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सकारात्मक वैचारिक परिवर्तन जलवों को जन्म देते हैं : राजयोगिनी आशा दीदी
माउंट आबू (ज्ञान सरोवर), 9 जुलाई 2019
 
आज ज्ञान सरोवर स्थित हार्मनी हॉल में ब्रह्माकुमारीज एवं आर ई आर एफ की भगिनी संस्था, “प्रशासक सेवा प्रभाग” के संयुक्त तत्वावधान में एक अखिल भारतीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन का विषय था ‘बेहतर प्रशासन के लिए वैचारिक प्रक्रिया का नवीनीकरण’. इस सम्मेलन में देश तथा नेपाल के सैकड़ों प्रतिनिधिओं ने भाग लिया। दीप प्रज्वलन के द्वारा सम्मेलन का उद्घाटन सम्पन्न हुआ।
 
प्रशासक सेवा प्रभाग की अध्यक्षा राजयोगिनी आशा दीदी ने अपना अध्यक्षीय  विचार रखा।  आपने कहा कि वैचारिक परिवर्तन के अनेक जलवे मैंने देखे हैं। आपने अनड्रेकेलिस का उदाहरण दिया।  एक हिंसक शेर भी अपनी हिंसा का परित्याग कर देता है, अगर उसके साथ भी सहानुभूति  दिखाई गयी हो।  दबाव से कोई कार्य सफल नहीं होता।  बल्कि अगर आप किसी को सशक्त कर दें तो वह अपना कार्य सफलता पूर्वक करता रहता है।  सेवा भाव से हम सभी का जीवन बदल सकते हैं।  एक बार वैचारिक बदलाव लाने पर दुनिया बदल जाती है।  राजयोग का अभ्यास वैचारिक बदलाव लाने में सफल है।  प्रशासकों के लिए यह अनिवार्य है।  
 
ब्रह्माकुमारीज़ के अतिरिक्त महा सचिव राजयोगी बृजमोहन भाई ने सम्मेलन के विषय की भावना को प्रकट किया।  आपने कहा कि हम आज तक जिस प्रकार से कोई  कार्य करते रहे हैं, अगर आगे भी वैसे ही करते रहेंगे तो हमें परिणाम भी वही प्राप्त होंगे जैसे आज तक प्राप्त होते रहे हैं।  अर्थात बेहतर परिणाम के लिए कुछ नवीनीकरण जरूरी है।  दुनिया में सभी को ख़ुशी, प्रेम और आनंद चाहिए।  अतः सभी को वैसा ही कार्य करना होगा जिसके परिणाम स्वरुप उनको ख़ुशी और प्रेम मिले। अगर सारा दिन बीत जाने के पश्चात हम अपनी झोली को खाली पाते हैं, तो समझना होगा की हमारी कार्य प्रणाली दोष युक्त है।  स्वयं को प्रशासक के बजाय अगर सेवक मानकर कार्य सम्पादन करेंगे तो काफी सुन्दर परिणाम प्राप्त होंगे। दुनिया का सबसे बड़ा सेवक है परमात्मा जो सभी को देता ही जाता है। अगर मन में सभी को कुछ न कुछ देने की भावना पैदा की जाए तो प्रशासन राम राज्य समान हो जायेगा।अगर यह इतना आसान भी नहीं है।  इसके लिए सभी को अपना ही परिवार मान करना होगा।  आत्मिक नाते से हम सभी एक ही परिवार के भाती हैं और परमात्मा हमारा पिता है।  यही वैचारिक बदलाव प्रशासन को सुधारेगा।
 
भा प्र सेवा के सेवा निवृत पदाधिकारी और आगरा लेबर कोर्ट के प्रेजाइडिंग अफसर सीताराम मीणा ने कहा कि  हम सभी को परम्परा से अलग अनेक कदम लेने पड़ते हैं  समाज के कल्याण के लिए।  शांति सम्मेलनों में सभी धर्मों के लोग मिलते हैं। भाई भाई के नारे लगाए जाते हैं।  मगर यह सब ऊपरी होता है।  भाई भाई की भावना का मन में उदय तब होता है जब हम सभी खुद को एक अजर अमर आत्मा जानते और मानते हैं।  सभी परमात्मा  की ही संतान  हैं,यह भावना ही मन में भाई भाई का भाव लाती है।  यही है वैचारिक बदलाव। तब प्रशासन उत्तम बन जाता है। 
 
