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दादी प्रकाशमणि चौथी इंटरनेशनल हॉफ मैराथन…
अरावली की हसीन वादियों में विश्व बंधुत्व का संदेश लेकर दौड़े धावक

– पुरुष वर्ग में मध्यप्रदेश राजगढ़ के विष्णु राठौड़ ने एक घंटा 22 मिनट में प्रथम और महिला वर्ग में उत्तरप्रदेश की अर्पिता सैनी ने एक घंटा 45 में दौड़ पूरी कर प्रथम स्थान पाया
– शंखनाद के साथ शुरू हुई मैराथन
– एथलीट ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजली देकर शुरू की दौड़
– एशियन गोल्ड चैंपियन सुनीता गोधारा ने बढ़ाया प्रतिभागियों का उत्साह

फैक्ट फाइल…
1800 रनर्स ने कराया था रजिस्ट्रेशन
1500 रनर्स ने लिया मैराथन में भाग
20 से अधिक स्थानों पर की गई रिफ्रेशमेंट की व्यवस्था
04 देशों के एथलीट ने लिया भाग
18 साल के किशोर से लेकर 65 साल के बुजुर्गों ने भी लिया भाग
03 घंटे में तय करना थी 21.5 किमी की दूरी

19 अगस्त, आबू रोड।

अलसुबह का खुशनुमा मौसम, ओम शांति की मंगलध्वनि, तालियों की गडग़ड़ाहट, शंखध्वनि के बीच विश्व बंधुत्व की मंगल कामना को लेकर धावकों ने पूरे जोश और उत्साह के साथ दौड़ की शुरुआत की। मौका था ब्रह्माकुमारीज संस्थान की पूर्व मुख्य प्रशासिका दादी प्रकाशमणि की स्मृति में रविवार को आयोजित चौथी इंटरनेशनल हॉफ मैराथन का। भारत सहित विश्व के कई देशों से पधारे धावकों में मैराथन को लेकर उत्साह इतना था कि सुबह 5 बजे से ही जमावड़ा लगना शुरू हो गया था। इस मैराथन की खासीयत यह रही कि इसमें 18 वर्ष से लेकर 65 वर्ष और डॉक्टर से लेकर इंजीनियर रनर्स ने भाग लिया। वहीं केन्या, स्पेन, इसूपिया सहित अन्य देशों से भी बड़ी संख्या में रनर्स भाग लेने पहुंचे। शुरुआत में सभी रनर्स सहित अतिथियों ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजली दी।

वार्मअप के बाद सुबह 6 बजे एशियन गोल्ड चैंपियन व कोच सुनीता गोधारा, भारतीय क्रिकेट के खिलाड़ी रहे पूर्व क्रिकेटर नयन मोगिया, सुप्रसिद्ध एथलिट अंजू ठामले सहित अन्य एथलीट ने मशान दिखाकर मैराथन की मंगल शुरुआत की। अतिथियों ने प्रतिभागियों को जैसे ही मशाल दिखाई तो सबका उत्साह देखते ही बन रहा है। सभी भारत माता की जय, वंदे मातरम् और ओम शांति के जयकारे लगाते हुए कदम से कदम बढ़ाते पूरे उमंग-उत्साह के साथ दौड़ पड़े। शुरु से लेकर अंत तक रनर्स में एक-दूसरे से आगे बढऩे की होड़ लगी है।

इन्होंने मारी बाजी
21.097 किलोमीटर की हॉफ मैराथन के पुरुष वर्ग में मध्यप्रदेश राजगढ़ के विष्णु राठौड़ ने एक घंटा 22 मिनट में प्रथम, केन्या के साइमन ने एक घंटा 23 मिनट में द्वितीय, उत्तराखंड के जसविंद सिंह ने एक घंटा 24 मिनट में तृतीय व महिला वर्ग में उत्तरप्रदेश की अर्पिता सैनी ने एक घंटा 45 में प्रथम, इथोपिया की इताफेराहू डुबाले ने 1 घंटा 46 मिनट में द्वितीय, दिल्ली की सीमा सिंह ने एक घंटा 49 मिनट में मैराथन पूरी तृतीय स्थान प्राप्त किया।

20 से अधिक रिफ्रेशमेंट पाइंट बनाए…
मनमोहिनी वन से माउंट आबू के पांडव भवत तक मैराथन में भाग लेने वाले धावकों को 20 से अधिक स्थानों पर रिफ्रेशमेंट की व्यवस्था की गई थी। इसमें धावकों के लिए पानी, नींबू पानी, ग्लूकोज, एनर्जी ड्रिंक, नाश्ता, फल आदि बांटे गए। साथ ही इस दौरान रिफ्रेशमेंट पाइंट पर मौजूद भाई-बहनों ने गीतों के माध्यम से सभी का उत्साह बढ़ाया।

