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Brahma Kumaris Mela Ground, Dutt Akhara Area, BadNagar Road, Ujjain.

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त्याग तपस्या और वैराग्य का दूसरा नाम है साधना और संयम… ब्रह्माकुमारी सरिता दीदी

उज्जैन ५ मई : प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा दत्त अखाड़ा क्षेत्र बडऩगर रोड में आयोजित राजयोग अनुभूति शिविर के दूसरे सत्र में प्रवचनकरते हुए ब्रह्माकुमारी सरिता दीदी ने कहा कि कुम्भ मेले के आयोजन से बहुत ही सुन्दर आध्यात्मिक वातावरण बना हुआ है। चारों ओर शिविरों में भक्ति और ज्ञानकी गंगा बह रही है जिसमें श्रद्घालुगण डुबकी लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पानी में स्नान करने से शरीर की गन्दगी साफ हो जाती है लेकिन मन और संस्कार कीसफाई के लिये ज्ञानयोग के साथ साथ साधना और संयम का सन्तुलन चाहिए।

उन्होंने कहा कि आत्मा अजर,अमर और अविनाशी है। लेकिन वह कर्मों के प्रभाव से न्यारी नहीं है। हर एक आत्मा के साथ पाप और पुण्य का खाता जुड़ाहुआ है। आत्मा की शुद्घि के लिए अपने बुद्घि रूपी बर्तन को दिव्य और पवित्र बनाने की आवश्यकता है। परमात्मा तो है ही परम सत्ता। वह दु:ख सुख से न्यारा है।जन्म मरण के चक्कर में भी वह नहीं आते। उनका नाम है सदा शिव अर्थात् सदैव कल्याणकारी। वे इस मनुष्य सृष्टि रूपी कल्प वृक्ष के बीज स्वरूप हैं। वह धर्म ग्लानिके समय परकाया प्रवेश करके साधारण बूढ़े के शरीर का आधार लेकर अपना सत्य परिचय देते हैं।

उन्होंने कहा कि श्रीमद् भगवद् गीता में स्पष्ट शब्दों में लिखा है कि शिव परमात्मा को अमरनाथ, सोमनाथ, विश्वनाथ के साथ-साथ पापकटेश्वर औरमुक्तेश्वर भी कहते हैं। ज्ञान सागर को मंथन करने की आवश्यकता है। वर्तमान समय पुरूषोत्तम संगम युग में स्वयं परमपिता परमात्मा साधारण बूढ़े तन में प्रवेशकरके प्रजापिता ब्रह्मा के द्वारा सच्ची गीता का ज्ञान दे रहे हैं।

नैतिक पतन सबसे बड़ी समस्या… स्वामी शिवोहम् भारती

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा बडऩगर रोड पर आयोजित सत्यम शिवम सुन्दरम मेले का अवलोकन करने के लिए एक रोटीमहाराज के नाम से मशहूर स्वामी शिवोहम् भारती महाराज पधारे। उनके संस्थान के नाम पर ७५०० करोड़ हस्तलिखित मंत्र संग्रहित करने का अनोखा रिकार्ड दर्ज है।मेला देखने के बाद अपने आशीर्वचन में उन्होंने कहा कि समग्र विश्व में आज नैतिक पतन सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है। ऐसे समय पर दुनिया में नैतिक क्रान्ति कीआवश्यकता है। लोगों के जीवन में सदाचार और सदाहार लाने की जरूरत है। यह तभी सम्भव है जब हमारा जीवन बच्चे की तरह निर्लिप्त और निर्विकार होगा।

उन्होंने मेले की सराहना करते हुए कहा कि परमात्मा सदाशिव हैं। वह सृष्टि के नियंता हैं। उन्हीं के बतलाए मार्ग पर चलकर ब्रह्माकुमारी संस्थान उनकेसन्देशों का प्रचार सारे विश्व में कर रही है।