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1 2सुसंस्कृत समाज में कलाकारों की भूमिका’ इस विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन एवं राजयोग रिट्रिट कला एवं संस्कृति प्रभाग तथा ब्रह्माकुमारीज के संयुक्त रीति से माउंट आबू  के ज्ञान सरोवर अकादमी में आयोजित  किया गया.  इस प्रोग्राम की एक कड़ी के रुप मे 7 मई रात 9 से 10 सुप्रसिद्ध भजन सम्राट अनूप जलोटा द्वारा मूल्य आधारित गीतों का कर्यक्रम रखा गया.
इस कार्यक्रम मे हार्मोनि हॉल मे सभी श्रोता मन्त्र मुघ्द हो गये, इस कार्यक्रम का संचालन ज्ञानामृत प्रेस की श्वेता बहन ने किया जो कला एवं संस्कॄति प्रभाग की एक्टिव मेंबर है अंत मे प्रभाग की राष्ट्रीय संयोजिका कुसुम बेन तथा क्षेत्रिय संयोजिका निहाबेन ने जलोटा जी का सन्मान करते हुवे ईश्वरीय सौगत भेट दी ।

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त्याग तपस्या और वैराग्य का दूसरा नाम है साधना और संयम… ब्रह्माकुमारी सरिता दीदी

उज्जैन ५ मई : प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा दत्त अखाड़ा क्षेत्र बडऩगर रोड में आयोजित राजयोग अनुभूति शिविर के दूसरे सत्र में प्रवचनकरते हुए ब्रह्माकुमारी सरिता दीदी ने कहा कि कुम्भ मेले के आयोजन से बहुत ही सुन्दर आध्यात्मिक वातावरण बना हुआ है। चारों ओर शिविरों में भक्ति और ज्ञानकी गंगा बह रही है जिसमें श्रद्घालुगण डुबकी लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पानी में स्नान करने से शरीर की गन्दगी साफ हो जाती है लेकिन मन और संस्कार कीसफाई के लिये ज्ञानयोग के साथ साथ साधना और संयम का सन्तुलन चाहिए।

उन्होंने कहा कि आत्मा अजर,अमर और अविनाशी है। लेकिन वह कर्मों के प्रभाव से न्यारी नहीं है। हर एक आत्मा के साथ पाप और पुण्य का खाता जुड़ाहुआ है। आत्मा की शुद्घि के लिए अपने बुद्घि रूपी बर्तन को दिव्य और पवित्र बनाने की आवश्यकता है। परमात्मा तो है ही परम सत्ता। वह दु:ख सुख से न्यारा है।जन्म मरण के चक्कर में भी वह नहीं आते। उनका नाम है सदा शिव अर्थात् सदैव कल्याणकारी। वे इस मनुष्य सृष्टि रूपी कल्प वृक्ष के बीज स्वरूप हैं। वह धर्म ग्लानिके समय परकाया प्रवेश करके साधारण बूढ़े के शरीर का आधार लेकर अपना सत्य परिचय देते हैं।

उन्होंने कहा कि श्रीमद् भगवद् गीता में स्पष्ट शब्दों में लिखा है कि शिव परमात्मा को अमरनाथ, सोमनाथ, विश्वनाथ के साथ-साथ पापकटेश्वर औरमुक्तेश्वर भी कहते हैं। ज्ञान सागर को मंथन करने की आवश्यकता है। वर्तमान समय पुरूषोत्तम संगम युग में स्वयं परमपिता परमात्मा साधारण बूढ़े तन में प्रवेशकरके प्रजापिता ब्रह्मा के द्वारा सच्ची गीता का ज्ञान दे रहे हैं।

नैतिक पतन सबसे बड़ी समस्या… स्वामी शिवोहम् भारती

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा बडऩगर रोड पर आयोजित सत्यम शिवम सुन्दरम मेले का अवलोकन करने के लिए एक रोटीमहाराज के नाम से मशहूर स्वामी शिवोहम् भारती महाराज पधारे। उनके संस्थान के नाम पर ७५०० करोड़ हस्तलिखित मंत्र संग्रहित करने का अनोखा रिकार्ड दर्ज है।मेला देखने के बाद अपने आशीर्वचन में उन्होंने कहा कि समग्र विश्व में आज नैतिक पतन सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है। ऐसे समय पर दुनिया में नैतिक क्रान्ति कीआवश्यकता है। लोगों के जीवन में सदाचार और सदाहार लाने की जरूरत है। यह तभी सम्भव है जब हमारा जीवन बच्चे की तरह निर्लिप्त और निर्विकार होगा।