चंदन का तिलक लगाकर किया स्वागत…
प्रतियोगिता की शुरुआत में ब्रह्माकुमारी बहनों ने सभी प्रतिभागियों को चंदन का तिलक लगाकर स्वागत किया। साथ ही सभी को संस्थान के भाई-बहनों ने उत्साह से भाग लेने के लिए प्रेरित किया। वहीं पुष्पवर्षा कर सभी को रवाना किया गया। वहीं कोच के रूप में सुनीता गोधारा ने सभी का उत्साहवर्धन करते हुए मैराथन में फस्र्ट आने के टिप्स बताए।

विश्व बंधुत्व के लिए दौड़, अच्छा संदेश
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व क्रिकेटर नयन मोगिया ने कहा कि विश्व बंधुत्व के लिए आयोजित अंतरराष्ट्रीय मैराथन बहुत कम ही देखने को मिलता है। उसमें भी सुन्दर मौसम और हसीन वादियों के बीच धावकों का मनोबल बढ़ेगा और विश्व बन्धुत्व के साथ सेहत भी बेहतर बनाने का संदेश जाएगा। सुप्रसिद्ध एथलिट अंजू ठामले ने कहा ज्यादा से ज्यादा लोगों के शामिल करने से लोगों का उत्साहवर्धन होगा। यूआईटी चेयरमैन सुरेश कोठारी, माउंट आबू पालिका चेयरमैन सुरेश थिंगर, आबू रोड पालिका चेयरमैन सुरेश सिंदल ने भी अपनी शुभकामनाएं दीं।

ये भी रहे उपस्थित…
मीडिया प्रभाग के अध्यक्ष बीके करुणा, सोशल एक्टीविटी गु्रप के अध्यक्ष बीके भरत, ज्ञानामृत के प्रधान संपादक बीके आत्म प्रकाश, मेडिकल विंग के कार्यकारी सचिव बीके बनारसी लाल शाह, राजयोग शिक्षिका बीके गीता, सीए ललित, बीके मोहन, बीके भानू, बीके देव, बीके रामसुख मिश्रा, पीआरओ बीके कोमल, बीके धीरज, बीके सचिन, बीके रुपा, बीके चंदा, बीके कृष्णा, अनूप सिंह, बीके अमरदीप सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।

मैराथन की झलकियां…

– 18 से लेकर 65 साल के बुजुर्ग मैराथन में रहे विशेष आकर्षण
– डॉक्टर्स ने भी स्वास्थ्य का संदेश देते हुए लगाई दौड़
– बारिश भी प्रतिभागियों का कम नहीं कर पाई उत्साह
– युवा बहनों ने उत्साह के साथ तीन घंटे में पूरी की दौड़
– माउंट आबू में तालिया बजाकर स्कूली बच्चियों ने किया रनर्स का स्वागत
– रास्तेभर पूरे जोश और उत्साह के साथ आगे बढ़े प्रतिभागी
– वानरों ने भी प्रतिभागियों को दौड़ते देख लगाई दौड़
– गीतों के माध्यम से बढ़ाया सभी का हौसला
– पीछे रहने के बाद भी कई प्रतिभागी अंत तक दौड़ते रहे
– माउंट में अतिथियों ने मेडल पहनाकर किया सम्मानित

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साइलेंस की शक्ति विज्ञान और आध्यात्म को करीब लाएगी : पद्म भूषण डॉक्टर वी के सारस्वत
 

आबू पर्वत ( ज्ञान सरोवर ) ४ अगस्त २०१८.

आज ज्ञान सरोवर स्थित हार्मनी हॉल में ब्रह्माकुमारीज एवं आर ई आर एफ की भगिनी संस्था, ” स्पार्क प्रभाग ” के संयुक्त तत्वावधान में एक अखिल भारतीय सम्मेलन का आयोजन हुआ। सम्मलेन का मुख्य विषय था – “रीजूविनेट , इंनोवेट , इंटीग्रेट . इस सम्मलेन में भारत वर्ष के विभिन्न प्रदेशों से बड़ी संख्या में प्रतिनिधिओं ने भाग लिया। दीप प्रज्वलित करके सम्मेलन का उदघाटन सम्पन्न हुआ।