ओडिसा लोकायुक्त सदस्य डॉक्टर देवव्रत स्वाईं मुख्य अतिथि के बतौर बताया कि इस सम्मेलन में उपस्थित होना उनका बड़ा भाग्य है। आपने कहा कि आप ४० से भी अधिक वर्षों से इस संस्थान के विद्यार्थी रहे हैं।  इसकी शिक्षाओं का उनपर ऐसा प्रभाव रहा की भारतीय वन सेवा की सफलता के बाद उनको उनके महत्वपूर्ण पदों पर कार्य करने का अवसर मिला और उन्होंने पूरी पूरी ईमानदारी से उनका निर्वाहन किया। अनेक व्यसनियों को व्यसन मुक्त करवाया।  आपने कहा कि  विज्ञान और आध्यात्म एक ही सिक्के को दो पहलू हैं और दोनों एक दूसरे के पूरक हैं. विज्ञान का विद्यार्थी होने के कारण उनको आध्यात्मिक होने में सहूलियत हुई।
 
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय में संयुक्त सचिव रोशन जग्गी ने विशिष्ठ अतिथि के रूप में अपनी भावना रखी। आपने बताया की प्रशासक आम जनता से जुड़े होते हैं।  अगर उनके मन में जनता के कल्याण का भाव रहता है तो प्रशासन सुन्दर बनता है।  आपने प्रधानमंत्री मोदी जी का उदाहरण दिया और बताया कि वे सभी प्रशासकों को सदैव प्रेरणा देते हैं की अगर किसी कार्य को दस तरीकों से किया जाता है तो भी वहाँ सदैव इस बात की संभावना होती है कि इन सभी से बेहतर कोई ग्यारहवां तरीका भी जरूर होगा।  उस तरीको ढूंढने का प्रयत्न होना चाहिए और प्रशासन को काफी बढ़िया बनाना चाहिए।  ध्यान के अभ्यास से मनुष्य की वैचारिक प्रक्रिया बदलेगी और उनका वयक्तित्व भी बदलेगा।  

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पूर्ण अटेंशन मगर बिना टेंशन के समाज सेवा का कार्य करते चलें : राजयोगिनी दादी जानकी जी

माउंट आबू (ज्ञान सरोवर), १ जुलाई २०१९। आज ज्ञान सरोवर स्थित हार्मनी हॉल में ब्रह्माकुमारीज एवं आर ई आर एफ की भगिनी संस्था, “समाज सेवा प्रभाग” के संयुक्त तत्वावधान में एक अखिल भारतीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन का विषय था ‘सुखी जीवन और स्वस्थ समाज’. इस सम्मेलन में देश के सैकड़ों समाज सेवा प्रतिनिधियों ने भाग लिया। दीप प्रज्वलन के द्वारा सम्मेलन का उद्घाटन सम्पन्न हुआ।

ब्रह्मकुमारीज की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी जानकी ने आज के सम्मेलन को अपना आशीर्वाद दिया। कहा, दिल और जान से आप सभी सेवा कर रहे हैं। क्यों और क्या का भाव ठीक नहीं होता। हमेशा वाह वाह कहते रहो। अंदर ही अंदर ख़ुशी से शुभ भावना से लोगों की सेवा करते रहो। बिना टेंशन के सेवा करों। सेवा में पूरा अटेंशन देना होगा। निम्मित भाव रखो – निर्माणता को धारण करके सेवा करो। मन में चिंता नहीं – निश्चिंत रहकर सेवा से कदम कदम पर सफलता मिलती रहेगी। चलाने वाला चला रहा है – यह निश्चय रहे।

नेपाल के पूर्व प्रधान मंत्री बिजयकुमार गच्छदार ने भी मुख्य अतिथि के रूप में अपने उदगार रखे। आपने कहा कि अभी अभी मुझे इस स्थान पर परम शांति की अनुभूति हो रही है। ज्ञान सरोवर के इस स्थल पर आने में मुझे थोड़ी देर तो हुई है मगर मैं यहां आ पाया हूँ इसकी मुझे काफी प्रसन्नता है। अगर मैं यहाँ नहीं आया होता तो मेरा जीवन सूखा ही रह जाता। यहां ज्ञान विज्ञान की धारा बह रही है। आज समाज में विकृति पैदा हो गयी है। खासकर के नेपाल में। बुद्ध के देश में आज हालात ख़राब हैं। शिव बाबा के सन्देश को जीवन में धारण करने की जरूरत है। शिव बाबा ही सभी का कल्याण कर पाएंगे। शिवा बाबा की शिक्षाएं वहाँ हर तरफ पहुंच चुकी है।

