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Monthly Archives: May 2016

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“Forum of Public Schools”-Delhi invited Sister Urmil & Sister Sudesh, Palam Vihar to address a gathering of Principals & Educators (around 300 in nos) in a session based on Value Education in Schools at the Annual Conference of Forum of Public Schools held at India Islamic Centre, Lodhi Road, New Delhi.

Forum of Public Schools is a non-profitable organization was established with a vision to promote excellence in school education and safeguard the interests of private unaided schools in and around Delhi.

Chairperson of the forum Mr. Sanjay Bhartiya, Vice Chairperson Ms. Anupma Bhardwaj, Secretary Ms. Mukta Misra along with executive Member Mr. C.B. Mishra were present in the program.

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1 2सुसंस्कृत समाज में कलाकारों की भूमिका’ इस विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन एवं राजयोग रिट्रिट कला एवं संस्कृति प्रभाग तथा ब्रह्माकुमारीज के संयुक्त रीति से माउंट आबू  के ज्ञान सरोवर अकादमी में आयोजित  किया गया.  इस प्रोग्राम की एक कड़ी के रुप मे 7 मई रात 9 से 10 सुप्रसिद्ध भजन सम्राट अनूप जलोटा द्वारा मूल्य आधारित गीतों का कर्यक्रम रखा गया.
इस कार्यक्रम मे हार्मोनि हॉल मे सभी श्रोता मन्त्र मुघ्द हो गये, इस कार्यक्रम का संचालन ज्ञानामृत प्रेस की श्वेता बहन ने किया जो कला एवं संस्कॄति प्रभाग की एक्टिव मेंबर है अंत मे प्रभाग की राष्ट्रीय संयोजिका कुसुम बेन तथा क्षेत्रिय संयोजिका निहाबेन ने जलोटा जी का सन्मान करते हुवे ईश्वरीय सौगत भेट दी ।

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त्याग तपस्या और वैराग्य का दूसरा नाम है साधना और संयम… ब्रह्माकुमारी सरिता दीदी

उज्जैन ५ मई : प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा दत्त अखाड़ा क्षेत्र बडऩगर रोड में आयोजित राजयोग अनुभूति शिविर के दूसरे सत्र में प्रवचनकरते हुए ब्रह्माकुमारी सरिता दीदी ने कहा कि कुम्भ मेले के आयोजन से बहुत ही सुन्दर आध्यात्मिक वातावरण बना हुआ है। चारों ओर शिविरों में भक्ति और ज्ञानकी गंगा बह रही है जिसमें श्रद्घालुगण डुबकी लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पानी में स्नान करने से शरीर की गन्दगी साफ हो जाती है लेकिन मन और संस्कार कीसफाई के लिये ज्ञानयोग के साथ साथ साधना और संयम का सन्तुलन चाहिए।

उन्होंने कहा कि आत्मा अजर,अमर और अविनाशी है। लेकिन वह कर्मों के प्रभाव से न्यारी नहीं है। हर एक आत्मा के साथ पाप और पुण्य का खाता जुड़ाहुआ है। आत्मा की शुद्घि के लिए अपने बुद्घि रूपी बर्तन को दिव्य और पवित्र बनाने की आवश्यकता है। परमात्मा तो है ही परम सत्ता। वह दु:ख सुख से न्यारा है।जन्म मरण के चक्कर में भी वह नहीं आते। उनका नाम है सदा शिव अर्थात् सदैव कल्याणकारी। वे इस मनुष्य सृष्टि रूपी कल्प वृक्ष के बीज स्वरूप हैं। वह धर्म ग्लानिके समय परकाया प्रवेश करके साधारण बूढ़े के शरीर का आधार लेकर अपना सत्य परिचय देते हैं।

उन्होंने कहा कि श्रीमद् भगवद् गीता में स्पष्ट शब्दों में लिखा है कि शिव परमात्मा को अमरनाथ, सोमनाथ, विश्वनाथ के साथ-साथ पापकटेश्वर औरमुक्तेश्वर भी कहते हैं। ज्ञान सागर को मंथन करने की आवश्यकता है। वर्तमान समय पुरूषोत्तम संगम युग में स्वयं परमपिता परमात्मा साधारण बूढ़े तन में प्रवेशकरके प्रजापिता ब्रह्मा के द्वारा सच्ची गीता का ज्ञान दे रहे हैं।

नैतिक पतन सबसे बड़ी समस्या… स्वामी शिवोहम् भारती

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा बडऩगर रोड पर आयोजित सत्यम शिवम सुन्दरम मेले का अवलोकन करने के लिए एक रोटीमहाराज के नाम से मशहूर स्वामी शिवोहम् भारती महाराज पधारे। उनके संस्थान के नाम पर ७५०० करोड़ हस्तलिखित मंत्र संग्रहित करने का अनोखा रिकार्ड दर्ज है।मेला देखने के बाद अपने आशीर्वचन में उन्होंने कहा कि समग्र विश्व में आज नैतिक पतन सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है। ऐसे समय पर दुनिया में नैतिक क्रान्ति कीआवश्यकता है। लोगों के जीवन में सदाचार और सदाहार लाने की जरूरत है। यह तभी सम्भव है जब हमारा जीवन बच्चे की तरह निर्लिप्त और निर्विकार होगा।

