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वैज्ञानिक व अभियंता प्रभाग द्वारा सम्मलेन का उद्घाटन

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अपनी प्रकृति को समझ कर उसको  ईश्वरीय बल प्रदान करें : राजयोगिनी सरला दीदी 

ज्ञान सरोवर ( आबू पर्वत ),२१ मई २०१६। आज ज्ञान सरोवर स्थित हार्मनी  हॉल में  ब्रह्मा कुमारीज एवं इसकी 

​भगिनी

संस्था, वैज्ञानिक व अभियंता प्रभाग द्वारा एक अखिल भारतीय सम्मलेन का आयोजन किया गया।  इस सम्मलेन का विषय था “प्रकृति उत्सव “. सम्मलेन में देश के विभिन्न भागों से ६०० से भी अधिक वैज्ञानिकों  व अभियंताओं ने भाग  लिया।  दीप प्रज्वलित करके सम्मलेन का उद्घाटन सम्पन्न हुआ। ब्रह्मा कुमारीज वैज्ञानिक व अभियंता प्रभाग की अध्यक्षा तथा गुजरात क्षेत्र की प्रमुख प्रशासिका राजयोगिनी सरला दीदी  जी सहित अनेक गन्य मान्य लोगों ने इसमें भगा लिया। 


ब्रह्मा कुमारीज वैज्ञानिक व अभियंता प्रभाग की अध्यक्षा तथा गुजरात क्षेत्र की प्रमुख प्रशासिका राजयोगिनी सरला दीदी जी ने आज का अध्यक्षीय प्रवचन दिया।  आपने अपना आशीर्वचन इन शब्दों में दिया।  आपने कहा कि आप सभी की हिम्मत की दाद दे रही हूँ क्योंकि आप सभी काफी समय से सुन रहे हैं और ज्ञान बिंदुओं को अपने में समेट रहे हैं।  आप चात्रक पंछी हैं।  सबसे बड़ा वैज्ञानिक और इंजीनियर तो परमात्म ही है।  उसने ही  हम सभी को मिलाया है।  इस मंगल मिलन को हम सभी मना रहे हैं।  उत्सव मना रहे हैं।  प्रकृति उत्सव मना रहे हैं। आज आप सभी को संकल्प करना है कि जीवन में हमेशा उमंग और उत्साह बना रहे।  सके लिए आपको रजयोगा का अभ्यास करना है।  खुद को मजबूत बनना है।  अपनी प्रकृति को समझ कर उसको बल देना है।  परम सत्ता से बल प्राप्त करना है।  यह है राजयोग।
 

पद्म भूषन डॉकटर ए भी रामा राव ने अपना उद्घाटन भाषण देते हुए इस बात के लिए खुशी  प्रकट की कि इतने सुन्दर कार्य क्रम में भाग लेने का उनको अवसर प्राप्त हुआ है।  उन्होंने सभी के प्रति अपना आभार प्रकट किया।  आपने कहा की भारत में विज्ञान एवं तकनीक की शिक्षा पर सही ध्यान नहीं दिया गया है।  भारत की समस्या इसकी जन संख्या नहीं है बल्कि निम्न स्तरीय शिक्षा व्यवस्था है।  घनी आवादी के बावजूद जापान इतनी प्रगति कर पाया क्यों की जापान ने अपनी शिक्षा  व्यवस्था को मजबूत बनाया है।  आपने पूरी शक्ति से  इस बात पर बल दिया की संसार एक अस्तित्व विज्ञान और तकनीक से ही बच पाएगा। 

 
वैज्ञानिक व अभियंता प्रभाग की क्षेत्रीय संयोजक राजयोगिनी गोदावरी दीदी ने आज के अवसर पर अपने उदगार प्रकट किये।  आपने कहा कि संसार में सभी को खुशी चाहिए।  ख़ुशी प्राप्ति के लिए खुद की पहचान जरूरी है।  खुद की प्रकृति को समझ कर और सर्वोच्चा सत्ता से मिलकर संसार की सारी  ख़ुशी प्राप्त कर सकेंगे क्योंकि परमात्मा से संपर्क से मूल्य जीवन में भरेंगे और खुशियां प्राप्त होती रहेंगी।  अपनी विचार धारा  को बदले और प्रकृति उत्सव मनाएं। 
 
वैज्ञानिक व अभियंता प्रभाग के  राष्ट्रीय संयोजक राजयोगी मोहन सिंघल ने कहा कि यह संसार प्रकृति और पुरुष का एक खेल है।  परमात्म परम पुरुष है
और हमारे परम पिता की भूमिका निभाते हैं।  वे हमारे जीवन से भय मिटा ते हैं।   लौकिक पिता भी अपने बच्चों के जीवन से भय मिटाने का काम करते हैं उनको सही दिशा निर्देश देकर।  ईश्वरीय प्रेरणा से हम सर्व प्रथम खुद के साथ सौहार्द  कायम करना सीखते हैं।  फिर प्रकृति के साथ हमारा  सौहार्द  कायम हो ही जाता है।  अपनी चिंतन प्रक्रिया को सही दिशा देकर हम अपना और प्रकृति का उपकार कर सकेंगे 
 
राजेश गोयल ( मैनेजिंग डायरेक्टर,प्रेफब लिमिटेड ,दिल्ली  ) जी ने सुन्दर माहौल के लिए आयोजकों को धन्यवाद दिया।  कहा कि  प्रकृति का अधिक दोहन न करें।  हमने नेचर से खेलना कब से शुरू कर दिया है।  नेचर हमसे इसका बदला लेगी – महाविनाश के रूप में।  हमारे लालच ने सब गड़बड़ कर दिया है।  आतंरिक प्रकृति को ठीक करके हम परिस्थिति बदल सकते हैं।  आतंरिक प्रकृति के बदलाव के लिए ब्रह्मकुमारीज हमें मार्ग दर्शन  दे रही हैं , काफी समय से।  
 
वैज्ञानिक व अभियंता प्रभाग के मुख्यालय संयोजक बी के भरत ने आज  के इस विशेष अवसर पर पधारे हुए सभी  महानुभावों का  वाणी के द्वारा स्वागत किया। आपने पधारे हुए सभी महानुभावों से अनुरोध किया की सभी इस वर्ष कम से कम ५ वृक्ष अवश्य  रोपें।