समाज सेवा प्रभाग की अध्यक्षा राजयोगिनी संतोष दीदी ने अपना अध्यक्षीय सम्भाषण प्रस्तुत किया। आपने कहा आज का दिन बड़ी ख़ुशी का दिन है। दादी जी के यहां आते ही ख़ुशी की लहर हर तरफ छा गयी है। दादी जी की देखकर ही हम सभी काफी कुछ सीखते रहते हैं। १०३ की उम्र में भी दादी आज भी सेवा कर रही हैं। ख़ुशी बांटने से बढ़ती रहती है। हमारे विचार अगर पवित्र हैं और श्रेष्ठ हैं तो माहौल भी वैसा ही बन जाता है। निःस्वार्थ सेवा से सभी को ख़ुशी मिलती है। अतः सभी समाज सेवियों को निःस्वार्थ सेवा करनी चाहिए। निःस्वार्थ बनने के लिए शिव बाबा की याद अर्थात शिव बाबा का ध्यान करना है। राजयोग से ही सभी समाधान प्राप्त हो जायेगा। हम सभी को मिल कर समाज की सेवा करनी चाहिए, उससे सफलता तेजी से मिलेगी।

समाज सेवा प्रभाग के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजयोगी अमीर चंद भाई ने कहा कि लोग कहते हैं कि जब स्वस्थ समाज होगा तो ख़ुशी होगी। मगर यह तो एक परम्परागत मान्यता है। हमें शिव बाबा ने सिखाया है की पहले मन में ख़ुशी होनी चाहिए तब परिवार और समाज सब खुश हो जाएंगे और स्वस्थ हो जाएंगे। मानसिक शांति के लिए यह जानना की हमारा परम पिता कौन है और हम उनसे कैसे अपना संपर्क कायम कर सकते हैं, यह अनिवार्य है। ईश्वरीय सम्पर्क से समाधान निकल जायेगा।

समाज सेवा प्रभाग के राष्ट्रीय संयोजक ब्रह्मा कुमार प्रेम भाई ने पधारे हुए अतिथियों का स्वागत इन शब्दों में किया। आपने कहा कि आज की दुनिया में सुखी जीवन और स्वस्थ समाज की कल्पना करना दिवा स्वप्न लगता है। परन्तु परम पिता परमात्मा में यह शक्ति है की वे निराशा में आशा का संचार कर दें। परमात्मा आकर पवित्र शृष्टि की स्थापना कर रहे हैं।

नेपाल में ईश्वरीय सेवाओं की प्रभारी राजयोगिनी राज दीदी ने भी अपने उदगार प्रकट किये। कहा कि नेपाल में भी ईश्वरीय सेवाओं की धूम है। हर तरफ ईश्वरीय सेवा की जा रही हैं। सभी ओम शांति का उच्चारण करके खुश होते रहते हैं। अधिकांश लोगों ने शिव बाबा का सन्देश जीवन में अपनाया है।

रोटरी गवर्नर डॉक्टर नलिनी जी ने भी अपने उदगार रखे। कहा, शायद हमारा संस्कार देवी देवताओं के जीवन की पवित्रता को ढूंढ रहा है। ढूंढ नहीं पा रहा है। हम समाज सेविओं का ममत्व हमारे आड़े आ गया है। हम कर्म के बजाय दूसरों के धर्म पर प्रहार कर रहे हैं। ब्रह्माकुमारीज़ की शिक्षाएं हमें मार्ग दर्शन दे सकती हैं। आज दुनिया में आध्यात्म के लिए ब्रह्मकुमारीस से बेहतर कोई संस्था नहीं है।

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मीडिया प्रभाग द्वारा ज्ञानसरोवर माउंट आबू में आयोजित 3 दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्गाटन

प्रेस रिलीज़ -१

माउंट आबू 13 जून : ब्रह्माकुमारीज के मीडिया प्रभाग द्वारा ज्ञानसरोवर आबू पर्वत में आयोजित 5 दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधन करते हुए माखन लाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय में पत्रकारिता विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. कमल दीक्षित ने कहा कि पिछले दशक में भौतिक परिवर्तनों के कारण सुख साधन तो बढे लेकिन मनुष्य की संतुष्टिता में कमी आई है। इन परिस्थितियों में पूर्व राष्ट्रपति डा. अब्दुल कलाम के आदर्श प्रेरणास्रोत बन सकते हैं। ेेजिन्होंने मानवता की गरिमा को शिखर तक ले जाने का प्रयास किया था। यह उनके आध्यात्मिकता से जुडे होने के कारण ही संभव हुआ।

