भोपाल: राजयोग भवन में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आयोजित महिला सम्मेलन (Women’s Day Program in Bhopal)
अध्यात्म द्वारा महिलाओं के प्रति मानसिकता का परिवर्तन संभव
वर्तमान समय में महिलाओं के शैक्षणिक, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक स्तर में वांछित सुधार को प्रायः महिला सशक्तिकरण के रूप में देखा जाता रहा है। जब से नारी को अवसर मिला है, उसने सभी क्षेत्रों में अपनी अंतर्निहित क्षमताओं का लोहा मनवा लिया है। नर और नारी की सृष्टि संचालन में अपनी-अपनी अंतर्निर्भर महत्वपूर्ण भूमिका है। इसलिए किसी को भी कम आँकना अपने पैरों में कुल्हाड़ी मारने की तरह मूर्खतापूर्ण है। वास्तव में नर-नारी को एक-दूसरे का पूरक समझ एक-दूसरे का यथोचित सम्मान करना चाहिए। सम्मान की यह संस्कृति ही मानव जाति को सम्मानित करेगी अर्थात् उसे उत्कृष्टता से भर सकेगी। पीढ़ी-दर-पीढ़ी न जाने कितनी पीढ़ियों से नारी को दोयम दर्जा का समझने की मानसिकता को पुरूष प्रधान समाज द्वारा निहित स्वार्थों के चलते पोषा गया है। स्थिति यह हो गई कि समाज में यह मानसिकता आम हो गई और कालान्तर में गहरी बैठ गई है। इस मानसिकता में परिवर्तन लाना और नारी के गरिमामय मूल्य को स्वीकार कर पाना नर और नारी दोनों के लिए ही श्रमसाध्य विषय है। आवश्यकता मात्र मानसिकता में परिवर्तन की है। अध्यात्म वांछित मानसिक परिवर्तन लाने में हमारी कारगर मदद करता है। उक्त विचार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के क्षेत्रीय मुख्यालय, राजयोग भवन में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मूल्यनिष्ठ समाज के निर्माण में महिलाओं की भूमिका विषय पर आयोजित महिला सम्मेलन में ब्रह्माकुमारीज की क्षेत्रीय निदेशिका, राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी अवधेश बहन जी ने व्यक्त किये।