नीति आयोग के सदस्य और जे एन यू के चांसलर पद्म भूषण
डॉक्टर वी के सारस्वत ने आज मुख्य अतिथि के रूप में अपनी बातें रखीं। आपने कहा कि हम अपने फैसलों को किस प्रकार से आध्यात्मिकता के पुट से युक्त करें – हमको इसपर विचार करना है। विज्ञान भौतिक जगत के सत्य पर विचार करता है जब की आध्यात्मिकता हमारे मनोभावों – और विचारों आदि पर शोध करता है। प्रश्न है की विज्ञान और आध्यात्म को कैसे युक्त किया जाए ? साइलेंस की शक्ति इसमें कारगर हो सकती है। आध्यात्मिकता हमारी चेतना से सम्बद्ध है – हमरे जागरण से। जबकि विज्ञान पदार्थों पर शोध करता है। शांति की शक्ति से हम सर्वोच्च सत्ता से जुड़ सकते हैं और चेतना के शिखर को समझ सकते हैं। तब हमारा जीवन मूल्यवान और उपयोगी बन जाता है।


राजयोगिनी आशा दीदी , ओ आर सी की निदेशक ने कहा की विज्ञान और आध्यात्म एक दूसरे के पूरक हैं – एक दूसरे से दूर नहीं हैं – विरोधाभासी नहीं हैं । आपने बताया की हम श्री लक्ष्मी, श्री नारायण की पूजा इसलिए करते हैं क्योंकि ये लोग सत्ता हैं ,मूल्यों के। मूल्यवान लोग हैं। भौतिकता से पूरी तरह युक्त हैं मगर पूज्य हैं। आज की दुनिया में आप सर्वाधिक अमीर व्यक्ति की भी पूजा नहीं करते। क्योंकि वे इस लायक नहीं हैं। धन है मगर वहाँ मूल्य नहीं है। मूल्यवान होने के लिए यह समझना जरूरी है की हम सभी अपने शरीर से अलग आत्मायें हैं। आत्मानुभूति के बाद ही जीवन मूल्यवान बनता है और पूज्य भी। राजयोग उसमें हमारी मदद करता है। इसके अभ्यास से हम पूज्य बन जाते हैं। शरीर पर हमारा वश है मगर मन पर नहीं है। मन हमारे वश में नहीं है। आत्मा को समझने के बाद वह हमारे वश में आ जायेगा। कहा गया है – मन को जीते जगत जीत। जगत जीत बनना बड़ी बात है मगर राजयोगिओं के लिए आसान है। राजयोगी बनने के लिए आपका स्वागत है।

रजयोगिनी अम्बिका दीदी, स्पार्क विंग की अध्यक्षा ने आज अपना सम्बोधन इस प्रकार प्रस्तुत किया। आपने कहा की आध्यात्मिक प्रज्ञा आत्मिक सत्य को समझना है। क्या दुनिया में सभी लोग सदैव उत्फुल्ल रह सकते हैं ? परमात्मा का ज्ञान जो उन्होंने प्रजापिता ब्रह्मा बाबा के माध्यम से प्रदान किया है – उसको जीवन में आत्म सात करने से वैसी स्थिति प्राप्त की जा सकती है। दैनिक जीवन में आत्मिकता की अनुभूति से हमारा जीवन पूरी तरह संतुलित और सफल बन जाता है। हम अपने समाज को एक मूल्यवान समाज बनावें। यह आज की अनिवार्यता है।
 
ब्रह्माकुमारीज़ के कार्यकारी सचिव राजयोगी मृत्युंजय ने अपना आशीर्वचन दिया। आपने सम्मेलन में पधारे हुए महानुभावों का फिर से स्वागत किया। आपने बताया की हम विश्वविद्यालयों में और कॉलेजेस में थॉट लाइब्रेरी की स्थापना कर रहे हैं। वहाँ लोग सकारात्मक विचारों को उत्पन्न करेंगे और उसकी विधि भी जानेंगे। इससे लोगों के संस्कार सुधरेंगे और जीवन दिव्य बनेगा।
 
डी आर डी ओ से पधारे डॉ सुशील चंद्र ने आज के अवसर पर कहा की स्पार्क आध्यात्मिकता और शोध पर आधारित है। यह संस्था आध्यात्मिकता पर और आध्यात्मिकता के लिए शोध करती है। आपने राजयोगियों पर किये गए अनेक शोधों का विवरण दिया और बताया की कैसे विभिन्न परिश्थितियों में भी उन राजयोगिओं ने काफी अच्छी मानसिक स्थिति बरकरार रखी।
 
