लोक मंगल हो पत्रकारिता धर्म
माउंट आबू, ३ जून
कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय रायपुर के उपकुलपति डॉ. मानसिंह परमार ने ज्ञान सरोवर परिसर माउंट आबू में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभाग द्वारा आयोजित मीडिया सम्मेलन के उदघाटन सत्र को मुख्य अतिथि की हैसियत से संबोधित करते हुए कहा कि हजारों वर्षों से भारत देश सकारात्मक सोच व अच्छे समाज की संरचना के लिए चिन्तन का परिचायक रहा है। लेकिन आज इसी देश में उन विषयों में गहन चिन्तन की आवश्यकता अनुभव की जा रही है।
महाभारत व रामायण के प्रमुख पात्रों के हवाले से डॉ. मान ने कहा कि नारदमुनि पत्रकारिता के आदर्श थे क्योंकि उनकी सूचनाओं की विश्वसनीयता पर कभी प्रश्नचिन्ह नहीं लगा। दूरदर्शी चिन्तक होने के नाते उन्होंने हजारों साल पहले जल प्रबंधन की बात की जिसकी जरूरत अब शिद्दत से महसूस की जा रही है। वस्तुपरकता व तटस्थता के मामले में महाभारत काल के संजय को आदर्श माना जाता है। कबीर अपने समय के महान प्रचारक थे जिन्होंने ऐसी वाणी बोलने का उपदेश दिया कि जिसे सुनकर कोई आपा ना खोये। विदुर जैसा विचारक अपने आप में बेमिसाल था। श्रीकृष्ण व अर्जुन के बीच हुआ संवाद संचार का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण माना जाता है। इसके विपरीत अब हमारा ९० प्रतिशत समय जब संचार व संवाद में बीत रहा है तो हम कई बार दिशाभ्रम होने की समस्या से ग्रस्त हो जाते हैं।
डॉ. मान ने कहा कि वर्तमान सदी में जब विधायिका, न्यायपालिका व कार्यपालिका से समस्या का समाधान होता नहीं दिखता तो लोग आशा भरी निगाहों से मीडिया की ओर देखते हैं। यदि लोकमंगल को हम पत्रकारिता का धर्म मान लें और लक्ष्मण रेखा का उल्लंघ्न न करें तो सकारात्मक परिवर्तन लाना मुश्किल नहीं होगा।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि आईबीएन ७ चेनल के उप प्रबन्ध सम्पादक सुमित अवस्थी ने विभिन्न मंचों से इलेक्ट्रानिक मीडिया की आलोचना का स्टीक जबाब देते हुए कहा कि सकारात्मक समाचार या कार्यक्रम जब टीवी चैनल पर दिखाये जाते हैं तो टीआरपी के विश्लेषण से पता चलता है कि दर्शक उनमें रूचि नहीं ले रहे हैं। इस प्रसंग में उन्होंने शाबाश इंडिया साप्ताहिक कार्यक्रम की चर्चा करते हुए कहा कि आदर्श पत्रकारिता के प्रकाश स्तंभ को संबल प्रदान करने वाले समाचारों और पत्रकारों को शाबाशी देने के लिए पाठकों व दर्शकों को आगे आना चाहिए। समाज को लूटकर खाने वाले लोगों के स्टिंग आपरेशन को सामाजिक बदलाव लाने का हिस्सा बताते हुए उन्होंने कहा कि पत्रकारिता को पहले की तरह ही पवित्र व्यवसाय के रूप में कायम रखना होगा। पत्रकार यदि आदर्शों से जुड़ें और शुभ लक्ष्य से भटके नहीं तो निश्चित रूप से सकारात्मकता की ओर बढ़ते हुए हम स्वयं को बदलेंगे, उससे समाज व देश भी अवश्य बदलेगा।
उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर एक संस्था का अंकुश है लेकिन सोशल मीडिया बेलगाम चल रहा है। इससे जुडे करोड़ों लोग प्राप्त होने वाली अधकचरी सूचना की विश्वसनीयता की जांच किए बिना उसे जंगल की आग की तरह आगे फैला रहे हैं। आधे से ज्यादा फर्जी खातों व प्रायोजित कार्यक्रमों पर आधारित सोशल मीडिया अच्छे समाज की संरचना के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
संस्था की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी जानकी ने वीडियो संदेश के माध्यम से सम्मेलन के लिए शुभकामनाएं और प्रतिभागियों को आशीवर्चन देते हुए कहा कि जहां शान्ति, स्नेह व समन्वय नहीं होगा वहां सफलता पांव नहीं धरती। नकारात्मक सोचने वाले लोगों को हम अपने पावन लक्ष्य में बाधक न बनने दें। अच्छी भावनाएं विकसित करें, मनन और चिन्तन व शुभभावना से वायुमण्डल को शुद्व करते हुए सादा व पवित्र जीवन अपनाते हुए उच्च विचारों से विश्व परिवर्तन के अभियान में सहभागी बनें।
मीडिया प्रभाग अध्यक्ष बीके करूणा ने कहा कि भारतीय मीडिया पूर्णत: जागृत है। जरूरत इस बात की है कि सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाते हुए देश के प्रति अपने दायित्व का बखूबी निर्वहन करें।
नई दिल्ली, 31 मई : आज ” विश्व तम्बाकू निषेध दिवस ” के अवसर पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के मेडिकल प्रभाग and Lok vihar centre and connected centres द्वारा ” राजयोग द्वारा व्यसन मुक्ति ” शीर्षक के अंतर्गत आज प्रातः सकूरपुर क्षेत्र में एक आध्यात्मिक सामूहिक यात्रा का शुभारम्भ स्थानीय adhyaksh Resident Welafre Association , brother pravin kumar ji and Dr M D Gupta ने झंडी दिखाकर की i इस यात्रा में ब्रह्मकुमारी संस्था के सैकड़ो सदस्यों द्वारा नशा विरोधी बैनरों और तख्तियों द्वारा सकूरपुर के विभिन्न आवासीय क्षेत्रो में जन जागृति के लिए लगभग दो घंटे तक चलाया गया I जागो जागो – नशा को त्यागो, नशे का जो हुआ शिकार – उजड़ा उसका घर परिवार और सन्डे हो या मंडे – नशे को मारो डंडे जैसे नारे भी गूंजे I
यह यात्रा संस्था के देशव्यापी अभियान ” मेरा भारत, व्यसन मुक्त भारत ” का एक हिस्सा है I इस अभियान का मुख्य उद्देश्य सार्वजनिक रूप से शराब , तम्बाकू एवं तम्बाकू से बने विभिन्न उत्पाद , नशीले पदार्थो जैसे व्यसनों के दुष्परिणाम के प्रति जन -जागरूकता को बढ़ाने, विश्व स्वास्थ्य संगठन के तम्बाकू विरोधी सन्देश को जन-जन तक फ़ैलाने एवं स्थानीय जनता को स्वस्थ्य आदतों व् सकारात्मक जीवनशैली अपनाने के लिए जागरूक करना है I Senior brahmakumaris brothers and sisters , BK Meera, Dr Manju Gupta, BK Laxmi, Dr Reena Tomar and many others were present.
