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दुनिया की पहली इको फ्रेडली अन्तर्राष्ट्रीय मैराथन में उमडा सैलाब, 1 घंटा 19 मिनट में नापी 21 किमी की दूरी
भारत सहित कई देशों के शामिल हुए दो हजार प्रतिभागी

आबू रोड, 19 अगस्त, निसं। प्रदेश के दूसरी अन्तर्राष्ट्रीय मैराथन का दर्जा प्राप्त दादी प्रकाशमणि अन्तर्राष्ट्रीय मैराथन में धावकों का सैलाब उमड़ पड़ा। प्रात: काल से सही धावकों का जमावड़ा लग गया। मौसम का मिजाज भी अंतराष्ट्रीय मैराथन की अनुकूल था। इस अन्तर्राष्ट्रीय मैराथन का उदघाटन करने पहुंची जिला प्रमुख पायल परसराम पुरिया ने कहा कि यहॉं की मैराथन पूरे विश्व में एक इतिहास बनायेगी क्योंकि यह पहली अन्तर्राष्ट्रीय मैराथन है जिसमें प्लास्टिक का बिल्कुल उपयोग नहीं किया गया है। इससे आने वाले पर्यटकों के लिए एक अच्छा संदेश जायेगा।
उन्होंने कहा कि ब्रह्माकुमारीज संस्थान पिछले पांच वर्षाे से यह आयोजन कर रहा है। इसमें हजारों लोग प्रतिवर्ष शामिल होते हैं। संस्थान का यह प्रयास निश्चित तौर पर सदभावना और विश्व बन्धुत्व का संचार होगा।
राजस्थान के पूर्व मुख्य उप सचेतक तथा कांग्रेस नेता रतन देवासी ने कहा कि दादी प्रकाशमणि अन्तर्राष्ट्रीय मैराथन का दर्जा प्राप्त हुुआ है। यह माउण्ट आबू तथा प्रदेश के लोगों के लिए गौरव की बात है। सुप्रसिद्ध गुजराती फिल्म अभिनेत्री पल्लवी पाटिल ने कहा कि हम तो सामान्यतौर पर फिल्मों की दुनिया में रहती हूॅं। लेकिन आज इस आयोजन में शामिल होकर एक नयी उर्जा मिली है। इससे ही समाज के युवाओं में एक जोश आयेगा। इस दौरान ब्रह्माकुमारीज संस्था के कार्यकारी सचिव बीके मृत्युंजय ने भी अपनी शुभकामनाएं देते हुए मेराथन में सफलता के लिए शुभकामनाएं दी।
कार्यक्रम में आये नगरपालिका माउण्ट आबू के चेयरमैन सुरेश थिंगर तथा आबू रोड पालिका के चेयरमैन सुरेश सिंदल ने कहा कि यह ऐतिहासिक दिन है। जब यह मैराथन अब अन्तर्राष्ट्रीय मैराथन के नाम से जानी जायेगी और दुनिया भर के धावक भाग लेगे। पूर्व चैम्पियन धावक सुनिता गोदारा, समेत कई लोगों ने अपने अपने विचार व्यक्त किये।
ये रहे मौजूद: इस अवसर पर सोशल एक्टिविटी ग्रुप के अध्यक्ष बीके भरत, साइंटिस्ट एवं इंजिनियर प्रभाग के राष्ट्रीय कोआर्डिनेटर मोहन सिंघल, महिला प्रभाग की मुख्यालय संयोजिका बीके डॉ सविता, मुकेश मिश्रा, बीके मोहन, बीके भानू, बीके सचिन, बीके चन्दा, बीके कृष्णा, बीके रामसुख मिश्रा, बीके कोमल समेत कई लोग उपस्थित थे।
हाफ मैराथन दौड़ तलहटी मनमोहिनीवन से आरंभ होकर, बाघनाला, छीपाबेरी, सातघूम, आरणा,  माउंट आबू प्रवेश द्वार से गौमुख चौक, बस स्टेंड, रोटरी सर्कल, चाचा म्युजियम चौक, अंबेडकर चौंक, नक्की मार्केट, भारत माता नमनस्थल, दादी प्रकाशमणि मार्ग होते हुए ओम शान्ति भवन में संपन्न हुई। सवेरे छह बजे संगठन के तलहटी स्थित मनमोहिनीवन से अतिथियों की ओर से हरी झंडी दिखाकर रवाना की गई मैराथन दौड़ में कनाडा, इथोपिया, केन्या, नेपाल समेत देश के विभिन्न राज्यों से आए करीब 2500 सहभागियों ने हिस्सा लिया।
ये रहे विजेता:
21.01 किलोमीटर की हॉफ मैराथन के पुरुष वर्ग में केन्या के ऐरेडा बेराहू ने एक घंटा 19 मिनट 48 सेकेण्ड, अबदारहमान असरार ने एक घंटा 19 मिनट 49 सेकेण्ड, मोहम्मद सादिक हिसगागू ने एक घंटा 22 मिनट 22 सेकेण्ड में; 
महिला वर्ग में उत्तर प्रदेश की अर्पिता सैनी ने एक घंटा 35 मिनट 56 सेकेण्ड,  केन्या की अलेमू आदिसालेम ने 1 घंटा 36 मिनट 22 सेकेण्ड, अगाहु जिनेट अडेके ने एक घंटा 37 मिनट 8 सेकेण्ड का समय लगाकर क्रमश पहला, दूसरा व तीसरा स्थान प्राप्त किया। 

