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Monthly Archives: August 2018

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सकारात्मक ऊर्जा का प्रकाशपुंज थी दादी प्रकाशमणि

– संयुक्त मुख्य प्रशासिका दादी रतनमोहिनी के उद्गार
– दादी प्रकाशमणि का 11वां पुष्पांजली कार्यक्रम
– देशभर से पहुंचे 20 हजार से अधिक लोगों ने दी श्रद्धांजली
– सुबह 8 बजे से लेकर रात तक लगा रहा लोगों का तांता
– दादी की स्मृति में बने प्रकाश स्तंभ को फूलों से सजाया

25 अगस्त, आबू रोड (निप्र)।
dadi prakashmini news (1)

ब्रह्माकुमारी संस्थान की पूर्व मुख्य प्रशासिका दादी प्रकाशमणि के 11वें पुण्य स्मृति दिवस के उपलक्ष्य में शनिवार को पुष्पांजली कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें देशभर से पहुंचे 20 हजार से अधिक लोगों ने दादी की स्मृति में बने प्रकाश स्तंभ पर पहुंचकर श्रद्धांजली दी। वहीं अलसुबह 3 बजे से ब्रह्ममुहूर्त में दादी की याद में सभी ने विशेष योग किया। इसके माध्यम से पूरे विश्व बंधुत्व, विश्व एकता और सद्भाव की कामना करते हुए योग के शुभ प्रकम्पन फैलाए। वहीं प्रकाश स्तंभ को विशेष रूप से कोलकाता से आए कलाकारों ने सजाया।

कार्यक्रम में मुख्य प्रशासिका 103 वर्षीय दादी जानकी ने कहा कि दादी प्रकाशमणि सकारात्मक ऊर्जा का साक्षात प्रकाशपुंज थीं। योग का ही कमाल है जो उनके एक-एक संकल्प साकार हो जाते थे। उन्होंने आध्यात्मिक ऊर्जा और परमात्म शक्ति से स्वयं को इतना सशक्त बना लिया था कि उनके सानिध्य में आने वाले हर कोई एक अद्भुत शक्ति और ऊर्जा का अनुभव करता था।

संयुक्त मुख्य प्रशासिका दादी रतनमोहिनी ने कहा कि दादी ममता और स्नेह की साक्षात मूरत थीं। आपकी ममतामयी पालना का ही कमाल है जो आपके सानिध्य में 20 हजार से अधिक बहनों ने खुद को समाजसेवा और विश्व कल्याण के कार्य में अर्पण कर दिया। महासचिव बीके निर्वैर भाई ने भी दादी के साथ के अपने अनुभव सांझा किए।

जनरल मैनेजर बीके मुन्नी बहन ने कहा कि मैं खुद को भाग्यशाली समझती हूं जो दादी के अंग-संग 40 साल से अधिक समय तक रहने का मौका मिला। दादी का एक-एक बोल वरदानी बोल था। वह हमेशा कहती थीं जैसा कर्म हम करेंगे, हम देखकर और करेंगे। दादी त्याग-तपस्या की एक प्रतिमूर्ति थीं। इतनी बड़ी संस्था की हैड होने के बाद भी उनको कभी हेडक नहीं होती थी। वह कहती थी कि मैं स्वयं को कभी हेड समझती ही नहीं। हैड समझने से हेडक होती है।

दादी के सानिध्य में वटवृक्ष बनी संस्था
दादी जी के कुशल प्रबंधन, नेतृत्व, त्याग और मेहनत से संस्था प्रगति-पथ पर निरंतर आगे बढ़ती गई और नए-नए कीर्तिमान स्थापित करती गई। वर्ष 1969 में संस्था के साकार संस्थापक प्रजापिता ब्रह्मा बाबा के अव्यक्त होने के बाद दादी ने इसकी बागडोर संभाली। दादी के सानिध्य में ही आध्यात्म और राजयोग मेडिटेशन का संदेश विश्व के 142 देशों में तक पहुंचा और एक नन्हा से पौधे ने वटवृक्ष का रूप ले लिया। विश्वभर में 8 हजार से अधिक सेवाकेंद्र का संचालन शुरू किया गया। जिसके फलस्वरूप प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय को संयुक्त राष्ट्र संघ ने गैर सरकारी संस्था के तौर पर आर्थिक एवं सामाजिक परिषद का परामर्शक सदस्य बनाया जो कि यूनिसेफ से भी सम्बद्ध है। साथ ही सात पीस मैसेंजर अवार्ड से भी संस्था को नवाजा गया।

