15th All India Bhagvad Gita Conference Begins
‘Adopt Spiritual Lifestyle and Values to Combat Climate Change’- Prof. Kaptan Singh Solanki
Gurgaon, May 21: “Gita Gyan is not for mere listening or reading, but for contemplating and cultivating its universal teachings in daily life, to reap its real benefits of holistic health, harmony , happiness and sustainable development in society”
Prof. Kaptan Singh Solanki, Governor of Punjab, Haryana and UT Chandigarh said this while inaugurating a two-day 15th All India Bhagavad Gita Conference on “Spiritual Wisdom for Re-establishing Satyugi Virtuous Wrld” organized by Prajapita Brahma Kumaris Ishwariya Vishwa Vidyalaya at its Omshanti Retreat Center, Pataudi Road, here today.
He said that the real religion is India’s ancient Sanatan Dharma which is not confined to ceremonies, rituals and prayers alone, but to adoption of spiritual lifestyle and universal values like vasudhaiva kutumbakam (world as a family), vishwa bandhutwa (universal brotherhood), live and let live.
“If we can translate such simple living, high thinking and noble values into practical action as enshrined in Bhagvad Gita and as enunciated by our saints and sages thousands of years back, then we can successfully combat and contain the evils of climate change, pollution, poverty and terrorism”, Prof. Solanki stressed.
‘In fact, Incorporeal God of Gita descends on earth to re-establish this real religion or Sanatan Dharma of nobility, civility and humanity which differentiate human beings from animals’, he emphasized.
He urged the august gathering of hundreds of gentry, mahatmas, sadhus, scholars and intellectuals from all over India on this occasion, to emulate Yudhisthir by inculcating positive qualities and to discard Duryodhan by demolishing negative traits if any, in them.
Centurion Rajyogini Dadi Janki, Chief of Brahma Kumaris in her video message from Mount Abu delivered the Bhagvad Gita message of connecting one’s inner self with the Supreme Being in Rajyoga meditation for sublimating human vices and for developing divine virtues in life so as to supplement God’s work of re-establishing Satyugi virtuous world.
Justice V Eshwaraiah, Chairman, National Commission for Backward Classes said that even if named and prayed differently in different religions, God is one incorporeal sentient being who is spiritual father of all souls and who does not have any father or mother unlike human beings or divine deities.
Swami Adhyatmanand Maharaj from Ahmedabad as Guest of Honor said that even though Bhagavad Gita has been variedly interpreted by various authors, its quintessence has remained the same Manmana bhav & Madhyaji bhav which mean to stabilize one’s mind and intellect with the Supreme Soul to elevate one’s life from mundane to divine sphere.
He said that Brahma kumaris are practically implementing the teachings of Gita which aim at restoring truth, peace, love, harmony and happiness in life and society.
Swami Dr Muktanand Puri from Alwar said that every human soul is potentially divine and God of Gita is incorporeal Supreme Soul who is divine light and might.
He urged all to follow the universal message of Gita for re-establishment of Sanatan Dharma in one’s life and in the world.
Swami Dr Jeevan Dev Maharaj of Jyoti Dham, Rishikesh said that since human life is very rare and most valuable, it should be best utilized through service to saints, sages, weaker, vulnerable and the disadvantaged sections of society.
