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ग्राम विकास प्रभाग के अखिल भारतीय सम्मेलन का उद्घाटन

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ऊंचा सोचे – अच्छा सोचें – स्वर्णिम भारत बनेगा : राजयोगिनी रानी दीदी जी

ज्ञान सरोवर ( आबू पर्वत ),१० जून २०१६। आज ज्ञान सरोवर स्थित हार्मनी हॉल में ब्रह्माकुमारीज एवं आर ई आर एफ की भगिनी संस्था , ग्राम विकास प्रभाग के संयुक्त तत्वावधान में एक अखिल भारतीय सम्मेलन का आयोजन हुआ। सम्मलेन का मुख्य लक्ष्य इस प्रकार रहा – स्वर्णिम भारत का आधार : सशक्त किसान। इस सम्मलेन में भारत और नेपाल से अनेक अतिथियों ने भाग लिया। दीप प्रज्वलित करके सम्मलेन का विधिवत उदघाटन संपन्न हुआ।

इस सम्मेलन के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षा राजयोगिनी रानी दीदी ने अपना आशीर्वचन इस प्रकार से दिया। आपने कहा कि भारत फिर से स्वर्णिम होने वाला है। किसानों को धरती की , बीज की और मौसम की ठीक ठीक पहचान है। इस कर्म छेत्र पर हमारा संकल्प बीज है और दुःख सुख अशांति ईर्ष्या द्वेष आदि भी फल ही हैं उन संकल्पों के। जैसे सोचेंगे – वैसा फल मिलेगा। संकल्पों को शुद्ध बनाना ही ऊंची मंज़िल है। सकारात्मकता ही विजय है। संकल्पों से सिद्धि प्राप्त हो जाएगी। ऊंचा सोचे – अच्छा सोचें – स्वर्णिम भारत बनेगा। मैं लकी हूँ -सौभाग्यशाली हूँ मैं। ये शुभ संकल्प हमारी सृष्टि को बदल डालेंगे। खुद को जानो। मणि चैतन्य शक्ति आत्मा -परमात्मा की संतान हूँ। ऐसा चिंतन बार बार करने से वैसी अनुभूति होने लगेगी। इस आधार पर कर्म ऊंचा बना कर योगिक और जैविक खेती से किसान सफल होंगे।

मीडिया प्रभाग के अध्यक्ष राजयोगी करुणा भाई ने अपनी शुभ कामनाएं सम्मलेन को दीं। आपने कहा कि मैंने खुद १६ की उम्र तक खेती की। एक छोटे से गांव से मैं आया हूँ। गांव की संस्कृति अब भारत में शायद नहीं रही।
नौकरी के दरम्यान ब्रह्मा कुमारीज संस्था की जानकारी मुझे मिली। मैं यहां आकर पिताश्री जी से मिला। उस समय मुझे अनुभव हुआ की विज्ञानं के साथ साथ आध्यात्म की भी उन्नति हो रही है। पिताश्री जी ने कहा की आज हर गांव में कम से कम एक परिवार तैयार करो जो परमात्मा को पहचाने और उनकी आज्ञा को माने। परमात्मा की आज्ञा पर चल कर ही आज का किसान स्वर्णिम भारत का निर्माण कर पाएंगे। हम सभी को ईश्वर के प्रति आस्था और विश्वास रख कर काम करें – हर प्रकार की सफलता आपको मिलेगी।
बनारस हिन्दू विश्व विद्यालय के कृषि विज्ञान संसथान के निदेशक डॉक्टर रवि प्रताप सिंह जी मुख्य अतिथि के तौर पर अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया। आपने कहा कि मुझे यहां आकर काफी हर्ष है। मैं भी ग्रामीण परिवेश से ही आया हूँ। खेती की है – गौ सेवा भी की है। किसान अगर राजयोग अपना लें – योग का अभ्यास करें तो प्रगति होगी और वे आत्म हत्या करने से बचेंगे।
किसान ऋण के बोझ के कारण जीव घात करते हैं। अगर वे राजयोग का अभ्यास कर रहे होते तो आत्मा हत्या का विचार तक उनके मन में नहीं आता। ईश्वर की प्रार्थना से हमको लाभ प्राप्त होता है। तपस्या से और आध्यात्मिक शक्ति की ऊर्जा से हमेशा लाभ मिलता रहा है और फ्यूचर में भी लाभ होगा। आज जैविक खेती की महती जरूरत है। खाद का प्रयोग कम से कम करके हम जीवन की सुरक्षा कर पाएंगे।

डॉक्टर ए एम पारखिया निदेशक जूनागढ़ कृषि विश्व विदयालय ने अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया। अपने कहा कि किसानों को अपना माइंड सेट बदलने की जरूरत है। उनको आध्यात्मिक मार्ग अपनाना चाहिए। योगिक और जैविक खेती अति उत्तम है। इस प्रकार की खेती से पर्याप्त आमदनी मिलेगा और स्वास्थ भी । भारत तो इन प्रयोगों से स्वर्णिम होगा ही मगर विश्व भी स्वर्णिम होगा। किसानो के मन में राजयोग के प्रति आस्था बिठाने की जरूरत है। हम ब्रह्मा कुमारीज के साथ मिलकर शोध करने की आकांक्षा रखते हैं।

ग्राम विकास विकास प्रभाग की राष्ट्रीय संयोजिका राजयोगिनी सरला दीदी ने अपना वक्तव्य इस प्रकार प्रस्तुत किया। आपने कहा कि बिना संदेह हम कह सकते हैं की आज स्वर्णिम भारत का आधार : सशक्त किसान ही है। देश में आज सभी की चिंता है की किसान सुखी और समृद्ध बने। परन्तु किसानों की स्थिति दुखदाई है आज। आज कृषक वर्ग शोषित है। हमें उनकी जरूरतों को समझना होगा। उनकी जरूरतों को पूरा करके हम देश को स्वर्णिम बना सकेंगे।

मुख्य वक्ता अलवर की ब्रह्मा कुमारी ममता बहन ने अपना वक्तव्य इस प्रकार प्रस्तुत किया। भारत की संस्कृति महान है – सभी को ज्ञात है। हमारी संस्कृति की जड़ है प्रेम और सहयोग। हम सभी को जान लेना चाहिए की स्वर्णिम भारत कल्पना नहीं – हक़ीक़त है -हक़ीक़त था। फिर से वैसा ही होगा। लोगों में प्रेम -एकता और भाई चारा होगा। सभी को सब कुछ सहज प्राप्त होगा। वहाँ मानवता और प्रकृति अपनी सर्वोच्च अवस्था में होगी। विकारों का नामों निशान मिट जायेगा। मगर ऐसी दुनिया कौन लाएगा ? ये एक बड़ा प्रश्न है। स्वर्णिम भारत किसानों के द्वारा ही सम्भव है। आज के समाज की सारी जरूरतो को किसान ही पूरा कर पाएंगे। मसलन -अनाज,पानी ,दूध ,छाया आदि आदि। ये सारी बातें इनसे ही जुडी हैं। किसानों को भौतिक और आध्यात्मिक रूप से समपन्न बना कर लक्ष्य प्राप्त किया जा सकेगा। किसानों के नैतिक संबल के लिए ब्रह्मा कुमारीज अपना सहयोग वर्षों से दे रहा है। इनका फायदा लेकर किसान स्वर्णिम भारत के निर्माण में अपना योगदान दे पाएंगे।