‘ नवनिर्मित भवन उदघाटन व दिव्य समर्पण समारोह ’
करनाल 3 अप्रैल 2016,
ब्रह्माकुमारीज एक अन्तर्राष्ट्रीय अध्यात्मिक एवं सामाजिक संस्था ही नहीं विचारधारा भी है। यह संस्था समाज को नई राह दिखाने का काम कर रही है। ये उद्गार हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने स्थानीय सेक्टर -12 के हुडा मैदान में प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय करनाल द्वारा आयोजित दिव्य समर्पण समारोह में प्रदेश के कईं राज्यों से आई ब्रह्माकुमारीज और उपस्थित जन समूह को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये। मुख्यमंत्री ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज पूरे विश्व को एकता के सूत्र में बांधने का कार्य कर रही है। इनके द्वारा चलाए गए कार्यो से हमें सीख लेने की जरूरत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शुद्ध संकल्प ही जीवन में सफलता का मूल मंत्र है। इस प्रकार की व्यवस्था को आगे बढ़ाने में ब्रह्माकुमारीज संस्था का उल्लेखनीय योगदान रहा है। जिन लोगों को ब्रह्माकुमारीज के दिखाए हुए रास्ते पर चलने का अवसर मिलता है वह बड़े सौभाग्यशाली होते है। ब्रह्माकुमारीज की स्थापना सन 1937 में हुई थी और आज इनके केन्द्र विश्व के कईं देशों में चल रहे है। ब्रह्माकुमारीज चरित्र निर्माण, नशामुक्ति सहित अन्य विषयों पर दिन रात काम कर रही है। सामान्य जनता सडक़ों, बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं को प्रगति मानती है, जबकि यह भौतिक चीजों का निर्माण है, व्यक्ति और चरित्र निर्माण सबसे बड़ा निर्माण है। इस कार्य को ब्रह्माकुमारीज बड़ी सफलता के साथ आगे बढ़ा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज महिला सशक्तिकरण, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, स्वच्छता मिशन आदि महत्वपूर्ण अभियानों में बढ़चढक़र भाग ले रही है। इनके केन्द्र हरियाणा के कईं गांवों में चल रहे है, जहां पर शांति, प्रेम और आपसी सद्भावना का संदेश दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा देश अलग-अलग रहन-सहन, खान-पान, विभिन्न वेशभुषाओं वाला देश है। भाषा के आधार पर भारत में बेशक कईं प्रदेश बने हुए है,लेकिन आपसी भाईचारे में भारत हमेशा एक रहा है। उन्होंने कहा कि ब्रह्माकुमारीज माउंट आबू में जो केन्द्र है वो एकता की तस्वीर है, जहां पर पूरी दुनिया के लोग शांति की खोज में आते है और यही संदेश लेकर जाते है कि हम सब भाई-भाई है।
समर्पण समारोह में ब्रह्माकुमारीज मांउट आबू की संयुक्त प्रशासिका आदरणीय राजयोगिनी दादी रतन मोहिनी जी ने कहा कि जब धर्म की अतिग्लानि होती है,तब-तब भगवान गुप्त रूप में आकर समाज को आईना दिखाने का काम करता है और वर्तमान में यह हो भी रहा है,इसके लिए दूर दर्शिता की जरूरत है। अपनी अभिव्यक्ति में उन्होंने कहा कि जिस तरह से जीवन में पढ़ाई को अमूल्य मानते है और उसे आजीविका का साधन बनाते है,उसी तरह समाज की सभ्य सरंचना और व्यक्तित्व के नवनिर्माण में अध्यात्मिक संस्थाओं का उल्लेखनीय योगदान रहता है।
