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ब्रह्माकुमारीज़ के स्वर्णिम इतिहास में एक नया अध्याय उस समय जुड़ गया, जब विदेश के अन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय ‘यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्ट इंडीज़, सेंट अंगस्टीन’ के साथ एम.ओ.यू. (Memorandum of Understanding) सेरिमनी 12 नवम्बर, 2015को प्रात: 8 बजे ज्ञान सरोवर के हॉर्मनी हॉल में सम्पन्न हुआ।

इस विशेष अवसर पर ‘यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्ट इंडीज़, सेंट अंगस्टीन’ के प्रो-वाईस चांसलर तथा प्रिंसीपल प्रो. क्लमेंट के. संकट, ज्ञान सरोवर की संचालिका डॉ. ब्र.कु. निर्मला बहन, संस्था के कार्यकारी सचिव ब्र.कु. मृत्युंजय, मूल्य शिक्षा कार्यक्रम के निदेशक डॉ. ब्र.कु. पांड्यामणि उपस्थित थे। इस कार्यक्रम के अंतर्गत प्रो. क्लमेंट के. संकट को ‘शिक्षा विभूषण अवार्ड-2015’ देकर सम्मानित किया गया।

मुझे इस पत्र के साथ अव्यक्त बापदादा (15-12-2008) का एक महावाक्य याद आ रहा है जिसमें कहा गया है, “जीवन के लिए एज्युकेशन आवश्यक है और आजकल मैजॉरिटी समझने लगी है कि एज्युकेशन में आध्यात्मिकता जरूरी है, नहीं तो परिवर्तन नहीं हो सकता। इसलिए स्कूल,कॉलेज और युनिवर्सिटी के सभी क्लासेस में इस आध्यात्मिक नॉलेज को शामिल करो। इससे बच्चों में परिवर्तन आएगा और वो अपने मां-बाप को भी बदल सकते हैं।’’

धरा पर स्वर्ग की पुनर्स्थापना हेतु संकल्पित शिक्षा प्रभाग का यह कार्यक्रम एक अद्वितीय प्रयास है जिसमें विदेश के 600 भाई-बहनों सहित ज्ञान सरोवर निवासियों ने भी भाग लिया। यह कार्यक्रम अवश्य ही बापदादा की प्रत्यक्षता की ओर एक कदम है।

 

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Punjab Zone celebrated 100th Birth Day of our Respected Dadi Janki Ji  at Sonipat Retreat Center on November 8 in a very big program in the presence of most of the senior sisters and brothers of zone  and  a very large number of Bks who had come from all corners of Punjab, Haryana, Himachal, Jammu and

​Kashmir and Uttranchal. Sister Kavita Jain, Haryana Minister for Child and Women Welfare, Sister Suman Manjari IG Police of Haryana, Brother J S Cheema –  well known Social and Political Leader and a number of other distinguished personalities were also present.
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इण्डिया गेट पर विश्व शान्ति हेतु सामूहिक राजयोग का हुआ आयोजन 
श्राजयोग से आन्तरिक प्रकृति के साथ बाह्य प्रकृति का भी होगा परिवर्तनश् -दादी जानकी
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नई दिल्ली, 8 नवम्बरः प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा आज सुबह यहां स्थानीय इण्डिया गेट मैदान पर विश्व शान्ति हेतु सामूहिक राजयोग शिविर का आयोजन किया गया जिसमें देश विदेश के पचास हजार से अधिक राजयोग अभ्यास करने वालों ने भाग लिया। विश्व के 146 देशों में भी ब्रह्माकुमारी संस्था के अनुयाईयों ने इसी भारतीय समय के अनुसार राजयोग किया।
      ब्रह्माकुमारी संस्था की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी जानकी जी ने अपने आर्शीवचन में कहा कि मै कौन-मै आत्मा, मेरा कौन- मेरा परमात्मा को पहचान कर स्वयं का परमात्मा से सम्बन्ध जोड़ना ही राजयोग है जिससे न केवल हमारा मन, बुद्धि एवं चरित्र सुधरता है साथ ही आन्तरिक बुराईयां, विकार और व्यसन भी समाप्त हो जाते हैं।
       उन्होंने कहा कि राजयोग से हम न केवल अपनी आन्तरिक प्रकृति का राजा बन अपने सोचने, निर्णय करने और कर्मेन्द्रियों नियन्त्रित कर लेते है बल्कि हम बाह्य प्रकृति को परिवर्तन कर शान्ति, प्रेम, सदभाव सम्पन्न और स्वस्थ समाज का वातावरण बना कर सम्पूर्ण विश्व में शान्ति ला सकते है।
       इस अवसर पर ब्रह्माकुमारी संस्था की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी हृदयमोहिनी जी ने अपने उदगार व्यक्त करते हुए कहा कि राजयोग कोई आसन प्रक्रिया नहीं है बल्कि यह तो चलते फिरते, कर्म करते हुए भी किया जा सकता है। इसके अभ्यास से हम स्वयं के, समाज के और सारे विश्व के वर्तमान एवं भविष्य को शान्तमय, सुखमय, प्रेममय, सदभावपूर्ण बना सकते हैं।
       इसके अलावा सदभाव एवं शान्ति अध्ययन संस्थान के अध्यक्ष डॉ एम0डी0थॉमस, यहूदी उपासनागृह के मुख्य पुजारी ई0आई0मलेकर, दिल्ली सिक्ख गुरूद्वारा प्रबन्धक कमेटी के सदस्य सरदार कुलमोहन सिंह, अर्न्तराष्ट्रीय भजन सुख सेवा मिशन के संस्थापक स्वामी सर्वानन्द सरस्वती, स्तम्भ लेखक फिरोज बक्त अहमद, भारत में बहाई समुदाय के राष्ट्रीय संयोजक डॉ ऐ.के.मर्चेन्ट तथा जैन मुनी विवेक जी ने भी सभा को सम्बोधित कर विश्व शान्ति के लिए अपनी शुभकामनायें दी।
       ब्रह्माकुमारी संस्था के मुख्य प्रवक्ता ब्र0कु0 ब्रजमोहन जी ने सभी विभिन्न धर्म, समुदायों के आयें हुए नेताओं का अल्पअवधि बुलावे पर आने का शुक्रिया किया तथा कहा कि राजयोग हमारे आन्तरिक और बाह्य प्रकृति में असुन्तलन और बाधाओं को समाप्त करता है।
       केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह जों किन्ही कारणों से कार्यक्रम में सम्मिलित नहीं हो पाये ने अपने लिखित संदेश में ब्रह्माकुमारी संस्था द्वारा विश्व शान्ति और सदभाव के लिए भारत के प्राचीन राजयोग और नैतिक मूल्यों के प्रसार के लिए धन्यवाद दिया।

