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Monthly Archives: December 2014

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The Lokarpan of Bramha Kumaris Marg was inaugurated by Shri Rajneesh Kumar Gupta, Vice- Chairman of Nagar Nigam, Lucknow  at Lucknow Munshipula Seva Kendra.  The paper cuttings and photos of the programme are attaching for your kind perusal.
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Click Reports

Shri Pushpendra Singh, Hon’ble State Minister of Energy, Government of Rajasthan, has awarded Brahma Kumaris with “Rajasthan Energy Conservation  Award -2014” for their exceptional contribution in the field of Energy Conservation and sustainability activities. This is another mile stone in the  service history of Brahma Kumaris.

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Brahma Kumari Sister SHIVANI ji,  gave a deep insight on the following topics in 3 programmes 

13th Dec 2014 @ 7 am –   “ HAPPINESS UNLIMITED”

Inaugural session of the programme by Lighting Kuthuvillaku in presence of B.K.Beena, B.K.Shivani, B.K.Kalavathi, Mr.Suresh Oberoi, Mr.Sanjay Bhandari & Mrs.Bhandari. The Session Begins with Meditation followed by talk of Shivani Behn.

Later Sharing Experience by Mr. Suresh Oberoi. 

13th Dec 2014  @ 6 pm –   “ HEALING RELATIONSHIPS”

Welcome by Mitraa Foundation – Smt.Anita Ramachandran & Session Begins with Meditation followed by talk of Shivani Behn.

Sharing Experience by Mr.Suresh Oberoi.

14th Dec 2014  @ 6 pm –   “ BALANCE SHEET OF LIFE”

Welcome by Dr.S.Thiruvanandan & Session Begins with Meditation followed by talk of Shivani Behn. Sharing Experience by Mr.Suresh Oberoi.

These Series of lectures held at Anna Auditorium, and in Every session the auditorium was filled with more than 1500 participants.
All the above 3 program got a good applause from the audience and thus this program a grand success.
Shivani Behn also enlightened more than 2000 souls of BK family with Baba’s Gyan on 14th Sunday morning.

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देश को दिशा दे सकती है नारी
नारी स्वयं का सम्मान करना सीखें और स्वयं के अंदर आत्मविश्वास पैदा करे


आबू रोड।
पिछले तीन दिनों से चल रहे महिला सम्मेलन का आज समापन हो गया। इस सम्मेलन में मुख्य रूप से नारी की सुरक्षा और आत्मरक्षा जैसे विषयों पर चर्चा की गई। इस सम्मेलन से निष्कर्ष यही निकला कि यदि नारी खुद को सम्मान दे, अपनी संस्कृति के दायरे में रहकर कार्य करें और अपना आत्मविश्वास बढ़ाएं तो उसे कोई भी अपमानित या प्रताडि़त नहीं कर सकता है। इसलिए नारी को शक्ति का अवतार कहा जाता है।

इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए हरियाणा के आदित्य बिरला ग्रुप की वाइस-प्रेसीडेंट मिसेज सपना कपूर ने कहा कि अगर नारी चाहे तो पूरे समाज के लिए संजीवनी बुटी बन सकती है, इसके लिए सिर्फ उसे अपने जीवन में आध्यात्मिकता का समावेश करना होगा। नारी तो एक पवित्र ज्योति है जिसके प्रकाश से परिवार, समाज और देश सुख प्राप्त करता है। प्राचीन समय में नारी का जो स्वरूप लक्ष्मी और सीता के रूप में था, वह आज खो गया है। हमें पुन: अपने उस स्वरूप को पहचानने की आवश्यकता है। हमारे वैल्यूज कम हो जाने के कारण ही आज समाज में नारी की ये स्थिति हो गई है। इसके लिए हमें परमात्मा शिव की याद से शक्ति लेनी होगी, तभी हम अपने मूल गुणों की अनुभूति कर पाएंगे। और नारी शिवशक्ति का अवतार कहलाएगी और उसका खोया हुआ गौरव भी उसे प्राप्त होगा।

यूरोप में ब्रह्माकुमारीज़ के सेवाकेंद्रों की डायरेक्टर बीके जयंति ने कहा कि जब भी कोई कार्य शुभभावना से किया जाता है तो उसमें परिवर्तन अवश्य आता है। आध्यात्मिक शिक्षा से ही नारी में जागृति लायी जा सकती है। राजयोग मेडिटेशन के द्वारा हम स्वयं के आंतरिक वेल्यूज का अनुभव कर सकते हैं। जब वैल्यूज और कर्तव्य आपस में मिल जाते हैं तब आत्मा में विश्वास आ जाता है।

केशोद की नैयना बहन रमानी
ने कहा कि हमारी संस्कृति की यह विशेषता है कि हम नारी को सम्मान देते हैं। नारी की महिमा और विशेषता इसी बात से स्पष्ट हो जाती है कि देवियों की पूजा नवरात्रि के रूप में नौ दिन मनायी जाती है। उन्होंने नारी का आह्वान करते हुए कहा कि अब वह समय आ गया है कि हम आध्यात्मिक शक्ति से उस संस्कृति को वापस लाएं, जिसके लिए कहा जाता है कि जहां नारियों की पूजा होती है वहीं देवता भी निवास करते हैं। नारी खुद अपना सम्मान करना सीख लेगी, तब एक स्वस्थ समाज का निर्माण होगा और स्वस्थ समाज में ही नारी को सम्मान और गौरव प्राप्त होता है। उन्होंने अपने अनुभव के आधार पर बताया कि जिस परिवार में नारी को प्रताडि़त किया जाता है वह परिवार हमेशा ही दु:खी एवं समस्याओं से घिरा रहता है। महिलाओं को सिर्फ शिक्षा का ही अधिकार नहीं मिलना चाहिए बल्कि उसे मुक्त जीवन जीने का भी अधिकार मिलना चाहिए। महिलाओं को स्वयं के अंदर लीडरशिप की भावना को विकसित करना होगा, आत्मविश्वास बढ़ाना होगा, तभी इस देश में परिवर्तन आएगा अन्यथा नारी सिर्फ एक रबर स्टैम्प बनकर रह जाएगी।

