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शांतिवन परिसर स्थित दादी प्रकाशमणि ट्रेनिंग सेंटरमें सामुदायिक रेडियो “रेडियो मधुबन 90. 4 एफ.एम् के द्वारा स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में

स्वर्णिम भारत देशभक्ति संगीत प्रतियोगिता

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का आयोजन किया गया | जिसमे माउंट आबू और आबूरोड के स्कूलों में छठवीं से बारहवीं कक्षा  के पढने वाले छात्र छात्राओं ने भाग लिया | कार्यक्रम का उद्घाटन वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका गीता दीदी , अरावली प्लास्टो के प्रबंध निदेशक श्री रामेश्वर अग्रवाल, निर्णायक बी.के. सतीश जी और रेडियो मधुबन के कार्यक्रम “संगीत की दुनिया” के रेडियो जॉकी श्यामली जी ने किया |

कार्यक्रम में भाग लेने वाले बच्चों ने देशभक्ति गीत प्रस्तुत कर सभी को देशभक्ति के रस में सराबोर कर दिया | कार्यक्रम में 2 राउंड रखे गए थे जिसमें पहले राउंड में करीब 40 बच्चों नें अपनी प्रस्तुति दी | प्रथम राउंड में चयनित प्रतोभागियों को द्वितीय राउंड में फिर से प्रस्तुति देने का मौका मिला |

कार्यक्रम के अंत में रेडियो मधुबन 90.4 एफ.एम् के केंद्र प्रमुख बी. के.यशवंत पाटिल, आबू रोड सदर थाना प्रभारी श्री भंवरलाल जी एवं श्री रामेश्वरलाल अग्रवाल जी ने सभी विजयी प्रतिभागियों को ट्राफी , सम्मान पत्र और तिरंगे का बैज पहनाकर सम्मानित किया | कार्यक्रम का संचालन आर.जे. सुभाश्री ने किया |

​ ​समुदाय में रहने वाले श्रोताओं के हित देशभक्ति से सराबोर इस कार्यक्रम का रेडियो मधुबन द्वारा सीधा प्रसारण भी किया गया | ​

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आध्यात्मिकता को अपने जीवन में स्थान दें : राजयोगी मृत्युंजय

ज्ञान सरोवर ( आबू पर्वत ),26 अगस्त , २०१६। आज ज्ञान सरोवर स्थित हार्मनी हॉल में ब्रह्माकुमारीज एवं आर ई आर एफ की भगिनी संस्था , चिकित्सा प्रभाग के संयुक्त तत्वावधान में एक अखिल भारतीय सम्मेलन का आयोजन हुआ। सम्मलेन का मुख्य विषय था -” मन – शरीर , दवा ” . इस सम्मलेन में भारत के विभिन्न प्रान्तों से बड़ी संख्या में प्रतिनिधिओं ने भाग लिया . दीप प्रज्वलित करके इस सम्मेलन का उद्घाटन सम्पन्न हुआ।

शिक्षा प्रभाग के उपाध्यक्ष , ब्रह्मा कुमारीज के कार्यकारी सचिव राजयोगी मृत्युंजय ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की . आपने अपने उद्बोधन में कहा की आज यहां डॉक्टर्स का कुम्भ लगा हुआ है . आपसे आशा है की आप यहां अपने तन के साथ साथ मन को भी शुद्ध करें . इस वैश्विक संस्थान से आप राजयोग का प्रशिक्षन प्राप्त करके हर प्रकार के प्रदूषण को दूर करें . उसके लिए आध्यात्मिकता को अपने जीवन में स्थान दें . यही एक विलुप्त लिंक है जिसके कारण समाज टूट रहा है . आध्यात्मिकता से यह विखराव समाप्त होगा . हर गाँव में ध्यान का केंद्र खोल कर राजयोग का अभ्यास सिखाया जाए . लोग इससे अनेक रोगों से आसानी से – दवा के बिना भी रोग मुक्त होंगे . परमात्मा द्वारा सिखाया गया राजयोग अत्यंत लाभ कारी है।

ज्ञान सरोवर अकादमी की निदेशक राजयोगिनी डॉक्टर निर्मला दीदी ने आज के सम्मेलन को अपना आशीर्वचन इन शब्दों में दिया . आपने कहा की आज अधिकांश बीमारियां मानसिक नकारात्मकताओं के वजह से पनप रही हैं . इनसे मुक्ति के लिए अब ध्यांन ( मैडिटेशन ) का सहारा लिया जा रहा है . ब्रह्मा कुमारियाँ 1936 से ही राजयोग ध्याना भ्यास का प्रसार समाज में करती रही हैं . राजयोग एक मानसिक ध्यान का अभ्यास है जिससे अनेक रोगों से मुक्ति सहज ही होती है . आपने एक बहन की आप बीती बताई . कहा की उसको उसके भाई ने ही बलात्कार किया था . महिला उसके प्रति और संसार के प्रति घृणा से भर गई थी . इसके कारण अनेक बीमारियां उसको घर कर गयीं . उसको राज योग के अभ्यास के बारे में बताया गया . इस योग के अभ्यास से वह बीमारियों से मुक्त हुई . राज योग का अभ्यास मानसिक और शारीरिक बीमारियों से मुक्ति का सर्वोत्तम साधन है . इससे अभ्यास से आपकी अनेक शक्तियां बढ़ जाएंगी।

भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव डॉक्टर ए के पांडा ने कहा की सर्व प्रथम मैं आयोजकों को दिल से धन्यवाद दूंगा . आपने इतना सुन्दर आयोजन किया है यहां . आपने भाव विभोर होकर इस गीत की दो पंक्तियाँ गायी – मन तड़पत हरि दर्शन को आज ……, कहा की आपने यहां आज अनेक सुन्दर व्याख्यान सुने . सभी हरि दर्शन करवा रहे हैं .
भारत में बीमारियों से लड़ने के लिए सभी चिकित्सकों को मिलकर प्रयत्न करना होगा . स्थिति विस्फोटक है . जन जागरण की किरण फैलानी है . व्यक्तिगत कौशल के साथ साथ हमें सामूहिक प्रयासों के मैराथन भी आयोजित करने होंगे – बीमारियों से लड़ने के लिए . हमें काला हांड़ी और गढ़ चिरौली में खड़े उस अंतिम व्यक्ति के बारे में भी सोचना होगा . तभी हमारा ये सम्मेलन सफल होगा।

चिकित्सा प्रभाग के अध्यक्ष डॉक्टर अशोक मेहता ने कहा की आम तौर सम्मलेन एक प्रकार से मीटिंग हुआ करते हैं . मगर आने वाले 3 दिन में आपको ये महसूस करके आनंद मिलेगा की यह सम्मलेन काफी अलग और काफी सार गर्भित रहा आपके लिए। हम सभी अनेक बार यहां बाबा शब्द का उच्चारण करते नज़र आएंगे आपको . बाबा का अर्थ है परमात्मा शिव . परमात्मा शिव ने प्रजापिता ब्रह्मा के तन का आधार लिया है 1936 में . उनके माध्यम से परमात्मा हमें मुक्ति और जीवन मुक्ति की शिक्षा दे रहे हैं।

आध्यात्मिकता के आधार पर हम सकारात्मक स्वास्थय की स्थापना करते हैं लोगों में . आध्यात्मिकता का अर्थ हैं अपने लोगों के दिलों में सकारात्मक भावनाओं का संचार कर देना – अपने आचरण के द्वारा . चिकित्सकों के लिए यह काफी महत्व पूर्ण है . यह है दुआ . और दवा तो है ही . उसका परिणाम सफलता की रूप में आपके सामने आता रहेगा . यह जानना काफी जरूरी है की आप अपने मन का संचालन कर रहे हैं या आपका मन आपको संचालित कर रहा है ? मन को जानना और उसका नियंत्रण अपने हाथ में लेना – इसकी विधि आप यहां सीख लेंगे . मन जब आपका दोस्त बनेगा – आपकी समस्याएं समाप्त होंगी। मैं यह भी कहना चाहूँगा की ब्रह्मा कुमारीज दुनिया का सर्वोत्तम विद्यालय है सकारात्म चिंतन का . इसकी यह परिभाषा सही परिभाषा होगी।

ग्लोबल अस्पताल, आबू पर्वत के अधीक्षक डॉक्टर प्रताप मिड्ढा ने आज के अवसर पर कहा की चिकित्सा प्रभाग की स्थापना के पीछे ये लक्ष्य रहा की हम चिकित्सकों की सेवा कर सकें . दुनिया को स्वास्थ्य देने वाले चिकित्सक खुद के स्वास्थ्य का ख्याल कम रखते हैं . शारीरक , मानसिक और सामाजिक रूप से पूर्ण स्वस्थ होना ही स्वस्थ होना है . मानसिक स्वास्थय के लिए आध्यात्मिकता का सहयोग चाहिए ही चाहिए . आपकी उसी जरूरत को पूरा करने के लिए इस सम्मलेन का आयोजन किया गया है . निवेदन है की आने वाले 3 दिनों में आप इन सत्रों का पूरा लाभ लेंगे और अपने को पूर्णतः स्वस्थ बना लेंगे . आपको दवा और दुआ का कमाल दिखाना है . खुद पर और अपने मरीजों पर . चिकित्सा प्रभाग की संयुक्त सचिव डॉक्टर निरंजना ने सभी को अपनी शुभ कामना दी . कहा की यहां दी जा रही ज्ञान की बातें आपको अपने आप के करीब लाएंगी . यहां आपके द्वारा किया गया कोई संकल्प पूरा हो जायेगा . क्योंकि यहां की फ़िज़ा में सकारात्मकता लहरा रही है . इसका लाभ प्राप्त कर लें।

