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Monthly Archives: May 2016

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अध्यात्म और मूल्य शिक्षा से आती है जीवन में शान्ति
विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के शिक्षाविदों का महासम्मेलन

ज्ञान सरोवर (आबू पर्वत)। प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री तथा निर्देशक दिव्या खोसला कुमार ने ब्रह्माकुमारीज शिक्षा प्रभाग द्वारा `मूल्य एवं आध्यात्मिकता द्वारा जीवन में उत्कृष्टता’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारत वह महान भूमि है जहाँ से आध्यात्मिकता का जन्म हुआ है। मेरा अपना अनुभव यह है कि जब तक मैंने भगवान को अपने जीवन की बागडोर सौंपकर उसकी याद को अपने साथ रखकर जीवन जिया तो उसमें सफलता भी प्राप्त हुई और जीवन की शांति भी कायम रही। लेकिन जब फिल्म जगत में हर कदम सफलता मिलती गई और मैं नई-नई फिल्मों में व्यस्त होती गई और पूरी तरह जब मैं भौतिक जगत में रम गई तो पाया कि इसमें ना तो सुख है और ना ही शांति। मेरी एकाग्रता व शांति भौतिकवादी दुनिया ने छीन ली। रात को नींद भी आनी बंद हो गई। इस दौरान मैंने अपने जीवन में सब कुछ होते हुए भी खुद को अंदर से खाली महसूस किया, तब मैंने दिल्ली स्थित ब्रह्माकुमारी सेंटर पर जाकर कुछ दिन रहकर राजयोग मेडिटेशन का अभ्यास कर वापस खुद को आंतरिक शांति व खुशी से भरपूर किया। आध्यात्मिकता द्वारा ही आप स्वयं को ईश्वर के सानिध्य में सुरक्षित अनुभव कर सकते हैं।

सोमानी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी एण्ड मैनेजमेंट, रेवारी के डायरेक्टर डॉ. यशपाल सिंह ने कहा कि ब्रह्माकुमारी संस्था एकमात्र ऐसा विश्व विद्यालय है जो विश्व को मूल्यों की शिक्षा प्रदान कर रहा है। युवा पीढ़ी को यह आध्यात्मिक शिक्षा मिल सके, इसके लिए हमें प्रयास करने चाहिए। रोटी, कपड़ा और मकान से लेकर लोग धीरे-धीरे अपनी आकांक्षाओं को बढ़ाते जाते हैं। मगर इस दौड़ के अंत में उनको शांति की जरूरत होती है। शांति के लिए मूल्यों को अपनाना पड़ता है। मुझे इस स्थान पर स्वर्ग नजर आता है।

उत्तर ओडिसा विश्वविद्यालय में पी.जी. कौंसिल की अध्यक्षा प्रो.एम. हेमबिन्दु ने कहा कि स्वयं को सही रीति जानकर व अपनी नकारात्मकता को दूर करके ही अपने कार्य के प्रति न्याय कर सकते हैं। जीवन में मूल्यों की धारणा के आधार पर ही व्यक्ति सभ्य माना जाता है। आज का मानव अपूर्ण है क्योंकि वह इन मूल्यों से सर्वथा दूर है। अनेक कर्मकाण्डों को जीवन में अपनाकर भी हम स्वयं में मूल्यों व अध्यात्म को आत्मसात नहीं कर पाए। खुद के आत्मिक स्वरूप को अनुभव कर ईश्वर से जुड़ना ही अध्यात्म है। इससे ही सफलता व मूल्य जीवन का श्रृंगार बनेंगे।

ब्रह्माकुमारी॰ज शिक्षा प्रभाग के उपाध्यक्ष ब्र.कु. मृत्युंजय ने कहा कि मूल्य व आध्यात्मिक शिक्षा द्वारा ही मनुष्य भय, रोग, शोक, पाप व दुःखों से मुक्ति प्राप्त कर सकता है। अध्यात्म से ही बुद्धि में दिव्यता व मन में सकारात्मकता आती है। अध्यात्म से ही जीवन में पवित्रता आती है।

दिल्ली पाण्डव भवन से पधारी ब्र.कु. पुष्पा ने कहा कि आप सभी शिक्षक महान हैं क्योंकि आप देश के भविष्य बच्चों को शिक्षित करते हैं। हम सभी एक परमात्मा की संतान हैं तो हम सभी को प्रेम और शांति से मिलकर जीना चाहिए। हमें भौतिकवाद के अतिरेक से बचकर जीवन में अध्यात्म के आधार पर मूल्यों को अपनाना चाहिए। स्वयं को आत्मा जानकर परमात्मा से योगयुक्त होने पर ही जीवन मूल्यवान बनता है।