इसके अतिरिक्त आज शाम खाटू श्याम पार्क, सब्जी मंडी, सकूरपुर में 4 से 6 बजे , राजयोगी डाक्टरों द्वारा सम्पूर्ण व्यसन मुक्त जीवन बनाने हेतु निःशुल्क परामर्श, व्यसन मुक्त प्रदर्शनी एवं ज्ञान योग प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया, जिससे सेकड़ो क्षेत्रीय जनता ने लाभ लिया एवं नशा मुक्त जीवन जीने की दृढ प्रतिज्ञा किया I शाम 6 बजे से एक विशेष सार्वजनिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसका उद्घाटन मुख्य अतिथि स्थानीय विधायक श्री जीतेन्द्र सिंह तोमर जी के द्वारा किया गया I अपने वक्तव्य के दौरान उन्होंने संस्था के सामाजिक उथ्थान कार्यो की सराहना करते हुए समय प्रति समय ऐसा कार्यक्रम करने में सहयोग देने की भी बात कही I मुख्य वक्ता के रूप में ब्रह्माकुमारी संस्था के महिपालपुर सेवाकेंद्र की निर्देशिका राजयोगिनी अनुसूया द्वारा सहज राजयोग के प्रयोग से व्यसन मुक्त जीवन जीने की कला विषय पर गहराई से प्रकाश डाला गया I
मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज के डॉ. रीना तोमर द्वारा कार्यक्रम में उपस्थित जनता को व्यसन के दुष्परिणाम से अवगत कराते हुए, नशा मुक्त जीवन जीने के व्यवहारिक और आध्यात्मिक तौर-तरीके सिखाए गए I वहीं फेफड़े संक्रमण संस्थान के निर्देशक डॉ. एस. के. गुप्ता ने भी अपने अनुभवयुक्त विचारों को उपस्थित जनसमूह से साझा किया I वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. एम. डी. गुप्ता ने जीवन के व्यवहारिक ज्ञान द्वारा व्यसन मुक्त खुशनुमा जीवन जीने के विभिन्न पहलुओं की जानकारी दी I ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस (AIIMS) के डॉ. उषा किरण द्वारा राजयोग मैडिटेशन के सफल प्रयोग द्वारा नशा मुक्त जीवन बनाए जाने के ऊपर किये गए रिसर्च प्रोजेक्ट की महत्वपूर्ण जानकारी दिया गया I
सभा में उपस्थित जनसमूह ने शराब, नशीले पदार्थो और तम्बाकू के इस्तेमाल न करने की दृढ प्रतिज्ञा ली I
और अंत में ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के लॉरेंस रोड सेवाकेंद्र के संचालिका राजयोगिनी लक्ष्मी जी द्वारा उपस्थित सभा को राजयोग मैडिटेशन की गहन अनुभूति कराया गया, जिसने सभा में उपस्थित जनसमूह को कुछ समय के लिए मंत्रमुग्ध कर दिया I
अध्यात्म और मूल्य शिक्षा से आती है जीवन में शान्ति
विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के शिक्षाविदों का महासम्मेलन
ज्ञान सरोवर (आबू पर्वत)। प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री तथा निर्देशक दिव्या खोसला कुमार ने ब्रह्माकुमारीज शिक्षा प्रभाग द्वारा `मूल्य एवं आध्यात्मिकता द्वारा जीवन में उत्कृष्टता’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारत वह महान भूमि है जहाँ से आध्यात्मिकता का जन्म हुआ है। मेरा अपना अनुभव यह है कि जब तक मैंने भगवान को अपने जीवन की बागडोर सौंपकर उसकी याद को अपने साथ रखकर जीवन जिया तो उसमें सफलता भी प्राप्त हुई और जीवन की शांति भी कायम रही। लेकिन जब फिल्म जगत में हर कदम