उन्होंने मेले की सराहना करते हुए कहा कि परमात्मा सदाशिव हैं। वह सृष्टि के नियंता हैं। उन्हीं के बतलाए मार्ग पर चलकर ब्रह्माकुमारी संस्थान उनकेसन्देशों का प्रचार सारे विश्व में कर रही है।

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हर कर्म ईश्वर को समर्पित होकर करें… ब्रह्माकुमारी सरिता दीदी

उज्जैन ३ मई : प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा सिंहस्थ में दत्त अखाड़ा क्षेत्र बडऩगर रोड में सत्यम शिवम सुन्दरम मेले में आयोजित राजयोग श्वििर में ब्रह्माकुमारी सरिता बहन ने ईश्वरीय महावाक्यों का महत्व बतलाते हुए कहा कि हर कर्म ईश्वर के प्रति समर्पण भाव से करे तो कोई भी पाप कर्म नहीं होगा और कर्म में सफलता भी मिलेगी। उन्होंने कर्मों की गहन गति को स्पष्ट करते हुए कहा कि श्रीमदभगवद्गीता के अनुसार हर कर्म का फल अवश्य मिलता है। आत्मा अपना ही मित्र और अपना ही शत्रु है। आपका मन इसका दर्पण है। एक बार मन आवाज अवश्य देता है कि इस कर्म का फल कैसा होगा। आज कोई धर्मशाला का निर्माण करता है, तो उसको रहने के लिये अच्छे मकान मिल जायेंगे। कोई विद्यालय बनवाता है तो उसको अच्छी बुद्घि प्राप्त होती है। इसी प्रकार यदि कोई स्वास्थ्य सेवाओं में अपना सहयोग देता है तो उसे अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है। यह सभी प्राप्तियाँ एक जन्म के लिए होती हैं। किन्तु वर्तमान संगम युग अर्थात पुरूषोत्तम माह में दान पुण्य करने से उसका लाभ कई गुणा होकर इक्कीस जन्मों के लिए प्राप्त होता है।
ब्रह्माकुमारी सरिता दीदी ने आगे कहा कि भविष्य के बारे में चिन्तन करें, लेकिन चिन्ता नही करें क्योंकि चिन्ता करने से हमारी एकाग्रता कम हो जाती है। चिन्ता करने से सोचने की शक्ति नष्टï होने लगती है। उन्होने चिन्ता और तनाव को आधुनिक जीवन की सबसे भयावह बीमारी बतलाते हुए कहा कि तनाव के कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और हमारा शरीर छोटी-छोटी बीमारियों का सामना करने में भी असमर्थ हो जाता है। वैज्ञानिकों ने अनुसंधान के बाद यह सिद्घ किया है कि जो व्यक्ति बहुत समय तक चिन्ता करता है, धीरे-धीरे उसकी स्मरण शक्ति घटने लगती है।
अपने प्रवचन में उन्होने आगे कहा कि चिन्ता बहुत से मनोरोगों की जनक है। एक सर्वेक्षण के अनुसार हमारे देश में पांच करोड़ लोग चिन्ता की बिमारी से ग्रसित हैं। उन्होने चिन्ता उत्पन्न होने के कारणों की चर्चा करते हुए कहा कि लोगों की यह जिद ही चिन्ता का प्रमुख कारण है कि मैं जो चाहती हूॅं वही होना चाहिए तथा जो मुझे पसन्द नही है वह कार्य कभी कोई न करे।
आज सत्यम शिवम सुन्दरम मेले का अवलोकन करने के लिए कबीरपंथी संत और नेता नारायण प्रसाद जो कि मध्यप्रदेश हस्तशिल्प एवं हाथकरघा विकास निगम के अध्यक्ष भी हैं, मेला स्थल पर पधारे। मेले का अवलोकन करके वह बहुत खुश हुए। बाद में उन्होंने अपना अभिमत व्यक्त करते हुए कहा कि माँ देवी का रूप बनकर जो ब्रह्माकुमारियाँ बहनें चैतन्य देवियों की झाँकी दिखा रही हैं, वइ अनूठा है। मेले में परमात्मा से मिलने का मार्ग दिखाया जा रहा है, इससे लोगों को शान्ति की अनुभूति होगी। प्रदर्शनी बहुत ही शानदार और देखने लायक है। आज ही रामकृष्ण मिशन के स्वामी ओमानन्द जी भी मेला देखने के लिए पधारे थे।