ब्रह्माकुमारीज मूल्य शिक्षा के निदेशक ब्र.कु. पाण्ड्यिमणि ने ब्रह्माकुमारी॰ज शिक्षा प्रभाग द्वारा की जा रही ईश्वरीय सेवाओं की जानकारी देते हुए कहा कि आठ वर्ष पूर्व हमने अन्नामलाई विश्वविद्यालय से युक्त होकर मूल्य और अध्यात्म पर एम.एस.सी. और एम.बी.ए. का पाठ्यक्रम शुरू किया है। अन्य विश्वविद्यालयों से भी जुड़कर अनेक कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। आज आठ भाषाओं में यह कार्यक्रम दिये जा रहे हैं। जेल में भी यह पाठ्यक्रम पढ़ाये जा रहे हैं।

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आबू रोड, शांतिवन। 37वाँ बाल व्यक्तित्व विकास शिविर के तहत पूरे देश से आए हुए बच्चों ने अपनी आकर्षक और भाव-भीनी प्रस्तुति देकर भारत की विविधता की संस्कृति को जीवंत रूप प्रदान किया। रंग-बिरंगे रोशनी के बीच सुर और तबले की थाप पर गूंजी नन्हें-मुन्हें बाल कालाकारों की घुंघरूओं की झंकार। एक के बाद एक बेहतरीन प्रस्तुति। यह अनुपम दृश्य था ब्रह्माकुमारीज के शांतिवन परिसर का, जहां बाल कलाकारों ने अपने अभिनय से लोगों को अचंभित कर दिया।

एक से बढ़कर एक प्रस्तुति

पहले और दूसरे दिन के कार्यक्रम की शुरूआत पांडव भवन, दिल्ली की कुमारी दिव्यांशी, कुमारी प्रियांशी, नेहा और बरेली मध्यप्रदेश की कुमारी वैदेही के स्वागत नृत्य से हुई। इसके पश्चात तो जैसे समा ही बंध गया। झूमर, कत्थक नृत्य एवं कजरी गान पर नौनिहालों की मनमोहक रिकार्डिंग डांस की प्रस्तुति देखकर तो दर्शकों ने जैसे दांतों तले ऊंगली ही दबा ली। इन बाल कलाकारों की हौसला अफजाई के लिए दर्शकों ने खूब तालियां बजायी। इन बाल कालाकारों की मासूम आदाओं ने तो सभी का मन मोह लिया। गांधीनगर, गुजरात की कुमारी कलकल एण्ड ग्रुप द्वारा प्रस्तुत किया गया आज आनंद का दिन आया रे……, तिलकवाड़ा गुजरात की कुमारी ध्वनि एण्ड ग्रुप द्वारा प्रस्तुत किया गया झूम-झूम हर कली…. नृत्य पर तो जैसे सारा हॉल ही झूमने लगा। वहीं महाराष्ट्र, किनवट की कुमारी धनश्री एण्ड ग्रुप द्वारा प्रेम रतन धन पायो…. गीत पर जादुई अंदाज में प्रस्तुत किया गया सामूहिक नृत्य ने तो ऐसा समा बांधा की लोग नौनिहालों की अदाओं के दीवाने हो गए। मैय्या यशोदा ये तेरा कन्हैया…., जय भारती वंदे भारती…. और देशभक्ति रीमिक्स पर पाचोर, राजगढ़ की कुमारी पायल, मुस्कान एवं कशिश द्वारा प्रस्तुत किया गया सामूहिक नृत्य ने लोगों को रोमांचित कर दिया।

नौनिहालों ने भारत की इस संस्कृति को अपने कार्यक्रम के माध्यम से प्रस्तुत कर लोगों को मूल्यों और संस्कारों के प्रति जागरूक किया।

बिक्रम वेताल की प्रस्तुति

बीके कॉलोनी के भाई-बहनों द्वारा इतिहास में वर्णित राजा विक्रमादित्य वेताल की कहानी का दृश्य प्रदर्शित किया गया। वहीं गुजरात, आनंद से आए बाल कलाकारों ने आदिवासी नृत्य प्रस्तुत कर सभी को रोमांचित कर दिया।