1922 में हैदराबाद (सिंध) में हुआ था जन्म…
दादी का जन्म 1922 को हैदराबाद (सिंध) में एक बड़े ज्योतिषी के घर हुआ। दादी प्रकाशमणिजी का बचपन का नाम रमा था। 14 वर्ष की आयु में वर्ष 1936 में ब्रह्माकुमारी•ा के साकार संस्थापक प्रजापिता ब्रह्मा के संपर्क में आईं और उन्होंने उसी समय यह निर्णय कर लिया कि अब हमारा जीवन सद्गुणों से युक्त ईश्वरीय सेवा के लिए रहेगा। तरुण अवस्था में रमा की लगन, निष्ठा, प्रतिभा और दिव्यता की आभा को देखते हुए ब्रह्मा बाबा ने उनका नाम रमा से बदल प्रकाशमणि रखा। दादी जी लाखों लोगों की रूहानी सेना तैयार कर खुद फरिश्ता बन गई और 25 अगस्त, 2007 को इस दुनिया से विदा हो गई।

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मिकों को दिलाया नशामुक्ति का संकल्प

– दादी प्रकाशमणि के पुण्य स्मृति के उपलक्ष्य में स्नेह मिलन समारोह आयोजित
– दादी की याद में शांतिवन में सेवाएं दे रहे दो हजार से अधिक श्रमिकों को दी सौगात
– राजयोग मेडिटेशन का कराया अभ्यास

21 अगस्त, आबू रोड (निप्र)।

ब्रह्माकुमारी संस्थान की पूर्व मुख्य प्रशासिका दादी प्रकाशमणि के 11वें पुण्य स्मृति दिवस के उपलक्ष्य में मंगलवार को श्रमिकों का स्नेह मिलन समारोह आयोजित किया गया। इस दौरान ब्रह्माकुमारी बहनों ने सभी श्रमिकों को नशामुक्ति का संकल्प दिलाते हुए जीवन में सदा नशे से दूर रहने की प्रतिज्ञा कराई। साथ ही शांतिवन में अपनी सेवाएं दे रहे दो हजार से अधिक श्रमिकों को दादी की स्मृति में सौगात प्रदान की गई।
कार्यक्रम में संबोधित करते हुए मीडिया विंग के अध्यक्ष बीके करुणा भाई ने कहा कि आप सभी की अथक मेहनत और सेवा का ही कमाल है जो सारी व्यवस्थाएं सुचारू रूप से संचालित होती हैं। किसी भी उपक्रम में श्रमिक नींव के पत्थर होते हैं। आपके श्रम की बूंदों से ही कोई भी कार्य का सही रीति से संचालन संभव हो पाता है।

शांतिवन की प्रबंधक बीके मुन्नी बहन ने कहा कि आप सभी यहां अपने घर समझकर सेवाएं दें। ये परमात्मा का घर है तो इसे अपना घर ही समझें। आप सभी दिन-रात इतनी मेहनत से सेवाएं देते हो। इससे हर कार्य सही रीति से होता है। आप सभी भाग्यशाली हैं जो ईश्वर के घर में सेवा कर रहे हैं। सदा सेवा करते हुए खुश रहें। खुशी से कार्य करें। जब हम ईमानदारी और सच्ची लगन से कोई कार्य करते हैं तो ईश्वर उसका सौ गुना फल देता है। आज आप सभी से मिलकर बेहद खुशी हो रही है। दादी प्रकाशमणि के समय से ही संस्थान के सभी श्रमिक भाई-बहनों की पालना घर की तरह की जाती है। आज सभी संकल्प लें कि कभी भी नशा नहीं करेंगे। नशा जीवन का नाश कर देता है। नशा ही नरक का द्वार है। नशे से दूर रहें और दूसरों को भी इसे छोडऩे के लिए प्रेरित करें। नशे से शारीरिक,मानसिक और आर्थिक तीनों रूप से बर्बादी ही होती है।

शांतिवन के मुख्य अभियंता बीके भरत भाई ने कहा कि आप सभी हमारे साथी हैं। आपको किसी भी तरह की कोई परेशानी हो तो बेझिझक बताएं। यहां सभी अपना घर समझकर ही अपनी अमूल्य सेवाएं दें।
पीआरओ बीके कोमल ने कहा कि आप सभी वह नींव के पत्थर हैं जिसके बिना किसी भवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। जीवन में सदा उमंग-उत्साह बनाए रखें।