प्रो डॉक्टर रोमेश गौतम , वरिष्ठ अधिवक्ता , सर्वोच्च न्यायालय ने आज के अवसर पर अपनी बातें इस रूप में रखीं। आपने कहा कि मैं यहां से काफी कुछ सीख कर जावूंगा। यहां आकर ऐसा लगा की मैं एक असामान्य और अलौकिक स्थान पर पंहुचा हूँ। मैं अपने ऑफिस तक को भूल गया हूँ। ऐसा एक अलग सा प्रभाव इस स्थान का मेरे मन पर पड़ा है। लग रहा है की सब कुछ ठीक ही हो रहा होगा। यहां आकर जो आत्मिक शांति मिलती है उसकी तुलना धन दौलत से नहीं की जा सकती है।
आपने प्राचीन भारतीय ज्ञान के बारे में बताया।
 
डॉ जयश्री ने कहा की मैं यहाँ सीखने के लिए आयी हूँ। मुझे यहाँ काफी सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त हो रही है। मैं यहाँ से काफी कुछ सीख कर जाने वाली हूँ। आम तौर पर लोग मानते हैं की विज्ञान से जुड़े लोग नास्तिक होते हैं जो की बिलकुल सही नहीं है। मैं पूरी आस्तिक हूँ। संसार की हर घटना से सर्वोच्च सत्ता की उपस्थिति प्रकट होती रहती है। दुनिया वालों को और कैसा प्रूफ चाहिए उनके होने का ?? जीवन में संतुलन का बड़ा महत्व है। उसके लिए आध्यात्म सहयोगी होगा।
 
ग्यारह वर्षीय हिमांग, सोशल इन्नोवेटर, ने कार्यक्रम को सम्बोधित किया और अपनी यात्रा के बारे में बताया। कहा की मेरी यात्रा की सफलता में मेरे माता पिता की बड़ी भूमका रही है। मैंने रोबोटिक्स से शुरुआत की और नेशनल चैंपियन बना। मुझे विश्वास ही नहीं हुआ की मेरे साथ कुछ बड़ा घट गया है। और उसके बाद मेरा सफर बढ़ता ही चला गया।   

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आबू पर्वत ( ज्ञान सरोवर ) २७ जुलाई २०१८.

आज ज्ञान सरोवर स्थित हार्मनी हॉल में ब्रह्माकुमारीज एवं आर ई आर एफ की भगिनी संस्था, ” व्यापार तथा उद्योग प्रभाग ” के संयुक्त तत्वावधान में एक अखिल भारतीय व्यापार और उद्योग सम्मेलन का आयोजन हुआ। सम्मलेन का मुख्य विषय था – ” आध्यात्मिक ज्ञानोदय द्वारा व्यापार में स्वर्णिम युग ” . इस सम्मलेन में भारत वर्ष के विभिन्न प्रदेशों से बड़ी संख्या में प्रतिनिधिओं ने भाग लिया। दीप प्रज्वलित करके सम्मेलन का उदघाटन सम्पन्न हुआ।

ज्ञान सरोवर की निदेशक राजयोगिनी निर्मला दीदी ने भी आज सम्मेलन को अपना आशीर्वचन दिया। आपने कहा कि आज के संसार में व्यापार में काफी चोरी और झूठ चलता रहता है। मगर सतयुगी दुनिया में हर व्यापार में लगे हुए लोग अपना कर्म तो करेंगे मगर वहाँ कोई भी चोरी और लूट नहीं होगी। सतयुग में कोई चोरी और लूट नहीं होती है। वह श्रेष्ठ संस्कार आज यहां इस दुनिया में अपने जीवन में अपने अंदर स्थापित करने की जरूरत है। अपने संस्कारों को उत्तम बनाने के लिए आत्मा को परमात्मा के आचरण को अपनाना होगा। राजयोग का अभ्यास करना होगा। आत्म अनुभूति के साथ साथ ईश्वर पर अपने मन को टिका कर उनकी शक्तियां अपने जीवन में भर लेने की जरूरत है।

प्रख्यात मोटिवेटर और राजयोगिनी, ब्रह्मा कुमारी शिवानी ने आज के सम्मेलन को सम्बोधित किया। आपने बताया की ज्ञान सरोवर के इस परिसर में पवित्रता , त्याग और तपस्या का वाइब्रेशन पसरा हुआ है। यही वजह है की हम सभी को यहां इतना सुकून और आनंद प्राप्त हो रहा है।

हमें अपने संस्कारों को दैवीय बनाना है। इस परिसर के सैकड़ों भाई बहनें आपस में प्यार से मिलकर इस प्रकार निवास करते हैं की हम सभी को यहां ऐसा सुन्दर सुन्दर महसूस हो रहा है जैसे की यह पृथ्वी पर एक स्वर्ग है। हम सभी को अपने अपने घरों को भी ऐसा ही स्वर्ग बनाना होगा। करना सिर्फ इतना है कि अपने संस्कारों को आत्मिक बना लें , दैवीय बना लें।