सफलता मिलती गई और मैं नई-नई फिल्मों में व्यस्त होती गई और पूरी तरह जब मैं भौतिक जगत में रम गई तो पाया कि इसमें ना तो सुख है और ना ही शांति। मेरी एकाग्रता व शांति भौतिकवादी दुनिया ने छीन ली। रात को नींद भी आनी बंद हो गई। इस दौरान मैंने अपने जीवन में सब कुछ होते हुए भी खुद को अंदर से खाली महसूस किया, तब मैंने दिल्ली स्थित ब्रह्माकुमारी सेंटर पर जाकर कुछ दिन रहकर राजयोग मेडिटेशन का अभ्यास कर वापस खुद को आंतरिक शांति व खुशी से भरपूर किया। आध्यात्मिकता द्वारा ही आप स्वयं को ईश्वर के सानिध्य में सुरक्षित अनुभव कर सकते हैं।
सोमानी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी एण्ड मैनेजमेंट, रेवारी के डायरेक्टर डॉ. यशपाल सिंह ने कहा कि ब्रह्माकुमारी संस्था एकमात्र ऐसा विश्व विद्यालय है जो विश्व को मूल्यों की शिक्षा प्रदान कर रहा है। युवा पीढ़ी को यह आध्यात्मिक शिक्षा मिल सके, इसके लिए हमें प्रयास करने चाहिए। रोटी, कपड़ा और मकान से लेकर लोग धीरे-धीरे अपनी आकांक्षाओं को बढ़ाते जाते हैं। मगर इस दौड़ के अंत में उनको शांति की जरूरत होती है। शांति के लिए मूल्यों को अपनाना पड़ता है। मुझे इस स्थान पर स्वर्ग नजर आता है।
उत्तर ओडिसा विश्वविद्यालय में पी.जी. कौंसिल की अध्यक्षा प्रो.एम. हेमबिन्दु ने कहा कि स्वयं को सही रीति जानकर व अपनी नकारात्मकता को दूर करके ही अपने कार्य के प्रति न्याय कर सकते हैं। जीवन में मूल्यों की धारणा के आधार पर ही व्यक्ति सभ्य माना जाता है। आज का मानव अपूर्ण है क्योंकि वह इन मूल्यों से सर्वथा दूर है। अनेक कर्मकाण्डों को जीवन में अपनाकर भी हम स्वयं में मूल्यों व अध्यात्म को आत्मसात नहीं कर पाए। खुद के आत्मिक स्वरूप को अनुभव कर ईश्वर से जुड़ना ही अध्यात्म है। इससे ही सफलता व मूल्य जीवन का श्रृंगार बनेंगे।
ब्रह्माकुमारी॰ज शिक्षा प्रभाग के उपाध्यक्ष ब्र.कु. मृत्युंजय ने कहा कि मूल्य व आध्यात्मिक शिक्षा द्वारा ही मनुष्य भय, रोग, शोक, पाप व दुःखों से मुक्ति प्राप्त कर सकता है। अध्यात्म से ही बुद्धि में दिव्यता व मन में सकारात्मकता आती है। अध्यात्म से ही जीवन में पवित्रता आती है।
दिल्ली पाण्डव भवन से पधारी ब्र.कु. पुष्पा ने कहा कि आप सभी शिक्षक महान हैं क्योंकि आप देश के भविष्य बच्चों को शिक्षित करते हैं। हम सभी एक परमात्मा की संतान हैं तो हम सभी को प्रेम और शांति से मिलकर जीना चाहिए। हमें भौतिकवाद के अतिरेक से बचकर जीवन में अध्यात्म के आधार पर मूल्यों को अपनाना चाहिए। स्वयं को आत्मा जानकर परमात्मा से योगयुक्त होने पर ही जीवन मूल्यवान बनता है।
ब्रह्माकुमारीज मूल्य शिक्षा के निदेशक ब्र.कु. पाण्ड्यिमणि ने ब्रह्माकुमारी॰ज शिक्षा प्रभाग द्वारा की जा रही ईश्वरीय सेवाओं की जानकारी देते हुए कहा कि आठ वर्ष पूर्व हमने अन्नामलाई विश्वविद्यालय से युक्त होकर मूल्य और अध्यात्म पर एम.एस.सी. और एम.बी.ए. का पाठ्यक्रम शुरू किया है। अन्य विश्वविद्यालयों से भी जुड़कर अनेक कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। आज आठ भाषाओं में यह कार्यक्रम दिये जा रहे हैं। जेल में भी यह पाठ्यक्रम पढ़ाये जा रहे हैं।