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Grand Sewa was done during Mega Dusshera Programme at Mandideep(Bhopal). Brahmakumar​i​s was asked to perform for 2 hours cultural Programme during Dusshera Cer​e​mony.  Brahmakumaris was honoured by Tour​ism  and Culture Minister of MP Govt Sh. Surendra Patwa, Hindu Ursav Samiti and Municipal Corporation Mandideep. Around 1 Lac ​audience was present during the Programme.

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आध्यात्मिक शक्ति ही लायेगी विश्व में शान्ति – अरविन्द केजरीवाल
अशान्ति का कारण अहंकार, स्नेह और सेवा भाव ही शान्ति का आधार – दादी जानकी
शान्ति आत्मा का निजी गुण है जो सदा साथ है – बी0के0 शिवानी 
 
नई दिल्ली, 25 अक्टूबरः दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि मानव जीवन और समाज में शान्ति, सदभावना, सहयोग और समृद्धि का वातावरण पुर्नस्थापित करने के लिए आध्यात्मिक शक्ति की प्राप्ति और प्रयोग जरूरी है। अध्यात्म प्रधान देश भारत ही इस दिशा में नेतृत्व प्रदान कर सकता है एवं विश्व शान्ति तथा विश्व बन्धुत्व के लिए पहल कर सकता है।   
यह उदगार उन्होंने आज शाम को प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा स्थानीय जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम ऑडिटोरियम में ’राजयोग द्वारा विश्व शान्ति’ विषय पर आयोजित एक सार्वजनिक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि आज के समाज में गिरते हुए मूल्यों की रोकथाम प्रत्येक व्यक्ति को अपनी सोच, विचार,   दृष्टिकोण एवं व्यवहार में सच्चाई, सफाई एवं ईमानदारी आदि नैतिक मूल्यों को समावेश करना होगा, इसके लिए आध्यात्मिकता एवं मेडिटेशन के आधार से आत्मबल, आत्म विश्वास एवं आत्म साहस को अपनाना होगा।
इस अवसर पर ब्रह्माकुमारी संस्था की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी जानकी जी ने अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में कहा कि मानव का सबसे बड़ा शत्रु देह अंहकार है जिससे काम, क्रोध, लोभ, मोह आदि मनोविकार उत्पन्न होते हैं।  वही जीवन में दुख, अशान्ति एवं सर्व समस्याओं का मूल कारण है।
उन्होंने कहा कि जीवन में सच्चा सुख, शान्ति एवं आनन्द की अनुभूति के लिए आत्मा-परमात्मा का ज्ञान एवं राजयोग का अभ्यास जरूरी है जिससे आपसी स्नेह, सहयोग, भाईचारा एवं सेवा भाव पैदा होता है और वह ही सुखमय संसार का आधार है। उन्होंने कहा कि राजयोग एक ऐसी सहज, सरल एवं स्वाभाविक प्रक्रिया है जिसे सांसारिक कृतव्य करते हुए भी किया जा सकता है। 
इस अवसर पर ब्रह्माकुमारी संस्था की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी हृदयमोहिनी जी ने अपने आर्शिवचन देते हुए कहा कि अपने वास्तविक स्वरूप ज्योर्तिबिन्दु आत्मा और उसके मौलिक गुण जैसे कि पवित्रता, शान्ति, प्रेम, सुख आदि के चिन्तन से ही सर्व गुणों के सागर निराकार परमपिता परमात्मा की स्मृति आती है जिससे हमारे अन्दर रूहानी शक्ति एवं समर्थी जागृत होते है। इन्हीं आत्मिक शक्ति को ही आध्यात्मिक शक्ति कहा गया है जिसको अपनाकर हम अपने वर्तमान और भविष्य को उज्जवल बना सकते हैं। उन्होंने सभी को कुछ मिनट राजयोग ध्यान द्वारा आन्तरिक शान्ति एवं शक्ति की भी अनुभूति करायी। 
इस अवसर पर विभिन्न धर्मों एवं पन्त के नेताओं ने दादीयों का पुष्प गुच्छ देकर अभिनन्दन किया तथा उपस्थित जनसमूह को शान्ति का सन्देश दिया।
इस कार्यक्रम के शीर्षक पर आयोजित एक टॉक शो को सम्बोधित करते हुए सुप्रसिद्ध आध्यात्मिक वक्ता ब्रह्माकुमारी शिवानी ने कहा कि शान्ति एक मानसिक स्थिति है जो आन्तरिक गुण एवं परमात्म चिंतन से प्राप्त होती है। यह सदा हमारे साथ है न की बाहर ढूढने की चीज है।   