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का दिया संदेश

भारत देश में आज भी बेटी को पराया धन समझा जाता है। बेटियों के प्रति बढ़ती हिंसा ने समाज की सोच को बदलने पर मजबूर कर दिया है। बेटियों के प्रति जागरूकता व सम्मान बढ़ाने के लिए ब्रह्माकुमारीज द्वारा आयोजित 37 वाँ बाल व्यक्तित्व विकास शिविर में भारत के नौनिहालों ने अपनी कला के माध्यम से बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का संदेश दिया। इस नाटक के द्वारा लड़की पर हो रहे अत्याचार व शारीरिक शोषण का सजीव चित्रण किया गया था। इस नाटक के द्वारा लोगों को यह एहसास हुआ कि बेटी, सिर्फ बेटी ही नहीं है बल्कि वह तो देवी का रूप है। जिस घर में बेटी होती है उस घर में सुख-शांति का साम्राज्य होता है। इतना ही नहीं बेटियों ने तो हर क्षेत्र में सफलता के झंडे बुलंद किए हैं। इस नृत्य नाटिका के द्वारा समाज को यह संदेश देने का प्रयास किया गया कि यदि बेटियों के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराएंगे तो मानव का अस्तित्व भी सुरक्षित नहीं रहेगा। नई दिल्ली से आए बाल कलाकारों की यह प्रस्तुति शिविर में एक यादगार पल बना गया।

श्रीकृष्ण की बाल-लीलाओं की प्रस्तुति

आज भी श्रीकृष्ण का नाम लेते ही हमारा मन मयूर आनंद से झूमने लगता है और उनकी बाल-लीलाओं की स्मृतियों में खो जाता है। मैय्या यशोदा… ये तेरा…. कन्हैया…. गीत के बाल पर दुर्गापूरा राजस्थान से आयी कुमारी हनी, हिमानी, मुस्कान एण्ड ग्रुप, सिविल लाइन जयपुर से आयी कुमारी निधि, अरूणिमा एण्ड ग्रुप और सुख-शांति अहमदाबाद से आयी कुमारी विशम्भरा वैद्य द्वारा प्रस्तुत किया गया मनमोहक नृत्य हमें श्रीकृष्ण की रास-लीलाओं की यादों को ताजा कर गया।

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कविता में है समाज और राष्ट्र को सम्भालने की ताकत
छठे राष्ट्रीय कवि संगम में हुआ गुजरात के राज्यपाल का महत्वपूर्ण सम्बोधनः कवियों ने देश की संस्कृति को बिखरने से बचाया है

आबू रोड, शांतिवन। ब्रह्माकुमारीज के आबू रोड स्थित मनमोहिनी वन कम्पलेक्स के ग्लोबल ऑडीटोरियम में दो दिवसीय `राष्ट्रीय कवि संगम’ का आयोजन किया गया। जिसमें पूरे देश भर से लगभग 450 प्रसिद्ध कवियों ने भाग लिया। छठे `राष्ट्रीय कवि संगम’ के समापन सत्र में देशभर के कवियों को संबोधित करते हुए गुजरात के राज्यपाल ओ.पी.कोहली ने कहा कि कविता में ऐसी ताकत होती है कि वह व्यक्ति को रूला भी देती है तो हंसा भी देती है। यह जनमानस में उन्माद भी पैदा कर देती है तो सद्भाव भी। सही मायने में कविता में समाज और राष्ट्र को संभालने की ताकत होती है।

उन्होंने कहा कि यदि पूरे देश के कवि मिलकर समाज में इस भावना का संचार करना प्रारंभ कर दे तो समाज की पूरी रूपरेखा ही बदल जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि प्रेम की कई परिभाषाएं है जो माँ-बेटा, पति-पत्नी, भाई-बहन, राष्ट्र प्रेम आदि के रूप में परिलक्षित होती है। यह ऐसा ताना-बाना है जिसकी डोर बहुत मजबूत होती है। उन्होंने आजादी के दिनों को याद करते हुए कहा कि जब हमारे देश में अंग्रेजों का राज्य था, संस्कृति बिखर रही थी तब कालीदास रामचरित मानस लेकर आए और देश की संस्कृति को संभालने की कोशिश की। जिसकी डोर में आज तक भारतीय समाज बंधा हुआ है। ब्रह्माकुमारीज संस्थान में किया गया यह आयोजन कई मायनों में अहम होगा। पुनः सभी कवियों को मिलकर समाज में राष्ट्रीयता व सद्भाव का माहौल बनाने की जरूरत है। राष्ट्रीय कवि संगम के अध्यक्ष जगदीश मित्तल ने कहा कि वह कविता किसी काम की नहीं होती जिसमें समाज बदलाव और जागरण का कोई सूत्र न हो। इसलिए कवियों को वर्तमान समाज और व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए इसकी अलख जगानी होगी।

ब्रह्माकुमारी संस्था के कार्यकारी सचिव बीके मृत्युंजय ने कहा कि जहां सूर्य की किरणें नहीं पहुंचती वहां कवि की धारा पहुंच जाती है। इसलिए कवि समाज के दर्पण और संस्कार के झोली है। कवियों की रचनाएं न सिर्फ हमारे ह्दय पर प्रभाव डालती है बल्कि हमारे अंदर उमंग-उत्साह का संचार भी करती है। कविता हमें मूल्यों के प्रति जागरूक करती है तो श्रेष्ठ संस्कारों को अपनाने की प्रेरणा भी देती है।

