Home News National News स्पार्क विंग की 10वीं सर् कांफ्रेंस एवं मैडिटेशन रिट्रीट ​का उद्घाटन

स्पार्क विंग की 10वीं सर् कांफ्रेंस एवं मैडिटेशन रिट्रीट ​का उद्घाटन

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मारे आचार्य , वैज्ञानिक, शिक्षक और ऋषि मुनि हमारी शक्ति हैं : पद्म विभूषण प्रोफ. एम् एम् शर्मा

ज्ञान सरोवर ( आबू पर्वत ),16 सितंबर 2016। आज ज्ञान सरोवर स्थित हार्मनी हॉल में ब्रह्माकुमारीज एवं आर ई आर एफ की भगिनी संस्था , स्पार्क के संयुक्त तत्वावधान में एक अखिल भारतीय सम्मेलन का आयोजन हुआ। सम्मलेन का मुख्य विषय था – ” विगत की शक्ति और भविष्य का बल “. इस सम्मलेन में भारत और नेपाल से बड़ी संख्या में प्रतिनिधिओं ने भाग लिया . दीप प्रज्वलित करके इस सम्मेलन ​​का उद्घाटन सम्पन्न हुआ।

आई सी टी / यू डी सी टी /यू आई सी टी के पूर्व प्राचार्य पद्म विभूषण डॉक्टर एम् एम् शर्मा जी ने कहा की विगत की हमारी शक्ति हैं हमारे आचार्य , वैज्ञानिक, शिक्षक और अन्य ऋषि मुनि आदि . हमेशा हम उनसे ही सीखते आये हैं . शिक्षकों का कार्य है संसार को और खाश कर अपने विद्यार्थियों को प्रेरित करना ना की धनोपार्जन करना . हमारा शरीर और इसके विभिन्न अंग भी हमें गहराई से हमें प्रेरित करते हैं . हृदय , किडनी , लिवर आदि से अंत हीन प्रेरणा हमें प्राप्त होती है . विश्व विद्यालयों में हमारे सभी नोबेल लॉरेट को प्रेरणा इन्ही से प्रेरण प्राप्त हुई है और उन्होंने समाज को बेहतर बनाने के लिए काफी कुछ किया . आईन्स्टीन अत्यधिक आध्यात्मिक थे और ईश्वर के प्रति मन में असीम आस्था थी . प्रकृति भी काफी बलशाली है और हमें विभिन्न तरीके से प्रेरित कर रही है . हम प्रकृति से भी काफी कुछ सीख सकते हैं . ये सभी हमारे शक्ति स्त्रोत हैं .

न्याय मूर्ति श्री रविन्द्र सिंह जी ने कहा की हिस्ट्री ही हमारे पास्ट के बताती है . हमरा गौरव मई इतिहाश था . बाद में अनाचार का दौर आया . हमारे ऋषियों मुनियों को सताया गया . आज 50 प्रतिशत लोगों को जीने का साधन तक नहीं है . उनके बारे में भी हमें विचार करना होगा . आध्यात्म के द्वारा हम अपने समाज को कैसे विकसित करें – ये एक मुख्य प्रश्न है . इस पर विचार करना होगा . आध्यात्म में भविष्य की शक्ति निहित है . इसको अपना कर ही सबका भला हो पायेगा .

मुख्य अतिथि वसवराज पाटिल जी, नीति आयोग के सदस्य ने आज के अवसर पर कहा की मैं यहां मुख्य अतिथि के रूप में नहीं बल्कि डेलिगेट के रूप में आया था . मैं भी एक सामाजिक कार्य कर्ता हूँ . स्पार्क की कोर टीम से मिल कर ख़ुशी हुई है . इस संस्थान की सेवा वृत्ति महान है . आध्यात्म के आधार पर समाज सेवा का कार्य महान कार्य है . इतिहास् से जो प्रेरणा मिलती है वह है हमारी विगत की पावर . इससे हमारी जीवन शैली विकसित होती है .
समाज के अंतिम व्यक्ति की आवाज़ ब्रह्मा कुमारिस के प्रयत्नों से सामने आ सकती है . अगर ऐसा नहीं हुआ तो भविष्य अंधकार मय हो जायेगा . संस्कृति और समृद्धि का संतुलन ही सही विकाश है . विगत से सीख कर भविष्य की शक्तियों का निर्माण किया जाना चाहिए .

पद्म श्री डॉक्टर आर बी हशूर, सी बी इ एस एटॉमिक एनर्जी तथा मुम्बई विश्वविद्यालय के निदेशक ने कहा की मेरा यहां का अनुभव अति उत्तम है . यहां मैं खुद प्रेरित हो रहा हूँ . आध्यात्मिकता से परिपूर्ण है यहां का वातावरण .
ईमानदारी हर व्यक्ति की लिए आवश्यक है . प्रगति के लिए . चात्रक होना भी एक बड़ी शर्त है . इनके बिना विकाश सम्भव नहीं है . आध्यात्म ये सारी बातें हमें सिखाता है . आज की शिक्षा व्यवस्था में आध्यात्म गायब हुआ है – मगर पारिवारिक रूप से हम सभी को वह प्राप्त होता रहा है . आध्यात्म और विज्ञान दोनों को सीखना जरूरी है विकाश के लिए . सभी सुखी हों – यही कामना है .

