ब्रह्माकुमारी विद्यालय धर्म एवं संस्कृति की जड़ें कर रहा मजबूत: राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित
– ब्रह्माकुमारी संस्था के 80वीं वर्षगांठ पर आयोजित महासम्मेलन के तीसरे दिन राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने किया संबोधित
– नॉर्थ उड़ीसा विश्वविद्यालय बारीपाड़ा के कुलपति ने राजयोगिनी दादी ह्दयमोहिनी को प्रदान की डी. लिट की उपाधि
आबूरोड, सिरोही (राजस्थान) 28 मार्च। धर्म के नाम पर लोगों को बांटा जा रहा है। हमारी संस्कृति एवं वेद-ग्रंथों में कहीं जाति-धर्म का उल्लेख नहीं है। धर्म-जाति की दीवार टूटनी चाहिए। विश्व में कई संस्कृतियां आईं और चलीं गईं। लेकिन हमारी संस्कृति आज भी टिकी हुई है, इसका कारण धर्म है। ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय धर्म एवं संस्कृति की जड़ों को मजबूत एवं पोषण कर राष्ट्रनिर्माण का कार्य कर रहा है।
उक्त उद्गार असम- गोवाहाटी के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने अंतरराष्ट्रीय महासम्मेलन एवं सांस्कृतिक महोत्सव के तीसरे दिन शाम के सत्र में मंगलवार को व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि आज के इस पवित्र दिन, दिव्य प्रांगण और पवित्र वातावरण में उपस्थित होना मेरे लिएसौभाग्य की बात है। संस्था राष्ट्र निर्माण का कार्य कर रही है। ऐसे संगठन से जुड़े रहना बड़ी बात है।
आज भी दुनिया में ईश्वर है
उन्होंने एक घटना का जिक्र करते हुएकहा कि आज भी दुनिया मैं ईश्वर है। इसमें कोई शंका की बात नहीं है। प्रभु कृपा से ही सब संभव है। यहां का ज्ञान और आध्यात्मिकता को देखकर हमारी आंखें खुल गईं। धर्म के काम को ईश्वर का साथ रहता है।
राज्यपाल ने यह दी सीख…
राज्यपाल ने महात्मा गांधी के यंग इंडिया अखबार में छपे लेख का जिक्र करते हुए उनके सात जीवन मंत्र बताए। उन्होंने कहा कि राजनीति में धर्म का अंकुश होना बहुत जरूरी है। हमारे घर में मेहनत, ईमानदारी से कमाया हुआ धन ही आना चाहिए। हर एक के पास ज्ञान के साथचरित्र होना चाहिए। मानवता के बिना विज्ञान अधूरा है।
राजयोग से ही शांति आ सकती है: जस्टिस कार्की
नेपाल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मोहन बहादुर कार्की ने कहा कि मैं 30 साल से संस्था से जुड़ा हूं। आज लोगों के जीवन में धन-दौलत है, लेकिन शांति नहीं है। शांति के लिएराजयोग के अलावा और कोई दूसरा उपाय नहीं है। एकमात्र राजयोग से ही शांति आ सकती है। यहां का सात दिन का कोर्स सभी को सीखना चाहिए। राजयोग के अभ्यास से हमारी लाइफस्टाइल चेंज हो जाती है।
यहां मैंने शांति की अनुभूति की: एडिटर
एडिटर सिवेद साहनिया ने कहा कि यहां से शांति और प्रेम का संदेश दुनियाभर में दिया जा रहा है। ब्रह्माकुमारीज में जो परमात्म ज्ञान दिया जा रहा है, इससे निश्चित ही इनसान में परिवर्तन होता है। यहां मैंने दो दिन रहकर शांति की अनुभूति की। साथ ही प्रेम और भाईचारा देखने को मिला।
स्व परिवर्तन से होगा विश्व परिवर्तन: रॉव
लैम्बो गु्रप ऑफ इंडस्ट्रीज हैदराबाद के चेयरमैन कोंडल राव ने कहा कि स्व परिवर्तन से ही विश्व परिवर्तन होगा। ब्रह्माकुमारीज संस्था विश्व परिवर्तन का अद्भुत कार्य कर रही है। यह ज्ञान बहुत ही गहरा और अद्भुत है। मैं इस संस्था से 25 वर्ष से जुड़ा हूं। समाज में जो नेगेटिव विचार हैं, उन्हें परिवर्तन करने में संस्थान लगा हुआ है।
Kalraj Mishra, Union Minister addresses the Brahma Kumaris’ 80th Anniversary
“Science, spirituality must go hand in hand”
Mount Abu / Abu Road, March 27
PM: Holistic progress can come about only when material and spiritual development go hand in hand, Kalraj Mishra, Union Minister for Micro, Small and Medium Enterprises, said today while addressing dignitaries who had gathered here to mark the Brahma Kumaris’ 80th anniversary.
