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Media Conference Inauguration Gyansarovar

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लोक मंगल हो पत्रकारिता धर्म

माउंट आबू, ३ जून

कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय रायपुर के उपकुलपति डॉ. मानसिंह परमार ने ज्ञान सरोवर परिसर माउंट आबू में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभाग द्वारा आयोजित मीडिया सम्मेलन के उदघाटन सत्र को मुख्य अतिथि की हैसियत से संबोधित करते हुए कहा कि हजारों वर्षों से भारत देश सकारात्मक सोच व अच्छे समाज की संरचना के लिए चिन्तन का परिचायक रहा है। लेकिन आज इसी देश में उन विषयों में गहन चिन्तन की आवश्यकता अनुभव की जा रही है।

महाभारत व रामायण के प्रमुख पात्रों के हवाले से डॉ. मान ने कहा कि नारदमुनि पत्रकारिता के आदर्श थे क्योंकि उनकी सूचनाओं की विश्वसनीयता पर कभी प्रश्नचिन्ह नहीं लगा। दूरदर्शी चिन्तक होने के नाते उन्होंने हजारों साल पहले जल प्रबंधन की बात की जिसकी जरूरत अब शिद्दत से महसूस की जा रही है। वस्तुपरकता व तटस्थता के मामले में महाभारत काल के संजय को आदर्श माना जाता है। कबीर अपने समय के महान प्रचारक थे जिन्होंने ऐसी वाणी बोलने का उपदेश दिया कि जिसे सुनकर कोई आपा ना खोये। विदुर जैसा विचारक अपने आप में बेमिसाल था। श्रीकृष्ण व अर्जुन के बीच हुआ संवाद संचार का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण माना जाता है। इसके विपरीत अब हमारा ९० प्रतिशत समय जब संचार व संवाद में बीत रहा है तो हम कई बार दिशाभ्रम होने की समस्या से ग्रस्त हो जाते हैं।

डॉ. मान ने कहा कि वर्तमान सदी में जब विधायिका, न्यायपालिका व कार्यपालिका से समस्या का समाधान होता नहीं दिखता तो लोग आशा भरी निगाहों से मीडिया की ओर देखते हैं। यदि लोकमंगल को हम पत्रकारिता का धर्म मान लें और लक्ष्मण रेखा का उल्लंघ्न न करें तो सकारात्मक परिवर्तन लाना मुश्किल नहीं होगा।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि आईबीएन ७ चेनल के उप प्रबन्ध सम्पादक सुमित अवस्थी ने विभिन्न मंचों से इलेक्ट्रानिक मीडिया की आलोचना का स्टीक जबाब देते हुए कहा कि सकारात्मक समाचार या कार्यक्रम जब टीवी चैनल पर दिखाये जाते हैं तो टीआरपी के विश्लेषण से पता चलता है कि दर्शक उनमें रूचि नहीं ले रहे हैं। इस प्रसंग में उन्होंने शाबाश इंडिया साप्ताहिक कार्यक्रम की चर्चा करते हुए कहा कि आदर्श पत्रकारिता के प्रकाश स्तंभ को संबल प्रदान करने वाले समाचारों और पत्रकारों को शाबाशी देने के लिए पाठकों व दर्शकों को आगे आना चाहिए। समाज को लूटकर खाने वाले लोगों के स्टिंग आपरेशन को सामाजिक बदलाव लाने का हिस्सा बताते हुए उन्होंने कहा कि पत्रकारिता को पहले की तरह ही पवित्र व्यवसाय के रूप में कायम रखना होगा। पत्रकार यदि आदर्शों से जुड़ें और शुभ लक्ष्य से भटके नहीं तो निश्चित रूप से सकारात्मकता की ओर बढ़ते हुए हम स्वयं को बदलेंगे, उससे समाज व देश भी अवश्य बदलेगा।

उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर एक संस्था का अंकुश है लेकिन सोशल मीडिया बेलगाम चल रहा है। इससे जुडे करोड़ों लोग प्राप्त होने वाली अधकचरी सूचना की विश्वसनीयता की जांच किए बिना उसे जंगल की आग की तरह आगे फैला रहे हैं। आधे से ज्यादा फर्जी खातों व प्रायोजित कार्यक्रमों पर आधारित सोशल मीडिया अच्छे समाज की संरचना के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।

संस्था की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी जानकी ने वीडियो संदेश के माध्यम से सम्मेलन के लिए शुभकामनाएं और प्रतिभागियों को आशीवर्चन देते हुए कहा कि जहां शान्ति, स्नेह व समन्वय नहीं होगा वहां सफलता पांव नहीं धरती। नकारात्मक सोचने वाले लोगों को हम अपने पावन लक्ष्य में बाधक न बनने दें। अच्छी भावनाएं विकसित करें, मनन और चिन्तन व शुभभावना से वायुमण्डल को शुद्व करते हुए सादा व पवित्र जीवन अपनाते हुए उच्च विचारों से विश्व परिवर्तन के अभियान में सहभागी बनें।

मीडिया प्रभाग अध्यक्ष बीके करूणा ने कहा कि भारतीय मीडिया पूर्णत: जागृत है। जरूरत इस बात की है कि सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाते हुए देश के प्रति अपने दायित्व का बखूबी निर्वहन करें।