अभिषेक अनंत की कविता ने किया भाव विभोर

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ पर लिखी गई सुप्रसिद्ध कवि अभिषेक अनंत की कविता मुझे नाली में ना डालो बाबूजी…. जिस मार्मिक अंदाज में प्रस्तुत की गई उससे पूरा हॉल भाव-विभोर हो उठा। उपस्थित लोगों की आंखों से अश्रु की धारा बह निकली और उपस्थित लोग देर तक तालियां बजाते रहे। वहीं प्रसिद्ध कवि राजेश यादव की देशभक्ति की कविता ने सभी को राष्ट्र प्रेम से सराबोर कर दिया।

भारत में प्रवाहित होती है कविता की धारा

कार्यक्रम के संयोजक किशोर पारिक ने कविता प्रस्तुत करते हुए कहा कि जिस देश में कविता की धारा प्रवाहित होती हो उस देश को कोई झूका नहीं सकता है। हमारा देश महान है और महान रहेगा। जरूरत है इसमें और पैनपन और धार देने की। इसके साथ ही हमारा यह प्रयास सार्थक होगा।

सिरोही जिला के संयोजक व साहित्कार आशा पाण्डेय ओझा ने कहा कि नई पीढ़ी में कविता के माध्यम से देशप्रेम, मानवता व सात्विक विचारों का समावेश करना है। कविता के माध्यम से समाज में व्याप्त बुराइयों को समाप्त करना, नई पीढ़ी में साहित्य के प्रति रूचि जगाना व एक साहित्यिक सांस्कृतिक परिवेश बनाना हमारा उद्देश्य है।

अध्यात्म के रूप में पहचानी जाती है भारत की विरासत – दादी

इससे पूर्व `राष्ट्रीय कवि संगम’ का उद्घाटन करते हुए संस्था की संयुक्त मुख्य प्रशासिका दादी रतनमोहिनी ने कहा कि कवि श्रेष्ठ और मूल्यनिष्ठ समाज के मार्गदर्शक हैं। प्राचीनकाल से ही हर कार्य आध्यात्मिकता से ओत-प्रोत रहा है जो समाज को साहित्य और अध्यात्म के सहारे जोड़ती रही है। भारत देश की विरासत पूरे विश्व में जानी और पहचानी जाती है। कवि की रचनाओं में भावनाओं का समुद्र छिपा होता है जो देश को एकता के सूत्र में पिरोये रहती है।

कविता के माध्यम से अनेक सुधारों ने आकार लिया

राजस्थान के पूर्व मंत्री व साहित्यकार जोगेश्वर गर्ग ने कहा कि भारत के इतिहास में कवियों और कविताओं की भूमिका सदैव महत्वपूर्ण एवं प्रभावी रही है। कविता के माध्यम से हमने अनेक प्रकार के सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनैतिक सुधारों को आकार लेते हुए देखा है। आज कवियों के अंदर सकारात्मक बदलाव लाने की क्षमता का भी हस होता जा रहा है। उस क्षरण को रोकने के एक प्रयास का नाम है `राष्ट्रीय कवि संगम’।

भारत की आत्मा में बसती है शांति

इंद्रेश, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश ने कहा कि भारत देश आध्यात्मिकता व शांति के धरोहर के रूप में विख्यात है। यहां युद्ध से ज्यादा अध्यात्म की शक्ति पर विश्वास किया जाता है। भारत देश हथियारों के बजाए शांति को तरजीह देता है।

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खेलकूद में बच्चों ने दिखाया उत्साह, सूर्यदेव भी हुए नतमस्तक
बाल व्यक्तित्व विकास शिविर के तीसरे दिन खेलकूद प्रतियोगिता