प्रो. दीक्षित ने कहा कि अतीत में विकारों व बुराईयों को समाप्त करने की जितनी कोशिश की गई उतना ही उनका अधिक प्रसार हुआ। हमें यह मानना होगा कि आध्यात्मिकता अंतर्मन को शुभ कार्यों के लिये प्रेरित करती है। गुरूकुल शिक्षा प्रणाली अपनाते हुए मनुष्य के हृदय में ऐसी भावना जाग्रत करने की आवश्यकता है, जिससे समाज परिवर्तन के लक्ष्य से सभी वर्ग जुड जायें। यह तभी संभव होगा जब मीडिया मनुष्यता व मानवता के लिये अपने सकारात्मक प्रयासों को और अधिक गति प्रदान करेगा। हमें नई आकांक्षाओं एवम संकल्पों के साथ आगे बढना होगा।

मधुरवाणी गु्रप द्वारा स्वागत गान एवम चंडीगढ की कुमारी सिमोनी द्वारा स्वागत नृत्य से प्रारंभ किये गये उदघाटन सत्र में मीडिया प्रभाग के अध्यक्ष करूणा भाई ने कहा कि मीडिया ने स्वर्णिम भारत की सरंचना में बहुमूल्य योगदान दिया है। यदि हम देश को पहले और धर्म को बाद में रखेंगे और अपना मनोबल मजबूत करते हुए जनहित को सर्वोपरि मानेंगे तो पूरा विश्व एक परिवार बने, इस लक्ष्य को प्राप्त करने में आसानी रहेगी। आध्यात्मिक शक्ति हमें संकट से उभारने का माध्यम बनती है। भारत को विश्व गुरू का दर्जा दिलाने के अभियान में हम सनातन संस्कृति को फिर से प्रतिष्ठित करने का प्रयास करें।

दीप जलाकर किये गये विधिवत उदघाटन के बाद राजस्थान विश्वविद्यालय में दूर संचार विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष संजीव भानावत ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज संस्था ने समाज के उत्थान में जो कीर्तिमान स्थापित किये हैं उन्हें देखकर कहा जा सकता है कि सकारात्मक चिंतन से विश्व परिवर्तन का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति इस बात को स्वीकार कर चुके हैं कि जो कार्य सरकार नहीं कर सकती वह इस संस्था ने कर दिखाये हैं। हमें इस बात का गर्व है कि अब भी अनेक पत्रकार सकारात्मक चिंतन के सहारे समाजिक सरोकारों के प्रति वचनबद्धता पर कायम हैं। लोकतंत्र के ढांचे में प्रदूषण व शोषण के विरूद्ध लेखनी अब भी नहीं झुकती। हमारा कर्तव्य है कि विचारवान व सूझवान नागरिक तैयार करें।

शिव अनादि कला साधना केन्द्र इंदौर के कलाकारों द्वारा शुभ दिन आयो रे गीत पर प्रस्तुत शानदार सामूहिक नृत्य से सजे इस कार्यक्रम में देहरादून से आये पत्रकार शैलेन्द्र सक्सेना और दिल्ली से आये दिनेश तिवारी ने कहा कि हमें स्वयं को पहचानना होगा। यदि हम चिंतन व मंथन करेंगे तो निस्संदेह समाजिक रूपांतरण में आध्यात्मिकता के बल पर सफल होंगे। कार्यक्रम को मीडिया प्रभाग के उपाध्यक्ष आत्मप्रकाश भाई व ज्ञान सरोवर निदेशिका डा. निर्मला ने भी संबोधन किया।

कैप्शन: मीडिया सम्मेलन का दीप जलाकर उदघाटन करते गणमान्य, नृत्य प्रस्तुत करते कलाकार

प्रेस रिलीज़ -२
आध्यात्मिकता की समानुपाती है श्रेष्ठ आचरण : राजयोगिनी निर्मला दीदी जी।
आबू पर्वत ( ज्ञान सरोवर ), १३ जून २०१९।

आज ज्ञान सरोवर स्थित हार्मनी हॉल में ब्रह्माकुमारीज एवं आर ई आर एफ की भगिनी संस्था, ” मीडिया प्रभाग ” के संयुक्त तत्वावधान में एक अखिल भारतीय मीडिया सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन का विषय था ‘ मीडिया ,अध्यात्म और रूपांतरण ‘. इस सम्मेलन में देश के सैकड़ों मीडिया प्रभारियों और कर्मियों ने भाग लिया। दीप प्रज्वलन के द्वारा सम्मेलन का उद्घाटन सम्पन्न हुआ।

ज्ञान सरोवर अकादमी की निदेशक राजयोगिनी निर्मला दीदी जी ने सम्मेलन का अध्यक्षीय उद्बोधन प्रस्तुत किया। दीदी जी ने कहा कि विज्ञान ने सुख के अनेक साधन दिए हैं। चमत्कार जैसा कर दिया है। फिर भी लोग सुख शांति के लिए भटक रहे हैं।

