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आबू रोड, 5 अक्टूबर, निसं। भारत देश पूरे विश्व में पारिवारिक मूल्यों, सदभावना और आपसी भाईचारे के लिए जाना जाता है। हमारे देश की पवित्र गंगा नदी का महत्व नदी नहीं बल्कि एक मॉं के रूप में है। इस पवित्र गंगा नदी को भी स्वच्छ एवं साफ बनाये रखने का हम सबका दायित्व है। उक्त उदगार राष्ट्रीय गंगा नदी प्राधिकरण के सदस्य डा मोहन सिंह रावत ने व्यक्त किये। वे ब्रह्माकुमारीज संस्थान के शांतिवन में मल्टी डिस्प्लीनरी अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन अवसर पर बोल रहे थे। 
उन्होंने कहा कि हमें केवल आस पास की गन्दगी को ही दूर करना नहीं बल्कि जलाशयों, पवित्र नदी गंगा की भी स्वच्छता बनाये रखना हम सबकी जिम्मेदारी है। पूरे विश्व में केवल गंगा नदी है ऐसी नदी है जिन्हें मॉं की उपाधि मिली हुई है। ऐसी धरोहर को संजाये रखने के लिए एक दूसरे को प्रेरित करना चाहिए। ब्रह्माकुमारीज संस्थान में हर एक चीज में इसका स्पष्ट संदेश हैं। 
फरीदाबाद विश्वविद्यालय की अध्यक्ष कान्ता शर्मा ने कहा कि शिक्षकों एवं शिक्षार्थियों के बीच मूल्यों का तेजी से पतन हो रहा है। ऐसे में मनुष्य का किसी भी तरह का विकास अधूरा है। यदि तकनिकी विकास की चाह में हम मूल्यों को दरकिनार करेंगे तो इसका गम्भीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे यह सम्मेलन एक ऐतिहासिक है। भारत स्काउट गाइड के पंजाब के आयुक्त डा साधू सिंह रांधवा ने कहा कि अनुशासन और मूल्य एक दूसरे के पूरक है। बिना मूल्यों के अनुशासन नहीं आ सकता है। इसलिए इस परिसर में मूल्य के साथ अनुशासन दोनो ही विद्ययमान है। 
ब्रह्माकुमारीज संस्था के सूचना निदेशक बीके करूणा ने कहा कि जीवन में हमेशा सुख शांति का संचार होता रहे यह आज के समय के लिए बहुत जरूरी है। जब-जब हमारे देश में मूल्यों का अकाल पड़ा है तब परिस्थितियों ने भयंकर रूप अख्तियार कर लिया है। अब वापस समय की मांग है कि मूल्यों को बढ़ाने का प्रयास किया जाये।
सिद्धी विनायक ग्रुप के अहमदाबाद के चेयरमैन मुकेश भाई पटेल ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में इस तरह के सम्मेलनों में आना इस बात का प्रमाण है कि उनके जीवन में अब शांति और सुख की प्यास बढ़ गयी है जो यहॉं आकर पूरी हो रही है। उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायधीश सज्जन ंिसह कोठारी ने कहा कि बेहतर न्यायिक प्रक्रिया के लिए भी मूल्यों की जरूरत है। इसलिए जीवन का अंग बनायें।
सम्मेलन में विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण मध्य प्रदेश के पूर्व अध्यक्ष जयसिंह कुशवाहा, जन  जागृति विचार मंच गुजरात के अध्यक्ष डा महेन्द्र सिंह चौहान समेत कई लोगों ने भी अपने अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम में हैदराबाद की बीके अंजलि, प्रशासक प्रभाग के मुख्यालय संयोजक बीके हरीश समेत कई लोगों ने भी अपने अपने विचार व्यक्त किये। इससे पश्चात सम्मेलन का समापन हो गया। 

 

 

