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3-Day Mega Media Conference Opens

“Spirituality in Action – Key to Social Transformation” – Prof. M.S. Acharyulu

Abu Road, Sept. 17th:
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Central Information Commissioner, Prof. M. Sridhar Acharyulu said that there is an urgent need for processing of information to knowledge and knowledge in turn to spiritual wisdom in all the walks of life especially in the field of mass media to bring about positive changes in peoples’ life and society.

He said this while inaugurating a 3-day National Media Conference on “Spiritual Wisdom for Social Transformation – Role of Media” organized by the Media Wing of Brahma Kumaris Organisation’s Rajyoga Education & Research Foundation at their Shantivan campus here today.

Prof. Acharyulu said that in spite of modern day media’s deliberate tilt towards sensational, titillating and negative news, dedicated columns, audio visual space and time slots are increasingly being ear-marked for target audience by even mainstream print and electronic media of different kinds and categories.

He further said that while Pulitzer Award Winning Photo of a naked and semi-naked children running away from bombardment could change Nixon’s mind to stop Vietnam war in 1972, another Pulitzer Award winning photo of a girl child scrambling for food (near a Refugee camp in a drug addict Sudan) and a vulture in waiting for eating the girl child depicted the pathetic picture of tussle between human values and media professional values.

He said that at this juncture, conflicts of media values and interest, what comes to our rescue are innate wisdom in action that are righteousness, good conduct, honesty and integrity of character especially in life and profession of journalists through regular practice and promotion of spiritual values, Rajyoga meditation, simple and healthy lifestyle.

Blessing the inaugural session with her words of wisdom of Rajyogini Dadi Ratan Mohini, Jt. Chief of Brahmakumaris urged the participating media professionals to work for promoting peace, health, harmony and happiness in self and society through practice of spiritual knowledge, meditation and universal values.

Mr. Basav Raj Patil, Member, PM of India’s Economic Advisory Council speaking as Guest of Honour said that the decline of values mass media after 1992 globalisation, has become the cause for concern.  He said that moral and spiritual principles should guide and regulate our character and conduct including that of mass media.

While Prof. Kamal Dixit, National Coordinator, Society of Media Initiative for values in his key note address stressed on the urgent need for media professionals to be guided by inner conscience and powers through the practice of divine meditation; Prof. Sanjeev Bhanavat, H.O.D., Mass Communication, Rajasthan University called for combined efforts on the part of audience, journalists and civil society to combat the onslaughts of commercial , cultural and linguist challenges posed by modern corporate media.

Chairman, Media Wing & Multi-media, Chief of Brahma Kumaris, Rajyogi B.K. Karuna in his welcome address earlier urged media not to become subservient to  external forces of worldly powers and privileges, but to be solely guided by their inner instincts, intuition and conscience with the help of Brahmakumaris’ teachings on Spirituality, core values and Rajyoga meditation to build better life and society.

At the end, Brahmakumari Hemlata, Chief coordinator, Indore zone services of Brahma Kumaris conducted mass Rajyoga meditation for hundreds of media participants while B.K. Shantanu, H.Q. Coordinator of Media Wing offered vote of thanks.Mr. Raju and his cultural troupe from Bangalore presented value based songs and group dance.

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मारे आचार्य , वैज्ञानिक, शिक्षक और ऋषि मुनि हमारी शक्ति हैं : पद्म विभूषण प्रोफ. एम् एम् शर्मा

ज्ञान सरोवर ( आबू पर्वत ),16 सितंबर 2016। आज ज्ञान सरोवर स्थित हार्मनी हॉल में ब्रह्माकुमारीज एवं आर ई आर एफ की भगिनी संस्था , स्पार्क के संयुक्त तत्वावधान में एक अखिल भारतीय सम्मेलन का आयोजन हुआ। सम्मलेन का मुख्य विषय था – ” विगत की शक्ति और भविष्य का बल “. इस सम्मलेन में भारत और नेपाल से बड़ी संख्या में प्रतिनिधिओं ने भाग लिया . दीप प्रज्वलित करके इस सम्मेलन ​​का उद्घाटन सम्पन्न हुआ।