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आन्तरिक शक्तियों को बढ़ाने के लिए राजयोग मेडिटेशन आवश्यक है -दादी जानकी 
आध्यात्मिक सशक्तिकरण ही सर्वांगीण विकास की कुंजी है – श्री पी0जे0कुरियन
नई दिल्ली, 24 अक्टूबरः प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा आज शाम को पार्लियमेन्ट हाउस ऐनेक्सी में संयुक्त रूप से ’आन्तरिक शक्तियों के विकास’ विषय पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
संयुक्त राष्ट्र की 70 वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम में वक्ताओं द्वारा पिछले सात दशकों में संयुक्त राष्ट्र और ब्रह्माकुमारी संस्था द्वारा समाज में मूल्यों और शांति की पुनर्स्थापना की दिशा में गतिविधियों पर प्रकाश डाला गया।
इस अवसर पर ब्रह्माकुमारी संस्था की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी जानकी जी ने अपने आर्शिवचन में कहा कि आन्तरिक शक्तियों को विकसित करने के लिए सत्यता, शान्ति और प्रेम जैसे बुनियादी मूल्यों का जीवन में अपनाना होगा, जिससे प्रत्येक व्यक्ति के जीवन एवं सामाज में खुशहाली लायी जा सके। उन्होंने कहा कि स्वयं में और समाज में आंतरिक शक्तियों, स्वास्थ्य, सद्भाव और खुशी को बढ़ाने के लिए नियमित रूप से आध्यात्मिक ज्ञान और राजयोग ध्यान का अभ्यास आवश्यक है।
मुख्य अतिथि के रूप में राज्य सभा के उपाध्यक्ष श्री पी जे कुरियन ने संयुक्त राष्ट्र संघ के अर्न्तराष्ट्रीय शान्ति स्थापना एवं विकासात्मक भूमिकाओं की सराहना करते हुए कहा कि सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक, स्वास्थ्य और मानव अधिकार के लिए काम करने के साथ-साथ यह संघ लोगों के आध्यात्मिक सशक्तिकरण को भी बढ़ावा दे जो कि सर्वांगीण विकास की कुंजी है पर भी ध्यान दे रहा है।
विशिष्ठ अतिथि के रूप में पधारी भारत-भूटान में संयुक्त राष्ट्र सूचना केन्द्र की निदेशिका श्रीमती किरन मेहरा ने अपने वक्तव्य में कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ ब्रह्माकुमारीज जैसे विश्व व्यापी गैर सरकारी संगठनों के साथ मिलकर शान्ति, मूल्य शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सतत् विकास की दिशा में आगे बढ़कर सुदृढ़ मानव समाज एवं एक बेहतर विश्व निमार्ण के लिए कटिबद्ध है।
ब्रह्माकुमारी संस्था के यूरोप एवं मध्य पूर्व देशों की निदेशिका ब्र0कु0जयंती ने लोगों में मानवीय मूल्यों एवं आन्तरिक शक्तियों की वृद्धि के लिए आध्यात्मिक ज्ञान और राजयोग ध्यान के नियमित अभ्यास पर जोर दिया। उन्होंने सभा में उपस्थित विशिष्ठ रूप से आमंत्रित  समाज के विभिन्न व्यवसायों एवं वर्गों के लगभग दो सौ लोगों को कुछ मिनट राजयोग ध्यान द्वारा आन्तरिक शान्ति एवं शक्ति की अनुभूति करायी।
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