कौन लाएगा सुख और शांति जीवन में? मीडिया के लोग सभी को प्रभावित कर सकते हैं। मीडिया से लोग काफी नकारात्मक बातें तो सीखते हैं। उसी प्रकार सकारात्मकता भी मीडिया के माध्यम से सिखाई जा सकती है। आध्यात्मिकता हमें मूल्यवान बनाती है। जीवन में नैतिकता लाती है। जितना आध्यात्मिक ज्ञान होगा – आचरण श्रेष्ठ होगा। श्रेष्ठ आचरण से सामाजिक रूपांतरण संभव हो जायेगा।

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आबू पर्वत ( ज्ञान सरोवर ), ३ जून २०१९। आज ज्ञान सरोवर स्थित हार्मनी हॉल में ब्रह्माकुमारीज एवं आर ई आर एफ की भगिनी संस्था, ” कृषि और ग्राम विकास प्रभाग ” के संयुक्त तत्वावधान में एक अखिल भारतीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन का विषय था ‘स्वर्णिम भारत का आधार, टिकाऊ यौगिक खेती ‘. इस सम्मेलन में देश के सैकड़ों कृषकों और कृषि वैज्ञानिकों ने भाग लिया। दीप प्रज्वलन के द्वारा सम्मेलन का उद्घाटन सम्पन्न हुआ।
ज्ञान सरोवर की निदेशक डॉक्टर निर्मला दीदी ने अपना आशीर्वचन सभा को दिया। आपने बताया की यौगिक खेती से प्राप्त फसल हर मायने में बेहतर होता है। उससे मन बुद्धि श्रेष्ठ बनती है। आप सभी को पता है की मन पर अन्न का काफी असर होता है। यौगिक विधि से प्राप्त अन्न हमारी बुद्धि को पॉजिटिव बनाता है। इस पाजिटिविटी को अपनाने के लिए रजयोगा सीखना अनिवार्य है। आप अपने तीन दिनों के प्रवास में यहां राजयोग सीखेंगे और यौगिक खेती कर पाएंगे।
कृषि और ग्राम विकास प्रभाग की अध्यक्षा रजयोगिनी सरला दीदी ने अपना अध्यक्षीय भाषण प्रस्तुत किया। आपने सभी वक्ताओं के वक्तव्यों की मीमांशा की और बताया की उन सभी ने प्रकारांतर से यही स्थापित किया की प्राचीन भारत में यौगिक खेती ही आधार थी हर प्रकार की सम्पन्नता की , श्रेष्ठ्ता की। आज के भारत की भी यही पुकार है। यौगिक खेती को अपनाना ही होगा। युवाओं को नौकरी की पीछे भागने के बजाये यौगिक खेती अपना चाहिए। शुद्ध अनाज और भोजन के लिए दुनिया तरस रही है। यौगिक खेती वह सब दे सकता है। अतः आने वाले तीन दिनों में आप सभी राजयोग सीखें और यौगिक खेती को अपनाएं।
डॉक्टर पी के खोसला ,कुलपति , शूलिनी विश्वविद्यालय , सोलन ने मुख्य अतिथि के रूप में अपने उदगार प्रकट किये। आपने कहा कि मैं यहां आकर खुद को भाग्य शाली समझ रहा हूँ। वक्ताओं ने श्रेष्ठ विचार रखे हैं। मैं यह जोड़ना चाहता हूँ कि हमारे पास मात्र धन ही अकूत नहीं था बल्कि विद्या भी थी – सर्वोच्च विद्या थी। आज से २७०० वर्ष पहले तक्षशिला विश्वविद्यालय भारत में था। नालंदा विश्व विद्यालय भी था। आज हम मूल्यहीन होकर निम्न हो गए हैं। मैं यह मानता हूँ की प्राचीन भारत में जरूर यौगिक खेती होती होगी। मानव मन पर योग का असर पड़ता है – यह पक्की बात है। योग हमें श्रेष्ठ बनाता है। हमारे विचार अच्छे बनते हैं। उसी प्रकार योग से उत्तम खेती प्राप्त की जा सकती है। यौगिक खेती के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है विकास का।
डॉक्टर प्रताप मिड्ढा , ग्लोबल अस्पताल के अधीक्षक ने भी अपना विचार रखा। आपने कहा की हम सभी सत्य को पहचानने का प्रयत्न करते रहते हैं। यौगिक खेती के सत्य को भी पहचाना होगा। जब हमारे विचारों में परिवर्तन आता है तभी सकारात्मक बदलाव आता है। हमें किसी भी बात के समाधन के लिए उसकी गहराई में जाने की जरूरत होती है। आत्मिक भान में आने से ही हम दैविक बनेंगे और उदारता अपना कर स्थिति को बदल डालेंगे। खेती के लिए यौगिक विधि को अपनाना अनिवार्य है। योग से सकारात्मकता धारण कर खेती को श्रेष्ठ बनाया जा सकता है।
कृषि और ग्राम विकास प्रभाग के उपाध्यक्ष बी के राजू भाई ने आये हुए अतिथियों का स्वागत किया। आपने पधारे हुए सभी अतिथियों से विशेष रूप से अनुरोध किया कि आप सभी यहां की आध्यात्मिक तरंगों को गहराई से महसूस करने की कोशिश अवश्य करें।
ब्रह्माकुमार बद्री विशाल तिवारी , सहायक निदेशक , कृषि मंत्रालय , उत्तर प्रदेश शासन ने आज के अवसर पर अपना विचार रखा। आपने सभी से कहा की यौगिक खेती ही स्वर्णिम भारत का आधार है। आपने पावर पॉइंट के द्वारा प्राचीन भारतीय कृषि के विभिन्न आयाम सामने रखे और प्रमाणित किया की वास्तव में स्वर्णिम भारत का आधार यौगिक खेती ही था। आपने समझाया कि प्राचीन भारत में जैविक खेती होती थी , यौगिक खेती होती थी। उस समय सभी कुछ काफी सुन्दर था। मगर आज , बड़े पैमाने पर रसायन का प्रयोग करके हमने भूमि को बर्बाद कर डाला है और उसकी सारी शक्तियों को नष्ट कर दिया है। जब भूमि बीमार होती है तब मनुष्य भी बीमार हो जाता है। अतः समाधान के लिए जैविक और यौगिक खेती को अपनाना होगा।
कृषि और ग्राम विकास प्रभाग की राष्ट्रीय संयोजक ,राजयोगिनी सुनंदा बहन ने आज का मुख्य वक्तव्य प्रस्तुत किया। कहा कि सम्मेलन स्थल ज्ञान सरोवर के अंदर हर प्रकार की सात्विकता , ज्ञान , पवित्रता और प्रेम ,सहयोग के आधार मनुष्यता की सेवा हो रही है और उसमें सफलता प्राप्त हो रही है। उसी प्रकार से यौगिक खेती से हमारा संसार सुधर जाएगा , योग का आधार अर्थात सकारत्मक चिंतन के माध्यम से खेती करने पर फसल काफी उत्तम प्राप्त होता है। यौगिक खेती करने वाले लोगों में तन ,मन ,जन और स्वास्थ्य का काफी उत्थान देखा गया है।