आई सी टी / यू डी सी टी /यू आई सी टी के पूर्व प्राचार्य पद्म विभूषण डॉक्टर एम् एम् शर्मा जी ने कहा की विगत की हमारी शक्ति हैं हमारे आचार्य , वैज्ञानिक, शिक्षक और अन्य ऋषि मुनि आदि . हमेशा हम उनसे ही सीखते आये हैं . शिक्षकों का कार्य है संसार को और खाश कर अपने विद्यार्थियों को प्रेरित करना ना की धनोपार्जन करना . हमारा शरीर और इसके विभिन्न अंग भी हमें गहराई से हमें प्रेरित करते हैं . हृदय , किडनी , लिवर आदि से अंत हीन प्रेरणा हमें प्राप्त होती है . विश्व विद्यालयों में हमारे सभी नोबेल लॉरेट को प्रेरणा इन्ही से प्रेरण प्राप्त हुई है और उन्होंने समाज को बेहतर बनाने के लिए काफी कुछ किया . आईन्स्टीन अत्यधिक आध्यात्मिक थे और ईश्वर के प्रति मन में असीम आस्था थी . प्रकृति भी काफी बलशाली है और हमें विभिन्न तरीके से प्रेरित कर रही है . हम प्रकृति से भी काफी कुछ सीख सकते हैं . ये सभी हमारे शक्ति स्त्रोत हैं .

न्याय मूर्ति श्री रविन्द्र सिंह जी ने कहा की हिस्ट्री ही हमारे पास्ट के बताती है . हमरा गौरव मई इतिहाश था . बाद में अनाचार का दौर आया . हमारे ऋषियों मुनियों को सताया गया . आज 50 प्रतिशत लोगों को जीने का साधन तक नहीं है . उनके बारे में भी हमें विचार करना होगा . आध्यात्म के द्वारा हम अपने समाज को कैसे विकसित करें – ये एक मुख्य प्रश्न है . इस पर विचार करना होगा . आध्यात्म में भविष्य की शक्ति निहित है . इसको अपना कर ही सबका भला हो पायेगा .

मुख्य अतिथि वसवराज पाटिल जी, नीति आयोग के सदस्य ने आज के अवसर पर कहा की मैं यहां मुख्य अतिथि के रूप में नहीं बल्कि डेलिगेट के रूप में आया था . मैं भी एक सामाजिक कार्य कर्ता हूँ . स्पार्क की कोर टीम से मिल कर ख़ुशी हुई है . इस संस्थान की सेवा वृत्ति महान है . आध्यात्म के आधार पर समाज सेवा का कार्य महान कार्य है . इतिहास् से जो प्रेरणा मिलती है वह है हमारी विगत की पावर . इससे हमारी जीवन शैली विकसित होती है .
समाज के अंतिम व्यक्ति की आवाज़ ब्रह्मा कुमारिस के प्रयत्नों से सामने आ सकती है . अगर ऐसा नहीं हुआ तो भविष्य अंधकार मय हो जायेगा . संस्कृति और समृद्धि का संतुलन ही सही विकाश है . विगत से सीख कर भविष्य की शक्तियों का निर्माण किया जाना चाहिए .

पद्म श्री डॉक्टर आर बी हशूर, सी बी इ एस एटॉमिक एनर्जी तथा मुम्बई विश्वविद्यालय के निदेशक ने कहा की मेरा यहां का अनुभव अति उत्तम है . यहां मैं खुद प्रेरित हो रहा हूँ . आध्यात्मिकता से परिपूर्ण है यहां का वातावरण .
ईमानदारी हर व्यक्ति की लिए आवश्यक है . प्रगति के लिए . चात्रक होना भी एक बड़ी शर्त है . इनके बिना विकाश सम्भव नहीं है . आध्यात्म ये सारी बातें हमें सिखाता है . आज की शिक्षा व्यवस्था में आध्यात्म गायब हुआ है – मगर पारिवारिक रूप से हम सभी को वह प्राप्त होता रहा है . आध्यात्म और विज्ञान दोनों को सीखना जरूरी है विकाश के लिए . सभी सुखी हों – यही कामना है .

