Home News National News Mount Abu-Rural Wing Conference at Gyan Sarovar-2019

Mount Abu-Rural Wing Conference at Gyan Sarovar-2019

0 1534

आबू पर्वत ( ज्ञान सरोवर ), ३ जून २०१९। आज ज्ञान सरोवर स्थित हार्मनी हॉल में ब्रह्माकुमारीज एवं आर ई आर एफ की भगिनी संस्था, ” कृषि और ग्राम विकास प्रभाग ” के संयुक्त तत्वावधान में एक अखिल भारतीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन का विषय था ‘स्वर्णिम भारत का आधार, टिकाऊ यौगिक खेती ‘. इस सम्मेलन में देश के सैकड़ों कृषकों और कृषि वैज्ञानिकों ने भाग लिया। दीप प्रज्वलन के द्वारा सम्मेलन का उद्घाटन सम्पन्न हुआ।
ज्ञान सरोवर की निदेशक डॉक्टर निर्मला दीदी ने अपना आशीर्वचन सभा को दिया। आपने बताया की यौगिक खेती से प्राप्त फसल हर मायने में बेहतर होता है। उससे मन बुद्धि श्रेष्ठ बनती है। आप सभी को पता है की मन पर अन्न का काफी असर होता है। यौगिक विधि से प्राप्त अन्न हमारी बुद्धि को पॉजिटिव बनाता है। इस पाजिटिविटी को अपनाने के लिए रजयोगा सीखना अनिवार्य है। आप अपने तीन दिनों के प्रवास में यहां राजयोग सीखेंगे और यौगिक खेती कर पाएंगे।
कृषि और ग्राम विकास प्रभाग की अध्यक्षा रजयोगिनी सरला दीदी ने अपना अध्यक्षीय भाषण प्रस्तुत किया। आपने सभी वक्ताओं के वक्तव्यों की मीमांशा की और बताया की उन सभी ने प्रकारांतर से यही स्थापित किया की प्राचीन भारत में यौगिक खेती ही आधार थी हर प्रकार की सम्पन्नता की , श्रेष्ठ्ता की। आज के भारत की भी यही पुकार है। यौगिक खेती को अपनाना ही होगा। युवाओं को नौकरी की पीछे भागने के बजाये यौगिक खेती अपना चाहिए। शुद्ध अनाज और भोजन के लिए दुनिया तरस रही है। यौगिक खेती वह सब दे सकता है। अतः आने वाले तीन दिनों में आप सभी राजयोग सीखें और यौगिक खेती को अपनाएं।
डॉक्टर पी के खोसला ,कुलपति , शूलिनी विश्वविद्यालय , सोलन ने मुख्य अतिथि के रूप में अपने उदगार प्रकट किये। आपने कहा कि मैं यहां आकर खुद को भाग्य शाली समझ रहा हूँ। वक्ताओं ने श्रेष्ठ विचार रखे हैं। मैं यह जोड़ना चाहता हूँ कि हमारे पास मात्र धन ही अकूत नहीं था बल्कि विद्या भी थी – सर्वोच्च विद्या थी। आज से २७०० वर्ष पहले तक्षशिला विश्वविद्यालय भारत में था। नालंदा विश्व विद्यालय भी था। आज हम मूल्यहीन होकर निम्न हो गए हैं। मैं यह मानता हूँ की प्राचीन भारत में जरूर यौगिक खेती होती होगी। मानव मन पर योग का असर पड़ता है – यह पक्की बात है। योग हमें श्रेष्ठ बनाता है। हमारे विचार अच्छे बनते हैं। उसी प्रकार योग से उत्तम खेती प्राप्त की जा सकती है। यौगिक खेती के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है विकास का।
डॉक्टर प्रताप मिड्ढा , ग्लोबल अस्पताल के अधीक्षक ने भी अपना विचार रखा। आपने कहा की हम सभी सत्य को पहचानने का प्रयत्न करते रहते हैं। यौगिक खेती के सत्य को भी पहचाना होगा। जब हमारे विचारों में परिवर्तन आता है तभी सकारात्मक बदलाव आता है। हमें किसी भी बात के समाधन के लिए उसकी गहराई में जाने की जरूरत होती है। आत्मिक भान में आने से ही हम दैविक बनेंगे और उदारता अपना कर स्थिति को बदल डालेंगे। खेती के लिए यौगिक विधि को अपनाना अनिवार्य है। योग से सकारात्मकता धारण कर खेती को श्रेष्ठ बनाया जा सकता है।
कृषि और ग्राम विकास प्रभाग के उपाध्यक्ष बी के राजू भाई ने आये हुए अतिथियों का स्वागत किया। आपने पधारे हुए सभी अतिथियों से विशेष रूप से अनुरोध किया कि आप सभी यहां की आध्यात्मिक तरंगों को गहराई से महसूस करने की कोशिश अवश्य करें।
ब्रह्माकुमार बद्री विशाल तिवारी , सहायक निदेशक , कृषि मंत्रालय , उत्तर प्रदेश शासन ने आज के अवसर पर अपना विचार रखा। आपने सभी से कहा की यौगिक खेती ही स्वर्णिम भारत का आधार है। आपने पावर पॉइंट के द्वारा प्राचीन भारतीय कृषि के विभिन्न आयाम सामने रखे और प्रमाणित किया की वास्तव में स्वर्णिम भारत का आधार यौगिक खेती ही था। आपने समझाया कि प्राचीन भारत में जैविक खेती होती थी , यौगिक खेती होती थी। उस समय सभी कुछ काफी सुन्दर था। मगर आज , बड़े पैमाने पर रसायन का प्रयोग करके हमने भूमि को बर्बाद कर डाला है और उसकी सारी शक्तियों को नष्ट कर दिया है। जब भूमि बीमार होती है तब मनुष्य भी बीमार हो जाता है। अतः समाधान के लिए जैविक और यौगिक खेती को अपनाना होगा।
कृषि और ग्राम विकास प्रभाग की राष्ट्रीय संयोजक ,राजयोगिनी सुनंदा बहन ने आज का मुख्य वक्तव्य प्रस्तुत किया। कहा कि सम्मेलन स्थल ज्ञान सरोवर के अंदर हर प्रकार की सात्विकता , ज्ञान , पवित्रता और प्रेम ,सहयोग के आधार मनुष्यता की सेवा हो रही है और उसमें सफलता प्राप्त हो रही है। उसी प्रकार से यौगिक खेती से हमारा संसार सुधर जाएगा , योग का आधार अर्थात सकारत्मक चिंतन के माध्यम से खेती करने पर फसल काफी उत्तम प्राप्त होता है। यौगिक खेती करने वाले लोगों में तन ,मन ,जन और स्वास्थ्य का काफी उत्थान देखा गया है।