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जीवन में सम्पूर्ण सुख के लिए भौतिकता के साथ आध्यात्मिक समावेश जरूरी – दादी जानकी
वैज्ञानिक एवं अभियन्ताओं के सम्मेलन में जुटे प्रतिभागी
आबू रोड: 5 नवम्बर, निसं। मनुष्य अपने जीवन में सुख और शांति के लिए भौतिक विकास के लिए पूरा जीवन बीता देता है। परन्तु यदि जीवन में सम्पूर्ण सुख चाहिए तो वैज्ञानिक आधार पर भौतिक विकास में आध्यात्मिकता का समावेश जरूरी है। इसके बिना विकास तो होगा परन्तु सुख और आनन्द का हमेशा अभाव रहेगा। उक्त उदगार ब्रह्माकुमारीज संस्था की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी जानकी ने व्यक्त किये। वे वैज्ञानिक एवं अभियन्ता प्रभाग द्वारा शांतिवन में आयोजित ‘वाह जिन्दगी वाह’ विषय पर आयोजित सम्मेलन में बोल रही थी।
दादी ने सम्मेलन में सहभागियों से आह्वान किया कि मौजूदा समय में विज्ञान के साथ अध्यात्म को साथ लेकर चलें। पिछले कुछ वर्षों में आध्यात्मिकता और योग के प्रति लोगों का रूझान बढ़ा है। मनुष्य की वाह जिन्दगी वाह तभी हो सकती है जब वह आध्यात्मिकता और राजयोग को जीवन में शामिल करेगा।
नेपाल के शहरी विकास एवं भवन निर्माण विभाग के उपमहानिदेशक मोनी राम गेलाल ने कहा कि भारत और नेपाल एक आध्यात्मिक देश है। परन्तु यह देखने में आया है कि विश्व के कई देशों में विकास तो हुआ परन्तु मानवीय मूल्यों का अकाल दुख दायी रहा है। इसलिए आध्यात्मिकता को साथ रखना जरूरी है। आपातकाल प्रबन्धन संस्थान भोपाल के निदेशक डा0 राकेश दुबे ने कहा आपात काल की स्थिति को समाधान के लिए आन्तरिक आध्यात्मिक विकास की आवश्यकता है। बाद में तो सारी चीजे अपने आप ही मैनेज में हो जाती है।
ब्रह्माकुमारीज संस्था के महासचिव बीके निर्वेर ने कहा कि विज्ञान और अध्यात्म के सहयोग से ही मनुष्य की वाह वाह जिन्दगी बन सकती है। अध्यात्म के बिना विज्ञान लंगड़ा है। आज पूरे विश्व में जिस तरह से तेजी से विकास हुआ है, यह जरूरी है परन्तु आध्यात्मिकता के बिना मूल्यों की कमी मानव समाज को विनाश की ओर ढकेल रही है। शहरी विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव सम्भू केसी ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज संस्थान जिस राजयोग की शिक्षा दे रही है वह केवल विज्ञान ही नहीं बल्कि सभी वर्गों के लोगों के लिए जरूरी है। यह सम्मेलन कई मायनों में अहम होगा।