व्यापार तथा उद्योग प्रभाग की राष्ट्रीय संयोजिका राजयोगिनी योगिनी दीदी ने सम्मेलन को परमात्म अनुभूति करवाई। कहा की परमात्मा के अनेक नाम हैं और सभी नाम उनके गुणों को प्रकट करते हैं। दुनिया की तरह नहीं कि नाम तो अमीर चंद मगर है बेचारा फ़कीर। ईश्वर के सारे नाम उनके गुणों को दिखलाते है – प्रकट करते हैं।
परमात्मा की सारी शक्तियों को आत्माएं ग्रहण करती हैं। परमात्मा सभी शक्तियों के दाता और सोर्स हैं। परमात्मा सभी सूक्ष्म शक्तियों के भण्डार हैं।
आज सूर्य से गर्मी प्राप्त करने के लिए मांगने की जरूरत नहीं हैं मात्र उनके सामने जाने की जरूरत है। उसी प्रकार परमात्मा के सामने जाने पर उनकी शक्तियां हमारे अंदर खुद ब खुद समाने लगती हैं। यह बहुत आसान है। मात्र ईश्वर को ठीक से जानने और पहचानने की जरूरत है।

मदन मोहन शर्मा जी , व्यापार और उद्योग प्रभाग के उपाध्यक्ष ने अपने जीवन के अनुभवों को सभी के सामने रखा। आपने कहा की साकार बाबा की एक ही दृष्टि नें मेरा जीवन पूरी तरह बदल दिया। मात्र एक महीने के ही सम्पर्क से मैं पूरी तरह राजयोगी बन गया। जीवन में पवित्रता समा गयी। व्यापार में दिन दूनी और रात चौगुनी वृद्धि होती रही। अभी २ वर्ष पूर्व कैंसर से ग्रस्त हुआ मगर आज पूरी तरह स्वस्थ्य हूँ। बाबा ने बढ़िया स्वास्थ्य प्रदान किया। ८७ वर्ष की इस उम्र में भी पहले से अधिक स्फूर्त खुद को महसूस करता हूँ। बाबा आप सभी को भी पूरा मदद देंगे। आप सभी बाबा से पूरा सौदा करके जायें। बाबा गारंटी देंगे जीवन को स्वर्णिम बना देने की। मात्र बाबा के लिए दिल में मुहब्बत चाहिए।

किरण मणि , गूगल रिटेल के प्रबंध निदेशक ने आज के अवसर पर सभी को सम्बोधित किया। आपने कहा कि आज संसार में साधनो और धन की कमी नहीं है मगर हर तरफ अराजकता हावी है। ब्रह्माकुमारियाँ ही दुनिया को देने की बात कर रहीं है। जबकि सभी किसी ने किसी रूप में लेने की ही आकांछा रखते हैं। यहां की कार्य प्रणाली , गूगल की कार्य प्रणाली भी अधिक सटीक है।

“स्टेट्स” से पधारे हुए वैश्विक सकारात्मक चिंतक पीयूष भाई ने अपने उदगार इस प्रकार प्रकट किये। कहा मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूँ खुद को यहां। साधन और धन बढ़ रहे हैं और चिंताएं , परेशानियां भी बढ़ रही हैं। सकारात्मकता अपना कर हम बड़ी से बड़ी दिक्कतों को भी आसान बना सकते हैं। आपने डेट्स (अवसर ) से जुडी परेशानिओं का सन्दर्भ लिया और साबित किया की डेट्स (खजूर ) तो मीठे हैं , पाष्टिक हैं , स्वास्थ्य को बढ़ाते है , अतः ये परशान कैसे कर सकते हैं ??

मधु चोपड़ा , प्रख्यात प्रियंका चोपड़ा की माँ ने भी सम्मेलन को सम्बोधित किया। मैं तो भाव विभोर हूँ यहां। योगिनी दीदी और शिवानी बहन को मैं रोज़ सुनती रहती हूँ और उनके जीवन को देखकर सोचती हूँ की ऐसा क्यों और कैसे है ?? शायद इस लिए आप सभी के लिए ये व्यापार नहीं है, आध्यात्म है। आध्यात्मिक होकर हम संस्कारों को उत्तम बना सकते हैं।

राजयोगिनी गीता बहन ने पधारे हुए अतिथियों का स्वागत किया। आपने कहा कि आप सभी जो यहां पधारे हैं , अत्यंत भाग्यशाली हैं क्योंकि आने वाले ३ दिनों तक आध्यात्मिक रूप से परिपक्व राजयोगियों और तपस्विनियों द्वारा आपको आध्यात्मिकता की गहराई और ऊंचाई पर लेकर जाने का भरपूर प्रयास किया जायेगा।