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देवकीनंदन महाराज ने किया सत्यम षिवम सुंदरम मेले का अवलोकन

उज्जैन, 27 अप्रैलः उज्जैन सिंहस्थ महाकुम्भ 2016, के विषाल आयोजन में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी संस्थान द्वारा दत्त अखाड़ा क्षेत्र में बड़नगर रोड पर लगाए गए सत्यम षिवम सुन्दरम मेले का अवलोकन परमपूज्य षांतिदूत श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने ब्रह्माकुमारी मंजू बहन के मार्गदर्षन में किया।
मानव कल्याण और विष्व षांति के लिये अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि ऋशियों की वाणी के अनुसार सर्वे भवन्तु सुखिनः की पद्धति में मानव सेवा ही ईष्वर की सेवा है और जितने आप षांत रहकर षांति के प्रकम्पन्न दूसरों को देंगे वही आपको वापिस मिलेगा। हमें अच्छे संस्कार अपने बच्चों को देना चाहिये। जब अपने जीवन का लक्ष्य ईष्वर की भक्ति के साथ उससे होने वाली प्राप्तियों के प्रति समर्पित भाव होगा तब आपका मन षांत और संतुश्ट रहेगा। आपने अंतर्राश्ट्रीय योग दिवस के संदर्भ में कहा कि हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का ये सुन्दर प्रयास! जो कि भारत आध्यात्म के क्षेत्र में आगे रहा है, और सदैव आगे रहेगा। योग से जब हम स्वस्थ रहेंगे तो ईष्वर भक्ति में भी हमारा मन रमा रहेगा इसी से ईष्वर की प्राप्ति होगी और मन को भी षांति मिलेगी। आपने कहा कि परमात्मा दो नहीं है लेकिन परमात्मा एक ही है, यह तो अपने-अपने देखने का दृश्टिकोण है।
मैं ब्रह्माकुमारीज़ के प्रयास को नमन करता हूं जो इतना प्यार भरा और सुन्दर, आकर्शक सत्यम् षिवम् सुन्दरम् मेले की संरचना की है, मुझे यहां आकर बहुत आनन्द आया। मेरी यह षुभकामना है कि आप प्रगति के पथ पर सतत् आगे बढ़ते रहें और मुझे जब भी अवसर मिलेगा मैं ऐसे आयोजनों में आता रहूंगा और मेरा साथ रहेगा।

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शिमला ( हिमाचल प्रदेश ) —माननीय मुख्यमंत्री श्री वीरभद्र सिंह जी को ईश्वरीय सौगात देते हुए माउंट आबू के ब्रह्माकुमार भगवान् भाई स्थानीय ब्रह्माकुमारी सेवाकेंद्र की बी के सुनीता बहन ,बी के यशपाल चव्हाण भाई

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5 ‘ नवनिर्मित भवन उदघाटन व दिव्य समर्पण समारोह ’
करनाल 3 अप्रैल 2016,
ब्रह्माकुमारीज एक अन्तर्राष्ट्रीय अध्यात्मिक एवं सामाजिक संस्था ही नहीं विचारधारा भी है। यह संस्था समाज को नई राह दिखाने का काम कर रही है। ये उद्गार हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने स्थानीय सेक्टर -12 के हुडा मैदान में प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय करनाल द्वारा आयोजित दिव्य समर्पण समारोह में प्रदेश के कईं राज्यों से आई ब्रह्माकुमारीज और उपस्थित जन समूह को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये। मुख्यमंत्री ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज पूरे विश्व को एकता के सूत्र में बांधने का कार्य कर रही है। इनके द्वारा चलाए गए कार्यो से हमें सीख लेने की जरूरत है।