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The theme for the year 2019-20 ‘God’s Power for Golden Age’was launched at Brahma Kumaris HQ, Shantivan Campus on Saturday, 25th May 2019 at 6.30 pm in our magnificent Diamond Hall. It was launched by the First Lokpal of India, Hon’ble Justice Mr Pinaki Chandra Ghose.

नैतिकता और ईमानदारी मनुष्य की असली निधि, इससे समाज में सुधार सम्भव-घोष डायमंड हॉल में परमात्म ज्ञान से नया युग विषय की भव्य लांचिंग

आबू रोड, 26 मई, निसं। समाज की जड़ में यदि भ्रष्टाचार का दीमक लगा है तो इससे समाज की तरक्की कभी नहीं होगी। बल्कि लगातार खोखला होता जायेगा। नैतिकता और ईमानदारी यदि समाज में आ जाये तो निश्चित तौर पर समाज में सुधार सम्भव है। उक्त उदगार देश के पहले लोकपाल पिनाकी चन्द्र घोष ने व्यक्त किये। वे ब्रह्माकुमारीज संस्था के शांतिवन में आयोजित वार्षिक थीम की लांचिंग कार्यक्रम पर में बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि जहॉं मूल्य है वहॉं अपराध और अनैतिकता नहीं है। वैसे भी मनुष्य का पहल कत्र्तव्य एक अच्छा परिवार और समाज बनाना है। ब्रह्माकुमारीज संस्थान समाज की बेहतरी के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। हजारों लाखों लोगों ने अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव किया है। पर्यावरण के साथ प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए भी कार्य कर रहा है जो समय की मांग है।

इस अवसर पर ब्रह्माकुमारीज संस्था के महासचिव बीके निर्वेर ने कहा कि हमारे समाज में यदि भौतिक तरक्की के साथ आध्यात्मिक तरक्की को प्राथमिकता दी जाये तो इससे हम वर्तमान समाज की रूपरेखा को बदल सकते हैं। इसलिए यह प्रयास करना जरूरी है।

