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Inauguration of Women Conference at Shantivan-Abu Road

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भारतीय संस्कृति से दूर होना नारी के पतन का कारण

आबू रोड, निसं, 13-12-14। इंडो-यूरोपीयन चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्रीज, भोपाल के अध्यक्ष अनुराधा सिंघानिया ने कहा कि आज निर्भया जैसे कांड देश में आए दिन हो रहे हैं। जो महिलाओं की सुरक्षा पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करते हैं। इन बुराइयों से लडऩे के लिए शंखनाद की आवश्यकता है।
वे ब्रह्माकुमारीज़ के महिला प्रभाग द्वारा परमात्म शक्तियों से नारी के शक्ति स्वरूप द्वारा महापरिवर्तन विषय पर आयोजित चार दिवसीय कार्यक्रम में देश भर से आए महिलाओं को संबोधित करते हुए बोल रही थीं। उन्होंने कहा कि हमने यह कभी नहीं सोचा कि आज नारी के प्रति इतनी हिंसा क्यों हो रही है। यदि देखा जाए तो इसका मुख्य कारण यही होता है कि आज हम अपनी संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं, पाश्चात्य संस्कृति का अनुकरण करने लगे हैं और सबसे बड़ा दोष तो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का है जो नारी को मॉडल के रूप में प्रस्तुत करता है। ये सब कारण नारी की दुर्दशा के जिम्मेवार हैं। यदि हम अपने परिवार में बच्चों को जन्म से ही नारी का सम्मान करने की शिक्षा और संस्कार देंगे, जब इन्हीं सब मूल्यों को धारण कर जब वह बड़ा होता है तब वह संस्कारशील होता है। उसके दिल में नारी के प्रति इज्जत और सम्मान का भाव होता है।

दिल्ली सरकार की शिक्षा अधिकारी सुनीता बत्रा ने बताया कि यह युग ही परिवर्तन का युग चल रहा है। एक नारी होने के कारण हमारा यह कत्र्तव्य बनता है कि हम जो व्यवहार अपने परिवार में करते हैं वहीं व्यवहार हमें समाज के हर व्यक्ति के साथ करना चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय की वकील मीना सक्सेना ने कहा कि शांति, प्यार और सरलता से जो कार्य किया जा सकता है वह कानून बनाकर नहीं किया जा सकता है।

संस्था की संयुक्त मुख्य प्रशासिका दादी रतनमोहिनी ने कहा कि भारत देश में नारियों को जो सम्मान दिया जाता है वह किसी अन्य देश में नहीं दिया जाता है। भारत में नारी की भूमिका को देवी के समतुल्य माना गया है। लेकिन कलियुग का युग होने के कारण नारी की पहचान धूमिल होती जा रही है। अब पुन: परमात्मा इस धरा पर आकर नारी के द्वारा सृष्टि के परिवर्तन का कार्य कर हैं।

राष्ट्रीय महिला आयोग, नेपाल की सदस्या मोनू हूमागेन ने कहा कि आज नारी को जितने अधिकार दिए गए हैं उसका अगर सही उपयोग किया जाए तो नारी को पुन: पुज्यनीय स्वरूप प्राप्त हो जाएगा। हमें अधिकारों और कत्र्तव्यों का उपयोग संस्कृति के दायरे में रहकर ही करना चाहिए।

इस कार्यक्रम का रशिया में सेवाकेंद्रों की संचालिका एवं महिला प्रभाग की अध्यक्षा बीके चक्रधारी, अहमदाबाद की राजयोग शिक्षिका बीके शारदा, दिल्ली की राजयोग की शिक्षिका बीके रानी सहित अनेक विशिष्ट अतिथियों ने संबोधित किया और नारी के प्रति हो रहे हिंसा के प्रति चिंता प्रकट की।