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अहमदाबाद के नवरंगपुरा एरिया में एक कच्ची बस्ती है जिसका नाम है ‘भगत की चाली’. बाबा के सेवाकेंद्र का भवन (दिव्य दर्शन भवन) जिस सोसायटी (ललितकुंज सोसायटी) में स्थित है उसी सोसायटी में इस कच्ची बस्ती का एक रास्ता भी निकलता है. इस बस्ती में करीब 575 झोंपड़ियाँ है जिसमें करीब 3500 लोग रहते हैं. इन लोगों की अनेक प्रकार की समस्याएं हैं.
 
हमनें इस कच्ची बस्ती एवं उसमें रहने वाले लोगों को सम्पूर्ण परिवर्तन करके ‘दिव्य नगरी’ बनाने का लक्ष्य लिया है.
 
नवम्बर, 2014 से हमनें सेवाओं की शुरुआत की जो अभी धीरे धीरे रफ्तार पकड़ रही है. अभी करीब 150 बच्चे प्रतिदिन सेवाकेंद्र पर 2 घंटा पढ़ने आते हैं. उन्हें थोड़ा ज्ञान योग एवं थोड़ी लौकिक विषयों को पढ़ाया जाता है. बीच बीच में मेडिकल केम्प, स्वच्छता अभियान, आद्यात्मिक गीतों का कार्यक्रम आदि भी किया जाता है.
 
सेवाओं की एक झलक देखने के लिए नीचे दी हुई लिंक पर क्लिक कीजिए:

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भारतीय संस्कृति से दूर होना नारी के पतन का कारण

आबू रोड, निसं, 13-12-14। इंडो-यूरोपीयन चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्रीज, भोपाल के अध्यक्ष अनुराधा सिंघानिया ने कहा कि आज निर्भया जैसे कांड देश में आए दिन हो रहे हैं। जो महिलाओं की सुरक्षा पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करते हैं। इन बुराइयों से लडऩे के लिए शंखनाद की आवश्यकता है।
वे ब्रह्माकुमारीज़ के महिला प्रभाग द्वारा परमात्म शक्तियों से नारी के शक्ति स्वरूप द्वारा महापरिवर्तन विषय पर आयोजित चार दिवसीय कार्यक्रम में देश भर से आए महिलाओं को संबोधित करते हुए बोल रही थीं। उन्होंने कहा कि हमने यह कभी नहीं सोचा कि आज नारी के प्रति इतनी हिंसा क्यों हो रही है। यदि देखा जाए तो इसका मुख्य कारण यही होता है कि आज हम अपनी संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं, पाश्चात्य संस्कृति का अनुकरण करने लगे हैं और सबसे बड़ा दोष तो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का है जो नारी को मॉडल के रूप में प्रस्तुत करता है। ये सब कारण नारी की दुर्दशा के जिम्मेवार हैं। यदि हम अपने परिवार में बच्चों को जन्म से ही नारी का सम्मान करने की शिक्षा और संस्कार देंगे, जब इन्हीं सब मूल्यों को धारण कर जब वह बड़ा होता है तब वह संस्कारशील होता है। उसके दिल में नारी के प्रति इज्जत और सम्मान का भाव होता है।

दिल्ली सरकार की शिक्षा अधिकारी सुनीता बत्रा ने बताया कि यह युग ही परिवर्तन का युग चल रहा है। एक नारी होने के कारण हमारा यह कत्र्तव्य बनता है कि हम जो व्यवहार अपने परिवार में करते हैं वहीं व्यवहार हमें समाज के हर व्यक्ति के साथ करना चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय की वकील मीना सक्सेना ने कहा कि शांति, प्यार और सरलता से जो कार्य किया जा सकता है वह कानून बनाकर नहीं किया जा सकता है।

संस्था की संयुक्त मुख्य प्रशासिका दादी रतनमोहिनी ने कहा कि भारत देश में नारियों को जो सम्मान दिया जाता है वह किसी अन्य देश में नहीं दिया जाता है। भारत में नारी की भूमिका को देवी के समतुल्य माना गया है। लेकिन कलियुग का युग होने के कारण नारी की पहचान धूमिल होती जा रही है। अब पुन: परमात्मा इस धरा पर आकर नारी के द्वारा सृष्टि के परिवर्तन का कार्य कर हैं।

राष्ट्रीय महिला आयोग, नेपाल की सदस्या मोनू हूमागेन ने कहा कि आज नारी को जितने अधिकार दिए गए हैं उसका अगर सही उपयोग किया जाए तो नारी को पुन: पुज्यनीय स्वरूप प्राप्त हो जाएगा। हमें अधिकारों और कत्र्तव्यों का उपयोग संस्कृति के दायरे में रहकर ही करना चाहिए।

इस कार्यक्रम का रशिया में सेवाकेंद्रों की संचालिका एवं महिला प्रभाग की अध्यक्षा बीके चक्रधारी, अहमदाबाद की राजयोग शिक्षिका बीके शारदा, दिल्ली की राजयोग की शिक्षिका बीके रानी सहित अनेक विशिष्ट अतिथियों ने संबोधित किया और नारी के प्रति हो रहे हिंसा के प्रति चिंता प्रकट की।