समारोह में ब्रह्माकुमारीज संस्थान के कार्यकारी सचिव बीके मृत्युंजय ने कहा कि भयमुक्त समाज की परिकल्पना परमात्मा शक्ति से ही सम्भव होगी। परमात्मा शिव नयी दुनिया बना रहा है। वह नयी दुनिया होगी जिसमें किसी भी प्रकार की कोई अव्यवस्था नहीं होगी।

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Tuesday, 14th May 2019 our revered Rajyogini Dadi Hridaya Mohini Ji, Addl. Chief of Brahma Kumaris is awarded Honorary Doctor of Literature Degree for her outstanding services to the society during the Seventh Convocation of Vijayanagara Sri Krishnadevaraya University of Ballari, Karnataka. As Dadiji is under medical care in Mumbai, she was not physically present to receive the honour. Rajyogi BK Mruthyunjaya, Executive Secretary of Brahma Kumaris received the award on her behalf.

On this occasion the Vice-Chancellor of Vijayanagara Sri Krishnadevaraya University Prof. M.S. Subhas, Chairman of All India Council for Technical Education Prof. Anil D Sahasrabudhe, Registrar Prof. B K Tulasimala, the Members of the Syndicate and the Academic Council of the University and graduating students were present.

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परम कलाकार परमात्मा भरता है आत्मा में संगीत 
कला एवं संस्कृति प्रभाग का राष्ट्रीय सम्मेलन आरंभ
माउंट आबू। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के ज्ञान सरोवर अकादमी परिसर में कला एवं संस्कृति सेवा प्रभाग के बैनर तले शांत व आंनदमय जीवन की ओर कलाकार विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन आरंभ हुआ।
सम्मेलन के उदघाटन सत्र को संबोधित करते हुए प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री प्रतिमा कानन ने कहा कि परमात्मा परम कलाकार है जो आत्मा में संगीत भरता है। कलाओं में निखार लाने के लिए ब्रह्माकुमारी संगठन द्वारा प्रशिक्षित राजयोग मनोबल को बढ़ाता है। जिससे मन की क्षमताओं का विकास होता है। उन्होंने ब्रह्माकुमारी संस्था के संपर्क में आने का अनुभव सांझा करते हुए कहा कि जीवन की वास्तविकता को मैनें यहां आकर समझा है। पवित्र संकल्पों से मन को यहां आकर बहुत सुकून मिला है। बिना ज्ञान के समय नष्ट हो जाता है।
प्रसिद्ध अभिनेत्री अरूणा सांगल ने कहा कि चरित्र को श्रेष्ठ बनाने की कला राजयोग के माध्यम से सहज ही सीख्ी जा सकती है। राजयोग से मन के अंदर छिपी कलाओं में निखार आता है। जो कर्म क्षेत्र में कार्य को बेहतर से बेहतर करने में मदद करती हैं।
आगरा से नृत्य ज्योति कत्थक केंद्र निदेशक ज्योति खण्डेलवाल ने कहा कि नृत्य का गुरु शिव को ही माना जाता है। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की शिक्षा स्वयं शिव निराकार परमात्मा की ओर से प्रदान की जाती है। जो मानव में दिव्यता भर देती है।
केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्रालय अतिरिक्त निदेशक राजीव जैन ने कहा कि संगीत व कला का मानवीय मन पर गहरा असर होता है। मेडिटेशन भी एक कला है जो पूरी समझ के साथ किया जाए तो जीवन को कायाकल्पतरू कर देता है।
मलयाली फिल्मों की अभिनेत्री संयुक्त वर्मा ने कहा कि जीवन की समस्याओं से बचने के लिए आध्यात्मिक ज्ञान को आत्मसात करने की बहुत जरूरत है।
संगठन के शिक्षा प्रभाग अध्यक्ष बीके मृत्युजंय ने कहा कि कलाकार आने वाले समय को आकार देने योग्य होते हैं। जब हम स्वयं के सम्मान की परिभाषा को सही तरीके से जानेंगे तब ही दूसरों को दिल से सम्मान दे सकेंगे।
कत्थक नर्तक हेमंत पाण्डे ने कहा कि मन, वचन, कर्म की पवित्रता आत्मा का श्रृंगार है। बिना पवित्रता के ज्ञान को अमल में नहीं लाया जा सकता है। सकारात्मक मानसिकता के साथ दूसरों की नि:स्वार्थ सेवा की क्षमता विकसित होती है।
प्रभाग अध्यक्षा बीके कुुसुम ने कहा कि परमात्मा परम कलाकार है। जो मानव को सर्वगुण संपन्न सोलह कला संपूर्ण बनाने की शिक्षा देता है। कलाकार ऐसा वर्ग है जो समाज की हर बात को समझकर उसका सही चित्रण करता है।
मीडिया प्रभाग अध्यक्ष बीके करूणा ने कहा कि जीवन को दिव्य गुणों से सुशोभित करने की कला कलाकारों के पास होती है। कलाकार के पास हर परिस्थिति में शांत व आनंद में प्रदान की कला होती है।