सभी ने दी दादी को श्रद्धांजली…
समापन पर सभी को ईश्वरीय सौगात प्रदान की गई। सभी श्रमिक भाई-बहनों ने प्रकाश स्तम्भ पहुंचकर दादी प्रकाशमणि को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए श्रद्धांजली दी। अंत में सभी के लिए विशेष ब्रह्माभोजन कराया गया। बहनों ने राजयोग मेडिटेशन की अनुभूति कराते हुए इसके लाभ बताए। इस मौके पर सफाई विभाग के प्रमुख बीके जगदीश भाई, बीके कृष्णा बहन, बीके मनीषा बहन सहित बड़ी संख्या में श्रमिक भाई-बहन मौजूद रहे।

कई श्रमिक भाई-बहन रोजाना लगाते हैं ध्यान
इस दौरान कई श्रमिक भाई-बहनें ने अपना अनुभव सुनाया। शांतिवन में सेवाएं दे रहे श्रमिक भाई-बहनों में कई ऐसे हैं जो रोजाना राजयोग मेडिटेशन का अभ्यास करते हैं। साथ ही सभी तरह की व्यसन-बुराइयों से दूर हैं। वह आदर्श के संयम पथ पर आध्यात्मिक जीवन अपनाना जीवन को नई दिशा दे रहे हैं। राजयोग के अभ्यास से कई लोगों को जीवन में नई दिशा मिली है।
फोटो- श्रमिक भाई-बहनों को नशामुक्ति का संकल्प दिलाते हुए ब्रह्माकुमारी बहनें।

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दादी प्रकाशमणि चौथी इंटरनेशनल हॉफ मैराथन…
अरावली की हसीन वादियों में विश्व बंधुत्व का संदेश लेकर दौड़े धावक

– पुरुष वर्ग में मध्यप्रदेश राजगढ़ के विष्णु राठौड़ ने एक घंटा 22 मिनट में प्रथम और महिला वर्ग में उत्तरप्रदेश की अर्पिता सैनी ने एक घंटा 45 में दौड़ पूरी कर प्रथम स्थान पाया
– शंखनाद के साथ शुरू हुई मैराथन
– एथलीट ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजली देकर शुरू की दौड़
– एशियन गोल्ड चैंपियन सुनीता गोधारा ने बढ़ाया प्रतिभागियों का उत्साह

फैक्ट फाइल…
1800 रनर्स ने कराया था रजिस्ट्रेशन
1500 रनर्स ने लिया मैराथन में भाग
20 से अधिक स्थानों पर की गई रिफ्रेशमेंट की व्यवस्था
04 देशों के एथलीट ने लिया भाग
18 साल के किशोर से लेकर 65 साल के बुजुर्गों ने भी लिया भाग
03 घंटे में तय करना थी 21.5 किमी की दूरी

19 अगस्त, आबू रोड।

अलसुबह का खुशनुमा मौसम, ओम शांति की मंगलध्वनि, तालियों की गडग़ड़ाहट, शंखध्वनि के बीच विश्व बंधुत्व की मंगल कामना को लेकर धावकों ने पूरे जोश और उत्साह के साथ दौड़ की शुरुआत की। मौका था ब्रह्माकुमारीज संस्थान की पूर्व मुख्य प्रशासिका दादी प्रकाशमणि की स्मृति में रविवार को आयोजित चौथी इंटरनेशनल हॉफ मैराथन का। भारत सहित विश्व के कई देशों से पधारे धावकों में मैराथन को लेकर उत्साह इतना था कि सुबह 5 बजे से ही जमावड़ा लगना शुरू हो गया था। इस मैराथन की खासीयत यह रही कि इसमें 18 वर्ष से लेकर 65 वर्ष और डॉक्टर से लेकर इंजीनियर रनर्स ने भाग लिया। वहीं केन्या, स्पेन, इसूपिया सहित अन्य देशों से भी बड़ी संख्या में रनर्स भाग लेने पहुंचे। शुरुआत में सभी रनर्स सहित अतिथियों ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजली दी।