He said that with the powerful spiritual leadership of 101-year-old Dadi Janki, the organisation was capable of showing the right direction to the country and the world.
On the second day of the four-day celebrations, a host of prominent speakers lauded the Brahma Kumaris for setting an example of women’s empowerment and said that its message of peace was much needed in the world today.
More than 6,000 dignitaries from the country and abroad are attending the International Conference-cum-Cultural Festival at the Shantivan campus of the Brahma Kumaris. The event was formally inaugurated yesterday by Prime Minister Narendra Modi through tele-conferencing from the capital.
Lalit Kumar, an outstanding scientist of DRDO, said that though scientific advances had made technology more accessible, people were becoming addicted to gadgets, so moral education was essential in the current times.
He said while science was proven through logic, spirituality could only be felt by personal experience, and congratulated the Brahma Kumaris on running their management smoothly with the help of self-motivated volunteers.
Veteran journalist Rajiv Ranjan Nag said the fourth pillar of democracy was seeing a downfall in values as media groups were now becoming handmaids of business houses. He said Brahma Kumaris was the only organisation of its kind in the world run by women on such a large scale, and added that society needed the mantra of Om Shanti more than ever before because it was under extreme stress.
Mahadev Jankar, Minister for Animal Husbandry, Dairy Development and Fishery Development in Maharashtra, said the knowledge given at the Brahma Kumaris could bring about great transformation, and suggested that the organisation look into the field of animal welfare.
Dr. M H Ghazali, Editor, United News Network, said that India was the only country that could become a world guru because it had always given the message of peace. He urged the BKs to take the initiative to make value education a part of school curricula and also conduct an awareness campaign in rural areas about the role of right nutrition in good health.
Prof. Radhamadhab Dash, Vice-Chancellor of Jagannath Sanskrit Vishvavidyalaya in Puri, Odisha, said the mantra of Om Shanti was meant to bring back peace into the world.
Earlier in the day, H.H. Swami Chidanand Swami Saraswati, president of Parmarath Niketan Ashram, said the Brahma Kumaris had shown how the world could be one family. “Chaos does not happen outside; it happens inside of us,” he said, asking everyone to participate in building a culture of trust.
BK Karuna, head of multimedia at the Brahma Kumaris, apprised everyone of the latest media collaborations of the organisation. He said Tata Sky had launched a channel to show the daily activities of Brahma Kumaris centres.
BK Marcelo Bulk, Director of the Brahma Kumaris centres in Colombia, said that in the fast-paced urban culture, where the only certainty was uncertainty, the loss of one’s real, spiritual identity was a big crisis. This is where India, with its rich tradition and spiritual heritage, was making a difference by bringing peace and meaning to life. Referring to the decades of war in Colombia, he said: “Peace is not something that you can get by signing a treaty, but through deep reflection.”
G.V.S.R. Anjaneyulu, MLA and chairman of Shivshakthi Group, Hyderabad, said that practising Rajyoga meditation as taught at the Brahma Kumaris had given him a great deal of internal satisfaction. He said knowledge of peace and happiness could not be received from top universities, but from spiritual organisations like the BK.