संस्थान के कार्यकारी सचिव और शिक्षा प्रभाग के वाईस चेयर पर्सन राजयोगी मृत्युंजय जी ने आज के अवसर पर अपने उदगार प्रकट किये . आपने कहा की शक्ति का अर्थ लोग धन शक्ति , शारीरिक शक्ति , राजनैतिक शक्ति आदि माना जाता है . मगर इन शक्तियों ने लोगों को क्या दिया ? कुछ नहीं . शक्ति दरअसल है शांति की शक्ति , प्रेम शक्ति , आनद की शक्ति और सहयोग की शक्ति . इन शक्तियों की प्राप्ति के लिए आध्यात्मिक प्रयोग किया जाना चाहिए . स्पार्क के द्वारा विगत 20 वर्षों से ऐसे प्रयोग किये जा रहे हैं .
आध्यात्मिक शक्ति के द्वारा ही समाज को सुखमय समाज बनाया जा सकता है . आध्यात्मिकता सभी शक्तियों से उत्तम शक्ति है . ईश्वर पर ध्यान केंद्रित करके आध्यात्मिक शक्ति को अपना सकते हैं और उसको बढा भी सकते हैं . ये एक प्रमाणित सत्य है की हिंसा की शक्ति का जवाब है अहिंसा की शक्ति . बुद्धा ने – गाँधी ने और अनेक धार्मिक नेताओं ने अनेक बार इस बात की सच्चाई को साबित किया है .

डी आर डी ओ डेल्ही में वैज्ञानिक सुशील चंद्र जी ने स्पार्क के बारे में चर्चा की . बताया की यह 1995 से ही कार्य रत है . इस विंग में आध्यात्मिकता से सम्बंधित प्रयोग किये जाते हैं जो मानव को और समाज को श्रेष्ठ बनाती हैं . मूल्यों के प्रतिस्थापन के लिए कौन सी विधियां अपनायी जाएँ – इस पर प्रयोग किये जाते हैं . सुशील चंद्र ने राजयोग से प्राप्त वैज्ञानिक शोधों के परिणामों के बारे में भी जानकारी प्रदान की .

विशिष्ठ अतिथि प्रोफेसर रजत मूना , डी जी , सी -डी ए सी , मुम्बई ने कहा की यह सम्मेलन मेरे लिये आँखें खोलने वाली हैं . आपका आभार व्यक्त करता हूँ . ज्ञान एक बड़ी शक्ति है . विगत से सीख कर भविष्य का निर्माण किया जाना चाहिए . सम्मलेन की थीम काफी सुन्दर है . प्राचीन काल के हमारे शिक्षक बड़े आध्यात्मिक साधक हुआ करते थे . उनसे हमें सर्वांगीण शिक्षा प्राप्त होती रही . आज उसमे बदलाव आने से स्थिति बदली है . इसमे सुधार की जरूरत है . आज की शिक्षा प्रणाली को भी आध्यात्मिकता से युक्त करना होगा .

स्पार्क विंग की राष्ट्रीय संयोजक राजयोगिनी अम्बिका दीदी ने आये हुए अतिथियों का हार्दिक स्वागत किया . आपने सम्मेलन की विषय वस्तु पर प्रकाश डाला . आपने कहा की हमारा विषय काफी सारगर्भित हैं . हमें विगत को भुला कर ईश्वरीय शक्तियों की मदद से भविष्य में आध्यात्मिक शक्तियों को पूरा पूरा ग्रहण करना होगा और जीवन को मूल्यों से भरना होगा .

डॉक्टर सुमन वाला शर्मा, एन आई पी एस , पंजाब की प्रिंसिपल जी ने कहा की आध्यात्मिक स्वास्थ्य को नहीं समझने के कारण हम अभी तक सभी के लिए स्वास्थ्य प्राप्त नहीं कर पाए हैं . राजयोग के प्रयोग से बन्द धमनियां खुल जाती हैं . ये मैंने देखा है . यहां के छोटे प्रवास के बाद से ही मेरे बच्चे मुझे सन्यासी मानने लगे क्योंकि उन्होंने कहा की मैं अब शांत हो गयी हूँ और गुस्सा नहीं कर रही . ये सब मेरे लिए काफी बल प्रदान करने वाला रहा . आज में इसका अभ्यास कर रही हूँ . आध्यात्म को अपना कर जीवन को मूल्यों से युक्त किया जा सकता है – ये मेरा अनुभव है . आध्यात्मिकता आपको शक्तिशाली बना कर समाज को फेस करने की शक्ति प्रदान करता है .