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राजयोग प्रशिक्षण से बढ़ता है मनोबल
ब्रह्माकुमारी संगठन मे खेल प्रभाग सम्मेलन आरंभ

माउंट आबू, २९ अप्रेल। हरियाणा सरकार के मोतीलाल नेहरू स्पोर्टस स्कूल सोनीपत निदेशक कर्नल राज विश्नोई ने कहा कि निरंतर मेहनत, प्रेशिक्षक व व्यवस्था में आस्था से ही खिलाड़ी सफलता को प्राप्त कर सकते हैं। जो खिलाड़ी अपने नैतिक मूल्यों के प्रति सजग है वह निरंतर श्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकता है। ब्रह्माकुमारी संगठन की ओर से दिये जाने वाले राजयोग प्रशिक्षण से खिलाडिय़ों में मानसिक एकाग्रता व मूल्यों को धारण करने की शक्ति मिलती है। वे प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वारीय विश्वविद्याल के खेल सेवा प्रभाग द्वारा ज्ञान सरोवर अकादमी परिसर में खेलों में उत्तम प्रदर्शन के लिए राजयोग का चमत्कार विषय पर आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन के उदघाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि ब्रह्माकुमारी संगठन द्वारा राजयोग प्रशिक्षण प्राप्त करने से मनोबल क्षमता विकसित होने पर खिलाड़ी अपना लोहा मनवाकर देश के अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पदकों में वृद्धि कर सकते हैं। बेहतर प्रशिक्षण व पर्याप्त व्यवस्थाओं के उपलब्ध होने के बाद भी नैतिक मूल्यों के अभाव में सकारात्मक परिणाम नहीं मिलता है।

हैदराबाद से आए अंतर्राष्ट्रीय निशांत क्रिकेट खिलाड़ी महेंद्र वैष्णव ने कहा कि तीन वर्ष की आयु में दृष्टि खोना मेरे लिए वरदान बना और आज मैं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस खेल का हिस्सा बन गया। मैं खुद को भाग्यशाली मानता हंू कि आंखों ने देना भी मेरे लिए उपलब्धि का सबब बना। स्कूल के समय से ही ब्रह्माकुमारी बहनों ने मुझे आध्यात्मिक ज्ञान सुनाकर मेरे आत्मविश्वास को पंख लगा दिये। जिससे मेरे जीवन की हर परिस्थिति में हमेशा से ही सकारात्मक दृष्टिकोण बना रहता है। जीवन में संतुष्टता का भाव बढऩे धैर्यता का पाठ पढऩा आसान हो जाता है। २०१८ के दिव्यांगों के लिए हुए विश्वकप में क्रिकेट में हम विजेता बने। स्वयं की क्षमता पर विश्वास रखने से ही भगवान की मदद का अहसास होता है।

भारतीय विश्वविद्यालय संघ दिल्ली के पूर्व सहसचिव डॉ. गुरदीप सिंह ने कहा कि साइंस के साथ आध्यात्मिकता का समावेश अदभुत नतीजे ला सकता है। खिलाडिय़ों के शारीरिक व तकनीकी रूप से प्रशिक्षण पर ध्यान देने के साथ मानसिक प्रशिक्षण की अत्यंत आवश्यकता है। खेलों के निर्णायक दौर पर आत्मिक शक्ति को स्थिर बनाए रखने से ही तनाव से मुक्त रहा जा सकता है। एकाग्रता व सही समय पर सही निर्णय लेने के लिए राजयोग प्रशिक्षण के सार्थक परिणाम प्राप्त हुए हैं। मन की स्थिरता राजयोग से बढ़ती है।

ब्रह्माकुमारी संगठन के खेल प्रभाग अध्यक्ष बीके बसवराज राजऋषि ने कहा कि परमात्मा स्वयं धरा पर आकर आध्यात्मिक शिक्षा द्वारा मानव में सदगुणों का विकास कर रहा है। स्वर्णिम युग आने का यह अवसर है। खिलाड़ी जीवन में स्वर्णपदक के साथ गॉडली मेडल की पाने का पुरुषार्थ करें।

संगठन के खेल प्रभाक की राष्ट्रीय संयोजिका बीके शशि बहन ने कहा कि खिलाड़ी को किसी भी पररिस्थिति में उमंग-उत्साह कायम रखना चाहिए। मानसिक दृढ़ता से संपन्न खिलाड़ी ही सफलता के नए सोपान तक पहुंच सकता है।