आबू रोड, 24 मई, निसं। ब्रह्मकुमारीज़ द्वारा आयोजित बाल विकास शिविर के तीसरे दिन प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। जिसमें पूरे भारत से आये बच्चों ने भाग लेकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। तेज धूप और भीषण गर्मी की वजह से मंगलवार प्रात: पांच बजे कार्यक्रम आरम्भ हुआ। कार्यक्रम का शुभारम्भ आबू रोड पालिका के चेयरमैन सुरेश सिंदल, प्रभाग के उपाध्यक्ष बीके मृत्युंजय, संस्थान के सूचना निदेशक बीके करूणा तथा बीके भरत के कर कमलों से किया गया।
बच्चों की विभिन्न प्रतियोगिताओं को सम्बोधित करते हुए पालिका चेयरमैन सुरेश सिंदल ने कहा कि इससे बच्चों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता तो आयेगी ही साथ ही इससे मानसिक और शारीरिक विकास होगा। यह अच्छा प्रयास है इसे और व्यापक स्तर पर करना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंन बच्चों के लिए आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं की व्यवस्थाओं को भी सराहा।
कार्यक्रम में संस्थान के सूचना निदेशक बीके करूणा ने कहा कि पिछले 39 वर्षों से बच्चों के लिए यह कार्यक्रम आयोजित हो रहा है जिससे बड़ी संख्या में बच्चों की जिन्दगी में बदलाव आया है और वे आज अपने अपने क्षेत्र में मूल्योंं के साथ परचम फहरा रहे हैं। प्रभाग के उपाध्यक्ष बीके मृत्युंजय ने इससे एक बच्चों के क्षेत्र में एक उपलब्धि बतायी और कहा कि इस तरह का प्रयास आगे भी जारी रहेगा।
ये रहे विजेता: वैसे तो कई प्रतियोगिताओं का आयेाजन किया गया जिसमें बच्चों को दो समूहों डायमंड तथा एंजल ग्रुप में बांटा गया था। जिसमें डायमंड ग्रुप के बालिकाओं में सौ मीटर की दौड़ में नोएडा की रिया प्रथम, नान्देड़ महाराष्ट की धनेशा द्वितीय तथा नागपुर की असलेषा ने तीसरा स्थान पर रहीं। वही लडक़ों में झुंझनु राजस्थान के अजय प्रथम, दिल्ली के ईशान द्वितीय तथा चन्द्रपुर महाराष्ट्र के साकेत ने तीसरा स्थान जितने में कामयाब रहे। लेमन प्रतियोगिता में डायमंड में बालिकाओं में नन्दूरबार की भावना प्रथम, नडिय़ाद की दिव्या द्वितीय तथा अहमदाबाद की खुशबू तीसरा स्थान प्राप्त करने में कामयाब रही। एंजल ग्रुप में इंदौर की वासिका, दिल्ली की मानीनी द्वितीय और गुजरात उंझा की वानी तृतीय विजेता रही।
मौसम का बदला मिजाज: एक दिन पूर्व तक भीषण गर्मी तथा आग लगा देने वाले गर्मी की तपिश मंगलवार को सुहाने मौसम मं तब्दील हो गयी। जिससे बच्चों के लिए प्रतियोगिताओं का आयोजन सम्भव हो सका। तेज हवाओं के साथ बादलों भरे मौसम से सुहाना हो गया।
मेडिकल की टीम भी उपस्थित: बच्चों के खेलकूद के दौरान चले चार घंटे के कार्यक्रम में चिकित्सकों की टीम उपस्थित रही। बच्चों के लिए नीबू पानी, चाकलेट के साथ ग्लूकोज, पुदीन हरा समेत कई व्यवस्थायें की गयी थी।

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भगवान भाई ने कहा कि 19वीं सदी तर्क की थी, 20वीं सदी प्रगति की रही और 21वीं सदी तनाव पूर्ण होगी। ऐसे तनावपूर्ण परिस्थितियों में तनाव से मुक्त होने सकारात्मक विचारों की आवश्यकता है

उन्होंने बताया कि मन में लगातार चलने वाले नकारात्मक विचारों से दिमाग में विभिन्न प्रकार के रासायनिक पदार्थ उतरकर शरीर में आ जाते हैं। इनसे अनेक बीमारियां होती हैं। मन के नकारात्मक विचारों से मनोबल, आत्मबल कमजोर बन जाता है।

तनाव से आपसी मतभेद

भगवान भाई ने कहा कि जहां तनाव है वहां अनेक समस्याएं बढ़ जाती हैं। तनाव के कारण आपसी मतभेद, टकराव बढ़ जाते हैं। जहां तनाव है वहां मानसिक अशांति के वश होकर मनुष्य व्यसन, नशा, डिप्रेशन के वश हो जाता है। उन्होंने बताया कि मन चलने वाले नकारात्मक विचारों के कारण ही मन में घृण, नफरत, बैर, विरोध, आवेश और क्रोध उत्पन्न होता है।