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मनमोहिनी वन (शांतिवन) दिनांक:२० से २४ जुलाई२०१८ के दौरान युवा प्रभाग द्वारा राष्ट्रीय स्तर की रिट्रीट का आयोजन किया गया, जिसका उदघाटन बारिश के खुशनुमा मौसम में दिनांक २० जुलाई सायं ६ बजे ग्लोबल ऑडिटोरियम मनमोहिनी कॉम्पलेक्स मे भ्राता निर्वेरजी (सेक्रेटरी जनरल ब्रम्हाकुमारी), भ्राता पवनकुमार बंशल (पूर्व रेल मंत्री) बी.के चंद्रिकाबहन (उपाध्यक्ष युवा प्रभाग) भ्राता श्याम सिंघ राजपुरोहित (राज्य डिरेकटर नहेरु युवा केंद्र संगठन) इत्यादि द्वारा सम्पन हुआ।

भारत भर से पधारे २५० से अधिक प्रोफेशनल युवा भाई बहनने भाग लिया। पधारे हुए महानुभावोने युवाओ को सम्बोधित करते हुए कहा कि सारे संसार की नजर भारत पर है और भारत के हर व्यक्ति की नजर युवा पर है । युवा पुरे विश्व की काया पलट कर सकता है ,कल की कला कृति बना सकते है। युवाओ को प्रेरित करते हुए कहा क़ि वे मन की बीमारी से दूर रहे वह अपनी शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक शक्ति को रचनात्मक कार्य में लगाए। सभी युवा भाई बहन ज्ञान वर्षा के साथ साथ पानी की वर्षा व अरावली पहाड़ियों के रिमझिम मौसम का आनंद ले रहे थे। और स्वयं को कल का शिल्पकार बनाने के लिए कटिबद्ध बन रहे थे।

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Dadi Janki, Chief of Brahma Kumaris, inaugurated the Three-Day National Conference for Administrators, Executives and Managers on the theme “Spiritual Compass for Administrators” being held at Global Auditorium, in Manmohinivan Complex, Abu Road. The conference was organised by the Administors Wing of the Rajayoga Education & Research Foundation, a sister organization of the Brahma Kumaris.

Inaugurating the conference, Mr. Pradeep Patel, Chairperson of Backward and Minority Financial Development Corporation, Bhopal, said that man is a rational animal who has the talent of experience and feelings. Man is not a machine and therefore he can initiate changes in his own self. Today man stands overpowered by his vices and hence fails to attain the desired success. First of all we need to be rid of these vices for which a spiritual knowledge and the practice of Rajyoga are essential. Such a guidance is possible only through the Brahma Kumaris. Appreciating the Brahma Kumaris contribution in the MP Administration’s ‘Unity Rally’ for cultural unity in the society, he said that this helps us to learn that with good meditation and a strong will-power one can succeed even with small and insufficient resources.

The Additional General Secretary of the Brahma Kumaris Rajyogi BK Brijmohan, making his Presidential address, said the Supreme Soul who is also the Supreme Administrator had given man the ‘Spiritual Compass’ for a good and healthy administration which worked for Half the Kalpa of this universe and then it stood polluted with our vices and sins and man lost his direction. Now once again He has come to give man the same old direction for a healthy and spiritual guidance for which purpose this conference has been called.

The Chief Administrator of the Organization Rajyogini Dadi Janki Ji said, “If you have spiritual human love, affection and cordiality there is no one more powerful than you.” She inspired the administrators to adopt the five virtues of Purity, Truth, Patience, Solemnity and Humility. But she added that to practice these five virtues one needs the 8 basic powers of Tolerance, Withdrawal, Accommodation, Cooperation, Power to Pack up, Power to Face, Discernment, and Power to Judge which come to us with a consistent practice of the Rajayoga. She also said that the spiritual knowledge is the basis of all understanding of the self and our purpose of life in this universe.

After this the auspicious lamp of the inauguration was lit, in which all the prominent dignitaries and administrators on the stage, and those from Nepal and different parts of India, participated.

Special Guest of the programme Mr. Shashank Shekhar IAS, Joint Secretary, Ministry of Human Resource Development, Government of India, said that as we go to a perfume factory the fragrance automatically comes to us, in the same manner the company of spiritual dignitaries automatically gives us the feelings of their virtues and divinity. Emphasizing the need for administrators bringing a balance between Materialism and Spiritualism, he said that spiritualism enlightens and empowers us. It is spiritualism that teaches us the art of giving since giving is the basis of receiving and being happy.