आज सत्यम शिवम सुंदरम मेले में केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण एवं उद्योग राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने शिरकत की
भारतीय संस्कृति विभिन्नता में एकता का प्रतीक – साध्वी निरंजन ज्योति
उज्जैन, १८ मई: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा दत्त अखाड़ा क्षेत्र बडऩगर रोड पर लगाए गए सत्यम शिवम सुन्दरम मेले का अवलोकन करने केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण एवं उद्योग राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने शिरकत की। उन्होंने पीस ऑफ माइण्ड चैनल के माध्यम से यह संदेश दिया कि भारतीय संस्कृति विभिन्नता में एकता का प्रतीक है। उपासना की पद्घति बहुत हैं परन्तु उन सभी का लक्ष्य एक है। जैसे अनेक नदियां टेढ़ी-मेढ़ी होती हैं परन्तु उनका लक्ष्य होता है समुद्र में मिल जाना उसी प्रकार इस महाकुम्भ में अनेक संत, महात्माएं, अनेक संस्थायें आयी हैं उन सभी का लक्ष्य एक है।
उन्होंने कहा कि ब्रह्माकुमारी संस्थान सभी को सर्व दुखों से निवृत्त कर परमानंद की प्राप्ति कराने का कार्य कर रहा है। हमारा ध्येय है कि भगवान निराकार परमपिता परमात्मा शिव को प्राप्त कर आनंद की प्राप्ति करें। यह संस्थान सभी को इसी आनंद की प्राप्ति कराने का प्रयास कर रहा है।
साइलेंस की शक्ति से आतंरिक बल बढ़ाना है : राजयोगिनी दादी रत्न मोहिनी जी
ज्ञान सरोवर , (आबू पर्वत ) १३ मई ।आज ज्ञान सरोवर के हार्मनी हॉल में ब्रह्मा कुमारीज एवं आर ई आर एफ की भगिनी संस्था , युवा प्रभाग द्वारा एक अखिल भारतीय सम्मलेन का आयोजन किया गया। इस सम्मलेन का विषय है “ऊंची सोच -युवा की खोज” . यह सम्मलेन ४ दिनों तक जारी रहेगा। इस सम्मेलन में भारत के विभिन्न प्रदेशों से करीब ५०० लोगों ने भाग लिया। इस सम्मलेन का उद्घाटन दीप प्रज्वलित करके समपन्न हुआ. दीेप प्रज्वलन में अनेक गण्य – मान्य प्रतिभागियों ने भाग लिया।
ब्रह्मा कुमारीज युवा प्रभाग की अध्यक्षा एवं संस्थान की संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रत्न मोहिनी जी ने आज के शुभ अवसर पर अपने आशीर्वचन में कहा कि हमें ये सदैव याद रहे कि मैं कौन , कहाँ से आया और किसका उत्तराधिकारी हूँ ? यानि की मैं किसकी संतान हूँ। इन बातों की जानकारी जरूरी है। हमें अपने संस्कारों पर पूरा ध्यान देना है। हमारे संस्कार ऊंचे होंगे -सोच ऊंची होगी , फिर हम बड़े बड़े कार्य कर पाएंगे। खुद के अंदर साइलेंस की शक्ति से , ईश्वरीय शक्ति से , बल भरना है। निरहंकारिता लानी है। सर्व के प्रति शुभ भावना भी रहे।
ब्रह्मा कुमारीज युवा प्रभाग की राष्ट्रीय समन्वयक राजयोगिनी चन्द्रिका दीदी ने उक्त अवसर पर अपने उद्गार इस प्रकार प्रकट किये। आपने कहा कि सर्व प्रथम हमें यह जानना जरूरी है कि मैं कौन , मेरा कौन और और मेरा क्या कर्म है ? आपने बताया की दादी जानकी जी का ऐसा ही मानना है। दादी जानकी जी इस संस्था की मुख्य प्रसशिका हैं। आपने कहा कि किसी पर आधारित जीवन सुखी नहीं हो सकता है। जीवन निराधार होना चाहिए और सिर्फ उस निराकार परमात्मा पर ही आधारित होना चाहिए। दीदी जी ने कहा कि आपको यह जानकार ख़ुशी होगी की आप यहां परमात्मा की योजना से पधारे हैं। परमात्मा ने किसी भाई या बहन को इसके लिए निम्मित बनाया है। निम्मित चाहे जो हो, पर आप आये हैं परमात्मा की इक्षानुसार। अतः उस परमात्मा को ठीक से जानकर मन को सशक्त बनाना है।