समारोह में अनन्य अतिथि के तौर पर आये पिछड़ी जाति राष्ट्रीय आयोग भारत सरकार के चेयरमैन भ्राता न्यायमूर्ति वी.ईश्वरैय्या जी ने कहा कि करनाल में ब्रह्माकुमारीज द्वारा आयोजित ऐसा पर्व उन्होंने कहीं नहीं देखा है। ब्रह्माकुमारीज बनना आसान काम नहीं है, इसके लिए स्थिर उद्देश्य को मद्द्ेनजर रखते हुए दृढ़ विश्वास के साथ संकल्प लेने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जैसे देवी परिवार हरियाणा में है ऐसे पूरे देश में नहीं है। उन्होंने कहा कि भाईचारे का वातावरण पैदा हो,इसके लिए ब्रह्माकुमारीज को गांव-गांव में अपने केन्द्र खोलने चाहिए ताकि सामाजिक बुराईयों को खत्म किया जा सके।
समारोह में मुख्य संसदीय सचिव बख्शीश सिंह विर्क ने कहा कि वर्तमान समय में जिस भी व्यक्ति को शांति चाहिए उसे माउंट आबू जैसी अध्यात्मिक जगह में अवश्य घूम कर आना चाहिए। उन्होंने कहा कि शांति पैसों से नहीं मिलती बल्कि परमात्मा के आशीर्वाद से मिलती है।
इस अवसर पर हैफेड़ के चेयरमैन व घरौंडा के विधायक हरविन्द्र कल्याण ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज के कार्यक्रम पूरे भारतवर्ष में चल रहे है,यह श्रेष्ठ व्यक्तित्व के निर्माण के लिए कार्य कर रही है। कार्यक्रम में नीलोखेड़ी के विधायक व बीजेपी के जिलाध्यक्ष भगवानदास कबीरपंथी ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज पूरे विश्व में जीने की राह सिखाने का काम कर रही है तथा भटके हुए लोगों को सही रास्ता दिखा रही है। उन्होंने कहा कि मांउट आबू धरती का स्वर्ग के समान है|
इस अवसर पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय करनाल द्वारा मुख्यमंत्री को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित भी किया गया। समारोह में चंडीगढ़ के जय गोपाल लुथरा और दिल्ली के वैशाली ग्रुप ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये। कार्यक्रम में मंच का संचालन स्थानीय सेवाकेन्द्र प्रभारी बीके प्रेम दीदी ने किया।
इस मौके पर पंजाब जोन ब्रह्माकुमारीज के निदेशक भ्राता अमीर चंद जी , मांउट आबू ब्रह्माकुमारीज के कार्यकारी सचिव भ्राता मृत्युजंय जी, माउंट आबू के फाउंडर व मैनेजर भ्राता भोपाल जी के अलावा मुख्यमंत्री के ओएसडी अमरेन्द्र सिंह, नगर निगम की मेयर रेनू बाला गुप्ता, उपायुक्त डा.जे.गणेशन ज्योति इंटरप्राईजिज तरावड़ी के एमडी अनिल कुमार गुप्ता उपस्थित थे।
दिव्य समर्पण समारोह के अवसर पर करनाल की रहने वाली पांच कन्यायों ने विश्व सेवा में अपने आपको दिव्य समर्पित किया।
पठानकोट पंजाब में महिला और बाल विकास विभाग पंजाब द्वारा माननीय ऍम एल ए अश्वनी शर्मा जी और पठानकोट के मेयर अनिल वासुदेवा जी ने बी के सत्या बहन जी प्रभारी स्थानीय ब्रह्माकुमारीज़ सेवाकेंद्र पठानकोट पंजाब को एवलन स्कूल के ऑडीटोरियम में भारी संख्या में उपस्थित गणमान्य महिलायो और संस्थाओं के सामने प्रश्रित पत्र देकर सम्मानित किया गया
जागरण संवाददाता, कपूरथला : कर्मों के आधार पर ही यह संसार चलता है। अपने ही किए हुए कर्मों से व्यक्ति महान या कंगाल भी बनता है। अपने कर्मों में परिवर्तन लाने से ही हम अपराध मुक्त बनते है। यह बात प्रजापति ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय मांउट आबू राजस्थान से आए हुए राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने सेंट्रल जेल में बंद कैदी बंधुओं को संस्कार परिवर्तन और व्यवहार शुद्धि विषय पर संबोधित करते हुए कही। 