Asserting that spirituality had answers to current challenges, Dr. G. Vivekanand, Advisor, Telangana Government, proposed that the Brahma Kumaris work to spread their knowledge in the rural areas of his state.
एक परमात्मा, एक विश्व परिवार देश का चिंतन: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
– वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया संबोधित
– ब्रह्माकुमारी संस्था के 80 वर्ष पूर्व होने पर दी शुभकामनाएं
– रशियन कलाकारों ने बांधा समां
माउण्ट आबू/आबूरोड (राजस्थान)। विश्व एक परिवार है। हम सब एक पिता की संतान हैं, यह भारत का चिंतन रहा है। हमारे देश की खासियत है हम अपने विचारों को किसी पर थोपते नहीं हैं। यही देश है जिसने विश्व को डंके की चोट पर कहा है कि ईश्वर एक है। इतना विशाल, व्यापक चिंतन और विचार इसी धरती पर पैदा हुआ। शास्त्रों ने बताया कि सत्य एक है अलग-अलग लोग उसे अलग-अलग रूप में कहते हैं।
उक्त उद्गार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उद्घाटन करते हुए व्यक्त किए। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के 80 वर्ष पूर्ण होने पर आबू रोड के शांतिवन परिसर में इंटरनरेशनल कॉन्फ्रेंस कम कल्चरल फेस्टिवल ‘विश्व परिवर्तन के लिए परमात्म ज्ञानÓ विषय पर आयोजित किया जा रहा है। पीएम मोदी ने कॉन्फेंस को रविवार शाम 6 बजे संबोधित किया।
पीएम मोदी ने कहा आज भी संस्था उसी विचार, उतनी ही कर्मठता, एकरूपता के साथ विश्वभर में अपना संदेश दे रही है, जिस संकल्प से 80 वर्ष पूर्व दादा लेखराज ने इसकी नींव रखी थी। 80 साल का मतलब सहस्र चंद्रदर्शन का पर्व होता है। यह वर्ष किसी भी संस्था, व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण होता है। इस दौरान सभी ने टॉर्च जलाकर शांति की रोशनी फैलाई, जिसकी पीएम ने भी सराहना की।
30 हजार लोगों का खाना सोलर एनर्जी से
आबू जैसे स्थान पर तीन मेगावॉट की सोलर एनर्जी का प्रयास पर्यावरण संरक्षण के लिए बहुत ही प्रेरक है। यहां एक साथ 30 हजार लोगों का भोजन सोलर एनर्जी से बनाया जाता है। यह बहुत बड़ा बदलाव लाने का प्रयास है। यहां सिर्फ आध्यात्मिक बातें नहीं, बल्कि गरीब से गरीब व्यक्ति के जीवन में बदलाव लाने का प्रयास किया जा रहा है। साथ ही सभी संस्था के भाई-बहनों से आह्नान किया कि आप सभी भी अपने घरों में एलईडी लाइट लगाकर बिजली बचाने में अपना योगदान दें। यहां 30 हजार लोगों के भोजन बनाने का काम सोलर एनर्जी से किया जाता है।
सभी ऊर्जा बचाने का संकल्प लें
संस्था बहुत बड़ा बदलाव लाने का प्रयास कर रही है। यहां सिर्फ आध्यात्मिक बातें नहीं, बल्कि गरीब से गरीब व्यक्ति के जीवन में बदलाव लाने का प्रयास किया जा रहा है। 2022 तक ब्रह्माकुमार व कुमारियों के माध्यम से ऊर्जा बचाने का संकल्प लें। सभी अपने मोबाइल फोन पर भीम एक डाउनलोड कर नकद से डिजिटल के लिए प्रयास करें।
बालिकाओं को शिक्षित करें