आबू रोड, शांतिवन। 37वाँ बाल व्यक्तित्व विकास शिविर के तहत पूरे देश से आए हुए बच्चों ने अपनी आकर्षक और भाव-भीनी प्रस्तुति देकर भारत की विविधता की संस्कृति को जीवंत रूप प्रदान किया। रंग-बिरंगे रोशनी के बीच सुर और तबले की थाप पर गूंजी नन्हें-मुन्हें बाल कालाकारों की घुंघरूओं की झंकार। एक के बाद एक बेहतरीन प्रस्तुति। यह अनुपम दृश्य था ब्रह्माकुमारीज के शांतिवन परिसर का, जहां बाल कलाकारों ने अपने अभिनय से लोगों को अचंभित कर दिया।
एक से बढ़कर एक प्रस्तुति
पहले और दूसरे दिन के कार्यक्रम की शुरूआत पांडव भवन, दिल्ली की कुमारी दिव्यांशी, कुमारी प्रियांशी, नेहा और बरेली मध्यप्रदेश की कुमारी वैदेही के स्वागत नृत्य से हुई। इसके पश्चात तो जैसे समा ही बंध गया। झूमर, कत्थक नृत्य एवं कजरी गान पर नौनिहालों की मनमोहक रिकार्डिंग डांस की प्रस्तुति देखकर तो दर्शकों ने जैसे दांतों तले ऊंगली ही दबा ली। इन बाल कलाकारों की हौसला अफजाई के लिए दर्शकों ने खूब तालियां बजायी। इन बाल कालाकारों की मासूम आदाओं ने तो सभी का मन मोह लिया। गांधीनगर, गुजरात की कुमारी कलकल एण्ड ग्रुप द्वारा प्रस्तुत किया गया आज आनंद का दिन आया रे……, तिलकवाड़ा गुजरात की कुमारी ध्वनि एण्ड ग्रुप द्वारा प्रस्तुत किया गया झूम-झूम हर कली…. नृत्य पर तो जैसे सारा हॉल ही झूमने लगा। वहीं महाराष्ट्र, किनवट की कुमारी धनश्री एण्ड ग्रुप द्वारा प्रेम रतन धन पायो…. गीत पर जादुई अंदाज में प्रस्तुत किया गया सामूहिक नृत्य ने तो ऐसा समा बांधा की लोग नौनिहालों की अदाओं के दीवाने हो गए। मैय्या यशोदा ये तेरा कन्हैया…., जय भारती वंदे भारती…. और देशभक्ति रीमिक्स पर पाचोर, राजगढ़ की कुमारी पायल, मुस्कान एवं कशिश द्वारा प्रस्तुत किया गया सामूहिक नृत्य ने लोगों को रोमांचित कर दिया।
नौनिहालों ने भारत की इस संस्कृति को अपने कार्यक्रम के माध्यम से प्रस्तुत कर लोगों को मूल्यों और संस्कारों के प्रति जागरूक किया।
बिक्रम वेताल की प्रस्तुति
बीके कॉलोनी के भाई-बहनों द्वारा इतिहास में वर्णित राजा विक्रमादित्य वेताल की कहानी का दृश्य प्रदर्शित किया गया। वहीं गुजरात, आनंद से आए बाल कलाकारों ने आदिवासी नृत्य प्रस्तुत कर सभी को रोमांचित कर दिया।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का दिया संदेश
भारत देश में आज भी बेटी को पराया धन समझा जाता है। बेटियों के प्रति बढ़ती हिंसा ने समाज की सोच को बदलने पर मजबूर कर दिया है। बेटियों के प्रति जागरूकता व सम्मान बढ़ाने के लिए ब्रह्माकुमारीज द्वारा आयोजित 37 वाँ बाल व्यक्तित्व विकास शिविर में भारत के नौनिहालों ने अपनी कला के माध्यम से बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का संदेश दिया। इस नाटक के द्वारा लड़की पर हो रहे अत्याचार व शारीरिक शोषण का सजीव चित्रण किया गया था। इस नाटक के द्वारा लोगों को यह एहसास हुआ कि बेटी, सिर्फ बेटी ही नहीं है बल्कि वह तो देवी का रूप है। जिस