The Executive Secretary of the organization Rajyogi BK Mrithunjaya Ji emphasized that everyone coming to this place gets spiritually enthused and empowered. Welcoming the guests on the stage and participants among the audience he said that they will get the spiritual enlightenment and guidance so that they can steer through their life and administrative duties happily and with a peaceful contentment. That is the best self-administration and administration of the society.

National Coordinator of the wing Rajyogini BK Avdhesh conducted the Rajyoga meditation with commentary, and BK Poonam from Jaipur conducted the stage. The programme remained captivating in which the BK sisters from Mulund offered bouquet and tilak, and child artists from Bhopal and Hyderabad presented a cultural programme. Presenting a vote of thanks, the HQs Coordinator BK Harish said that this conference must encourage each one of the participants to imbibe the inner powers and change the destiny of the masses toward healthy and spiritual living.

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ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका का धूमधाम से मनाया गया जन्मदिन

 
12 अप्रैल, शान्तिवन। ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका तथा युवा प्रभाग की राष्ट्रीय संयोजिका

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दादी रतनमोहिनी का 93वाँ जन्मदिन संस्थान के अन्तर्राष्ट्रीय मुख्यालय शांतिवन में धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर संस्था की मुख्य प्रशासिका दादी जानकी समेत सभी वरिष्ठ पदाधिरी उपस्थित थे।

 
संस्था प्रमुख दादी जानकी ने उन्हें जन्मदिन की बधाई देते हुए कहा कि रतनमोहिनी दादी आज संस्थान की सेवाओं में जो अपना सहयोग दे रही है, इससे सभी कार्य पूर्णरूपेण सफल होते जा रहे है। आज अपने 93वें वर्ष में भी दादी में जो अथकपन, सेवाओं का उमंग दिखाई देता है वह सभी युवाओं के लिए भी प्रेरणास्त्रोत है। संस्थान को दादी का अकल्पनीय सहयोग मिल रहा है।
 
इस अवसर पर संस्थान की घाटकोपर सबजोन प्रभारी बीके नलिनी ने कहा कि दादी हमारे लिए सदा ही प्रेरणा की स्त्रोत रही है। आदरणीय दादी का इतना बड़ा पदाभार होते हुए भी सदा परमात्म स्मृति में समाये हुए तथा सर्व सेवाकार्यों को पूर्ण करने की कला हमारे लिए अनुकरणीय है। 
 
दादी ने बोया विदेश सेवा का बीज: 
 
इस अवसर पर संस्थान के महासचिव बीके निर्वैर ने दादी द्वारा की गई सेवाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्तमान समय में संस्थान की लगभग पूरे विश्व में शाखायें है। पूरे विश्व में ब्रह्माकुमारीज़ ने जो आध्यात्मिक क्रान्ति लाई है उस क्रान्ति का बीजारोपण भी सर्वप्रथम संस्था की पूर्व मुख्य प्रशासिका दादी प्रकाशमणि के साथ-साथ दादी रतनमोहिनी ने ही किया था। 
 
इस अवसर पर संस्थान की कार्यक्रम निर्देशिका बीके मुन्नी, संस्थान के मल्टीमीडिया अध्यक्ष बीके करूणा, कार्यकारी सचिव बीके मृत्युंजय, महाराष्ट्र जोन प्रभारी बीके संतोष तथा अन्य वरिष्ठ सदस्य मौजूद थे। इस अवसर पर देश-विदेश से आये लगभग 25000 लोग सम्मिलित हुए तथा अनेक सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ भी दी गई।

 

