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श्रद्धांजलि

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रूहानी शांति और सदभावना के प्रति गहरा लगाव
आबू रोड, 27 जुलाई, निसं। भारत के पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न डा0 एपीजे अब्दुल कलाम का ब्रह्माकुमारीज संस्थान से विशेष लगाव था। वे पहली बार सन 1999 में दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित वैज्ञानिकों के सम्मेलन में भाग लिए थे। उसके पश्चात वे संस्था के अन्तर्राष्ट्रीय मुख्यालय माउण्ट आबू में वैज्ञानिक रहते हुए सन् 2004 वैज्ञानिकों के सम्मेलन में मुख्यातिथि के तौर पर आये थे। उनके साथ डीआरडीओ के प्रमुख सेल्वामूर्ति भी थे। संस्था की पूर्व मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी प्रकाशमणि तथा वर्तमान मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी जानकी से मुलाकात की थी। उनकी हमेशा इच्छा रहती थी कि एक गरीबी से मुक्त तथा श्रेष्ठ संस्कारों वाले समाज की स्थापना होनी चाहिए।
वैज्ञानिक बनने के बाद 28 अप्रैल, 2006 को ब्रह्माकुमारीज संस्था के ज्ञान सरोवर में आयोजित युवाओं के सम्मेलन में भाग लेने आये थे। संस्था की पूर्व मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी प्रकाशमणि, वर्तमान अतिरिक्त मुख्य प्रशसिका राजयेागिनी दादी ह्दयमोहिनी, संस्था के महासचिव बीके निर्वेर, बीके रमेश तथा बीके बृजमोहन समेत संस्था के वरिष्ठ पदाधिकरियों  के साथ बेहतर समाज बनाने पर चर्चा की थी।
ज्ञान सरोवर में आयोजित सम्मेलन में युवाओं का आह्वान करते हुए कहा था कि भारत तभी सम्पूर्ण विकसित हो सकता है जब गरीबी दूर करने के साथ चारित्रिक उत्थान हो। धर्म और अध्यात्म की व्याख्या करते हुए उन्होंने धर्म से उपर उठते हुए सबको एक साथ कार्य करने की भी बात का जिक्र किया था।
दादी ने जतायी संवेदना
ब्रह्माकुमारीज संस्थान की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी जानकी ने उनके देहान्त के समाचार पर गहरा दुख प्रकट किया है। पूर्व राष्ट्रपति डा एपीजे अब्दुल कलाम की आत्मा शांति के लिए संस्था के देश विदेश के सेवाकेन्द्रों पर ध्यान साधना करने की अपील की है। दादी ने कहा कि उनका जीवन समस्त मानव जाति के लिए प्रेरणास्रोत था। वे एक ऐसे महापुरूष थे जिन्होंने विज्ञान और अध्यात्म को लेकर एक नयी दुनिया की परिकल्पना की थी। रूहानी शांति और सदभावना के पक्षधर थे। अध्यात्मिक ज्ञान के से नये विश्व निर्माण की ब्रह्माकुमारीज संस्थान के प्रयास की हमेशा प्रशांसा करते थे। जिसका जिक्र उन्होंने खुद अपनी किताब में किया है। उनका ब्रहाकुमारीज संस्थान से विशेष लगाव था।

 

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