वार्मअप के बाद सुबह 6 बजे एशियन गोल्ड चैंपियन व कोच सुनीता गोधारा, भारतीय क्रिकेट के खिलाड़ी रहे पूर्व क्रिकेटर नयन मोगिया, सुप्रसिद्ध एथलिट अंजू ठामले सहित अन्य एथलीट ने मशान दिखाकर मैराथन की मंगल शुरुआत की। अतिथियों ने प्रतिभागियों को जैसे ही मशाल दिखाई तो सबका उत्साह देखते ही बन रहा है। सभी भारत माता की जय, वंदे मातरम् और ओम शांति के जयकारे लगाते हुए कदम से कदम बढ़ाते पूरे उमंग-उत्साह के साथ दौड़ पड़े। शुरु से लेकर अंत तक रनर्स में एक-दूसरे से आगे बढऩे की होड़ लगी है।

इन्होंने मारी बाजी
21.097 किलोमीटर की हॉफ मैराथन के पुरुष वर्ग में मध्यप्रदेश राजगढ़ के विष्णु राठौड़ ने एक घंटा 22 मिनट में प्रथम, केन्या के साइमन ने एक घंटा 23 मिनट में द्वितीय, उत्तराखंड के जसविंद सिंह ने एक घंटा 24 मिनट में तृतीय व महिला वर्ग में उत्तरप्रदेश की अर्पिता सैनी ने एक घंटा 45 में प्रथम, इथोपिया की इताफेराहू डुबाले ने 1 घंटा 46 मिनट में द्वितीय, दिल्ली की सीमा सिंह ने एक घंटा 49 मिनट में मैराथन पूरी तृतीय स्थान प्राप्त किया।

20 से अधिक रिफ्रेशमेंट पाइंट बनाए…
मनमोहिनी वन से माउंट आबू के पांडव भवत तक मैराथन में भाग लेने वाले धावकों को 20 से अधिक स्थानों पर रिफ्रेशमेंट की व्यवस्था की गई थी। इसमें धावकों के लिए पानी, नींबू पानी, ग्लूकोज, एनर्जी ड्रिंक, नाश्ता, फल आदि बांटे गए। साथ ही इस दौरान रिफ्रेशमेंट पाइंट पर मौजूद भाई-बहनों ने गीतों के माध्यम से सभी का उत्साह बढ़ाया।

चंदन का तिलक लगाकर किया स्वागत…
प्रतियोगिता की शुरुआत में ब्रह्माकुमारी बहनों ने सभी प्रतिभागियों को चंदन का तिलक लगाकर स्वागत किया। साथ ही सभी को संस्थान के भाई-बहनों ने उत्साह से भाग लेने के लिए प्रेरित किया। वहीं पुष्पवर्षा कर सभी को रवाना किया गया। वहीं कोच के रूप में सुनीता गोधारा ने सभी का उत्साहवर्धन करते हुए मैराथन में फस्र्ट आने के टिप्स बताए।

विश्व बंधुत्व के लिए दौड़, अच्छा संदेश
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व क्रिकेटर नयन मोगिया ने कहा कि विश्व बंधुत्व के लिए आयोजित अंतरराष्ट्रीय मैराथन बहुत कम ही देखने को मिलता है। उसमें भी सुन्दर मौसम और हसीन वादियों के बीच धावकों का मनोबल बढ़ेगा और विश्व बन्धुत्व के साथ सेहत भी बेहतर बनाने का संदेश जाएगा। सुप्रसिद्ध एथलिट अंजू ठामले ने कहा ज्यादा से ज्यादा लोगों के शामिल करने से लोगों का उत्साहवर्धन होगा। यूआईटी चेयरमैन सुरेश कोठारी, माउंट आबू पालिका चेयरमैन सुरेश थिंगर, आबू रोड पालिका चेयरमैन सुरेश सिंदल ने भी अपनी शुभकामनाएं दीं।

ये भी रहे उपस्थित…
मीडिया प्रभाग के अध्यक्ष बीके करुणा, सोशल एक्टीविटी गु्रप के अध्यक्ष बीके भरत, ज्ञानामृत के प्रधान संपादक बीके आत्म प्रकाश, मेडिकल विंग के कार्यकारी सचिव बीके बनारसी लाल शाह, राजयोग शिक्षिका बीके गीता, सीए ललित, बीके मोहन, बीके भानू, बीके देव, बीके रामसुख मिश्रा, पीआरओ बीके कोमल, बीके धीरज, बीके सचिन, बीके रुपा, बीके चंदा, बीके कृष्णा, अनूप सिंह, बीके अमरदीप सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।