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सभ्यता और संस्कृति ने प्राचीन काल में विश्व को वातावरण स्वच्छ रखना,सद्भाव और सदाचार जैसे गुणों को अपनाते हुए जीवन जीने का दिया है संदेश वर्तमान में भी ऐसे संदेशों को अंगीकृत करने की जरूरत : मुख्यमंत्री मनोहर लाल
करनाल 2 अप्रैल, प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय करनाल सेक्टर 7 द्वारा कर्मा एंड डेस्टिनी पर एक अध्यात्मिक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमे बतौर मुख्यातिथि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति ने प्राचीन काल में विश्व को वातावरण स्वच्छ रखना, तरंगे अच्छी करना, सद्भाव और सदाचार जैसे गुणों को अपनाते हुए जीवन जीने का संदेश दिया है। आज फिर इसी प्रकार का वातावरण बनाने की आवश्यकता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मौजूदा समय में हम अपने व्यवहार और आचरण की बदौलत सतयुग से कलयुग में प्रवेश कर गए है, लेकिन वह दिन दूर नहीं जब हम पुन: सतयुग में प्रवेश करेंगे। इसके लिए हमें संतो व ऋषि मुनियों द्वारा बताएं गए मार्ग का अनुसरण करना होगा और ऐसा करने से समाज में अतुलनीय परिवर्तन देखने को मिलेगा। लोगों की अपराधिक प्रवृति लगभग समाप्त हो जाएगी तथा पुलिस व जेलों के कार्यबोझ में भी कमी आएगी। उन्होंने कहा कि हमें अपने व्यवहार में बदलाव लाने की आवश्यकता है। आज हम दो-तीन घंटे आध्यात्मिक प्रवचन सुनने उपरांत अपने पुराने व्यवहार को तुरंत अपना लेते है,जबकि आध्यात्म को बनाये रखना जरूरी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हम नवरात्रों में तो सात्विक भोजन ग्रहण करते हुए अपने मन को सात्विक रखने का प्रयास करते है,लेकिन नवरात्रों के बाद अपनी पुरानी प्रवृति में ढल जाते है,यह सही नहीं है। हमें अपने मन को नियंत्रित करते हुए सद्मार्ग पर चलने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज समाज में दो प्रकार के व्यक्ति मिलते है,एक वह जो हमेशा अच्छे मार्ग का अनुसरण करते है और दूसरे वह जो अपराधिक गतिविधियों में भाग लेते है। दुर्भाग्यपूर्ण दूसरी प्रकार के लोगों की पंक्ति लम्बी है, हमें अपनी शक्ति को पहचानते हुए इन लोगों को भी सदाचार के मार्ग पर लाने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय इस दिशा में बेहतर कार्य कर रहा है और इस दिशा में आगे बढऩे के लिए हरियाणा सरकार भी अपना हर संभव सहयोग देने के लिए तैयार है।

इस मौके पर उपस्थित ब्रह्माकुमारी शिवानी बहन ने कर्म और भाग्य विषय पर विस्तार से बताते हुए कहा कि हम अपने जीवन में जैसा कर्म करते है, भविष्य में हमें उसी प्रकार फल मिलता है। हम ही अपने भाग्यविधाता है। उन्होंने कहा कि मनुष्य कईं बार अपने भूतकाल में इस प्रकार के अनैतिक व अनुचित कार्य कर बैठता है,जिसका उसे भविष्य में लम्बे समय तक भुगतान करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि आज के समय में मनुष्य धन कमाने की दौड़ में लगा हुआ है, उसे धन के अलावा अन्य कोई वस्तु नजर नहीं आती। अपनी इस प्रवृति के कारण वह सामने वाले का अहित भी करने को तैयार है। ऐसा धन हमारे सुखों का नहीं अपितू दुखों का कारण बनता है। उन्होंने कहा कि हमें केवल सात्विक धन ही कमाना चाहिए, इससे हमारा तन भी सात्विक होगा और मन भी मनुष्य श्रेष्ठता की ओर अग्रसर होगा।

बीके शिवानी बहन ने प्रवचनों में समाहित संदेश को आगे बढ़ाते हुए कहा कि मनुष्य अपनी बुराई रूपी काली बॉल को अपने वचनों के माध्यम से दूसरों को भेजता है, लेकिन वह यह नहीं समझता कि यह बुराई रूपी काली बॉल दोबारा फिर उसकी तरफ आने वाली है। सरल शब्दों में इसका मतलब समझाते हुए उन्होंने कहा कि मनुष्य कईं बार किसी दूसरे व्यक्ति का अहित या बुरा करता है। उसे यह समझना चाहिए कि जैसा वह करेगा वैसा ही उसे मिलने वाला है। इसलिए मनुष्य को हमेशा दूसरे को दुआएं ही भेजनी चाहिए व किसी को दुख नहीं देना चाहिए। जिंदगी में लोग धन तो कमाते है लेकिन दुआएं नही कमाते। लेकिन जो आदमी दुआएं कमा लेता है,धन उसके पास स्वत: ही चला आता है। प्रकृति के इस विधान को समझने की जरूरत है।

इस मौके पर घरौंडा के विधायक एवं हैफेड के चेयरमैन हरविन्द्र कल्याण , मेयर रेणूबाला गुप्ता, श्रीमती सुमन मंजरी (I.P.S. I.G. हरियाणा) एवं नीलोखेड़ी के विधायक बीजेपी के जिलाध्यक्ष भगवानदास कबीरपंथी ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए संस्था के कार्यो की सरहना की |

इस मौके पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल जी तथा स्टेज पर उपस्थित अन्य अतिथियों ने ज्योति प्रज्जवलित की

करनाल सब जोन की इंचार्ज राजयोगिनी प्रेम दीदी ने कार्यक्रम का कुशल सचालन किया तथा प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की ओर से मुख्यमंत्री मनोहर लाल सहित सभी विशिष्ट अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित भी किया |