बंगलोर की एक बहु राष्ट्रीय कंपनी के निदेशक एस मुथु कुमार , ने कहा कि मुझे उम्मीद है की हम सभी आने वाले ३ दिनों में यहां से काफी कुछ प्रेरणा दाई बातें प्राप्त करेंगे। आज हमने मन की शांति के बारे में जाना। विश्व की शांति के लिए मन के शांति, आत्मिक शांति जरूरी है।
आबू पर्वत के भाई सौरभ गंगाडिया जी, लायंस के पूर्व अध्यक्ष ,ने कहा कि यहां सकारात्मक ऊर्जा का संचार तीव्र गति से जारी है. आध्यात्मिकता जन्म से हमारे अंदर बीज रूप में समाहित रहती है। ब्रह्मा कुमारियाँ हमारे अंदर की इस शक्ति को प्रकट करने की कोशिश करती रही हैं। अनेक वर्षों से। इसके लिए संस्था को धन्यवाद। इस संस्थान के युवा की एक अलग ही पहचान है। इसका कारण है इनकी जाग्रत आध्यात्मिकता। यही आध्यात्मिकता सभी में जगानी है। मेरी आपसे यही उम्मीद है कि आप अपने अंदर भरपूर ऊर्जा भरेंगे और दुनिया भर में फैलांएंगे।
ब्रह्माकुमारी के मुलुंड सब जोन द्वारा आयोजित “राजयोग द्वारा स्वस्थ , स्वच्छ , मानव जीवन आध्यात्मिक मेले तथा त्रिदिवसीय राजयोग शिविर का उद्घाटन समारोह बड़े ही धूम धाम से दिनांक १४ मई २०१६ को शाम ६ बजे तलेगांव के ओपन ग्राउंड ,पवार हॉस्पिटल के सामने , चाकन रोड , तलेगांव स्टेशन, के यहाँ हुआ। मुख्य अथिति के रूप में बी. के. गोदावरी दीदीजी ( मुलुंड सब जोन के मुख्य प्रशासिका ), ब्रह्माकुमारी सेवाकेंद्र की मुख्य बहनें तथा शहर के माननीय मेहमान मा. भ्राता श्री कृष्ण राव भेगडे जी ( माजी आमदार ), मा. भ्राता श्री कैलाश गावड़े जी ( मुख्य अधिकारी नगर परिषद तालुका दाभाड़े ), मा. सौ. माया ताई भेगडे ( नगर अध्क्षया ), मा. सौ. सुचित्रा नागरे ( मायमर मेडिकल कॉलेज , डायरेक्टर ), मा. भ्राता एडवोकेट रविन्द्र दाभाडे ( माजी नगर अध्यक्ष ), मा. भ्राता श्री राजेश म्हस्के ( उद्योजक ) आदि उपस्थित रहे। इस ७ दिवसीय मेले के अंतर्गत विविध कार्यक्रमों तथा राजयोग शिविर का आयोजन किया गया है। इस मेले का आयोजन १४ मई २०१६ से २१ मई २०१६ तक किया गया है।
जन आकर्षण का केन्द्र बना,
सत्यम शिवम सुन्दरम मेला
उज्जैन, १४ मई: सिंहस्थ में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा दत्त अखाड़ा क्षेत्र में बडऩगर रोड पर बना सत्यम शिवम सुन्दरम आध्यात्मिक मेला इन दिनों जन आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। शिक्षा विज्ञान और अध्यात्म के इस त्रिवेणी संगम को देखने के लिए २० से २५ हजार लोग रोजाना आ रहे हैं।
सिंहस्थ में परम्परागत अखाड़े के साथ-साथ कथावाचक भी आए हुए हैं किन्तु फिर भी ब्रह्माकुमारीज के मेले को देखने के लिए प्रतिदिन जाने-माने सन्तों के अलावा आम जनता की भारी भीड़ जुट रही है। मेले में कुल नौ मण्डप बनाए गए हैं। प्रत्येक मण्डप में विभिन्न विषयों को स्पष्ट करने के लिए चित्रों और मूर्तियों का सहारा लिया गया है। इन सभी मण्डपों का संयोजन इतना दर्शनीय है कि लोग मूर्तियों के साथ फोटो लेने से अपने आपको रोक नहीं पाते हैं।
