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Mount Abu: National Women’s Conference Inaugurated at Gyan Sarovar

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आंतरिक साम्र्थय को जागृत करता है मेडिटेशन
ज्ञान सरोवर में महिला प्रभाग सम्मेलन आरंभ

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माउंट आबू, राष्ट्रीय महिला आयोग अध्यक्षा श्रीमती रेखा शर्मा ने कहा कि त्याग, तपस्या व सेवा की प्रतिमूर्ति महिलाओं को मेडिटेशन के जरिए अपने साम्र्थय को जागृत करना होगा। रिश्तों में बढ़ते स्वार्थ को समाप्त करने के लिए विशेषकर महिलाओं को आत्मचिंतन करने की जरूरत है। महिला विभिन्न रूपों में परिवार, समाज व देश की सेवा करती है। महिलाओं की चार दीवारों से बाहर निकल कर राष्ट्र को अपना परिवार समझकर सेवा करने की जिम्मेवारी बढ़ गई है। पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से नई पीढ़ी की मानसिकता में आ रहा बदलाव परिवारों में दरारें पैदा कर रहा हैं। स्वयं को सशक्त बनाने वाले ही दूसरों को सशक्त बना सकते हैं। यह बात उन्होंने मुख्य अतिथि की हैसयित से शनिवार को ब्रह्माकुमारी संगठन के ज्ञान सरोवर अकादमी परिसर में महिला प्रभाग की ओर से आयोजित चार दिवसीय सम्मेलन के उदघाटन सत्र को संबोधित करते हुए कही।

उन्होंने कहा कि मृगतृष्णा समान अनावश्यक इच्छाओं के चलते महिला अपनी आंतरिक शक्तियों को नहीं पहचान पाती है। वास्तविक शक्ति हमारी आत्मा में होती है जो शक्ति निश्चित तौर पर हमारे जीवन को बेहतर बनाती है। यहां की विचाराधारा की बदौलत संसार के अनेक समुदाय एक माला में पिरोये जा रहे हैं। इस संस्था से जुडक़र बहनों ने अपने जीवन को विश्व की सेवा के लिए समर्पित कर दिया है जो बहुत बड़ी सेवा हैं। संस्था के साथ जुडक़र समाज सेवा करना हम सबका दायित्व बनता है।

तामसिक विचारों को नष्ट करता मेडिटेशन

राजस्थान सरकार के महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री श्रीमती ममता भूपेश ने कहा कि मेडिटेशन तामसिक विचारों को नष्ट करता है। सशक्त होने का अर्थ यह नहीं कि महिलायें पढ़ लिख जायें बल्कि स्व्यं को आंतरिक शक्तियों से ऊर्जा का संचार करने वाली महिलायें ही सशक्त महिलायें हैं। महिलाओं को अपने विचारों से अपनी बेटी को राष्ट्र निर्माण के लिए तैयार करना चाहिए। आध्यात्मिक शक्तियों की ऊर्जा से परिपूर्ण ब्रह्माकुमारी बहनों का सानिध्य समाज को सकारात्मक दिशा में ले जाने में सक्षम हैं। विश्व के पुर्नोत्र्थान के लिए ब्रह्माकुमारी संगठन की बहनें अपना अमूल्य समय देकर विश्व के पांचों महाद्धीपों में राजस्थान की धरनी माउंट आबू से भारतीय संस्कृति की रोशनी पहुंचा रही है। पति-पत्नी एक ही सिक्के के दो पहूल हैं मेरे पति ने अपने जीवन को ब्रह्माकुमारी संगठन की शिक्षाओं को अपने जीवन में ग्रहण कर मेरे जीवन को भी सकारात्मक बनाने में अहम भूमिका अदा की है।

राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी सचिव व प्रवक्ता संगीता गर्ग ने कहा कि किसी भी परिस्थिति में महिलाओं को आशावादी मानसिकता नहीं छोडऩी चाहिए। मेडिटेशन के जरिए ईश्वर से मन के तार जोडऩे पर अलौकिक शक्ति प्राप्त होती है। जिससे आलोचना भरे महौल में स्वयं को सशक्त बनाया जा सकता है।

ज्ञान सरोवर अकादमी निदेशिका राजयोगिनी डॉ. निर्मला ने कहा कि बच्चों को श्रेष्ठ संस्कारों से सिंचन करना मां का महत्वपूर्ण कत्र्तव्य है। परिवार के विचारों को जोडऩे से घर परिवार का महौल शांतिमय बन जाता है। किसी के कुटिल स्वभाव, संस्कार को मन में नहीं रखकर उसके प्रति शुभ कामनाओं को स्थान दिया जाना चाहिए।

प्रभाग की अध्यक्षा राजयोगिनी चक्रधारी बहन ने कहा कि नारी शक्ति परिवार की धुर्री है। जो परिवार में शांति का महौल कायम रख सकती है। दहेज लेने की कुप्रथा को समाप्त कर बच्चों में आपसी समन्वय की स्नेहमयी भावनाओं के सूत्र में बांधने के कारगर प्रयास करने की जरूरत है। विशेषकर महिलाओं के ऊपर परिवार को एकजुट होकर रखने की जिम्मेवारी होती है।

शिक्षा प्रभाग उपाध्यक्ष, वरिष्ठ राजयोग प्रशिक्षिका बीके शीलू बहन ने कहा कि किसी की आवश्यक इच्छाओं का गला घोंट कर सुखी नहीं रहा जा सकता है। संसार में आधे झगडों का कारण मनुष्य के बोल होते हैं। अपनी सोच, अपने बोल, अपने शब्दों पर ध्यान देने की जरूरत है।

मुख्यालय संयोजिका डॉ. सविता ने कहा कि बच्चो को जिस महौल में पाला जाता है वही महौल उनके जीवन व्यवहार में झलकता है। बच्चों को प्रोत्साहन, प्रसन्नता, आत्मविश्वास, धैर्यता, मधुरता, सौम्य व्यवहार, स्नेह, सहयोग का महौल देना चाहिए। नम्रता व्यक्ति को सम्मान देती है, श्रद्धा व्यक्ति को मान देती है, योग्यता व्यक्ति को महान बना देती है। स्वयं को सुंस्कारित बनाने से ही बच्चों को श्रेष्ठ संस्कार दिये जा सकते हैं।

वरिष्ठ राजयोग प्रशिक्षिका बीके रानी ने राजयोग का अभ्यास कराते हुए गहन शान्ति की अनुभूति कराई।