पीएम ने कहा कि 9वीं से 11वीं तक के बच्चे पोषण के संबंध में शिक्षित होंगे तो टीचर पर उनका गहरा प्रभाव होगा। 2022 एक संकल्प लेने के लिए आपको निमंत्रित करता हूं। ब्रह्माकुमारी का इसमें बहुत बड़ा योगदान है। मैं आग्रह करूंगा कि आप भी सक्रियता से कार्य करें तो बहुत बड़ा परिणाम, सकारात्मक बदलाव हमारे सामने होगा।
ऑनलाइन कोर्स शुरू करने का आह्नान किया
पीएम मोदी ने संस्था के पदाधिकारियों से ऑनलाइन मूल्य एवं आध्यात्मिक कोर्स शुरू करने का आह्नान किया। इसके माध्यम से देशभर में ऑनलाइन सर्टिफिकेट, डिग्री कोर्स कराकर एग्जाम कराने के लिए कहा। उन्होंने विश्वास दिलाया इसमें भारत की सभी यूनिवर्सिटी का पूरा सहयोग रहेगा।
खास-खास
– प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्नान पर संस्था के सचिव बीके निर्वेर भाई ने भारत के सभी स्कूल-कॉलेजों में मूल्य एवं आध्यात्मिक शिक्षा शुरू करने की मांग की।
– निर्वेर भाई ने कहा कि बच्चों को आध्यात्मिक दी जाए तो भारत को विश्व गुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता।
– दादी जानकी ने पीएम मोदी को माउंट आबू आने का निमंत्रण दिया। उन्होंने कहा नरेन्द्र भाई पूरे विश्व को प्रेम, खुशी, शक्ति दे रहें हैं इसकी बधाइयां।
रशियन कलाकारों ने आगाज को बनाया यादगार
उद्घाटन समारोह में रूस के ‘डिवाइन लाइटÓ गु्रप ने स्वागत नृत्य पेश कर समां बांध दिया। कलाकारों की आकर्षक प्रस्तुति देख डायमंड हॉल परिसर तालियों की गडग़ड़ाहट से गूंज उठा। कलाकारों ने प्रस्तुति से शांति का संदेश दिया।
मातृशक्ति ने ब्रह्माकुमारी को फैलाया दुनिया में
पत्रिका समूह के प्रधान सम्पादक गुलाब कोठारी ने कहा कि मातृशक्ति की बदौलत ही यह संगठन दुनियाभर में फैल गया। यहां पुरुषों द्वारा संचालित संस्थाएं देश से बाहर ही नहीं निकल पाई हैं। कोठारी ने कहा कि दुनिया मातृशक्ति के आगे-पीछे ही चलती है। यह एहसास दादा लेखराज को 80 वर्ष पूर्व हो गया था और उन्होंने इसकी कमान बहिनों के हाथ में सौंपी। इससे संस्थान ने पूरी दुनिया में एक अनूठी पहचान कायम की है। कोठारी ने अध्यात्म के कई पहलुओं पर विचार व्यक्त किए।
यहां दया, ममता देखने को मिली
इलाहाबाद हाईकोर्ट लखनऊ बेंच के वरिष्ठ न्यायाधीश शहीबुल हसनैन ने कहा यहां दया, प्रतिबद्धता, ममता, करुणा देखने को मिलती है। वसुधैव कुटुम्कम का जितना अच्छा चित्रण यहां हुआ है, कहीं नहीं हुआ। पूरा संसार एक परिवार है। हम सब एक ही ईश्वर की संतान हैं। संस्था के अतिरिक्त महासचिव बीके मृत्युंजय भाई ने आभार माना।
अपना बना के बाबा ने मुस्कुराना सिखा दिया
संस्था की मुख्य प्रशासिका दादी जानकी ने कहा कि हर एक को मैं कौन, मेरा कौन जानना चाहिए। 80 साल से मैं बाबा की सेवा में हूं। वही मेरा माता-पिता है, उसके सिवाए मेरा दुनिया में कोई नहीं है। उसने मुझे ऐसी पालना भी दी है और सेवा भी कराई कि वही मेरा दिला राम है। धीरज है तो शांति है, प्रेम है, कोई भी बात मुश्किल नहीं है। अपना बना के बाबा ने मुझे मुस्कुराना सिखा दिया है।