मेले में चित्रों को समझाने के लिए प्रशिक्षित गाइडों की व्यवस्था की गई है। अध्यात्म की सहायता से गाँव को कैसे आदर्श गाँव बनाया जा सकता है। इसे दर्शाते हुए यहाँ पर एक गोकुल गांव भी बनाया गया है। जहाँ पर बहुत से लोग अपनी बुराइयों का दान करते हुए देखे जा सकते हैं।
चैतन्य देवियों को देखने भीड़ उमड़ रही:
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा सजाई गई चैतन्य देवियों की झाँकी भी अपनी अलौकिकता के कारण भारी भीड़ खींच रही है। शारीरिक और मानसिक स्थिरता के इस अद्भुत प्रदर्शन को देखकर लोगों के लिए यह निर्णय करना मुश्किल हो जाता है कि यह सजीव हैं या जड़ मूर्तियाँ। इस झाँकी के अन्तर्गत माँ दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती, गायत्री, जगदम्बा, सन्तोषी माता, उमा देवी और माँ काली की जीवन्त प्रस्तुति को देख लोग अवाक रह जाते हैं। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि प्रत्येक देवी के महत्व एवं परिचय को संगीतमय कमेन्ट्री के माध्यम से बड़े ही रोचक ढंग से समझाया जाता है, जो कि बड़ा ही मनोरम प्रतीत होता है। इसे रोजाना सायं ६ बजे से रात्रि १० बजे के मध्य देखा जा सकता है। कुछ क्षण उस वातावरण में बैठने से दर्शकों को इन देवियों के द्वारा प्रवाहित शान्ति और शक्ति के प्रकम्पनों की अलौकिक अनुभूति होती है।
मेला विदेशियों को भी लुभा रहा:
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा दत्त अखाड़ा क्षेत्र में बडऩगर रोड पर सिंहस्थ में लगाया गया सत्यम शिवम सुन्दरम आध्यात्मिक मेला सिंहस्थ में आम जनता और साधु-सन्तों के साथ साथ विदेशियों को भी लुभा रहा है। इसी क्रम में आज स्वीडन से आए हुए दस सदस्यीय विदेशियों का दल मेला देखने के लिए आया। सभी ने बहुत ही रूचि के साथ मेला देखा। उन्हें अंग्रेजी भाषा में ब्रह्माकुमारी वासुमती दीदी ने मेला समझाया। जो कि उनके जीवन का अनोखा अनुभव था। मेला देखने के बाद विदेशियों ने कुछ समय राजयोग मेडिटेशन का अभ्यास किया। इस बीच उनकी जिज्ञासाओं का समाधान भी किया गया।
प्रेस विज्ञप्ति २:
सिर्फ कथा सुनने में रूचि न हो, जीवन में बदलाव भी लाएं : साध्वी किशोरी कृष्णा
उज्जैन, १४ मई: हरिद्वार की कथावाचक साध्वी किशोरी कृष्णा ने मेले का अवलोकन करने के बाद अपने विचार रखते हुए कहा कि अपने को सिर्फ कथा सुनने तक ही सीमित नहीं करें बल्कि अपने आपको बदलने का पुरूषार्थ करें। कथा सुनाने के पीछे हमारा यही उद्देश्य होता है कि लोगों के जीवन में बदलाव आए। यहाँ पर कोई भी परमानेन्ट नहीं है। जो आया है वह जाएगा। इसलिए परमार्थ करना शुरू करो।
उन्होंने बतलाया कि वह कथा सुनाने के लिए गाँव-गाँव जाती हैं और उनका अनुभव है कि गाँवों में नारी का सम्मान कम है। शास्त्रों में लिखा है कि जिस घर में नारी का सम्मान नहीं उस घर में देवी-देवता निवास नहीं करते हैं। इसलिए नारी का सम्मान करना सीखें।
उन्होंने कहा कि ब्रह्माकुमारी संस्थान और माउण्ट आबू की बहुत महिमा सुनी थी लेकिन आज प्रत्यक्ष दर्शन करने का सौभाग्य आज मिला। बहुत अच्छा लगा।
परमात्म ज्ञान द्वारा विश्व बदलाव की शुरूआत स्वयं से करें तो
विश्व का परिवर्तन अवश्य होगा – महामहिम राज्यपाल द्रौपदी मूरमू