संस्थान के कार्यकारी सचिव और शिक्षा प्रभाग के वाईस चेयर पर्सन राजयोगी मृत्युंजय जी ने आज के अवसर पर अपने उदगार प्रकट किये . आपने कहा की शक्ति का अर्थ लोग धन शक्ति , शारीरिक शक्ति , राजनैतिक शक्ति आदि माना जाता है . मगर इन शक्तियों ने लोगों को क्या दिया ? कुछ नहीं . शक्ति दरअसल है शांति की शक्ति , प्रेम शक्ति , आनद की शक्ति और सहयोग की शक्ति . इन शक्तियों की प्राप्ति के लिए आध्यात्मिक प्रयोग किया जाना चाहिए . स्पार्क के द्वारा विगत 20 वर्षों से ऐसे प्रयोग किये जा रहे हैं .
आध्यात्मिक शक्ति के द्वारा ही समाज को सुखमय समाज बनाया जा सकता है . आध्यात्मिकता सभी शक्तियों से उत्तम शक्ति है . ईश्वर पर ध्यान केंद्रित करके आध्यात्मिक शक्ति को अपना सकते हैं और उसको बढा भी सकते हैं . ये एक प्रमाणित सत्य है की हिंसा की शक्ति का जवाब है अहिंसा की शक्ति . बुद्धा ने – गाँधी ने और अनेक धार्मिक नेताओं ने अनेक बार इस बात की सच्चाई को साबित किया है .

डी आर डी ओ डेल्ही में वैज्ञानिक सुशील चंद्र जी ने स्पार्क के बारे में चर्चा की . बताया की यह 1995 से ही कार्य रत है . इस विंग में आध्यात्मिकता से सम्बंधित प्रयोग किये जाते हैं जो मानव को और समाज को श्रेष्ठ बनाती हैं . मूल्यों के प्रतिस्थापन के लिए कौन सी विधियां अपनायी जाएँ – इस पर प्रयोग किये जाते हैं . सुशील चंद्र ने राजयोग से प्राप्त वैज्ञानिक शोधों के परिणामों के बारे में भी जानकारी प्रदान की .

विशिष्ठ अतिथि प्रोफेसर रजत मूना , डी जी , सी -डी ए सी , मुम्बई ने कहा की यह सम्मेलन मेरे लिये आँखें खोलने वाली हैं . आपका आभार व्यक्त करता हूँ . ज्ञान एक बड़ी शक्ति है . विगत से सीख कर भविष्य का निर्माण किया जाना चाहिए . सम्मलेन की थीम काफी सुन्दर है . प्राचीन काल के हमारे शिक्षक बड़े आध्यात्मिक साधक हुआ करते थे . उनसे हमें सर्वांगीण शिक्षा प्राप्त होती रही . आज उसमे बदलाव आने से स्थिति बदली है . इसमे सुधार की जरूरत है . आज की शिक्षा प्रणाली को भी आध्यात्मिकता से युक्त करना होगा .

स्पार्क विंग की राष्ट्रीय संयोजक राजयोगिनी अम्बिका दीदी ने आये हुए अतिथियों का हार्दिक स्वागत किया . आपने सम्मेलन की विषय वस्तु पर प्रकाश डाला . आपने कहा की हमारा विषय काफी सारगर्भित हैं . हमें विगत को भुला कर ईश्वरीय शक्तियों की मदद से भविष्य में आध्यात्मिक शक्तियों को पूरा पूरा ग्रहण करना होगा और जीवन को मूल्यों से भरना होगा .

डॉक्टर सुमन वाला शर्मा, एन आई पी एस , पंजाब की प्रिंसिपल जी ने कहा की आध्यात्मिक स्वास्थ्य को नहीं समझने के कारण हम अभी तक सभी के लिए स्वास्थ्य प्राप्त नहीं कर पाए हैं . राजयोग के प्रयोग से बन्द धमनियां खुल जाती हैं . ये मैंने देखा है . यहां के छोटे प्रवास के बाद से ही मेरे बच्चे मुझे सन्यासी मानने लगे क्योंकि उन्होंने कहा की मैं अब शांत हो गयी हूँ और गुस्सा नहीं कर रही . ये सब मेरे लिए काफी बल प्रदान करने वाला रहा . आज में इसका अभ्यास कर रही हूँ . आध्यात्म को अपना कर जीवन को मूल्यों से युक्त किया जा सकता है – ये मेरा अनुभव है . आध्यात्मिकता आपको शक्तिशाली बना कर समाज को फेस करने की शक्ति प्रदान करता है .