मुख्यमंत्री ने कहा कि शुद्ध संकल्प ही जीवन में सफलता का मूल मंत्र है। इस प्रकार की व्यवस्था को आगे बढ़ाने में ब्रह्माकुमारीज संस्था का उल्लेखनीय योगदान रहा है। जिन लोगों को ब्रह्माकुमारीज के दिखाए हुए रास्ते पर चलने का अवसर मिलता है वह बड़े सौभाग्यशाली होते है। ब्रह्माकुमारीज की स्थापना सन 1937 में हुई थी और आज इनके केन्द्र विश्व के कईं देशों में चल रहे है। ब्रह्माकुमारीज चरित्र निर्माण, नशामुक्ति सहित अन्य विषयों पर दिन रात काम कर रही है। सामान्य जनता सडक़ों, बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं को प्रगति मानती है, जबकि यह भौतिक चीजों का निर्माण है, व्यक्ति और चरित्र निर्माण सबसे बड़ा निर्माण है। इस कार्य को ब्रह्माकुमारीज बड़ी सफलता के साथ आगे बढ़ा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज महिला सशक्तिकरण, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, स्वच्छता मिशन आदि महत्वपूर्ण अभियानों में बढ़चढक़र भाग ले रही है। इनके केन्द्र हरियाणा के कईं गांवों में चल रहे है, जहां पर शांति, प्रेम और आपसी सद्भावना का संदेश दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा देश अलग-अलग रहन-सहन, खान-पान, विभिन्न वेशभुषाओं वाला देश है। भाषा के आधार पर भारत में बेशक कईं प्रदेश बने हुए है,लेकिन आपसी भाईचारे में भारत हमेशा एक रहा है। उन्होंने कहा कि ब्रह्माकुमारीज माउंट आबू में जो केन्द्र है वो एकता की तस्वीर है, जहां पर पूरी दुनिया के लोग शांति की खोज में आते है और यही संदेश लेकर जाते है कि हम सब भाई-भाई है।
समर्पण समारोह में ब्रह्माकुमारीज मांउट आबू की संयुक्त प्रशासिका आदरणीय राजयोगिनी दादी रतन मोहिनी जी ने कहा कि जब धर्म की अतिग्लानि होती है,तब-तब भगवान गुप्त रूप में आकर समाज को आईना दिखाने का काम करता है और वर्तमान में यह हो भी रहा है,इसके लिए दूर दर्शिता की जरूरत है। अपनी अभिव्यक्ति में उन्होंने कहा कि जिस तरह से जीवन में पढ़ाई को अमूल्य मानते है और उसे आजीविका का साधन बनाते है,उसी तरह समाज की सभ्य सरंचना और व्यक्तित्व के नवनिर्माण में अध्यात्मिक संस्थाओं का उल्लेखनीय योगदान रहता है।
समारोह में अनन्य अतिथि के तौर पर आये पिछड़ी जाति राष्ट्रीय आयोग भारत सरकार के चेयरमैन भ्राता न्यायमूर्ति वी.ईश्वरैय्या जी ने कहा कि करनाल में ब्रह्माकुमारीज द्वारा आयोजित ऐसा पर्व उन्होंने कहीं नहीं देखा है। ब्रह्माकुमारीज बनना आसान काम नहीं है, इसके लिए स्थिर उद्देश्य को मद्द्ेनजर रखते हुए दृढ़ विश्वास के साथ संकल्प लेने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जैसे देवी परिवार हरियाणा में है ऐसे पूरे देश में नहीं है। उन्होंने कहा कि भाईचारे का वातावरण पैदा हो,इसके लिए ब्रह्माकुमारीज को गांव-गांव में अपने केन्द्र खोलने चाहिए ताकि सामाजिक बुराईयों को खत्म किया जा सके।
समारोह में मुख्य संसदीय सचिव बख्शीश सिंह विर्क ने कहा कि वर्तमान समय में जिस भी व्यक्ति को शांति चाहिए उसे माउंट आबू जैसी अध्यात्मिक जगह में अवश्य घूम कर आना चाहिए। उन्होंने कहा कि शांति पैसों से नहीं मिलती बल्कि परमात्मा के आशीर्वाद से मिलती है।
इस अवसर पर हैफेड़ के चेयरमैन व घरौंडा के विधायक हरविन्द्र कल्याण ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज के कार्यक्रम पूरे भारतवर्ष में चल रहे है,यह श्रेष्ठ व्यक्तित्व के निर्माण के लिए कार्य कर रही है। कार्यक्रम में नीलोखेड़ी के विधायक व बीजेपी के जिलाध्यक्ष भगवानदास कबीरपंथी ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज पूरे विश्व में जीने की राह सिखाने का काम कर रही है तथा भटके हुए लोगों को सही रास्ता दिखा रही है। उन्होंने कहा कि मांउट आबू धरती का स्वर्ग के समान है|
इस अवसर पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय करनाल द्वारा मुख्यमंत्री को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित भी किया गया। समारोह में चंडीगढ़ के जय गोपाल लुथरा और दिल्ली के वैशाली ग्रुप ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये। कार्यक्रम में मंच का संचालन स्थानीय सेवाकेन्द्र प्रभारी बीके प्रेम दीदी ने किया।
इस मौके पर पंजाब जोन ब्रह्माकुमारीज के निदेशक भ्राता अमीर चंद जी , मांउट आबू ब्रह्माकुमारीज के कार्यकारी सचिव भ्राता मृत्युजंय जी, माउंट आबू के फाउंडर व मैनेजर भ्राता भोपाल जी के अलावा मुख्यमंत्री के ओएसडी अमरेन्द्र सिंह, नगर निगम की मेयर रेनू बाला गुप्ता, उपायुक्त डा.जे.गणेशन ज्योति इंटरप्राईजिज तरावड़ी के एमडी अनिल कुमार गुप्ता उपस्थित थे।
दिव्य समर्पण समारोह के अवसर पर करनाल की रहने वाली पांच कन्यायों ने विश्व सेवा में अपने आपको दिव्य समर्पित किया।

