Mount Abu – दादी प्रकाशमणि स्मृति दिवस कार्यक्रम
समाज को सुखी बनाता महान विभूतियों का तप
दादी प्रकाशमणि स्मृति दिवस कार्यक्रम
माउंट आबू, कर्नल डी. के. fसह, स्टेशन कमांडर आर्मी स्टेशन माउंट आबू ने कहा कि महान विभूतियां बिना किसी भेदभाव के अपने त्याग, तपस्या के बल पर सम्पूर्ण मानवता की सेवा में अपने जीवन को समर्पित कर समाज को सुखी बनाती हैं। ब्रह्माकुमारी संगठन की ओर से समाज को सही राह दिखाने के लिए की जा रही सेवायें मानव जीवन के चरित्र का उत्थान करने में सार्थक सिद्ध हो रही हैं। वे सोमवार देर शाम विश्व बन्धुत्व दिवस के रूप में मनाई जा रही दिवंगत राजयोगिनी डॉ. दादी प्रकाशमणि के १२वें स्मृति दिवस पर ब्रह्माकुमारी संगठन के अतंर्राष्ट्रीय मुख्यालय पंाडव भवन स्थित ओम शांति भवन में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
मीडिया प्रभाग अध्यक्ष बीके करूणा ने कहा कि भौतिकता व अध्यात्मिकता के उचित समन्वय से समाज को परिवर्तन करने में समाज के हर वर्ग का योगदान जरूरी है।
प्रसिद्ध गायक व संगीतकार ओम व्यास मुंबई ने राजस्थानी संस्कृति की महिमा करते हुए कहा कि विलक्षण प्रतिभा की धनी दादी प्रकाशमणि हमेशा मानवीय, नैतिक, अध्यात्मिक, चारित्रिक आदि मूल्यों को बढ़ावा देने में संलग्न रहती थीं।
पालिका अध्यक्ष सुरेश थिंगर ने कहा कि जब महिलाओं को समाज में दोयम दर्जे का नागरिक माना जाता था ऐसे समय में दादी प्रकाशमणि ने महिलाओं का एक विशाल संगठन खड़ा कर सामाजिक व्यवस्थाओं के साथ उन्हें अहम दायित्व सौंप कर एक चुनौतीपूर्ण कार्य को अंजाम दिया।
महा सचिव सौरभ गांगडिय़ा ने कहा कि माउंट आबू तपस्यास्थली है। इस होलीस्थल को विश्व के मानसपटल पर ख्याति प्राप्त कराने में ब्रह्माकुमारी संगठन का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। ईश्वर के कार्य में हर व्यक्ति को संगठन से जुडक़र कार्य करने में आगे आना चाहिए।
खेल प्रभाग उपाध्यक्ष बीके शशि बहन ने दादी प्रकाशमणि के संस्मरण सुनाते हुए कहा कि निर्मलचित्त, निर्माणता की मूर्ति दादी के जीवन में सर्व के प्रति अपनेपन की भावना स्पष्ट रूप से झलकती थी।
ग्लोबल अस्पताल निदेशक डॉ. प्रताप मिढ्ढा ने कहा कि दादी जी न केवल अध्यात्म को प्राथमिकता देती थीं बल्कि सामाजिक, स्वास्थ्य को बेहतर बनाये रखने के लिए खेलकूद आदि गतिविधियों में भी आगे रहती थीं।
समाज सेवा प्रभाग मुख्यालय संयोजक बीके अवतार ने कहा कि दादी जी मानव समुदाय को सदैव यही शिक्षा देती थीं कि वे संयमित जीवन अपनाकर विकारों का त्याग कर सुख शांतिमय समाज की स्थापना की जा सकती है। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।