दिल्ली तालकटोरा स्टेडियम में महाशिवरात्रि महोत्सव
’’शिवरात्रि को आध्यात्मिक रूप में मनाने से ही परमात्मा शिव से होती है वरदानों की प्राप्ति’’-स्वामी ब्रह्मदेव
— नारी सम्मान एवं सशक्तिकरण विषय पर मीडिया संगोष्ठी हुई —
नई दिल्ली, 17 फरवरीः महाशिवरात्रि के पावन पर्व के उपलक्ष्य में प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा जगहों-जगहों पर शोभायात्रायें, परमात्मा शिव पर आध्यात्मिक प्रर्दशनियां, झांकियां, प्रवचनों, संगोष्ठिओं, स्नेहमिलन तथा शिव अनुभूति राजयोग शिविर आदि सार्वजनिक कार्यक्रमो के माध्यम से ज्योतिर्लिंग शिव अवतरण दिवस बड़े धूम-धाम से मनाया गया।
आज इस अवसर पर स्थानीय तालकटोरा स्टेडियम में ’शिव और शिवरात्रि के आध्यात्मिक महत्व’ विषय पर आयोजित भव्य कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए त्रिनिदाद वैेदिक विश्वविद्यालय के उपकुलपति स्वामी ब्रह्मदेव ने कहा की शिवरात्रि निराकार ज्योर्तिबिन्दु स्वरुप ज्योर्तिलिंग परमात्मा शिव का मनुष्य समाज में व्याप्त अज्ञान अंधकार दूर करने हेतु अवतरण करने का यादगार दिवस है।
उन्होंने कहा कि सिर्फ पूजा, अराधना एवं व्रत-उपवास आदि से भक्तों को जितना लाभ मिलता है उससे कई गुणा अधिक वरदानों एवं आन्तरिक सुख शान्ति की प्राप्ति परमात्मा शिव और उनके दिव्य अवतरण दिवस शिवरात्रि को आध्यात्मिक अर्थ सहित मनाने से होती है। शिव की वास्तविक निराकार स्वरूप की पहचान तथा राजयोग द्वारा उनके साथ अन्र्तात्मा के सर्व सम्बन्धों की याद से ही मनुष्य अपने पापों को भस्म कर सकता है तथा सांसारिक जीवन में सर्व प्रकार की सफलता एवं समद्धि को प्राप्त कर सकता है।
शिवरात्रि के उपलक्ष्य में स्टेडियम में पत्रकारों के लिए नारी सम्मा.न एवं सशक्तिकरण विषय पर रखी गयी प्रातकालीन मीडिया संगोष्ठी को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग अध्यक्ष जस्टिस वी.ईश्वर्या ने कहा कि परिवार से लेकर समाज के सभी स्तर पर महिलाओं तथा कन्याओं के प्रति जिस प्रकार का असम्मान और भेदभावपूर्ण व्यवहार एवं शोषण हो रहा है उसकी रोकथाम के लिए न केवल कानूनी स्तर पर कार्यवाही प्रर्याप्त है अपितु लोगों की पुरूषवादी मानसिकता तथा भोगवादी वृत्तियों को परिवर्तन करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि नारी सम्मान एवं सशक्तिकरण को साकार करने के लिए परिवार से लेकर शिक्षा, व्यवसाय एवं समाज के सभी स्तर पर नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों को लागू करना अति आवश्यक है।
इस अवसर पर राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्या सुश्री सामिना साफिक ने कहा कि समाज में महिला सम्मान की पुर्नस्थापना के लिए मनुष्य के नैतिक और आध्यात्मिक चरित्र उत्थान की आवश्यकता है जिसके लिए मीडिया एक बेहतर भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि मीडिया को महिलाओं के विरूद्ध हो रहे अपराध की रिपोर्टिग में पीडि़ता को गुप्त रख अपराधियों का जनता के सामने प्रर्दाफाश करना होगा। उन्होंने कहा कि भारतीय तथा पश्चात्य सांस्कृति में जो अच्छाईयां हैं उसे हम अपनायें और जो बुराईयां हैं उसे छोड़े। मीडिया में महिलाओं को एक भोग्य वस्तु के रूप में प्रस्तुत करने पर रोक लगाना आवश्यक है तब ही हम महिला सम्मान की सांस्कृति ला सकते हैं।
मीडियाकर्मियों को सम्बोधित करते हुए ब्रह्माकुमारी संस्था के मुख्य प्रवक्ता राजयोगी बी0के0ब्रजमोहन ने कहा कि महिलाओं के प्रति हो रही हिंसा एवं असभ्य आचरण का मूल कारण मनुष्य का चारित्रिक गिरावट है। आज आध्यात्मिक एवं नैतिक ज्ञान की आवश्यकता है जिससे मानव जीवन एवं समाज में मानवीय मूल्य एवं नारी सम्मान की पुर्नस्थापना हो सकती है।
मीडिया संगोष्ठी में सामूहिक राजयोग अभ्यास कराते हुए गुड़गांव स्थित ब्रह्माकुमारी संस्था के ओमशान्ति रिट्रिट सेन्टर की निदेशिका राजयोगिनी ब्रह्मा कुमारी आशा ने आन्तरिक शान्ति एवं शक्ति की गहन अनुभूति कराई।
सायंकालीन राजयोग अनुभूति सत्र को रशिया स्थित ब्रह्मा कुमारी सेवाकेन्द्रों की निदेशिका राजयोगिनी चक्रधारी ने कहा कि परमात्मा शिव सभी मनुष्य आत्माओं का परमपिता, परम शिक्षक और परम सतगुरू है। वे अज्ञानता एवं अधर्म रूपी घोर अन्धकारमय कलियुगी रात्रि में दिव्य अवतरण कर अपने साकार माध्यम प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा मनुष्य आत्माओं को आध्यात्मिक ज्ञान एवं राजयोग ध्यान की शिक्षा देकर सतयुग रूपी सुखमय संसार की पुर्नस्थापना करते है। उन्होंने कहा कि शिवरात्रि पर शिव पिता को सही रूप में जानकर उनकी पवित्र याद से अपने जीवन को सुखमय एवं श्रेष्ठ बनाने का दृढ़ संकल्प लें।ं
इनके अतिरिक्त सायंकालीन राजयोग अनुभूति सत्र को दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री, श्री सोमनाथ भारती; हरीनगर सेवाकेन्द्र प्रभारी राजयोगिनी ब्रह्मा कुमारी शुक्ला; करोल बाग सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्रह्मा कुमारी पुष्पा आदि ने सभा को सम्बोधित किया। विभिन्न स्कूलों के बच्चों ने शिव और शिवरात्रि से सम्बन्धित दिव्य नृत्य नाटिका, गीत-संगीत द्वारा उपस्थित जनसमूह को आत्मविभोर किया।