1उन्होंने कहा कि कर्मो से परिवर्तन लाने हेतु ज्ञान की और समझ की आश्वयकता है। जब हम मेडीटेशन करते हैं तो हमारी इंद्रियां संयमित होती है, हमारा आत्मविश्वास, आत्म जाग्रति और मनोबल बढ़ता है जिससे हमें अच्छे, बुरे की परख होती है और हम अपराध मुक्त बन सकते हैं। उन्होंने बताया व्यक्ति जन्म से अपराधी नहीं होता। जब वह इस संसार में आता है तो गलत संगत, नशा व्यसन, गलत खानपान, लोभ, लालच, क्रोध, तनाव या विपरीत परिस्थितियों उसे अपराधी बनाती है। उन्होंने कहा कि जीवन की कुछ समस्या पिछले जन्मों के गलत कर्मों से आती है। व्यक्ति अपने कर्मों से कही भी भाग नहीं सकता। किए हुए कर्मों का फल खुद को ही भोगना पड़ता है। उन्होंने सभी कैदी भाइयों को तीन दिन तक मेडीटेशन भी कराया। साथ में अपने जीवन मे सकारात्मक सोचने की बात कही। उन्होंने कहाकि जीवन में समस्या रूपी बादल आते हैं, उसे सहनशीलता से, सकारात्मक सोच कुछ गलतियों को महसूस कर पार करना हैं।1 उन्होंने सभी कैदी भाइयों से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य ठीक रखने हेतु व्यसन, नशा छोड़ने का प्रण करवाया। स्थानीय ब्रह्माकुमारी सेवा केंद्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी लक्ष्मी बहन ने भी अपने विचार पेश करते हुए कहा कि अपराधों के कारण हम स्वयं को भूल गए, पिता परमात्मा को भूल गए। उन्होंने बताया कि वास्तव में हम सभी ज्योति ¨बदू आत्माएं परमपिता परमात्मा के बच्चे आपस में भाई-भाई हैं। इस संबंध को याद रखने से आपसी भाईचारा बढ़ेगा और अपराध मुक्त बन जाएगा। जेल अध्यक्ष एस परजीत सिंह संधू ने बताया कि सभी की उम्र माता-पिता की सेवा करने की हैं। अपने में सुधार लाकर अपने माता-पिता की सेवा करें। कार्यक्रम के दलजीत आहलूवालिया, बीके अजय भी उपस्थित थे। इस दौरान जेल उपाध्यक्ष इकबाल सिंह धालीवाल ने भी धन्यवाद किया।सेमिनार के दौरान शमिल सेंट्रल जेल में बंद हवालाती व कैदी। (दाएं) सेंट्रल जेल में आयोजित समारोह के दौरान विचार पेश करते हुए ब्रह्माकुमार भगवान भाई।
अम्बाला कैंट ब्रह्माकुमारिज सेवाकेंद्र तथा जिला बार असोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में विशेष न्यायविदो के लिए प्रेरणादायी सेमिनार “JUSTICE, LOVE & HARMONY ” सफलता पूर्वक आयोजित किया गया|
कार्यक्रम का शुभारम्भ मंचासीन अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया|
अम्बाला जिला कोर्ट परिसर में आयोजित इस सेमीनार में आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश तथा वर्तमान राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष भ्राता जस्टिस वि. इश्वरैया जी ने मुख्य अतिथि के रूप में अपना वक्तव्य देते हुए सभी न्यायविदो को अपने जीवन में आध्यात्मिकता को अपनाने की सलाह दी| उन्होंने कहा की न्यायपालिका की दिनचर्या में आध्यात्मिक सोच व् सकारात्मक विचारों का समावेश करके न
केवल प्रभावी न्याय सुनिश्चित किया जा सकता है बल्कि न्यायिक अधिकारियों और अधिवक्ताओं को भी तनावमुक्त कार्यशैली की प्रेरणा मिलेगी| स्वस्थ, समृद्ध और प्रसन्न समाज की परिकल्पना को साकार करने के लिए सकारात्मक सोच आवश्यक है और यह सोच आध्यात्मिकता से ही हासिल की जा सकती है| उन्होंने अपराधमुक्त समाज की स्थापना के लिए हर व्यक्ति की सोच को परिवर्तित करने की दिशा में चल रहे ब्रह्माकुमारी संस्था के कार्य की भी सराहना की|
जिला एवं सत्र न्यायाधीश दीपक गुप्ता ने भी इस संयुक्त उपक्रम की सराहना करते हुए कहा की समय समय पर ऐसे आयोजन करके सकारात्मक सोच से कार्य करने की प्रथा को बढ़ावा दिया जा सकता है|
