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आबू रोड, शांतिवन: राष्ट्रीय कवि संगम में हुआ गुजरात के राज्यपाल का सम्बोधन

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कविता में है समाज और राष्ट्र को सम्भालने की ताकत
छठे राष्ट्रीय कवि संगम में हुआ गुजरात के राज्यपाल का महत्वपूर्ण सम्बोधनः कवियों ने देश की संस्कृति को बिखरने से बचाया है

आबू रोड, शांतिवन। ब्रह्माकुमारीज के आबू रोड स्थित मनमोहिनी वन कम्पलेक्स के ग्लोबल ऑडीटोरियम में दो दिवसीय `राष्ट्रीय कवि संगम’ का आयोजन किया गया। जिसमें पूरे देश भर से लगभग 450 प्रसिद्ध कवियों ने भाग लिया। छठे `राष्ट्रीय कवि संगम’ के समापन सत्र में देशभर के कवियों को संबोधित करते हुए गुजरात के राज्यपाल ओ.पी.कोहली ने कहा कि कविता में ऐसी ताकत होती है कि वह व्यक्ति को रूला भी देती है तो हंसा भी देती है। यह जनमानस में उन्माद भी पैदा कर देती है तो सद्भाव भी। सही मायने में कविता में समाज और राष्ट्र को संभालने की ताकत होती है।

उन्होंने कहा कि यदि पूरे देश के कवि मिलकर समाज में इस भावना का संचार करना प्रारंभ कर दे तो समाज की पूरी रूपरेखा ही बदल जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि प्रेम की कई परिभाषाएं है जो माँ-बेटा, पति-पत्नी, भाई-बहन, राष्ट्र प्रेम आदि के रूप में परिलक्षित होती है। यह ऐसा ताना-बाना है जिसकी डोर बहुत मजबूत होती है। उन्होंने आजादी के दिनों को याद करते हुए कहा कि जब हमारे देश में अंग्रेजों का राज्य था, संस्कृति बिखर रही थी तब कालीदास रामचरित मानस लेकर आए और देश की संस्कृति को संभालने की कोशिश की। जिसकी डोर में आज तक भारतीय समाज बंधा हुआ है। ब्रह्माकुमारीज संस्थान में किया गया यह आयोजन कई मायनों में अहम होगा। पुनः सभी कवियों को मिलकर समाज में राष्ट्रीयता व सद्भाव का माहौल बनाने की जरूरत है। राष्ट्रीय कवि संगम के अध्यक्ष जगदीश मित्तल ने कहा कि वह कविता किसी काम की नहीं होती जिसमें समाज बदलाव और जागरण का कोई सूत्र न हो। इसलिए कवियों को वर्तमान समाज और व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए इसकी अलख जगानी होगी।

ब्रह्माकुमारी संस्था के कार्यकारी सचिव बीके मृत्युंजय ने कहा कि जहां सूर्य की किरणें नहीं पहुंचती वहां कवि की धारा पहुंच जाती है। इसलिए कवि समाज के दर्पण और संस्कार के झोली है। कवियों की रचनाएं न सिर्फ हमारे ह्दय पर प्रभाव डालती है बल्कि हमारे अंदर उमंग-उत्साह का संचार भी करती है। कविता हमें मूल्यों के प्रति जागरूक करती है तो श्रेष्ठ संस्कारों को अपनाने की प्रेरणा भी देती है।

अभिषेक अनंत की कविता ने किया भाव विभोर

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ पर लिखी गई सुप्रसिद्ध कवि अभिषेक अनंत की कविता मुझे नाली में ना डालो बाबूजी…. जिस मार्मिक अंदाज में प्रस्तुत की गई उससे पूरा हॉल भाव-विभोर हो उठा। उपस्थित लोगों की आंखों से अश्रु की धारा बह निकली और उपस्थित लोग देर तक तालियां बजाते रहे। वहीं प्रसिद्ध कवि राजेश यादव की देशभक्ति की कविता ने सभी को राष्ट्र प्रेम से सराबोर कर दिया।

भारत में प्रवाहित होती है कविता की धारा

कार्यक्रम के संयोजक किशोर पारिक ने कविता प्रस्तुत करते हुए कहा कि जिस देश में कविता की धारा प्रवाहित होती हो उस देश को कोई झूका नहीं सकता है। हमारा देश महान है और महान रहेगा। जरूरत है इसमें और पैनपन और धार देने की। इसके साथ ही हमारा यह प्रयास सार्थक होगा।

सिरोही जिला के संयोजक व साहित्कार आशा पाण्डेय ओझा ने कहा कि नई पीढ़ी में कविता के माध्यम से देशप्रेम, मानवता व सात्विक विचारों का समावेश करना है। कविता के माध्यम से समाज में व्याप्त बुराइयों को समाप्त करना, नई पीढ़ी में साहित्य के प्रति रूचि जगाना व एक साहित्यिक सांस्कृतिक परिवेश बनाना हमारा उद्देश्य है।

अध्यात्म के रूप में पहचानी जाती है भारत की विरासत – दादी

इससे पूर्व `राष्ट्रीय कवि संगम’ का उद्घाटन करते हुए संस्था की संयुक्त मुख्य प्रशासिका दादी रतनमोहिनी ने कहा कि कवि श्रेष्ठ और मूल्यनिष्ठ समाज के मार्गदर्शक हैं। प्राचीनकाल से ही हर कार्य आध्यात्मिकता से ओत-प्रोत रहा है जो समाज को साहित्य और अध्यात्म के सहारे जोड़ती रही है। भारत देश की विरासत पूरे विश्व में जानी और पहचानी जाती है। कवि की रचनाओं में भावनाओं का समुद्र छिपा होता है जो देश को एकता के सूत्र में पिरोये रहती है।

कविता के माध्यम से अनेक सुधारों ने आकार लिया

राजस्थान के पूर्व मंत्री व साहित्यकार जोगेश्वर गर्ग ने कहा कि भारत के इतिहास में कवियों और कविताओं की भूमिका सदैव महत्वपूर्ण एवं प्रभावी रही है। कविता के माध्यम से हमने अनेक प्रकार के सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनैतिक सुधारों को आकार लेते हुए देखा है। आज कवियों के अंदर सकारात्मक बदलाव लाने की क्षमता का भी हस होता जा रहा है। उस क्षरण को रोकने के एक प्रयास का नाम है `राष्ट्रीय कवि संगम’।

भारत की आत्मा में बसती है शांति

इंद्रेश, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश ने कहा कि भारत देश आध्यात्मिकता व शांति के धरोहर के रूप में विख्यात है। यहां युद्ध से ज्यादा अध्यात्म की शक्ति पर विश्वास किया जाता है। भारत देश हथियारों के बजाए शांति को तरजीह देता है।