ब्रोडकॉस्ट एडिटर्स एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी व वरिष्ठ पत्रकार एनके सिंह ने कहा कि बाजार की शक्तियों के बीच जीवन मूल्यों की शिक्षा देना और उनसे लड़ते हुए मूल्यों का प्रचार-प्रसार करना बहुत दुश्कर काम है और ब्रह्माकुमारीज संस्थान यह काम बखूबी कर रही है। यह अद्भुत संस्थान है, इससे मैं पिछले १० सालों से जुड़ा हूं। जब भी यहां आता हूं, खुद को हर बार यहां के लोगों से बहुत छोटा पाता हूं। छोटेपन का यह अहसास ही मुझे यहां पर खींच लाता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने संस्थान को स्वच्छ भारत और ऊर्जा के क्षेत्र की चुनौतियों से निपटने का जो भागीरथ कार्य दिया है, उसमें यह संस्थान पूर्ण रूप से सफल होगी। यह चिंता की बात है कि आज देश का जीडीपी बढ़ रहा है। मगर यूएन के हैप्पीनेस इंडेक्स में हमारा नंबर साल दर साल पीछे आता जा रहा है। इस इंडेक्स में खुशी की पुनस्र्थापना का कोई काम कर सकता है तो वह सिर्फ ब्रह्माकुमारीज है।
नयी दिल्ली, 17 मार्च : आज स्थानीय सिरीफोर्ट सभागार में एक भव्य सार्वजनिक समारोह में ‘विश्व शांति-समय की पुकार है’ विषय के ऊपर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय योग महासम्मेलन का दीप प्रज्योलन के साथ शुभारम्भ हुआ।
केंद्रीय आयुष मंत्रालय के सहयोग से एवं प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के द्वारा आयोजित इस उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए प्रसिद्ध प्रेरणादायी आध्यात्मिक वक्ता बी के शिवानी ने कहा की इस सम्मलेन की मुख्य उद्देश्य हे राजयोग की सही व्याख्या एवं इसे प्राप्त आतंरिक शांति, शक्तियां और स्वस्थ्य की सहज और सततः अनुभूति करना।
ऑस्ट्रेलिया से पधारे चार्ल्स हॉग ने कहा योग विशेषकर राजयोग और आध्यात्मिकता ही भारत की विश्व केलिए सबसे बड़ा देन है।
ऑस्ट्रेलिया के सुश्री किम वेनेर के द्वारा स्पेशल योग डांस लोगों को मन्त्र मुग्ध किया। लोगों ने खड़े होकर सुश्री की सम्मान की I
यूरोप से अंटोनी ने अपनी जीवन में राजयोग से हुई सकारत्मक और सुखद परिवर्तन पके बारे में अनुभव वांटा।
यूरोप के ब्रह्मा कुमारिज प्रमुख बी के जयंती ने राजयोग से व्यक्तित्व परिवर्तन और विमारियों के निदान के बारे में चर्चा की.
अमेरिका देश समूह के मुख्या ब्रह्मा कुमारी मोहिनी ने अपनी पचास साल की राजयोग जीवन से अनेकानेक प्राप्तियों और हजारों जनजीवन को सही दिशा प्रदान करने की बात कही।
This year, Borivali (W) organised a Shivratri spiritual fair from February 22nd to 25th 2017. More than 8000 people visited the fair which was organised at the Veer Savarkar Gardens in Borivali. Visitors spent time viewing the 12 Jyotilingams and were given a short spiritual discourse on ‘Stress Management’ , followed by an opportunity to have a personal conversation with a Rajyogi on any concern/ challenge in their lives.
The fair was followed bya 14 day Rajyoga Meditation Course which was attended by 780 people in three different batches.
