाड़ा के कुलपति ने राजयोगिनी दादी ह्दयमोहिनी को प्रदान की डी. लिट की उपाधि
आबूरोड, सिरोही (राजस्थान) 28 मार्च। धर्म के नाम पर लोगों को बांटा जा रहा है। हमारी संस्कृति एवं वेद-ग्रंथों में कहीं जाति-धर्म का उल्लेख नहीं है। धर्म-जाति की दीवार टूटनी चाहिए। विश्व में कई संस्कृतियां आईं और चलीं गईं। लेकिन हमारी संस्कृति आज भी टिकी हुई है, इसका कारण धर्म है। ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय धर्म एवं संस्कृति की जड़ों को मजबूत एवं पोषण कर राष्ट्रनिर्माण का कार्य कर रहा है।
उक्त उद्गार असम- गोवाहाटी के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने अंतरराष्ट्रीय महासम्मेलन एवं सांस्कृतिक महोत्सव के तीसरे दिन शाम के सत्र में मंगलवार को व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि आज के इस पवित्र दिन, दिव्य प्रांगण और पवित्र वातावरण में उपस्थित होना मेरे लिएसौभाग्य की बात है। संस्था राष्ट्र निर्माण का कार्य कर रही है। ऐसे संगठन से जुड़े रहना बड़ी बात है।
आज भी दुनिया में ईश्वर है
उन्होंने एक घटना का जिक्र करते हुएकहा कि आज भी दुनिया मैं ईश्वर है। इसमें कोई शंका की बात नहीं है। प्रभु कृपा से ही सब संभव है। यहां का ज्ञान और आध्यात्मिकता को देखकर हमारी आंखें खुल गईं। धर्म के काम को ईश्वर का साथ रहता है।
राज्यपाल ने यह दी सीख…
राज्यपाल ने महात्मा गांधी के यंग इंडिया अखबार में छपे लेख का जिक्र करते हुए उनके सात जीवन मंत्र बताए। उन्होंने कहा कि राजनीति में धर्म का अंकुश होना बहुत जरूरी है। हमारे घर में मेहनत, ईमानदारी से कमाया हुआ धन ही आना चाहिए। हर एक के पास ज्ञान के साथचरित्र होना चाहिए। मानवता के बिना विज्ञान अधूरा है।
राजयोग से ही शांति आ सकती है: जस्टिस कार्की
नेपाल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मोहन बहादुर कार्की ने कहा कि मैं 30 साल से संस्था से जुड़ा हूं। आज लोगों के जीवन में धन-दौलत है, लेकिन शांति नहीं है। शांति के लिएराजयोग के अलावा और कोई दूसरा उपाय नहीं है। एकमात्र राजयोग से ही शांति आ सकती है। यहां का सात दिन का कोर्स सभी को सीखना चाहिए। राजयोग के अभ्यास से हमारी लाइफस्टाइल चेंज हो जाती है।
यहां मैंने शांति की अनुभूति की: एडिटर
एडिटर सिवेद साहनिया ने कहा कि यहां से शांति और प्रेम का संदेश दुनियाभर में दिया जा रहा है। ब्रह्माकुमारीज में जो परमात्म ज्ञान दिया जा रहा है, इससे निश्चित ही इनसान में परिवर्तन होता है। यहां मैंने दो दिन रहकर शांति की अनुभूति की। साथ ही प्रेम और भाईचारा देखने को मिला।
स्व परिवर्तन से होगा विश्व परिवर्तन: रॉव
लैम्बो गु्रप ऑफ इंडस्ट्रीज हैदराबाद के चेयरमैन कोंडल राव ने कहा कि स्व परिवर्तन से ही विश्व परिवर्तन होगा। ब्रह्माकुमारीज संस्था विश्व परिवर्तन का अद्भुत कार्य कर रही है। यह ज्ञान बहुत ही गहरा और अद्भुत है। मैं इस संस्था से 25 वर्ष से जुड़ा हूं। समाज में जो नेगेटिव विचार हैं, उन्हें परिवर्तन करने में संस्थान लगा हुआ है।