इस अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित अम्बाला जिला उपयुक्त भ्राता अशोक सांगवान ने कहा की तनावमुक्त जीवन से व्यक्ति की कार्यशैली में सुधर होता है और वह किसी भी कार्य को सरकारी ड्यूटी का बोझ समझने की बजाय जनकल्याण की भावना से कार्य करने के लिए प्रेरित होता है|
कार्यक्रम में पंजाब-हरियाणा बार कौंसिल के चेयरमैन भ्राता रजत गौतम ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए इस प्रकार के सेमिनार हर जिला स्तर पर आयोजित करने के लिए अपना पूरा सहयोग देने का आश्वसन दिया| उन्होंने यह विश्वास जताया कि ब्रह्मकुमारिज के सहयोग से हम सभी न्यायविद अपने जीवन को सकारात्मक बना सकेंगे|
गीतांजली इंस्टीटूट आफ टेक्निकल स्टडीज के साथ एम.ओ.यू. सेरिमनी
मूल्य शिक्षा से बनेगा नया भारत – डा: राव
हमारा उद्देश्य केवल पढ़ाने तक ही सीमित नहीं होना चाहिए बल्कि एक अच्छा इंसान भी बनाना होना चाहिए। इसके लिए मूल्यों की शिक्षा को अपनाना अति आवश्यक है। यहाँ जो शिक्षा मुझे मिली है, वही शिक्षा यदि 18 वर्ष के बच्चों को मिल जाए तो हम एक नया भारत बना सकते हैं जहाँ हर कोई सुख, शांति और आनंद से जीवन व्यतीत कर सकेगा।
उक्त उद्गार गीतांजली इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्निकल स्टडी॰ज, उदयपुर के प्रिंसीपल डॉ.एम. वेणुगोपाल राव ने ब्रह्माकुमारी॰ज शान्तिवन में आयोजित एमओयू कार्यक्रम में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि आज हम ब्रह्माकुमारी संस्था के साथ एक नई दिशा में आगे बढ़ रहे हैं जहाँ हमारे कॉलेज के विद्यार्था भी आध्यात्मिक मूल्यों की शिक्षा ग्रहण कर पाएंगे।
गीतांजली इंस्टीट्यूट के डीन रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट, राजीव माथुर ने कहा कि जीआईटीएस, उदयपुर एवं ब्रह्माकुमारी॰ज के बीच में जो एमओयू किया गया है, वह अध्यात्म और शिक्षा का संगम है। आज का युग चुनौती का युग है जो हमें मूल्य परक शिक्षा को आगे ले जाने से रोक रही है। लेकिन हमने ब्रह्माकुमारी संस्था के सहयोग से इस दिशा में कदम आगे बढ़ाएं हैं। हमने एक थॉट लैब खोलने का संकल्प लिया है जिसमें प्रत्येक विद्यार्था अपने संकल्पों के प्रभाव का अध्ययन कर सकेगा। फाइनेंस कंट्रोलर बाबूलाल जांगीर ने कहा कि आध्यात्मिक मूल्य की शिक्षा को शुरू करने का उद्देश्य है कि विद्यार्थियों को असामाजिक गतिविधियों की तरफ बढ़ने से रोका जाए और ऐसा हम वैल्यू॰ज की शिक्षा द्वारा ही कर पाएंगे।
ब्रह्माकुमारी॰ज के ज्ञान सरोवर की निदेशिका, ब्र.कु. डॉ. निर्मला ने कहा कि हमारी जो प्राचीन शिक्षा की पद्धति थी उसमें स्टूडेंट का गुरू के प्रति बहुत ही सम्मान रहता था लेकिन आज की शिक्षा हमें वह संस्कार व मूल्य देने में असफल रही है। धर्म और शिक्षा को अलग कर देने के कारण ही आज हमारे देश की यह स्थिति हुई है। हमें पुनः अपने उस गौरव को प्राप्त करने के लिए मूल्य शिक्षा को अपनाना होगा। अच्छी बातें हर कोई जानता है लेकिन स्व का ज्ञान न होने के कारण वह इसे जीवन में अपना नहीं पाता है।
शिक्षा प्रभाग के उपाध्यक्ष ब्र.कु. मृत्युंजय ने कहा कि मूल्य हमें सिम्पल रहकर रॉयल बनने की प्रेरणा देता है। आज कोई भी विश्वविद्यालय ऐसा नहीं है जिसमें अवगुणों को जीतने की शिक्षा दी जाती हो। समाज में फैली हुई बुराइयों को हम मूल्य शिक्षा को जीवन में अपनाकर ही दूर कर सकते हैं।