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जीवन में सफलता के लिए प्रभु का साथ चाहिए : राजयोगिनी नलिनी दीदी

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ज्ञान सरोवर ( आबू पर्वत ),०५ अगस्त , २०१६। आज ज्ञान सरोवर स्थित हार्मनी हॉल में ब्रह्माकुमारीज एवं आर ई आर एफ की भगिनी संस्था , पोत परिवहन , वैमानिकी और पर्यटन प्रभाग के संयुक्त तत्वावधान में एक अखिल भारतीय सम्मेलन का आयोजन हुआ। सम्मलेन का मुख्य विषय था – ” शांति और विकास की यात्रा -एकता और अनेकता की ओर ” . इस सम्मलेन में भारत के विभिन्न प्रान्तों से बड़ी संख्या में प्रतिनिधिओं ने भाग लिया . दीप प्रज्वलित करके इस सम्मेलन का उद्घाटन सम्पन्न हुआ।

आज के कार्य क्रम की अध्यक्षा राजयोगिनी नलिनी दीदी ने आपना आशीर्वचन इन शब्दों में दिया। आपने कहा कि इस स्थान पर आध्यात्मिकता और भौतिकता का समन्वय है। हम सभी दुनिया में मुसाफिर हैं। मुसाफिरों का घर कहीं और होता है। हम इस रंगमंच पर अपनी अपनी भूमिका का पालन कर रहे हैं। मगर कभी न कभी हमें अपने घर वापस जाना ही है। अपनी भूमिका सम्पन्न करके हम शांत हो जाते हैं। अर्थात मौत का सामना करते हैं। जन्म से मौत तक हमारा सफर जारी रहता है।

अपने अपने कार्य क्षेत्र में हमारे सामने दिक्कतें आती हैं जो हमारी परीक्षा लेती हैं। हमें उनसे जूझना होता है। हम सफलता के लिए शोध करते रहते हैं। उस शोध के लिए एकांत , श्रम ,त्याग ,शांति आदि आदि की आवश्यकता होती है। शोधार्ती कहीं न कहीं तब सफल हुआ जब वे उस अदृश्य सत्ता से जुड़े।
तभी सफलता मिली। जीवन में सफलता के लिए प्रभु का साथ जरूर चाहिए। जीवन का सफर भी उनकी मदद से ही अंजाम तक पहुचेगा।

राजयोगिनी ब्रह्मा कुमारी मीरा दीदी , पोत परिवहन , वैमानिकी और पर्यटन प्रभाग की राष्ट्रीय संयोजिका हैं। उक्त अवसर पर आपने कहा कि यहां पहुचने वाले आप सभी लकी हैं। सम्मलेन का लाभ प्राप्त करें।
पर्यटन अनेक कारणों से समपन्न होता है। इसका लाभ भी काफी होता है। टैगोर के अनुसार पर्यटन से लोगों को असीम लाभ मिलता है। दृष्टिकोण बदल जाता है। दुनिया के लिए मन में प्रेम प्रकट होता है।
हम सभी जन्म से ही यात्री हैं और जीवन यात्रा में आगे बढ़ रहे हैं। अगर हमारा लक्ष्य साफ़ हो तो हम सफल भी होते हैं। सफर में आने वाली चुनौतियां तब समाप्त होती हैं जब हम दृढ़ता और शांति से उनका सामना करते हैं। शांति हमारा अपना चॉइस है। अगर हम शांति को अपनाना चाहे तो आसानी से अपना सकते हैं। अतः शांति के ख़ज़ाने को जरूर साथ लेकर जाएँ।

सतीश सोनी भाई जी , महाराष्ट्र शासन में पर्यटन प्रभाग के निदेशक ने आज उद्घाटन भाषण दिया। आपने कहा कि यहां आने पर एक अलग ही अनुभव होता है। यहां आकर मैंने अपनी प्रतिबद्धता पूरी की। प्रतिबद्धता पूरी करने के बारे में भी मैंने यहां से ही सीखा है। पर्यटन काफी काफी महत्व पूर्ण है। भारत में विदेशी पर्यटकों की संख्या जल्दी ही एक बिलियन होने वाला है। इससे हमारे देश का विकास होगा। सरकारें इसके लिए प्रयास कर रही हैं। पर्यटन को बढ़ाने में स्वच्छता अभियान का बड़ा योगदान है। अपने देश की सेवा के लिए हमें स्वच्छता अभियान को दिल से अपनाना चाहिए।
ब्रह्मा कुमारियाँ ,मानव समुदाय को एक आध्यात्मिक सफर पर लेकर जाती हैं। यह एक विशेष बात है।

