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National Conference on ‘New Education for New India’ ​on 29th July at Dr Ambedkar International Centre, New Delhi.

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माउंट आबू (ज्ञान सरोवर), २७ जुलाई २०१९। आज ज्ञान सरोवर स्थित हार्मनी हॉल में ब्रह्माकुमारीज एवं आर ई आर एफ की भगिनी संस्था, “वैज्ञानिक और अभियंता प्रभाग” के संयुक्त तत्वावधान में एक अखिल भारतीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन का विषय था ‘व्यक्तिगत प्रभावशीलता’। इस सम्मेलन में देश के सैकड़ों प्रतिनिधिओं ने भाग लिया। दीप प्रज्वलन के द्वारा सम्मेलन का उद्घाटन सम्पन्न हुआ।


ब्रह्माकुमारीज की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी जानकी जी ने वीडियो संदेश के माध्यम से सम्मेलन में पधारे प्रतिनिधिओं को अपना संदेश सुनाया। आपने कहा “साइंस अपना काम अच्छा कर रहा है। मगर साइलेंस भी कम नहीं। ना कुछ बोलना है और ना ही कुछ सोचना है। परमात्मा की याद में रह कर पूरी दुनिया को परमात्मा का प्रकाश पहुँचाना है। पॉजिटिव वाइब्स पहुँचाना है।”

डालमिया सीमेंट, दिल्ली के एम्. डी. तथा सी. ई. ओ. महेंद्र के सिंह ने मुख्य अतिथि के रूप में अपना व्याख्यान रखा। आपने कहा कि मैं आज गौरवान्वित हूँ यहां आकर। जो कोई भी यहाँ आ गया है उनकी प्रभावशीलता में तो वृद्धि आ ही गयी है। यह इतना उत्तम स्थान है। मैं आयोजकों को धन्यवाद देता हूँ और उनके सामने नतमस्तक हूँ। हम सभी अपना कार्य बेहतर से बेहतर करना चाहते हैं। सकारात्मक सोच से हमारी प्रभावशीलता बढ़ जायेगी। मैंने विचार किया कि मुझे डालमिया सीमेंट को प्रथम ५ में लाना है और मुझे वैसा करने में सफलता मिली। अगर मैं प्रथम ३ में आने के बारे में विचार करता तो शायद वह भी हो जाता। अर्थात अपना लक्ष्य भी ऊंचा रखें तो अच्छी सफलता मिलेगी। अब पर्यावरण शुद्धि की दिशा में हम आगे जा रहे हैं और हमें सभी का सहयोग भी मिल रहा है। और समय के पूर्व हम वैसा कर पाएंगे।

वैज्ञानिक और अभियंता प्रभाग के अध्यक्ष राजयोगी मोहन सिंघल ने आज के विषय पर प्रकाश डाला। कहा – हमारी संस्कृति का आधार ही आध्यात्म है। इस संस्कृति के अनुसार यह संसार पुरुष और प्रकृति का खेल है। अर्थात आत्मा और शरीर का खेल है। आत्मा ही पुरुष है। वैसे तो लोग इस दुनिया में सब कुछ छोड़ कर जाते हैं। मगर पुरुष, अर्थात आत्मा अपने साथ जीवन मूल्यों को लेकर जा सकती है। देना एक सर्वश्रेष्ठ मूल्य है। देते-देते आत्मा प्रभावशील बन जाती है। हमारी प्रभावशीलता बढ़ती जाती है। मन को जीतना भी बड़ी बात है। मगर राजयोग के अभ्यास से यह काफी आसान है।

वैज्ञानिक और अभियंता प्रभाग, दिल्ली के राष्ट्रीय संयोजक बी के जवाहर मेहता ने सम्मेलन को शुभ कामनाएं इन शब्दों में दीं, कहा जहां चाह – वहाँ राह. एक व्यक्ति क्या नहीं कर सकता। इस संस्थान के संस्थापक प्रजापिता ब्रह्मा बाबा के जीवन का अध्ययन जब आप करेंगे तो आपको बल मिलेगा। आज लाखों लोग उनके अनुयायी बनकर आध्यात्म के मार्ग पर अग्रसर हो चुके हैं। यह उन एक वयक्ति के जीवन मूल्यों का ही प्रभाव है। अतः हम सभी को पहले अपनी प्रभावशीलता का विकास करना होगा। ऐसा विकास तभी होगा जब हम आध्यात्म का सहारा लेंगे। खुद को जानेंगे और शुरुआत वही से करेंगे।

वैज्ञानिक और अभियंता प्रभाग, मुंबई के संयोजक राजयोगिनी गोदावरी दीदी ने सम्मेलन को अपना आशीर्वचन दिया। “हीरा मुख से ना कहे -लाख टका मेरा मोल” – ब्रह्मा बाबा की प्रभावशाली व्यक्तित्व के लिये ऐसा कहा जा सकता है। प्रभावशीलता की यह एक बड़ी सी पहचान है। मुख से कुछ भी कहने की जरूरत नहीं पड़ती। बस अपना निर्माण करना होता है। हमेशा अपना परिवर्तन करते रहो। एक्टिव बनो – अलर्ट बनो। परिवर्तन सकारात्मक होना चाहिए। लोगों को भला करते चलो। प्रभावशीलता में वृद्धि होती जायेगी।

वैज्ञानिक और अभियंता प्रभाग के राष्ट्रीय संयोजक बी के भारत भूषण ने सम्मेलन को अपनी शुभकामनाएं दीं। वैज्ञानिक और अभियंता प्रभाग, दिल्ली के संयोजक बी के पियूष ने संस्थान के महासचिव राजयोगी निर्वैर जी का भी संदेश पढ़ कर सुनाया गया। वैज्ञानिक और अभियंता प्रभाग के मुख्यालय संयोजक बी के भरत ने पधारे हुए अतिथियों का स्वागत किया। बी के माधुरी ने मंच का संचालन किया।