घर में बेटी होती है उस घर में सुख-शांति का साम्राज्य होता है। इतना ही नहीं बेटियों ने तो हर क्षेत्र में सफलता के झंडे बुलंद किए हैं। इस नृत्य नाटिका के द्वारा समाज को यह संदेश देने का प्रयास किया गया कि यदि बेटियों के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराएंगे तो मानव का अस्तित्व भी सुरक्षित नहीं रहेगा। नई दिल्ली से आए बाल कलाकारों की यह प्रस्तुति शिविर में एक यादगार पल बना गया।
श्रीकृष्ण की बाल-लीलाओं की प्रस्तुति
आज भी श्रीकृष्ण का नाम लेते ही हमारा मन मयूर आनंद से झूमने लगता है और उनकी बाल-लीलाओं की स्मृतियों में खो जाता है। मैय्या यशोदा… ये तेरा…. कन्हैया…. गीत के बाल पर दुर्गापूरा राजस्थान से आयी कुमारी हनी, हिमानी, मुस्कान एण्ड ग्रुप, सिविल लाइन जयपुर से आयी कुमारी निधि, अरूणिमा एण्ड ग्रुप और सुख-शांति अहमदाबाद से आयी कुमारी विशम्भरा वैद्य द्वारा प्रस्तुत किया गया मनमोहक नृत्य हमें श्रीकृष्ण की रास-लीलाओं की यादों को ताजा कर गया।
कविता में है समाज और राष्ट्र को सम्भालने की ताकत
छठे राष्ट्रीय कवि संगम में हुआ गुजरात के राज्यपाल का महत्वपूर्ण सम्बोधनः कवियों ने देश की संस्कृति को बिखरने से बचाया है
आबू रोड, शांतिवन। ब्रह्माकुमारीज के आबू रोड स्थित मनमोहिनी वन कम्पलेक्स के ग्लोबल ऑडीटोरियम में दो दिवसीय `राष्ट्रीय कवि संगम’ का आयोजन किया गया। जिसमें पूरे देश भर से लगभग 450 प्रसिद्ध कवियों ने भाग लिया। छठे `राष्ट्रीय कवि संगम’ के समापन सत्र में देशभर के कवियों को संबोधित करते हुए गुजरात के राज्यपाल ओ.पी.कोहली ने कहा कि कविता में ऐसी ताकत होती है कि वह व्यक्ति को रूला भी देती है तो हंसा भी देती है। यह जनमानस में उन्माद भी पैदा कर देती है तो सद्भाव भी। सही मायने में कविता में समाज और राष्ट्र को संभालने की ताकत होती है।
उन्होंने कहा कि यदि पूरे देश के कवि मिलकर समाज में इस भावना का संचार करना प्रारंभ कर दे तो समाज की पूरी रूपरेखा ही बदल जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि प्रेम की कई परिभाषाएं है जो माँ-बेटा, पति-पत्नी, भाई-बहन, राष्ट्र प्रेम आदि के रूप में परिलक्षित होती है। यह ऐसा ताना-बाना है जिसकी डोर बहुत मजबूत होती है। उन्होंने आजादी के दिनों को याद करते हुए कहा कि जब हमारे देश में अंग्रेजों का राज्य था, संस्कृति बिखर रही थी तब कालीदास रामचरित मानस लेकर आए और देश की संस्कृति को संभालने की कोशिश की। जिसकी डोर में आज तक भारतीय समाज बंधा हुआ है। ब्रह्माकुमारीज संस्थान में किया गया यह आयोजन कई मायनों में अहम होगा। पुनः सभी कवियों को मिलकर समाज में राष्ट्रीयता व सद्भाव का माहौल बनाने की जरूरत है। राष्ट्रीय कवि संगम के अध्यक्ष जगदीश मित्तल ने कहा कि वह कविता किसी काम की नहीं होती जिसमें समाज बदलाव और जागरण का कोई सूत्र न हो। इसलिए कवियों को वर्तमान समाज और व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए इसकी अलख जगानी होगी।