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जीवन में सम्पूर्ण सुख के लिए भौतिकता के साथ आध्यात्मिक समावेश जरूरी – दादी जानकी
वैज्ञानिक एवं अभियन्ताओं के सम्मेलन में जुटे प्रतिभागी

आबू रोड: 5 नवम्बर, निसं। मनुष्य अपने जीवन में सुख और शांति के लिए भौतिक विकास के लिए पूरा जीवन बीता देता है। परन्तु यदि जीवन में सम्पूर्ण सुख चाहिए तो वैज्ञानिक आधार पर भौतिक विकास में आध्यात्मिकता का समावेश जरूरी है। इसके बिना विकास तो होगा परन्तु सुख और आनन्द का हमेशा अभाव रहेगा। उक्त उदगार ब्रह्माकुमारीज संस्था की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी जानकी ने व्यक्त किये। वे वैज्ञानिक एवं अभियन्ता प्रभाग द्वारा शांतिवन में आयोजित ‘वाह जिन्दगी वाह’ विषय पर आयोजित सम्मेलन में बोल रही थी।
दादी ने सम्मेलन में सहभागियों से आह्वान किया कि मौजूदा समय में विज्ञान के साथ अध्यात्म को साथ लेकर चलें। पिछले कुछ वर्षों में आध्यात्मिकता और योग के प्रति लोगों का रूझान बढ़ा है। मनुष्य की वाह जिन्दगी वाह तभी हो सकती है जब वह आध्यात्मिकता और राजयोग को जीवन में शामिल करेगा।
नेपाल के शहरी विकास एवं भवन निर्माण विभाग के उपमहानिदेशक मोनी राम गेलाल ने कहा कि भारत और नेपाल एक आध्यात्मिक देश है। परन्तु यह देखने में आया है कि विश्व के कई देशों में विकास तो हुआ परन्तु मानवीय मूल्यों का अकाल दुख दायी रहा है। इसलिए आध्यात्मिकता को साथ रखना जरूरी है। आपातकाल प्रबन्धन संस्थान भोपाल के निदेशक डा0 राकेश दुबे ने कहा आपात काल की स्थिति को समाधान के लिए आन्तरिक आध्यात्मिक विकास की आवश्यकता है। बाद में तो सारी चीजे अपने आप ही मैनेज में हो जाती है।
ब्रह्माकुमारीज संस्था के महासचिव बीके निर्वेर ने कहा कि विज्ञान और अध्यात्म के सहयोग से ही मनुष्य की वाह वाह जिन्दगी बन सकती है। अध्यात्म के बिना विज्ञान लंगड़ा है। आज पूरे विश्व में जिस तरह से तेजी से विकास हुआ है, यह जरूरी है परन्तु आध्यात्मिकता के बिना मूल्यों की कमी मानव समाज को विनाश की ओर ढकेल रही है। शहरी विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव सम्भू केसी ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज संस्थान जिस राजयोग की शिक्षा दे रही है वह केवल विज्ञान ही नहीं बल्कि सभी वर्गों के लोगों के लिए जरूरी है। यह सम्मेलन कई मायनों में अहम होगा।

