दादी प्रकाशमणी जी की स्मृति मैं विश्व बंधुत्व के लिए दौड़ का आयोजन 23 ऑगस्ट, 2015 प्रात 6 बजे किया गया. दौड़ का शुभारभ मोहिनी दीदीजी, मुन्नी दीदीजी, आबू रोड के सर्कल इनस्पेक्टर सुमेर सिंगजी, माधव यूनिवर्सिटी के गौतम जी, अविनाश शर्मा लोयंस क्लब, भूपाल भाईजी, करुणा भाईजी,भरत भाईजी, मृत्युंजय भाईजी, मोहन सिंघल जी, अशोक गाभा जी ने किया जिन्होंने मशाल जलाकर हरी झंडी देकर किया. इस दौड़ मैं सिरोही जिल्हे के सभी स्कूल-कॉलेज के 1500 बच्चे और युवाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया.
जीवन में मेडिकल चिकित्सा के साथ योग हो गया है जरूरी – प्रो0 डा. डी. के. गुप्ता
आबू रोड । मेडिकल क्षेत्र में पूरे विश्व में तरक्की के नये आयाम तय किये है। आज कठिन से कठिन बीमारियों पर मेडिकल साईंस ने काबू पा लिया है। योग की कमी और जीवन पद्धति में नकारात्मक बदलाव से प्रतिदिन नयी बीमारियां उत्पन्न होने लगी है। उक्त विचार दिल्ली एम्स के पेडियाट्रीक सर्जरी के विभागाध्यक्ष तथा प्रो0 डा डीके गुप्ता ने व्यक्त किये। वे ब्रह्माकुमारीज संस्था के मेडिकल प्रभाग द्वारा शांतिवन में आयोजित ‘माइंड बाडी और मेडिसीन’ विषय पर त्रिदिवसीय मेडिकल कान्फ्रेंस के उद्घाटन सत्र में सम्बोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि यह सत्य है कि मेडिकल चिकित्सा ने बहुत उपलब्धियां हासिल की है। लगभग हर बीमारी का इलाज सम्भव है। परन्तु उसे जड़ से समाप्त किया जाये और बीमारियों से हमेशा बचा जाये उसके लिए जीवन में योग और अध्यात्म और जीवन पद्यति का बदलाव जरूरी है। इस सम्मेलन के दौरान राजयोग पर भी चर्चा हो रही है यह अति श्रेष्ठ है।
मेडिकल प्रभाग के अध्यक्ष तथा ग्लोबल हास्पिटल रिसर्च सेन्टर माउण्ट आबू के ट्रस्टी बीके निर्वेर ने कहा कि मन को स्वस्थ रखना आज बेहद जरूरी हो गया है। यह ठीक है कि मेडिकल सेवाओंं से बीमारियों पर तुरन्त अंकुश लगता है परन्तु बीमारी ना हो उसे बचने के लिए जीवन प्रणाली बदलाव की आवश्यकता है। आत्मा में शक्तियों का विकास, मनोबल में दृढ़ता के लिए अध्यात्म अपनाने का प्रयास करना चाहिए।
महात्मा गांधी मेडिकल साउथर्न कमांड इंडियन आर्मी के मेजर जनरल डॉ एल एस वोहरा ने कहा कि अब तो सेना में भी योग को बढ़ावा दिया जा रहा है। क्योंकि मन की बीमारी से बचने के लिए मेडिकल साईंस के साथ सकारात्मक और तनावमुक्ति जीवन शैली की अति आवश्यकता है। ब्रह्माकुमारीज संस्थान का ज्ञानयोग और राजयोग जीवन के लिए श्रेष्ठ है। ग्राम विकास प्रभाग की अध्यक्षा बीके मोहिनी ने कहा कि जीवन का विज्ञान और साईसं सबसे महत्वपूर्ण है। जो हर किसी को जानना चाहिए तभी हम हर प्रकार की समस्याओं से बच सकते हैं।
इन्द्रप्रस्थ अपोलो हास्पिटल दिल्ली के सीएफओओ पी शिव कुमार, बीएस ग्लोबल हास्पिटल के चिकित्सा निदेशक डा प्रताप मिड्ढा ने कहा कि आज बड़ी संख्या में लोग तनाव और डिप्रेसन के शिकार हो रहे हैं। ऐसे में मेडिकल साईस भी इससे जल्दी उबार नहीं पाती है इसके लिए जरूरी है कि हम अपनी सोच को सकारात्मक बनायें और ऐसी बीमारियों से बचें।
Language Barrier? Not at all!
210 guests from China arrived in Lighthouse (St. Petersburg, Russia)
for their 5 day training program “The Happy Family – God’s Masterpiece”
8 August, 2015
The welcome session for 210 guests that came to Lighthouse all the way from China offered a beautiful blend of greetings, songs, dances and video presentations.
The guests, many of whom arrived here with their spouses and children, have been brought to Russia by sis. Sapna and br. Sumeet in co-ordination with Master Ji Jing, a Chinese Buddhist monk, in order to enhance their spiritual progress.
On the very first day they were introduced to the aims and objectives of the “Happy Family” training program they were going to attend.