किसी भी समाज का विकास महिलाओं की भागीदारी के बिगर संभव नहीं-शमीना शफीक
नारी अबला नहीं बल्कि श1ित है-मनदीप
आध्यात्मिकता से आती है व्यवहार कुशलता -चक्रधारी दीदी
परिवर्तन के लिए निरन्तर प्रयास जरूरी- आशा दीदी
७ मार्च २०१७, गुरूग्राम
ब्रह्माकुमारीज़ के ओम् शान्ति रिट्रीट सेन्टर द्वारा मंगलवार ७ मार्च को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष में बी बोल्ड फोर चैन्ज विषय पर एक दिवसीय सेमीनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में समाज के अनेक प्रतिष्ठित क्षेत्रों से जुड़ी हुई महिलाओं ने शिरकत की।
कार्यक्रम में अपने विचार व्य1त करते हुए राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व सदस्य व पॉवर फाउन्डेशन की अध्यक्ष शमीना शफीक ने कहा कि अगर हम सच में महिलाओं के विकास के लिए कार्य करना चाहते हैं, तो पहले महिलाओं को एक-दूसरे का सहयोग करना बहुत आवश्यक है। आज हम देखते हैं कि समाज में महिलाओं का स्तर काफी बेहतर हुआ है। उन्होंने कहा कि महिलाएं समाज की धुरी हैं, उनके परिवर्तन से ही समाज व देश का विकास संभव है। लेकिन पुरूषों के योगदान के बिना ये संभव नहीं हो सकता।
करोल बाग की पूर्व काउन्सलर मनदीप ने कहा कि हमें स्वयं को कमजोर नहीं समझना चाहिए, नारी स्वयं में एक श1ित है। उन्होंने कहा कि जब हम दूसरों को आगे बढ़ते देख खुश होते हैं, तब हमारी जीवन में बोल्डनेस आती है।
अखिल भारतीय महिला स6मेलन, गुरूग्राम की अध्यक्ष आशा शर्मा ने कहा कि महिलाएं आज तक सिर्फ सुनती आई हैं, लेकिन अभी बदलाव का समय है। उन्होंने कहा कि बोल्ड होने का तात्पर्य है, की चीजें जैसी हैं उन्हें वैसा स्वीकार करना।
सिल्वर लाइनिंग फाउन्डेशन की अध्यक्ष प्रीति मोंगा ने कहा कि मैं ५० वर्षों से नेत्रहीन हँू। मेरे जीवन में कई ऐसे पल आए जब मैंने जीवन को समाप्त करने की ठान ली थी। लेकिन मेरे अन्दर से एक आवाज आती थी कि नहीं एक अवसर और लो। मैंने अन्दर की आवाज को सुनकर बोल्ड निर्णय लिया कि मुझे जीवन में कुछ विशेष करना है। आज मैं उन लोगों के लिए कार्य कर रही हँू जो मेरे जैसे हैं। मेरा यही लक्ष्य है कि मैं स्वयं के परिवर्तन से दूसरों को प्रेरित करूँ।
कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारीज़ के महिला प्रभाग की अध्यक्ष राजयोगिनी चक्रधारी दीदी ने अपने संबोधन में कहा कि आज हम महिलाओं के विकास के लिए बहुत कुछ कार्य कर रहे हैं। लेकिन उससे भी अधिक आवश्यकता उन्हें संस्कारवान बनाने की है। उन्होंने कहा कि कई बातें ऐसी होती हैं जिन्हें हम सिखा नहीं सकते लेकिन हमारे व्यवहारिक जीवन से लोग स्वयं ही सीखते हैं। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिकता हमें व्यवहार कुशलता के साथ-साथ धैर्यवान भी बनाती है।
इस अवसर पर विशेष रूप ओआरसी की निदेशिका राजयोगिनी आशा दीदी ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि हमें परिस्थितियों से कभी घबराना नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि समाज में जब भी कोई व्य1ित अच्छा कार्य करता है तो चुनौतियां तो आती ही हैं। हमें उन चुनौतियों का सामना करना है। उन्होंने कहा कि कोई भी परिवर्तन अचानक नहीं आता। हम जिस परिवर्तन को लाना चाहते हैं उसके लिए निरन्तर प्रयास जरूरी है।