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प्रेस विज्ञप्ति
केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने दितीय ‘विश्व योग दिवस’ हेतु अंतरराष्ट्रीय योग अभियान का सुभारम्भ किया
‘योग किसी धर्म के विरासत नहीं लेकिन समग्र मानवता के कल्याण के लिए एक विज्ञानं है’– श्री श्रीपद नायक
‘राजयोग एक सकारात्मक सोच, अनुभव एवं स्वस्थ जीवन प्रणाली हैं’ — ब्रह्मा कुमारी शिवानी
नईदिल्ली, २० अप्रैल : पिछले वर्ष हुई प्रथम ‘विश्व योग दिवस’ के अदभुत सफलता के बाद भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने आगामी दितीय ‘विश्व योग दिवस’ को समग्र संसार में अधिक लोकप्रिय वनाने हेतु आज स्थानीय तालकटोरा स्टेडियम में एक त्रिदिवसीय अंतरराष्ट्रीय योग उत्सव का आयोजन किया और २१ जून तक विश्व भर में चलनेवाली योग अभियान का सुभारम्भ किया।
इस त्रि दिवसीय अंतरराष्ट्रीय योग उत्सव में विभिर्न प्रतिष्ठित सरकारी एवं गेर सरकारी योग संसथान , संगठन और शैक्षणिक संस्थाओं जैसे की मर्जी देसाई नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ योग, आर्ट ऑफ़ लिविंग, ईशा फाउंडेशन, श्री औरोबिन्दो आश्रम, पतंजलि योग पीठ, प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय आदि शामिल हैंI
इस उत्सव में योग संसथान के योग मास्टर्स के द्वारा सत्संग, योग और राजयोग मैडिटेशन, योग डेमोंस्ट्रेशन, विकलांगों के द्वारा योग, म्यूजिक मैडिटेशन, क्विज कम्पैशन, सेमिनार, राजयोग प्रवचन, कार्यशालाएं, पोस्टर प्रेजेंटेशन एवं प्रदर्शनी, सांस्कृतिक कार्यक्रम और फ़ूड स्टाल्स आदि होंगे I
मुख्य अतिथि के रूप में उत्सव का सुभारम्भ करते हुए आयुष मंत्रालय के मंत्री श्री श्रीपद येस्सो नायक ने कहा की योग किसी धर्म के विरासत नहीं लेकिन समग्र मानवता के कल्याण, सर्वांगीण स्वास्थय, शांति, सुख एवं समृद्धि के लिए एक विज्ञानं है, एक सकारत्मक, स्वस्थ और सरल जीवन शैली है। उन्होंने कहा की योग केवल आसन-प्राणायाम आदि हाथ योग का नाम नहीं बल्कि यह साधक की मानसिक, नैतिक, भावनात्मक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक विकास केलिए हैं।
उन्होंने कहा की आज की प्रतिस्पर्धा और ऊंच तकनीक युग की तनावयुक्त एवं अस्वस्थ वातावरण में मानव समाज केलिए योग एक उत्कृस्ट रोगप्रतिरोधक तथा उपचारक जीवन प्रक्रिया हैं जो की सभी जाती, धर्म, वर्ग, श्रेणी एवं राष्ट्रों के लोगों केलिए उपयोगी हैं।