BK Santosh, Brahma Kumaris director in St. Petersburg:
“This family retreat has been tailored in such a way so that to throw light on the spiritual aspects of human relationships. Spirituality is all about what, how and when we should think, because the energy that powers our actions and interactions is the energy of thought. When we take care of that inner energy, we are able to sustain our peace and happiness. When we are peaceful and happy, we feel comfortable. In this stage of comfort we can feel others and love them. And when we love, we get love in return. This is what makes us into kings because when you get love, you get everything!”
Dear, long awaited guests were welcomed by VIP speakers representing the fields of science, social service, medicine and public sector. They shared their vision of why the Brahma Kumaris concepts become increasingly relevant in the modern world.
Prof. Oleg Lebedev, lecturer of National Research University “Higher School of Economics”, Doctor of Education,Corresponding member of the Russian Academy of Sciences:
“Everything in the world keeps on changing, and in this atmosphere of change many people have the question whether there are some permanent, unchanging values as well. The Brahma Kumaris offers them an answer they are able to believe and take on board.”
Mrs. Irina Afanasieva, director of St. Petersburg Territorial Centre of Social Service:
“I feel that social service is the field of human activity that is directly related to what the Brahma Kumaris are teaching. In our hectic life we tend to forget that we come to this world to be good and do good. The BKs are teaching us to turn our face towards own inner self and feel that this planet of ours is very small and fragile and so it is to be handled with love and care!”
Mrs. Tatiana Bartova, director of Interactive Medicine Department “Vita”:
“As a doctor, I have been studying Chinese and Indian traditional medicine since long, as I am interested in the issues of prevention of diseases. Before meeting with the BKs, I used to teach people healthy diet, healthy breathing and healthy movement (exercises). Healthy thinking was the last item on my agenda. But now, after 10 years of contacts with the BKs, my list of priorities has changed. I have realised that the first priority for a healthy life style is healthy, positive thinking.”
The participants of the retreat were also welcomed by Prof. Maxim Godarev, president of St. Petersburg Philosophy Club, and Mr. Bislan Hamkhokov, president of St. Petersburg House of National Cultures.
The 5 day journey has just started, but a very important step has already been taken: a beautiful family atmosphere created in Lighthouse has made us feel we belong to one global family. And in spite of the physical language barrier, we have become fluent speakers of the language of eyes, smile and good wishes!
रूहानी शांति और सदभावना के प्रति गहरा लगाव
आबू रोड, 27 जुलाई, निसं। भारत के पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न डा0 एपीजे अब्दुल कलाम का ब्रह्माकुमारीज संस्थान से विशेष लगाव था। वे पहली बार सन 1999 में दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित वैज्ञानिकों के सम्मेलन में भाग लिए थे। उसके पश्चात वे संस्था के अन्तर्राष्ट्रीय मुख्यालय माउण्ट आबू में वैज्ञानिक रहते हुए सन् 2004 वैज्ञानिकों के सम्मेलन में मुख्यातिथि के तौर पर आये थे। उनके साथ डीआरडीओ के प्रमुख सेल्वामूर्ति भी थे। संस्था की पूर्व मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी प्रकाशमणि तथा वर्तमान मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी जानकी से मुलाकात की थी। उनकी हमेशा इच्छा रहती थी कि एक गरीबी से मुक्त तथा श्रेष्ठ संस्कारों वाले समाज की स्थापना होनी चाहिए।
वैज्ञानिक बनने के बाद 28 अप्रैल, 2006 को ब्रह्माकुमारीज संस्था के ज्ञान सरोवर में आयोजित युवाओं के सम्मेलन में भाग लेने आये थे। संस्था की पूर्व मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी प्रकाशमणि, वर्तमान अतिरिक्त मुख्य प्रशसिका राजयेागिनी दादी ह्दयमोहिनी, संस्था के महासचिव बीके निर्वेर, बीके रमेश तथा बीके बृजमोहन समेत संस्था के वरिष्ठ पदाधिकरियों के साथ बेहतर समाज बनाने पर चर्चा की थी।
ज्ञान सरोवर में आयोजित सम्मेलन में युवाओं का आह्वान करते हुए कहा था कि भारत तभी सम्पूर्ण विकसित हो सकता है जब गरीबी दूर करने के साथ चारित्रिक उत्थान हो। धर्म और अध्यात्म की व्याख्या करते हुए उन्होंने धर्म से उपर उठते हुए सबको एक साथ कार्य करने की भी बात का जिक्र किया था।
दादी ने जतायी संवेदना
ब्रह्माकुमारीज संस्थान की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी जानकी ने उनके देहान्त के समाचार पर गहरा दुख प्रकट किया है। पूर्व राष्ट्रपति डा एपीजे अब्दुल कलाम की आत्मा शांति के लिए संस्था के देश विदेश के सेवाकेन्द्रों पर ध्यान साधना करने की अपील की है। दादी ने कहा कि उनका जीवन समस्त मानव जाति के लिए प्रेरणास्रोत था। वे एक ऐसे महापुरूष थे जिन्होंने विज्ञान और अध्यात्म को लेकर एक नयी दुनिया की परिकल्पना की थी। रूहानी शांति और सदभावना के पक्षधर थे। अध्यात्मिक ज्ञान के से नये विश्व निर्माण की ब्रह्माकुमारीज संस्थान के प्रयास की हमेशा प्रशांसा करते थे। जिसका जिक्र उन्होंने खुद अपनी किताब में किया है। उनका ब्रहाकुमारीज संस्थान से विशेष लगाव था।