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ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहा कि वर्तमान समय कुसंग, सिनेमा, व्यसन और फैशन से युवापीढ़ी भटक रही है। आध्यात्मिक ज्ञान और नैतिक शिक्षा के द्वारा युवा पीढ़ी को नई दिशा मिलसकती है। उन्होंने बताया कि सिनेमा इन्टरनेट व टीवी. के माध्यम से युवा पीढ़ी पर पाश्चात्यसंस्कृति का आघात हो रहा है। इस आघात से युवा पीढ़ी को बचाने की आवश्यकता है। उन्होंनेबताया कि युवा पीढ़ी को कुछ रचनात्मक कार्य सिखाए, तब उनकी शक्ति सही उपयोग में लासकेंगे। वरिष्ठ राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहा कि हमारे मूल्य हमारी विरासत है। मूल्यकी संस्कृति के कारण भारत की पूरे विश्व में पहचान है। इसलिए नैतिक मूल्य, मानवीय मूल्यों कीपुर्नस्थापना के लिए सभी को सामूहिक रूप में प्रयास करने चाहिए। सकारात्मक चिन्तन का महत्वबताते हुए उन्होंने कहा कि सकारात्मक चिन्तन से समाज में मूल्यों की खुशबू फैलती है।सकारात्मक चिन्तन से जीवन की हर समस्याओं का समाधान होता है। उन्होंने शिक्षा का मूलउद्देश्य बताते हुए कहा कि चरित्रवान, गुणवान बनना ही शिक्षा का उद्देश्य है। उन्होंनेआध्यात्मिकता को मूल्यों का स्रोत बताते हुए कहा कि शांति, एकाग्रता, ईमानदारी, धैर्यता,सहनशीलता आदि सद्गुण मानव जाती का श्रृंगार है।​

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अपनी प्रकृति को समझ कर उसको  ईश्वरीय बल प्रदान करें : राजयोगिनी सरला दीदी 

ज्ञान सरोवर ( आबू पर्वत ),२१ मई २०१६। आज ज्ञान सरोवर स्थित हार्मनी  हॉल में  ब्रह्मा कुमारीज एवं इसकी 

​भगिनी

संस्था, वैज्ञानिक व अभियंता प्रभाग द्वारा एक अखिल भारतीय सम्मलेन का आयोजन किया गया।  इस सम्मलेन का विषय था “प्रकृति उत्सव “. सम्मलेन में देश के विभिन्न भागों से ६०० से भी अधिक वैज्ञानिकों  व अभियंताओं ने भाग  लिया।  दीप प्रज्वलित करके सम्मलेन का उद्घाटन सम्पन्न हुआ। ब्रह्मा कुमारीज वैज्ञानिक व अभियंता प्रभाग की अध्यक्षा तथा गुजरात क्षेत्र की प्रमुख प्रशासिका राजयोगिनी सरला दीदी  जी सहित अनेक गन्य मान्य लोगों ने इसमें भगा लिया। 


ब्रह्मा कुमारीज वैज्ञानिक व अभियंता प्रभाग की अध्यक्षा तथा गुजरात क्षेत्र की प्रमुख प्रशासिका राजयोगिनी सरला दीदी जी ने आज का अध्यक्षीय प्रवचन दिया।  आपने अपना आशीर्वचन इन शब्दों में दिया।  आपने कहा कि आप सभी की हिम्मत की दाद दे रही हूँ क्योंकि आप सभी काफी समय से सुन रहे हैं और ज्ञान बिंदुओं को अपने में समेट रहे हैं।  आप चात्रक पंछी हैं।  सबसे बड़ा वैज्ञानिक और इंजीनियर तो परमात्म ही है।  उसने ही  हम सभी को मिलाया है।  इस मंगल मिलन को हम सभी मना रहे हैं।  उत्सव मना रहे हैं।  प्रकृति उत्सव मना रहे हैं। आज आप सभी को संकल्प करना है कि जीवन में हमेशा उमंग और उत्साह बना रहे।  सके लिए आपको रजयोगा का अभ्यास करना है।  खुद को मजबूत बनना है।  अपनी प्रकृति को समझ कर उसको बल देना है।  परम सत्ता से बल प्राप्त करना है।  यह है राजयोग।
 

पद्म भूषन डॉकटर ए भी रामा राव ने अपना उद्घाटन भाषण देते हुए इस बात के लिए खुशी  प्रकट की कि इतने सुन्दर कार्य क्रम में भाग लेने का उनको अवसर प्राप्त हुआ है।  उन्होंने सभी के प्रति अपना आभार प्रकट किया।  आपने कहा की भारत में विज्ञान एवं तकनीक की शिक्षा पर सही ध्यान नहीं दिया गया है।  भारत की समस्या इसकी जन संख्या नहीं है बल्कि निम्न स्तरीय शिक्षा व्यवस्था है।  घनी आवादी के बावजूद जापान इतनी प्रगति कर पाया क्यों की जापान ने अपनी शिक्षा  व्यवस्था को मजबूत बनाया है।  आपने पूरी शक्ति से  इस बात पर बल दिया की संसार एक अस्तित्व विज्ञान और तकनीक से ही बच पाएगा। 