ब्रह्माकुमारी संस्था के कार्यकारी सचिव बीके मृत्युंजय ने कहा कि जहां सूर्य की किरणें नहीं पहुंचती वहां कवि की धारा पहुंच जाती है। इसलिए कवि समाज के दर्पण और संस्कार के झोली है। कवियों की रचनाएं न सिर्फ हमारे ह्दय पर प्रभाव डालती है बल्कि हमारे अंदर उमंग-उत्साह का संचार भी करती है। कविता हमें मूल्यों के प्रति जागरूक करती है तो श्रेष्ठ संस्कारों को अपनाने की प्रेरणा भी देती है।
अभिषेक अनंत की कविता ने किया भाव विभोर
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ पर लिखी गई सुप्रसिद्ध कवि अभिषेक अनंत की कविता मुझे नाली में ना डालो बाबूजी…. जिस मार्मिक अंदाज में प्रस्तुत की गई उससे पूरा हॉल भाव-विभोर हो उठा। उपस्थित लोगों की आंखों से अश्रु की धारा बह निकली और उपस्थित लोग देर तक तालियां बजाते रहे। वहीं प्रसिद्ध कवि राजेश यादव की देशभक्ति की कविता ने सभी को राष्ट्र प्रेम से सराबोर कर दिया।
भारत में प्रवाहित होती है कविता की धारा
कार्यक्रम के संयोजक किशोर पारिक ने कविता प्रस्तुत करते हुए कहा कि जिस देश में कविता की धारा प्रवाहित होती हो उस देश को कोई झूका नहीं सकता है। हमारा देश महान है और महान रहेगा। जरूरत है इसमें और पैनपन और धार देने की। इसके साथ ही हमारा यह प्रयास सार्थक होगा।
सिरोही जिला के संयोजक व साहित्कार आशा पाण्डेय ओझा ने कहा कि नई पीढ़ी में कविता के माध्यम से देशप्रेम, मानवता व सात्विक विचारों का समावेश करना है। कविता के माध्यम से समाज में व्याप्त बुराइयों को समाप्त करना, नई पीढ़ी में साहित्य के प्रति रूचि जगाना व एक साहित्यिक सांस्कृतिक परिवेश बनाना हमारा उद्देश्य है।
अध्यात्म के रूप में पहचानी जाती है भारत की विरासत – दादी
इससे पूर्व `राष्ट्रीय कवि संगम’ का उद्घाटन करते हुए संस्था की संयुक्त मुख्य प्रशासिका दादी रतनमोहिनी ने कहा कि कवि श्रेष्ठ और मूल्यनिष्ठ समाज के मार्गदर्शक हैं। प्राचीनकाल से ही हर कार्य आध्यात्मिकता से ओत-प्रोत रहा है जो समाज को साहित्य और अध्यात्म के सहारे जोड़ती रही है। भारत देश की विरासत पूरे विश्व में जानी और पहचानी जाती है। कवि की रचनाओं में भावनाओं का समुद्र छिपा होता है जो देश को एकता के सूत्र में पिरोये रहती है।
कविता के माध्यम से अनेक सुधारों ने आकार लिया
राजस्थान के पूर्व मंत्री व साहित्यकार जोगेश्वर गर्ग ने कहा कि भारत के इतिहास में कवियों और कविताओं की भूमिका सदैव महत्वपूर्ण एवं प्रभावी रही है। कविता के माध्यम से हमने अनेक प्रकार के सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनैतिक सुधारों को आकार लेते हुए देखा है। आज कवियों के अंदर सकारात्मक बदलाव लाने की क्षमता का भी हस होता जा रहा है। उस क्षरण को रोकने के एक प्रयास का नाम है `राष्ट्रीय कवि संगम’।
भारत की आत्मा में बसती है शांति
इंद्रेश, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश ने कहा कि भारत देश आध्यात्मिकता व शांति के धरोहर के रूप में विख्यात है। यहां युद्ध से ज्यादा अध्यात्म की शक्ति पर विश्वास किया जाता है। भारत देश हथियारों के बजाए शांति को तरजीह देता है।