उन्होंने मेले की सराहना करते हुए कहा कि परमात्मा सदाशिव हैं। वह सृष्टि के नियंता हैं। उन्हीं के बतलाए मार्ग पर चलकर ब्रह्माकुमारी संस्थान उनकेसन्देशों का प्रचार सारे विश्व में कर रही है।

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हर कर्म ईश्वर को समर्पित होकर करें… ब्रह्माकुमारी सरिता दीदी

उज्जैन ३ मई : प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा सिंहस्थ में दत्त अखाड़ा क्षेत्र बडऩगर रोड में सत्यम शिवम सुन्दरम मेले में आयोजित राजयोग श्वििर में ब्रह्माकुमारी सरिता बहन ने ईश्वरीय महावाक्यों का महत्व बतलाते हुए कहा कि हर कर्म ईश्वर के प्रति समर्पण भाव से करे तो कोई भी पाप कर्म नहीं होगा और कर्म में सफलता भी मिलेगी। उन्होंने कर्मों की गहन गति को स्पष्ट करते हुए कहा कि श्रीमदभगवद्गीता के अनुसार हर कर्म का फल अवश्य मिलता है। आत्मा अपना ही मित्र और अपना ही शत्रु है। आपका मन इसका दर्पण है। एक बार मन आवाज अवश्य देता है कि इस कर्म का फल कैसा होगा। आज कोई धर्मशाला का निर्माण करता है, तो उसको रहने के लिये अच्छे मकान मिल जायेंगे। कोई विद्यालय बनवाता है तो उसको अच्छी बुद्घि प्राप्त होती है। इसी प्रकार यदि कोई स्वास्थ्य सेवाओं में अपना सहयोग देता है तो उसे अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है। यह सभी प्राप्तियाँ एक जन्म के लिए होती हैं। किन्तु वर्तमान संगम युग अर्थात पुरूषोत्तम माह में दान पुण्य करने से उसका लाभ कई गुणा होकर इक्कीस जन्मों के लिए प्राप्त होता है।
ब्रह्माकुमारी सरिता दीदी ने आगे कहा कि भविष्य के बारे में चिन्तन करें, लेकिन चिन्ता नही करें क्योंकि चिन्ता करने से हमारी एकाग्रता कम हो जाती है। चिन्ता करने से सोचने की शक्ति नष्टï होने लगती है। उन्होने चिन्ता और तनाव को आधुनिक जीवन की सबसे भयावह बीमारी बतलाते हुए कहा कि तनाव के कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और हमारा शरीर छोटी-छोटी बीमारियों का सामना करने में भी असमर्थ हो जाता है। वैज्ञानिकों ने अनुसंधान के बाद यह सिद्घ किया है कि जो व्यक्ति बहुत समय तक चिन्ता करता है, धीरे-धीरे उसकी स्मरण शक्ति घटने लगती है।
अपने प्रवचन में उन्होने आगे कहा कि चिन्ता बहुत से मनोरोगों की जनक है। एक सर्वेक्षण के अनुसार हमारे देश में पांच करोड़ लोग चिन्ता की बिमारी से ग्रसित हैं। उन्होने चिन्ता उत्पन्न होने के कारणों की चर्चा करते हुए कहा कि लोगों की यह जिद ही चिन्ता का प्रमुख कारण है कि मैं जो चाहती हूॅं वही होना चाहिए तथा जो मुझे पसन्द नही है वह कार्य कभी कोई न करे।
आज सत्यम शिवम सुन्दरम मेले का अवलोकन करने के लिए कबीरपंथी संत और नेता नारायण प्रसाद जो कि मध्यप्रदेश हस्तशिल्प एवं हाथकरघा विकास निगम के अध्यक्ष भी हैं, मेला स्थल पर पधारे। मेले का अवलोकन करके वह बहुत खुश हुए। बाद में उन्होंने अपना अभिमत व्यक्त करते हुए कहा कि माँ देवी का रूप बनकर जो ब्रह्माकुमारियाँ बहनें चैतन्य देवियों की झाँकी दिखा रही हैं, वइ अनूठा है। मेले में परमात्मा से मिलने का मार्ग दिखाया जा रहा है, इससे लोगों को शान्ति की अनुभूति होगी। प्रदर्शनी बहुत ही शानदार और देखने लायक है। आज ही रामकृष्ण मिशन के स्वामी ओमानन्द जी भी मेला देखने के लिए पधारे थे।