 
वैज्ञानिक व अभियंता प्रभाग की क्षेत्रीय संयोजक राजयोगिनी गोदावरी दीदी ने आज के अवसर पर अपने उदगार प्रकट किये।  आपने कहा कि संसार में सभी को खुशी चाहिए।  ख़ुशी प्राप्ति के लिए खुद की पहचान जरूरी है।  खुद की प्रकृति को समझ कर और सर्वोच्चा सत्ता से मिलकर संसार की सारी  ख़ुशी प्राप्त कर सकेंगे क्योंकि परमात्मा से संपर्क से मूल्य जीवन में भरेंगे और खुशियां प्राप्त होती रहेंगी।  अपनी विचार धारा  को बदले और प्रकृति उत्सव मनाएं। 
 
वैज्ञानिक व अभियंता प्रभाग के  राष्ट्रीय संयोजक राजयोगी मोहन सिंघल ने कहा कि यह संसार प्रकृति और पुरुष का एक खेल है।  परमात्म परम पुरुष है
और हमारे परम पिता की भूमिका निभाते हैं।  वे हमारे जीवन से भय मिटा ते हैं।   लौकिक पिता भी अपने बच्चों के जीवन से भय मिटाने का काम करते हैं उनको सही दिशा निर्देश देकर।  ईश्वरीय प्रेरणा से हम सर्व प्रथम खुद के साथ सौहार्द  कायम करना सीखते हैं।  फिर प्रकृति के साथ हमारा  सौहार्द  कायम हो ही जाता है।  अपनी चिंतन प्रक्रिया को सही दिशा देकर हम अपना और प्रकृति का उपकार कर सकेंगे 
 
राजेश गोयल ( मैनेजिंग डायरेक्टर,प्रेफब लिमिटेड ,दिल्ली  ) जी ने सुन्दर माहौल के लिए आयोजकों को धन्यवाद दिया।  कहा कि  प्रकृति का अधिक दोहन न करें।  हमने नेचर से खेलना कब से शुरू कर दिया है।  नेचर हमसे इसका बदला लेगी – महाविनाश के रूप में।  हमारे लालच ने सब गड़बड़ कर दिया है।  आतंरिक प्रकृति को ठीक करके हम परिस्थिति बदल सकते हैं।  आतंरिक प्रकृति के बदलाव के लिए ब्रह्मकुमारीज हमें मार्ग दर्शन  दे रही हैं , काफी समय से।  
 
वैज्ञानिक व अभियंता प्रभाग के मुख्यालय संयोजक बी के भरत ने आज  के इस विशेष अवसर पर पधारे हुए सभी  महानुभावों का  वाणी के द्वारा स्वागत किया। आपने पधारे हुए सभी महानुभावों से अनुरोध किया की सभी इस वर्ष कम से कम ५ वृक्ष अवश्य  रोपें।  

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उज्जैन: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा सिंहसथ में दत्त अखाड़ा क्षेत्र में बडऩगर रोड पर लगाए गए सत्यम शिवम सुन्दरम मेले में अनेक जाने माने संतों ने शिरकत की। सभी ने मेले का अवलोकन किया तथा भव्य चैतन्य झांकी भी देखा।

इसमें रामस्नेही संप्रदाय के प्रमुख, जगत्गुरु स्वामी रामदयाल महाराज, स्वामी विद्यानन्द महाराज, महामण्डलेश्वर स्वामी प्रेमानंद, मुंबई, स्वामी प्रशांतानन्द महाराज, श्री १००८ श्रीमहामण्डलेश्वर श्रीमहंत चंद्रदेवदास, हरिद्वार की कथावाचक साध्वी किशोरी कृष्णा, श्री अखण्ड आश्रम उत्तरकाशी (हिमाचल) की महामण्डलेश्वर साध्वी सुश्री रंजना देवी, 

सिहोर जिला के अमराझिरी आश्रम से पूज्य टाटम्बरी गुरूजी, 

​मानस शक्तिपीठ आश्रम, आलमपुरउडाना की साध्वी हेमलता दीदी सरकार आदि का नाम प्रमुख है.

