Home News National News बाल व्यक्तित्व विकास शिविर के दौरान नौनिहालों ने दी रंगारंग प्रस्तुति

बाल व्यक्तित्व विकास शिविर के दौरान नौनिहालों ने दी रंगारंग प्रस्तुति

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आबू रोड, शांतिवन। 37वाँ बाल व्यक्तित्व विकास शिविर के तहत पूरे देश से आए हुए बच्चों ने अपनी आकर्षक और भाव-भीनी प्रस्तुति देकर भारत की विविधता की संस्कृति को जीवंत रूप प्रदान किया। रंग-बिरंगे रोशनी के बीच सुर और तबले की थाप पर गूंजी नन्हें-मुन्हें बाल कालाकारों की घुंघरूओं की झंकार। एक के बाद एक बेहतरीन प्रस्तुति। यह अनुपम दृश्य था ब्रह्माकुमारीज के शांतिवन परिसर का, जहां बाल कलाकारों ने अपने अभिनय से लोगों को अचंभित कर दिया।

एक से बढ़कर एक प्रस्तुति

पहले और दूसरे दिन के कार्यक्रम की शुरूआत पांडव भवन, दिल्ली की कुमारी दिव्यांशी, कुमारी प्रियांशी, नेहा और बरेली मध्यप्रदेश की कुमारी वैदेही के स्वागत नृत्य से हुई। इसके पश्चात तो जैसे समा ही बंध गया। झूमर, कत्थक नृत्य एवं कजरी गान पर नौनिहालों की मनमोहक रिकार्डिंग डांस की प्रस्तुति देखकर तो दर्शकों ने जैसे दांतों तले ऊंगली ही दबा ली। इन बाल कलाकारों की हौसला अफजाई के लिए दर्शकों ने खूब तालियां बजायी। इन बाल कालाकारों की मासूम आदाओं ने तो सभी का मन मोह लिया। गांधीनगर, गुजरात की कुमारी कलकल एण्ड ग्रुप द्वारा प्रस्तुत किया गया आज आनंद का दिन आया रे……, तिलकवाड़ा गुजरात की कुमारी ध्वनि एण्ड ग्रुप द्वारा प्रस्तुत किया गया झूम-झूम हर कली…. नृत्य पर तो जैसे सारा हॉल ही झूमने लगा। वहीं महाराष्ट्र, किनवट की कुमारी धनश्री एण्ड ग्रुप द्वारा प्रेम रतन धन पायो…. गीत पर जादुई अंदाज में प्रस्तुत किया गया सामूहिक नृत्य ने तो ऐसा समा बांधा की लोग नौनिहालों की अदाओं के दीवाने हो गए। मैय्या यशोदा ये तेरा कन्हैया…., जय भारती वंदे भारती…. और देशभक्ति रीमिक्स पर पाचोर, राजगढ़ की कुमारी पायल, मुस्कान एवं कशिश द्वारा प्रस्तुत किया गया सामूहिक नृत्य ने लोगों को रोमांचित कर दिया।

नौनिहालों ने भारत की इस संस्कृति को अपने कार्यक्रम के माध्यम से प्रस्तुत कर लोगों को मूल्यों और संस्कारों के प्रति जागरूक किया।

बिक्रम वेताल की प्रस्तुति

बीके कॉलोनी के भाई-बहनों द्वारा इतिहास में वर्णित राजा विक्रमादित्य वेताल की कहानी का दृश्य प्रदर्शित किया गया। वहीं गुजरात, आनंद से आए बाल कलाकारों ने आदिवासी नृत्य प्रस्तुत कर सभी को रोमांचित कर दिया।

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का दिया संदेश

भारत देश में आज भी बेटी को पराया धन समझा जाता है। बेटियों के प्रति बढ़ती हिंसा ने समाज की सोच को बदलने पर मजबूर कर दिया है। बेटियों के प्रति जागरूकता व सम्मान बढ़ाने के लिए ब्रह्माकुमारीज द्वारा आयोजित 37 वाँ बाल व्यक्तित्व विकास शिविर में भारत के नौनिहालों ने अपनी कला के माध्यम से बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का संदेश दिया। इस नाटक के द्वारा लड़की पर हो रहे अत्याचार व शारीरिक शोषण का सजीव चित्रण किया गया था। इस नाटक के द्वारा लोगों को यह एहसास हुआ कि बेटी, सिर्फ बेटी ही नहीं है बल्कि वह तो देवी का रूप है। जिस घर में बेटी होती है उस घर में सुख-शांति का साम्राज्य होता है। इतना ही नहीं बेटियों ने तो हर क्षेत्र में सफलता के झंडे बुलंद किए हैं। इस नृत्य नाटिका के द्वारा समाज को यह संदेश देने का प्रयास किया गया कि यदि बेटियों के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराएंगे तो मानव का अस्तित्व भी सुरक्षित नहीं रहेगा। नई दिल्ली से आए बाल कलाकारों की यह प्रस्तुति शिविर में एक यादगार पल बना गया।

श्रीकृष्ण की बाल-लीलाओं की प्रस्तुति

आज भी श्रीकृष्ण का नाम लेते ही हमारा मन मयूर आनंद से झूमने लगता है और उनकी बाल-लीलाओं की स्मृतियों में खो जाता है। मैय्या यशोदा… ये तेरा…. कन्हैया…. गीत के बाल पर दुर्गापूरा राजस्थान से आयी कुमारी हनी, हिमानी, मुस्कान एण्ड ग्रुप, सिविल लाइन जयपुर से आयी कुमारी निधि, अरूणिमा एण्ड ग्रुप और सुख-शांति अहमदाबाद से आयी कुमारी विशम्भरा वैद्य द्वारा प्रस्तुत किया गया मनमोहक नृत्य हमें श्रीकृष्ण की रास-लीलाओं की यादों को ताजा कर गया।