दिल्ली विमानपत्तन प्राधिकार के वित्त निदेशक जी डी गुप्ता , ने कहा कि पर्यटन से सम्बद्ध लोग तनाव ग्रस्त होते हैं। ध्यान के अभ्यास से इसमें कमी आयी हैं। ब्रह्मा कुमारिया इस कार्य में निष्णात हैं और तेजी से ध्यान का प्रशिक्षण प्रदान कर रही हैं।

मुम्बई के प्रख्यात पर्यटन आयोजक कमल आर वाधवानी जी ने अपनी शुभ कामनाएं दी। तनाव ग्रस्त लोगों की शांति के लिए यह स्थान स्वर्ग से कम नहीं है। यहां आने से ही जीवन में शांति आती है। ध्यान का अभ्यास सभी को अपनाना ही होगा।

प्रभाग की मुख्यालय संयोजिका राजयोगिनी ब्रह्मा कुमारी सुमन ने आये हुए सभी अतिथियों का हार्दिक स्वागत किया। कहा कि आप सभी यहां आतंरिक शांति की तलाश में आये हैं। यहां आपका समय एक यादगार बनेगा -ऐसा मेरा पूरा विश्वास है। निवेदन है की आप यहां प्रत्येक व्याख्यान सुनें। मिस न करें। सभी व्याख्यान अद्भुत होते हैं। ज्ञान सरोवर -मान सरोवर है जहां जन्म जन्मातर के पाप धुल जाते हैं।

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ओमशान्ति के अर्थ में समा कर शान्ति की अनुभूति करने वाले ही बनेगे देवी-देवता’’- दादी हृदयमोहिनी
 
नई दिल्ली, 25 जुलाईः प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा कल शाम स्थानीय तालकटोरा स्टेडियम में ’’सुखमय भविष्य के लिए महत्वपूर्ण रहस्योद्घाटन’’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें निकट भविष्य में विश्व के महापरिवर्तन के पश्चात स्वर्णिम भारत किसके लिए आयेगा और कौन बनेगा वहां देवी-देवता का रहस्योद्घाटन किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षा ब्रह्माकुमारी संस्था की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका दादी हृदयमोहिनी जी ने अपने आर्शिवचन में कहा कि ओमशान्ति कहने से ही मन शान्त हो जाता है। ओमशान्ति के अर्थ अर्थात इस शरीर को चलाने वाली शक्ति मैं आत्मा हँू और आत्मा का स्वरूप शान्ति है को समझकर इसमें समा जाने से ही जीवन में शान्ति की अनुभूति होगी और जो इस अनुभूति को प्रतिदिन जीवन में प्रत्येक कर्म में अनुभव करेगा वही बनेगा आने वाली स्वर्णिम दुनिया का देवी-देवता।
ब्रह्माकुमारी संस्था के मुख्य प्रवक्ता ब्र0कु0 बृजमोहन जी ने वर्तमान समय को विश्व के महापरिवर्तन का समय बताते हुए कहा कि दुनिया की हर चीज पहले शुरू होती है अथवा नई होती है फिर धीरे धीरे पुरानी होती है और हर चीज की पुराना होने की एक सीमा होती है जिसके पश्चात उसका परिवर्तन होना निश्चित है। उन्होंने कहा जो चीज सदा रहती है वह च्रक के रूप में होती है और उसके दो बिन्दु होते है आपस में संगम के चाहे वह दिन-रात हो, सप्ताह हो, वर्ष हो। इसी प्रकार इस बेहद के नाटक का चक्र है जो नया होने पर सतयुग से लेकर पुराना होकर कलयुग के अन्त पर पहुँच गया है। और वह बिन्दु आ गया है जब पुराने कलयुग का अन्त हो फिर से नये सतयुग की शुरूआत होगी जिसे ही महापरिवर्तन कहा जाता है।
उन्होंने आगे बताया कि बाकी युगों के परिवर्तन में चाहे वह सतयुग से त्रेतायुग हो या त्रेतायुग से द्वापरयुग हो या द्वापरयुग से कलयुग हो नये युग में आने वाले के साथ पुराने युग के भी लोग होते है जिससे आबादी बढ़ती जाती है। परन्तु इस महापरिवर्तन में अर्थात कलयुग से सतयुग के परिवर्तन में केवल वे लोग ही चल सकेगें जो परमात्मा को पहचान कर उससे सम्बन्ध जोड़ेगे क्योकि परमात्मा स्वर्ग का रचयिता है।
उन्होनें कलियुग और सतयुग मंे अन्तर स्पष्ट करते हुए बताया कि कलयुग में किसी भी व्यक्ति के साथ कभी भी  कुछ भी हो सकता है जबकि सतयुग में हर चीज ठीक समय पर ठीक स्थान पर मर्यादा से होती है।