सर्वोच्च सत्ता ईश्वर का धन्यवाद करते हुए सत्यम शिवम सुंदरम आध्यात्मिक मेले का समापन हुआ

उज्जैन, २२ मई : आज सिंहस्थ २०१६ में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा दत्त अखाड़ा क्षेत्र बडऩगर रोड में आयोजित सत्यम शिवम सुंदरम आध्यात्मिक मेले का ईश्वर का धन्यवाद करते हुए समापन हो गया। इसके साथ ही नौ चैतन्य देवियों की झांकी का भी संक्षिप्त किन्तु गरिमामयी कार्यक्रम में समापन हो गया।

इस अवसर पर वेदनगर स्थित स्थानीय सेवाकेन्द्र प्रभारी एवं उज्जैन संभाग की संचालिका ब्रह्माकुमारी उषा दीदी जी ने एक माह तक चले बेहद मेले के सफल आयोजन के लिये परमात्मा के साथ साथ, स्थानीय शासन मध्यप्रदेश राज्य तथा उज्जैन नगर पलिका नियम, पुलिस प्रशासन, मीडिया, विद्युत विभाग, टेलीफोन विभाग एवं समस्त शासकीय-अशासकीय संस्थानों के अधिकारियों कर्मचारियों तथा पदाधिकारियों के प्रति संस्था की ओर से धन्यवाद ज्ञापित किया।

६५ लाख लोगों ने आध्यात्मिक मेले का किया अवलोकन

ब्रह्माकुमारी उषा दीदी जी ने इस अवसर पर बताया कि इस एक माह में लगभग ६५ लाख लोगों ने इस चैतन्य देवियों की झॉकी तथा सत्यम शिवम सुंदरम मेले का अवलोकन किया। इनमें से कई लोगों ने ५ दिवसीय राजयोग शिविर का लाभ लिया।

more ……

 

 

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15th All India Bhagvad Gita Conference Begins

‘Adopt Spiritual Lifestyle and Values to Combat Climate Change’- Prof. Kaptan Singh Solanki

Gurgaon, May 21: “Gita  Gyan is not for mere listening or reading, but for contemplating and cultivating  its universal teachings in daily life, to reap its real benefits of holistic health, harmony , happiness and sustainable development in society”

Prof. Kaptan Singh Solanki, Governor of Punjab, Haryana and UT Chandigarh said this while inaugurating a two-day 15th All India Bhagavad Gita Conference on “Spiritual Wisdom for Re-establishing Satyugi Virtuous Wrld” organized by Prajapita Brahma Kumaris Ishwariya Vishwa Vidyalaya at its Omshanti Retreat Center, Pataudi Road, here today.

He said that the real religion is India’s ancient Sanatan Dharma which is not confined to ceremonies, rituals and prayers alone, but to adoption of spiritual lifestyle and universal values like vasudhaiva kutumbakam (world as a family), vishwa bandhutwa (universal brotherhood), live and let live.

“If we can translate such simple living, high thinking and noble values into practical action as enshrined in Bhagvad Gita and as enunciated by our saints and sages thousands of years back, then we can successfully combat and contain the evils of climate change, pollution, poverty and terrorism”, Prof. Solanki stressed.

‘In fact, Incorporeal God of Gita descends on earth to re-establish this real religion or Sanatan Dharma of nobility, civility and humanity which differentiate human beings from animals’, he emphasized.

He urged the august gathering of hundreds of gentry, mahatmas, sadhus, scholars and intellectuals from all over India on this occasion, to emulate Yudhisthir by inculcating positive qualities and to discard Duryodhan by demolishing negative traits if any, in them.

Centurion Rajyogini Dadi Janki, Chief of Brahma Kumaris in her video message from Mount Abu delivered the Bhagvad Gita message of connecting one’s inner self with the Supreme Being in Rajyoga meditation for sublimating human vices and for developing divine virtues in life so as to supplement God’s work of re-establishing Satyugi virtuous world.

Justice V Eshwaraiah, Chairman, National Commission for Backward Classes said that even if named and prayed differently in different religions, God is one incorporeal sentient being who is spiritual father of all souls and who does not have any father or mother unlike human beings or divine deities.

Swami Adhyatmanand Maharaj from Ahmedabad as Guest of Honor said that even though Bhagavad Gita has been variedly interpreted by various authors, its quintessence has remained the same Manmana bhav & Madhyaji bhav which mean to stabilize one’s mind and intellect with the Supreme Soul to elevate one’s life from mundane to divine sphere.

He said that Brahma kumaris are practically implementing the teachings of Gita which aim at restoring truth, peace, love, harmony and happiness in life and society.

Swami Dr Muktanand Puri from Alwar said that every human soul is potentially divine and God of Gita is incorporeal Supreme Soul who is divine light and might.

He urged all to follow the universal message of Gita for re-establishment of Sanatan Dharma  in one’s life and in the world.

Swami Dr Jeevan Dev Maharaj of Jyoti Dham, Rishikesh said that since human life is very rare and most valuable, it should be best utilized through service to saints, sages, weaker, vulnerable and the disadvantaged sections of society.