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चारो ओर शांती …..शांती मे कानोंतक आनेवाली एक आवाज …..मै आत्मा, देह और देह कि दुनिया से परे, बुद्धियोग बल से अपने असली घर शांतीधाम, परमधाम की यात्रा पर जा रही हू …..अपने प्यारे पिता के सम्मुख बैठ, निज स्वरूप शांती कि अनुभूती कर रही हू…..पुरे २०मि. शांती मे कानो तक आनेवाले इन स्वरो ने जैसे हजारो लोगो के मन को वश कर लिया था . भीड के बीच मे भी एकांत मे जाकर मेडिटेशन का अनुभव करने वाले लोगो के चेहरे पर सात्विक भाव दिखने लगे थे . आवाज रुक गाई और एक ही उत्साह सभी के चेहरो पर दिखाई दिया . मा.आबू स्थित प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के कोल्हापूर सेवाकेंद्र के ४०वे वर्धापन दिवस के निमित्य आयोजित ‘मास मेडिटेशन’ मे पुरे २६,४३५ लोग सहभागी हुये . इस अनोखे कार्यक्रम कि ‘एशिया बुक ऑफ रेकॉर्ड्स’ मे नुंध होने कि घोषणा कि गइ . इसके बाद गांधी मैदान के कोने कोने मे तालीयो कि गुंज के साथ आनंदोत्सव मनाया गया  More …..

भौतिक, आर्थिक के साथ सांस्कृतिक तरक्की की जरूरत- कोहली देशभर के शिक्षाविद उच्च माध्यमिक शिक्षकों के अधिवेशन में जुटे आबू रोड, 20 मई, निसं। आज हम दो राहे पर खड़े हैं। एक तरफ भौतिक और आर्थिक तरक्की है तो दूसरी ओर सामाजिक एवं सांस्कृतिक विकास। कई बार ऐसा लगता है कि कहीं हम भौतिक तथा आर्थिक तरक्की में सांस्कृतिक तरक्की कहीं भूल ना जायें। इसलिए भौतिक और आर्थिक तरक्की के साथ सामाजिक और सांस्कृतिक तरक्की की जरूरत है। उक्त उदगार गुजरात के राज्यपाल ओम प्रकाश कोहली ने व्यक्त किये। वे ब्रह्माकुमारीज संस्थान के शांतिवन में उच्च माध्यमिक शिक्षकों के अधिवेशन में जुटे देशभर के हजारों शिक्षाविदों को सबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि सिर्फ रोजगार का अवसर पैदा करना या दिलाना ही केवल शिक्षा का स्तर नहीं होना चाहिए। बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी के तहत एक ऐसे व्यक्ति का निर्माण भी होना चाहिए जो आज के समय के लिए जरूरत है। केवल शब्द का ज्ञान प्राप्त करना ही शिक्षा का मकसद नहीं होना चाहिए। शिक्षा का मतलत सर्वागिण विकास। जिसमें मूल्यों के साथ सामाजिक सदभाव और समरसता का भी विकास हो। दुनिया का प्रत्येक व्यक्ति वा मनुष्य ऐसे गुणों से परिपूर्ण हो जिससे उसकी उपयोगिता समाज के विकास के लिए बढ़ जाये। आज हम केवल अपने देश को विकसित देशों की श्रेणी में देखना चाहते है। यह जरूरी है परन्तु सांस्कृतिक विरासत भी होनी चाहिए जिससे एक अच्छा समाज बने। ब्रह्माकुमारीज संस्थान आज पूरी दुनिया में मूल्यों के अपनाने की जो शिक्षा दे रही है वह वाकई में काबिले तारीफ है। यहॉं की व्यवस्था देखने के बाद सहज ही महसूस होने लगता है।

ब्रह्माकुमारीज संस्था की संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी ने कहा कि संस्थान का प्रयास एक ऐसा समाज बनाना है जिससे प्रत्येक मुनष्य के अन्दर श्रेष्ठ और सुन्दर गुणों की पराकाष्ठा हो। परमात्मा शिव ने जो शिक्षा दी वह प्रत्येक मनुष्य के लिए जरूरी है। यदि हम इसे जीवन में उतारने का प्रयास करें तो निश्वित तौर पर हमारा देश महान बन जायेगा। शिक्षा प्रभाग के उपाध्यक्ष बीके मृत्युंजय ने कहा कि आज मूल्य आधारित शिक्षा की मांग बढ़ती जा रही है। यही कारण है कि भारत के दस विश्वविद्यालयों में संस्थान द्वारा बनायी गयी मूल्य आधारित शिक्षा पाठयक्रम को पढ़ाया जा रहा है। हमारा प्रयास है कि सभी विश्वविद्यालयों एवं कालेजों में यह शिक्षा लागू कर दी जाये।    

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