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International Yoga Festival by AYUSH Ministry Inaugurated at Talkatora Stadium

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प्रेस विज्ञप्ति
केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने दितीय ‘विश्व योग दिवस’ हेतु अंतरराष्ट्रीय योग अभियान का सुभारम्भ किया
‘योग किसी धर्म के विरासत नहीं लेकिन समग्र मानवता के कल्याण के लिए एक विज्ञानं है’– श्री श्रीपद नायक
‘राजयोग एक सकारात्मक सोच, अनुभव एवं स्वस्थ जीवन प्रणाली हैं’ — ब्रह्मा कुमारी शिवानी
नईदिल्ली, २० अप्रैल : पिछले वर्ष हुई प्रथम ‘विश्व योग दिवस’ के अदभुत सफलता के बाद भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने आगामी दितीय ‘विश्व योग दिवस’ को समग्र संसार में अधिक लोकप्रिय वनाने हेतु आज स्थानीय तालकटोरा स्टेडियम में एक त्रिदिवसीय अंतरराष्ट्रीय योग उत्सव का आयोजन किया और २१ जून तक विश्व भर में चलनेवाली योग अभियान का सुभारम्भ किया।
इस त्रि दिवसीय अंतरराष्ट्रीय योग उत्सव में विभिर्न प्रतिष्ठित सरकारी एवं गेर सरकारी योग संसथान , संगठन और शैक्षणिक संस्थाओं जैसे की मर्जी देसाई नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ योग, आर्ट ऑफ़ लिविंग, ईशा फाउंडेशन, श्री औरोबिन्दो आश्रम, पतंजलि योग पीठ, प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय आदि शामिल हैंI
इस उत्सव में योग संसथान के योग मास्टर्स के द्वारा सत्संग, योग और राजयोग मैडिटेशन, योग डेमोंस्ट्रेशन, विकलांगों के द्वारा योग, म्यूजिक मैडिटेशन, क्विज कम्पैशन, सेमिनार, राजयोग प्रवचन, कार्यशालाएं, पोस्टर प्रेजेंटेशन एवं प्रदर्शनी, सांस्कृतिक कार्यक्रम और फ़ूड स्टाल्स आदि होंगे I
मुख्य अतिथि के रूप में उत्सव का सुभारम्भ करते हुए आयुष मंत्रालय के मंत्री श्री श्रीपद येस्सो नायक ने कहा की योग किसी धर्म के विरासत नहीं लेकिन समग्र मानवता के कल्याण, सर्वांगीण स्वास्थय, शांति, सुख एवं समृद्धि के लिए एक विज्ञानं है, एक सकारत्मक, स्वस्थ और सरल जीवन शैली है। उन्होंने कहा की योग केवल आसन-प्राणायाम आदि हाथ योग का नाम नहीं बल्कि यह साधक की मानसिक, नैतिक, भावनात्मक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक विकास केलिए हैं।
उन्होंने कहा की आज की प्रतिस्पर्धा और ऊंच तकनीक युग की तनावयुक्त एवं अस्वस्थ वातावरण में मानव समाज केलिए योग एक उत्कृस्ट रोगप्रतिरोधक तथा उपचारक जीवन प्रक्रिया हैं जो की सभी जाती, धर्म, वर्ग, श्रेणी एवं राष्ट्रों के लोगों केलिए उपयोगी हैं।
उन्होंने कहा की इस विश्व व्यापी योग अभियान को केवल एक सरकारी परियोजना न समझ कर इसे पुरे मानवता केलिए एक सार्वजानिक मार्ग समझना होगा और इसे प्रत्येक घर, परिवार, कार्यक्षेत्र, स्कूल, कॉलेज एवं संगठन आदि में अपनाना होगा।
उद्घाटन सत्र के मुख्य आकर्षण प्रशिद्ध प्रेरणादायी वक्ता ब्रह्मा कुमारी शिवानी ने कहा की योग यानि राजयोग एक सकारात्मक सोच, अनुभव एवं स्वस्थ जीवन प्रणाली है। उन्होंने कहा कि राजयोगी के सकारात्मक सोच एक शक्तिशाली ऊर्जा के रूप में अपने शरीर, मन, दूसरे लोग, पर्यावरण और प्रकृति के ऊपर स्वस्थ और सुखदायी प्रभाव डालती है, संबंधों में मधुरता, एकता, सदभावना, सहयोग और समरसता लती है।
उन्होंने कहा कि इन सभी संबधों में सन्तुलंता और उत्कृष्ता का आधार मनुष्य आत्मा का परमात्मा के साथ मन-बुद्धि से स्नेह युक्त सम्बन्ध या संयोग, जिसे राजयोग कहा जाता है I और जिसकी नियमित अभ्यास से न केवल हमारे चिंतन, चरित्र, संस्कार और आचरण पवित्र, सभ्य, श्रेष्ठ और दैवी बनजाता है, अपितु हमारे सकारात्मक परिवर्तन के आधार पर समस्त समाज, पर्यावरण, प्रकृति, संस्कृति और सव्यता भी दैवी, सतोगुणी, सुखदाई और सतयुगी बन जाती है।
अन्य विशिस्ट सम्मानीय अतिथिगण जिनोहने उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए योग को हठ योग के दायरा से ऊपर एक बहुआयामी सर्वागीण स्वास्थय एवं सन्तुलंता प्रदायक पद्धति के रूप में प्रस्तुत किया वे आयुष मंत्रालय के सचिव अजित शरण, मोराजी देसाई इंस्टिट्यूट ऑफ़ योग के निर्देशक डॉ आई. बी. वसवरड्डी, गायत्री पीठ के डॉ चिन्मय पंड्या, परमार्थ निकेतन के साध्वी सरस्वती भगवती, आर्ट ऑफ़ लिविंग के श्रीमती कमलेश, स्वामी जयदीप ऑफ़ पतंजलि पीठ आदि आदि थे ।
सायं कालीन सत्र में विभिर्न योग शिक्षकों ने अपने अपने योग पद्धति के वारे में लोगों को अवगत कराया। विकलांग वर्ग के लोगों ने अपने ढंग से योगासन प्रदर्शित किया। ब्र्ह्मा कुमारी संस्था की निर्देशिका बी के आशा राजयोग मैडिटेशन के परिभाषा और बहुयामी उपयोगिता के वारे में लोगों को अवगत कराए तथा सामूहिक राजयोग की अभ्यास और अनुभूति कराए। अंत में योग और स्वास्थय सम्बंधित सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुआ।
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