मैराथन की झलकियां…

– 18 से लेकर 65 साल के बुजुर्ग मैराथन में रहे विशेष आकर्षण
– डॉक्टर्स ने भी स्वास्थ्य का संदेश देते हुए लगाई दौड़
– बारिश भी प्रतिभागियों का कम नहीं कर पाई उत्साह
– युवा बहनों ने उत्साह के साथ तीन घंटे में पूरी की दौड़
– माउंट आबू में तालिया बजाकर स्कूली बच्चियों ने किया रनर्स का स्वागत
– रास्तेभर पूरे जोश और उत्साह के साथ आगे बढ़े प्रतिभागी
– वानरों ने भी प्रतिभागियों को दौड़ते देख लगाई दौड़
– गीतों के माध्यम से बढ़ाया सभी का हौसला
– पीछे रहने के बाद भी कई प्रतिभागी अंत तक दौड़ते रहे
– माउंट में अतिथियों ने मेडल पहनाकर किया सम्मानित

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साइलेंस की शक्ति विज्ञान और आध्यात्म को करीब लाएगी : पद्म भूषण डॉक्टर वी के सारस्वत
 

आबू पर्वत ( ज्ञान सरोवर ) ४ अगस्त २०१८.

आज ज्ञान सरोवर स्थित हार्मनी हॉल में ब्रह्माकुमारीज एवं आर ई आर एफ की भगिनी संस्था, ” स्पार्क प्रभाग ” के संयुक्त तत्वावधान में एक अखिल भारतीय सम्मेलन का आयोजन हुआ। सम्मलेन का मुख्य विषय था – “रीजूविनेट , इंनोवेट , इंटीग्रेट . इस सम्मलेन में भारत वर्ष के विभिन्न प्रदेशों से बड़ी संख्या में प्रतिनिधिओं ने भाग लिया। दीप प्रज्वलित करके सम्मेलन का उदघाटन सम्पन्न हुआ।


नीति आयोग के सदस्य और जे एन यू के चांसलर पद्म भूषण
डॉक्टर वी के सारस्वत ने आज मुख्य अतिथि के रूप में अपनी बातें रखीं। आपने कहा कि हम अपने फैसलों को किस प्रकार से आध्यात्मिकता के पुट से युक्त करें – हमको इसपर विचार करना है। विज्ञान भौतिक जगत के सत्य पर विचार करता है जब की आध्यात्मिकता हमारे मनोभावों – और विचारों आदि पर शोध करता है। प्रश्न है की विज्ञान और आध्यात्म को कैसे युक्त किया जाए ? साइलेंस की शक्ति इसमें कारगर हो सकती है। आध्यात्मिकता हमारी चेतना से सम्बद्ध है – हमरे जागरण से। जबकि विज्ञान पदार्थों पर शोध करता है। शांति की शक्ति से हम सर्वोच्च सत्ता से जुड़ सकते हैं और चेतना के शिखर को समझ सकते हैं। तब हमारा जीवन मूल्यवान और उपयोगी बन जाता है।


राजयोगिनी आशा दीदी , ओ आर सी की निदेशक ने कहा की विज्ञान और आध्यात्म एक दूसरे के पूरक हैं – एक दूसरे से दूर नहीं हैं – विरोधाभासी नहीं हैं । आपने बताया की हम श्री लक्ष्मी, श्री नारायण की पूजा इसलिए करते हैं क्योंकि ये लोग सत्ता हैं ,मूल्यों के। मूल्यवान लोग हैं। भौतिकता से पूरी तरह युक्त हैं मगर पूज्य हैं। आज की दुनिया में आप सर्वाधिक अमीर व्यक्ति की भी पूजा नहीं करते। क्योंकि वे इस लायक नहीं हैं। धन है मगर वहाँ मूल्य नहीं है। मूल्यवान होने के लिए यह समझना जरूरी है की हम सभी अपने शरीर से अलग आत्मायें हैं। आत्मानुभूति के बाद ही जीवन मूल्यवान बनता है और पूज्य भी। राजयोग उसमें हमारी मदद करता है। इसके अभ्यास से हम पूज्य बन जाते हैं। शरीर पर हमारा वश है मगर मन पर नहीं है। मन हमारे वश में नहीं है। आत्मा को समझने के बाद वह हमारे वश में आ जायेगा। कहा गया है – मन को जीते जगत जीत। जगत जीत बनना बड़ी बात है मगर राजयोगिओं के लिए आसान है। राजयोगी बनने के लिए आपका स्वागत है।