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26 सितम्बर’2015 प्रातः 11 बजे  शांति सरोवर, बरनाला रोड, सिरसा पर मीडियाकमिर्ययों के लिए ‘‘विनिंग द गेम ऑफ माइंड’’ विषय पर सेमीनार का आयोजन किया गया जिसके अन्तर्गत ब्रह्माकुमारीज़ के मुख्यालय माउंट आबू से पधारे ब्रह्माकुमार शक्तिराज सिंह जी ने माइंड में चलने वाले विचारों के खेल को समझने और उनको नियंत्रित करते हुए जीवन में जीत हासिल करने के टिप्स बताए।
इस मौके कुरुक्षेत्र से विशेष तौर पर पधारे भ्राता आर के सैनी जी, ज्वायंट एक्साइस एण्ड टैक्शेसन कमिश्नर, अपील्स, अम्बाला ने भी राजयोगा मेडिटेशन के निरन्तर अभ्यास से अपने निजी जीवन में आए परिवर्तन को साझा किया ।
ब्र.कु. बिन्दू बहन जी ने सभी मीडियाकर्मियों का अभिवादन किया।  इस मौके पर इलैक्ट्रानिक मीडिया तथा प्रिंट मीडिया के वरिष्ठ पत्रकारों ने भाग लिया। टोटल टी.वी, हरियाणा फोकस, एम एच वन, डी डी नैशलन, जनता टी.वी., के अधिकारी, नैशनल समाचार पत्र तथा स्थानीय समाचार पत्रों के एडिटर तथा सम्पादक भी विशेष तौर पर उपस्थित हुए।

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स्वस्थ एवं स्वच्छ भारत के लिए सबकी भागीदारी जरूरी – देवासी
अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में जुटे कई देशों के प्रतिनिधि
आबू रोड, 3 अक्टूबर, निसं। जाति, पाति और धर्म के सरहद से एकता प्रभावित होती है। जबकि मनुष्य की हकीकत कुछ और है, हम सब एक ईश्वर की संतान है और रहेंगे। इसलिए मजहबी दिवारों से उपर उठना चाहिए। उक्त उदगार ब्रह्माकुमारीज संस्था की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी जानकी ने व्यक्त किये। वे ब्रह्माकुमारीज संस्थान के शांतिवन में ‘राजयोग द्वारा स्वस्थ एवं सुखी समाज’ विषय पर आयोजित वहुउद्देशीय अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम  के उदघाटन अवसर पर बोल रही थी। 
 
उन्होंने कहा कि हम एक स्वस्थ समाज अथवा भारत का निर्माण तभी कर पायेंगे जब स्वच्छता हमारी सोच में भी होगा। इससे मनुष्य जाति धर्म से उपर उठ जायेगा और सदभावन का माहौल बनेगा। यहॉं से जाने वाले प्रत्येक व्यक्ति को जीवन में राजयोग के जरिये अध्यात्म को अपनाना होगा। 
 
राजस्थान के पशुपालन एवं देवस्थान राज्यमंत्री ओटाराम देवासी ने कहा कि स्वच्छ एवं स्वस्थ भारत के लिए सबकी भागीदारी जरूरी है। क्योंकि बिना सबके सहयोग के कोई भी कार्य नहीं किया जा सकता है। भौतिक, आर्थिक या राजनीतिक विकास सभी के लिए एकता और सदभावना की आवश्यकता है। आज सरकार नयी नयी योजनायें बना रही है परन्तु उसका सही इम्प्लीमेंटेशन ना होने से इसका लाभ आम जन को नहीं मिल पाता है। 
 
राष्ट्रीय स्वयं संघ के राष्ट्रीय नेता इंद्रेश कुमार ने कहा कि राजयोग भारत की प्राचीन पद्धति है इससे संस्कार और बेहतर संसार दोनो की रचना होती है। पृथ्वी, जल, वायु सब दूषित हो रहा है। संस्कृति भी दूषित हो रही है जो ज्यादा चिंताजनक है। हमारे देश में दुर्भावना और जाति पाति की कोई परम्परा नहीं है। सभी को सभी धर्मों, जातियों का सम्मान करना चाहिए। एक दूसरे पर दुर्भावना के वश बात नहीं करना चाहिए। पूर्व भारत के टेक्सटाईल केन्द्रीय डा के0 सम्बाशिव राव ने कहा कि यहॉं की व्यवस्था देखने के बाद पता चलता है कि जीवन में मूल्यों का कितना स्थान है। अन्नामलाई विश्वविद्यालय के कुलपति डा एस मेमन ने कहा कि मूल्यों पर आधारित शिक्षा अब विश्वविद्यालयों में भी चलायी जार ही है जो सराहनीय है।  
 
कार्यक्रम में संस्था के महासचिव बीके निर्वेर ने सभी का स्वागत करते हुए पूरे भारत में सकारात्मक माहौल बनाने की अपील की। कार्यक्रम के दौरान कार्यकारी सचिव बीके मृत्युंजय,  जयपुर की बीके सुषमा, बीके भरत समेत कई लोगों ने अपने अपने विचार व्यक्त किये। इससे पूर्व गुब्बारे उठाकर सम्मेलन का आगाज किया गया। 

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