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ज्ञान सरोवर में महिला प्रभाग के अखिल भारतीय सम्मेलन का उद्घाटन

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मूल्यों को धारण करके समाज को स्वस्थ और सुखी बना सकेंगे : राजयोगिनी चक्रधारी दीदी

ज्ञान सरोवर ( आबू पर्वत ),02 जुलाई २०१६। आज ज्ञान सरोवर स्थित हार्मनी हॉल में ब्रह्माकुमारीज एवं आर ई आर एफ की भगिनी संस्था , महिला प्रभाग के संयुक्त तत्वावधान में एक अखिल भारतीय सम्मेलन का आयोजन हुआ। सम्मलेन का मुख्य विषय था -” स्वस्थ और सुखी समाज के निर्माण में महिलाओं की भूमिका ” . दीप प्रज्वलित करके इस सम्मेलन का उद्घाटन सम्पन्न हुआ।

ब्रह्मा कुमारीज महिला प्रभाग की अध्यक्षा राजयोगिनी चक्रधारी दीदी ने कार्य क्रम में अपना अध्यक्षीय उद्बोधन दिया . आपने कहा कि हम सभी आत्माएं हैं . चैतन्य शक्ति आत्माएं . आध्यात्मिकता से जुड़ने की यह पहली शर्त है.
हमें यह जानने का प्रयत्न करना चाहिए की कभी संसार में स्वस्थ और सुखी समाज था ? हम जानते हैं की कभी भारत सोने की चिड़िया था . तब बाघ और बकरी एक ही घाट पर पानी पीते थे . सोचिये की तब का इंसान कैसा रहा होगा ?
वो थी देवभूमि . तब देवी देवताओं समान इंसान थे . समाज स्वस्थ था -सुखी था .
प्रकृति और पुरुष का यह खेल है . प्रकृति हमारा तन है जो प्रकृति में ही मिल जाता है . पुरुष यानि आत्मा अजर अमर है . इसकी ही मुख्य भूमिका है . खुद को अभिनेता मान कर – स्त्री पुरुष नहीं – अपनी भूमिका का निर्वाह करने से जीवन मूल्य वान बनता है और संसार देवभूमि . आज के संसार को भी हम स्वस्थ और सुखमय बना सकेंगे – मूल्यों को आत्मा में भर कर . आत्मिक भान से परमात्मा से युक्त होकर उनसे दिव्यता प्राप्त करके सम्पूर्णता धारण करके -जीवन को सफल बना सकेंगे .

मध्य प्रदेश महिला आयोग की अध्यक्षा श्रीमती लता वानखेड़े ने आज का उद्घाटन भाषण प्रस्तुत किया . आपने कहा कि नारी शक्ति से ये जहान है और नारी शक्ति से सुसज्जित हिन्दुस्तान है . ब्रह्मा कुमारीज इस कलियुग में सतयुगी शिक्षाएं दे रही हैं . इनका प्रयास महान है . यह एक विराट संस्थान है . इनके अभियान के प्रति मैं नत मस्तक हूँ . नारी हर तरह से महान है . दुनिया में इनका कोई मुक़ाबला नहीं है . समाज के हर विभाग में आज वो आगे ही आगे है .
मगर सामजिक कुरीतियों ने महिलाओं को दुखो में झोंका है . उनको आगे लाने के लिए हम सभी महिलाओं को तन मन से आगे आकर उनकी मदद करनी होगी . राष्ट्र हित के लिए हम नारियों को दुर्गा ,काली , कल्पना चावला बन कर दुनिया को दिशा देनी है . हम सभी संकल्प लें की जन जन में फ़ैली कुरीतियों को समाप्त कर नारियों को विश्व मंच पर लाएंगी .

झारखण्ड राज्य महिला आयोग की अध्यक्षा डॉक्टर महुआ मोजी ने मुख्य अतिथि की भूमिका में अपना वक्तव्य दिया . आपने कहा कि मैं संस्था की आभारी हूँ . यहां मैंने परम शांति का अनुभव किया है . संसार आज शांति के लिए भटक रहा है . सभी को शांति चाहिए . मगर कैसे ? आज हमारा समाज डरा हुआ है . महिलाएं हमारे झारखंड की काफी पिछड़ी हुई हैं . अशिक्षित हैं . प्रताड़ित की जा रही हैं . उनको डायन बता कर मारा जा रहा है . माहौल काफी दुखद है . ठगी जा रही हैं भोली महिलाएं .
जड़ में है उनकी अशिक्षा . उनकी कमजोरी . उनको शिक्षित होना होगा . उनको अपना जीवन उत्तम बनाना होगा . तभी हो पाएगा उनका उद्धार . हर वर्ग की महिलाओं को सुसंस्कृत बना कर स्वस्थ और सुखी समाज बनाया जा सकेगा .

अखिल भारतीय महिला लीग , अमदाबाद चैप्टर की अध्यक्षा संजीता सिंह नेगी ने विशिष्ठ अतिथि के बतौर अपना व्याख्यान दिया . कहा कि आज की महिलाएं द्विविधा में ग्रस्त हैं . समझ नहीं पाती की वे देवियां हैं या साधारण महिलाएं . हमें हमारी शक्तियों का पता नहीं . इसकी महसूसता नहीं होती . हमें क्या करना होगा की समाज सुखी और स्वस्थ बने ? हमें पहले अपने अंदर शक्तियों को महसूस करना होगा . आज भी भारत में महिलाओं के प्रति सम्मान का भाव बना हुआ है . ब्रह्मा कुमारीज हमारे अंदर श्रेष्ठता की भावनाएं भर देती हैं . अपनी दिनचर्या को सुधार कर , अपने को स्वस्थ बना कर हम समाज को सुधार सकेंगी .

वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका ब्रह्मा कुमारी शीलू बहन ने अपना उदगार मुख्य वक्ता के रूप में प्रकट किया . आपने कहा कि आज का हमारा समाज पूरी तरह तनाव ग्रस्त है . यहाँ तक की बच्चे भी तनाव झेल रहे हैं . समाज सुख शांति का जीवन चाहता है मगर वैसा कर पाने में समाज असमर्थ है . अब एक बड़ा प्रश्न है की इन परिस्थितियों के लिए दोषी कौन है ? कहीं न कहीं समाज की ऐसी स्थिति के लिए मेरा अपना भी थोड़ा योगदान तो है ही . अतः मुझे भी अपने आप में सुधार लाना ही होगा .
इसमें कोई शक नहीं की भारत में नारियों का काफी सम्मान है . दुर्गा -काली -सरस्वती आदि आदि देविओं के रूप में इनकी पूजा होती है हर घर में . अगर महिलाएं फिर से अपने जीवन में देवत्व का भाव लाएं तो पूज्य बन सकती हैं . भारत एक बार फिर से स्वर्ग बन सकता है . नारियां मूल्यों को सहज ही अपना सकती हैं . इससे समाज सुखी और स्वस्थ बनेगा .