उन्होंने कहा की इस विश्व व्यापी योग अभियान को केवल एक सरकारी परियोजना न समझ कर इसे पुरे मानवता केलिए एक सार्वजानिक मार्ग समझना होगा और इसे प्रत्येक घर, परिवार, कार्यक्षेत्र, स्कूल, कॉलेज एवं संगठन आदि में अपनाना होगा।
उद्घाटन सत्र के मुख्य आकर्षण प्रशिद्ध प्रेरणादायी वक्ता ब्रह्मा कुमारी शिवानी ने कहा की योग यानि राजयोग एक सकारात्मक सोच, अनुभव एवं स्वस्थ जीवन प्रणाली है। उन्होंने कहा कि राजयोगी के सकारात्मक सोच एक शक्तिशाली ऊर्जा के रूप में अपने शरीर, मन, दूसरे लोग, पर्यावरण और प्रकृति के ऊपर स्वस्थ और सुखदायी प्रभाव डालती है, संबंधों में मधुरता, एकता, सदभावना, सहयोग और समरसता लती है।
उन्होंने कहा कि इन सभी संबधों में सन्तुलंता और उत्कृष्ता का आधार मनुष्य आत्मा का परमात्मा के साथ मन-बुद्धि से स्नेह युक्त सम्बन्ध या संयोग, जिसे राजयोग कहा जाता है I और जिसकी नियमित अभ्यास से न केवल हमारे चिंतन, चरित्र, संस्कार और आचरण पवित्र, सभ्य, श्रेष्ठ और दैवी बनजाता है, अपितु हमारे सकारात्मक परिवर्तन के आधार पर समस्त समाज, पर्यावरण, प्रकृति, संस्कृति और सव्यता भी दैवी, सतोगुणी, सुखदाई और सतयुगी बन जाती है।
अन्य विशिस्ट सम्मानीय अतिथिगण जिनोहने उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए योग को हठ योग के दायरा से ऊपर एक बहुआयामी सर्वागीण स्वास्थय एवं सन्तुलंता प्रदायक पद्धति के रूप में प्रस्तुत किया वे आयुष मंत्रालय के सचिव अजित शरण, मोराजी देसाई इंस्टिट्यूट ऑफ़ योग के निर्देशक डॉ आई. बी. वसवरड्डी, गायत्री पीठ के डॉ चिन्मय पंड्या, परमार्थ निकेतन के साध्वी सरस्वती भगवती, आर्ट ऑफ़ लिविंग के श्रीमती कमलेश, स्वामी जयदीप ऑफ़ पतंजलि पीठ आदि आदि थे ।
सायं कालीन सत्र में विभिर्न योग शिक्षकों ने अपने अपने योग पद्धति के वारे में लोगों को अवगत कराया। विकलांग वर्ग के लोगों ने अपने ढंग से योगासन प्रदर्शित किया। ब्र्ह्मा कुमारी संस्था की निर्देशिका बी के आशा राजयोग मैडिटेशन के परिभाषा और बहुयामी उपयोगिता के वारे में लोगों को अवगत कराए तथा सामूहिक राजयोग की अभ्यास और अनुभूति कराए। अंत में योग और स्वास्थय सम्बंधित सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुआ।
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