रजयोगिनी अम्बिका दीदी, स्पार्क विंग की अध्यक्षा ने आज अपना सम्बोधन इस प्रकार प्रस्तुत किया। आपने कहा की आध्यात्मिक प्रज्ञा आत्मिक सत्य को समझना है। क्या दुनिया में सभी लोग सदैव उत्फुल्ल रह सकते हैं ? परमात्मा का ज्ञान जो उन्होंने प्रजापिता ब्रह्मा बाबा के माध्यम से प्रदान किया है – उसको जीवन में आत्म सात करने से वैसी स्थिति प्राप्त की जा सकती है। दैनिक जीवन में आत्मिकता की अनुभूति से हमारा जीवन पूरी तरह संतुलित और सफल बन जाता है। हम अपने समाज को एक मूल्यवान समाज बनावें। यह आज की अनिवार्यता है।
 
ब्रह्माकुमारीज़ के कार्यकारी सचिव राजयोगी मृत्युंजय ने अपना आशीर्वचन दिया। आपने सम्मेलन में पधारे हुए महानुभावों का फिर से स्वागत किया। आपने बताया की हम विश्वविद्यालयों में और कॉलेजेस में थॉट लाइब्रेरी की स्थापना कर रहे हैं। वहाँ लोग सकारात्मक विचारों को उत्पन्न करेंगे और उसकी विधि भी जानेंगे। इससे लोगों के संस्कार सुधरेंगे और जीवन दिव्य बनेगा।
 
डी आर डी ओ से पधारे डॉ सुशील चंद्र ने आज के अवसर पर कहा की स्पार्क आध्यात्मिकता और शोध पर आधारित है। यह संस्था आध्यात्मिकता पर और आध्यात्मिकता के लिए शोध करती है। आपने राजयोगियों पर किये गए अनेक शोधों का विवरण दिया और बताया की कैसे विभिन्न परिश्थितियों में भी उन राजयोगिओं ने काफी अच्छी मानसिक स्थिति बरकरार रखी।
 
प्रो डॉक्टर रोमेश गौतम , वरिष्ठ अधिवक्ता , सर्वोच्च न्यायालय ने आज के अवसर पर अपनी बातें इस रूप में रखीं। आपने कहा कि मैं यहां से काफी कुछ सीख कर जावूंगा। यहां आकर ऐसा लगा की मैं एक असामान्य और अलौकिक स्थान पर पंहुचा हूँ। मैं अपने ऑफिस तक को भूल गया हूँ। ऐसा एक अलग सा प्रभाव इस स्थान का मेरे मन पर पड़ा है। लग रहा है की सब कुछ ठीक ही हो रहा होगा। यहां आकर जो आत्मिक शांति मिलती है उसकी तुलना धन दौलत से नहीं की जा सकती है।
आपने प्राचीन भारतीय ज्ञान के बारे में बताया।
 
डॉ जयश्री ने कहा की मैं यहाँ सीखने के लिए आयी हूँ। मुझे यहाँ काफी सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त हो रही है। मैं यहाँ से काफी कुछ सीख कर जाने वाली हूँ। आम तौर पर लोग मानते हैं की विज्ञान से जुड़े लोग नास्तिक होते हैं जो की बिलकुल सही नहीं है। मैं पूरी आस्तिक हूँ। संसार की हर घटना से सर्वोच्च सत्ता की उपस्थिति प्रकट होती रहती है। दुनिया वालों को और कैसा प्रूफ चाहिए उनके होने का ?? जीवन में संतुलन का बड़ा महत्व है। उसके लिए आध्यात्म सहयोगी होगा।
 
ग्यारह वर्षीय हिमांग, सोशल इन्नोवेटर, ने कार्यक्रम को सम्बोधित किया और अपनी यात्रा के बारे में बताया। कहा की मेरी यात्रा की सफलता में मेरे माता पिता की बड़ी भूमका रही है। मैंने रोबोटिक्स से शुरुआत की और नेशनल चैंपियन बना। मुझे विश्वास ही नहीं हुआ की मेरे साथ कुछ बड़ा घट गया है। और उसके बाद मेरा सफर बढ़ता ही चला गया।