झारखण्ड़ की राज्यपाल महामहिम श्रीमति द्रौपदी मूरमू ने ब्रह्माकुमारी ईष्वरीय विष्व विद्यालय द्वारा ओमप्रकाष भाई जी सभागृह में आयोजित ” परमात्म ज्ञान द्वारा विष्व परिवर्तन “ परियोजना का शुभारम्भ् करते हुए व्यक्त किये ।
उन्होने कहा कि परमात्म ज्ञान से हमे अपनी निजता,आत्मस्मृति का बोध होता है जिससे निरंतर नैतिक और श्रेष्ठ आचरण युक्त कार्य – व्यवहार अपनाने का सम्बल प्राप्त होता है। पर्यावरण प्रदूषण की चर्चा करते हुए महामहिम राज्यपाल ने कहा कि पर्यावरण सुधार के लिए किये जा रहे प्रयासों के साथ-साथ मानसिक प्रदूषण को दूर करना होगा । क्योंकि वर्तमान समाज में व्याप्त अराजकता का मूल कारण मानसिक प्रदूषण ही है ।
ब्रह्माकुमारी संस्थान द्वारा दिये जा रहे ईष्वर के गीता ज्ञान कि – जो हुआ अच्छा हुआ जो हो रहा है अच्छा है और जो होगा वह और भी अच्छा होगा की प्रष्ंाषा करते हुए उन्होने कहा कि इससे उन्हें निराषा से उबरने का साहस मिला। जीवन में स्थायित्व के लिए प्रारंभिक संघर्ष तो करना ही होते है ।
उन्होने कहा है कि ब्रह्माकुमारी संस्था में षिक्षण के द्वारा परमात्मा का ज्ञान दिया जाता है कि हमें न किसी को दुख देना है न हीं किसी से दुख लेना है। यहां पर गांधी जी के बताई गई बुरा मत बोलो, बुरा मत देखो, बुरा मत सुनों के साथ ही यह भी बताया जाता है कि बुरा मत सोचो और बुरा मत करो।
कार्यक्रम में विधायक सुदर्षन गुप्ता, इंदौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष षंकर लालवानी ,समाजसेवी अनिल भण्डारी ने षुभकामनायें व्यक्त की । कटक के ब्रह्माकुमार नथमल भाई ने महामहिम राज्यपाल जी का परिचय दिया। ब्रह्माकुमारी हेमलता दीदी ने स्वागत भाषण दिया तथा ब्रह्माकुमारी जयंति दीदी एवं अरुण साहू उप महाप्रबंधक ने परामात्म ज्ञान से विष्व परिवर्तन परियोजना के बारे में बताया।
कार्यक्रम मे माननीय विधायक महोदय अरुण भिमावत जी, kendriy Bank Adhyaks Bhrata Shivnarayan ji Patidar, नगर पालिका उपाधयकस भ्राता मनोहर विश्वकर्मा जी, वरीशठ कृशी वैगयानीक डाँ जी आर अबांवतिया जी, कृशी वैगयानीक भ्राता मीसरा जी , प्रोफेसर वरयानी, मनोहर नायक जी , प्रदीप भाई, सुमन बहन, मंजु बहन, वीणा बहन एवं अन्य सामाजिक कार्य कर्ताओ ने भी हिस्सा लेकर सहयोगी बने एवं अन्य जन समुदाय ने भी बढ चढकर हिस्सा लिया एवं सहयोगी बने।
“Forum of Public Schools”-Delhi invited Sister Urmil & Sister Sudesh, Palam Vihar to address a gathering of Principals & Educators (around 300 in nos) in a session based on Value Education in Schools at the Annual Conference of Forum of Public Schools held at India Islamic Centre, Lodhi Road, New Delhi.
Forum of Public Schools is a non-profitable organization was established with a vision to promote excellence in school education and safeguard the interests of private unaided schools in and around Delhi.
Chairperson of the forum Mr. Sanjay Bhartiya, Vice Chairperson Ms. Anupma Bhardwaj, Secretary Ms. Mukta Misra along with executive Member Mr. C.B. Mishra were present in the program.