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श्रेष्ठ समाज एवं संस्कार का निर्माता है शिक्षक: शर्मा अखिल भारतीय शिक्षाविदों के सम्मेलन में बोले मिजोरम के राज्यपाल

आबू रोड, 3 सितम्बर, निसं। समाज में एक उक्ति बहुत प्रसिद्ध है, योग कर्मेशु कौशलम अर्थात योग से हमारे कर्मो में कुशलता आती है, राजयोग हमारे कर्मो में कुशलता लाने का एक सशक्त राजयोग है। आज भी शिक्षक की भूमिका बच्चों में संस्कार निर्माण के साथ श्रेष्ठ समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण है। उक्त विचार मिजोरम के राज्यपाल पूर्व लेफ्टिनेन्ट जनरल निर्भय शर्मा ने व्यक्त किये। वे ब्रह्माकुमारीज संस्था के शांतिवन में आयोजित शिक्षाविदों के सम्मेलन के उदघाटन अवसर पर बोल रहे थे।

आगे उन्होंने कहा कि बच्चों में संस्कार देने की पहली सीढ़ी माता पिता की होती है परन्त जब वे स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने आते है तो शिक्षक उनके जीवन में सर्वागिण विकास से लेकर मूल्यों की शिक्षा देकर उन्हें समझदार बनाता है। परन्तु अब देखने में आता है िक शिक्षक और विद्यार्थी दोनो की परिभाषा बदली है। ऐसे में शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है कि युवाओं में श्रेष्ठ संस्कार देने में अपनी महती भूमिका निभायें। युवा ही कल के भविष्य है। संस्कारविहिन युवा से श्रेष्ठ देश का निर्माण नहीं हो सकता है। ब्रह्माकुमारीज संस्था का शिक्षा प्रभाग कई विश्वविद्यालयों के माध्यम से मूल्य आधारित शिक्षा दे रही है जो सराहनीय है।

कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारीज संस्था की संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी ने कहा कि परमात्मा सभी पिताओं के पिता ओर शिक्षकों के परमशिक्षक है। उनके बताये शिक्षा पर चलने से मनुष्य का जीवन महान बन जाता है। हमने उसे नजर अंदाज किया इसलिए आज मनुष्य में मूल्यों की दिन प्रतिदिन कमी होती जा रही है। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि वे नये भारत निर्माण के लिए युवाओं में नैतिक मूल्यों की शिक्षा को बढ़ावा दें। आईएमआरटी विजनेस स्कूल लखनउ के अध्यक्ष डीआर बंसल ने कहा कि आज समय की मांग है कि भौतिक शिक्षा के साथ आध्यात्मिक और मूल्य आधारित शिक्षा को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाये। यह संस्थान इस क्षेत्र में सराहनीय कार्य कर रहा है।

इस अवसर पर शिक्षा प्रभगा के उपाध्यक्ष ने देशभर के 12 विश्वविद्यालयों में पढ़ाये जा रहे मूल्यनिष्ठ शिक्षा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस शिक्षा के प्रति युवाओं का रूझान तेजी से बढ़ रहा है। इसलिए इस संस्थान का प्रयास है कि सभी स्कूलों, कालेजों एवं विश्वविद्यालयों मेें नैतिक मूल्यों की शिक्षा अवश्य दी जाये।

कार्यक्रम में काठमांडू जोन की प्रभारी बीके राज तथा मूल्य आधारित शिक्षा के निदेशक बीके पांडयामणि ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में संस्थान द्वारा संचालित किये जा रहे मूल्य आधारित दूरस्थ शिक्षा को युवाओं ने बड़ी रूचि के साथ अपने विषयों में शामिल किया है। इसलिए हमें इसे व्यापक रूप में चलाने की जरूरत है।