World Renowned speaker Sister BK. Shivani visited Hyderabad for two days on 17th and 18th August 2019. All the programme were grand success. Total 3 events for guests and 1 event for BKs were organised. These programmes were conducted in the Global Peace Auditorium of Brahma Kumaris – Shanti Sarovar, Hyderabad.
Overall about 9000 souls got benefitted from these events including several IPs and VIPs. Participants had deeply enjoyed the talks and meditation. As several participants visited Brahma Kumaris campus for the first, they all could feel the pure positive vibrations prevailing at Brahma Kumaris campus. Hundreds of people registered for follow up meditation camp which is organised at all centres of Hyderabad-Secunderabad.
The interesting part is that several top VIPs and IPs heard from Sister Shivani all the 2 hours and were very much refreshed and enlightened.
Kuldeep Didi, Director, Shanti Sarovar has organised Yog shivirs in all the centres.
Few of the top dignitaries who participated in various events of Sister Shivani were:
नये ज्ञान द्वारा नया भारत’ राष्ट्रीय सम्मेलन सम्पन्न हुआ
“मूल्यनिष्ठ शिक्षा एवं आध्यात्मिकता नई शिक्षा नीति में होगे शामिल” – डॉ0 रमेश पोखरियाल
राष्ट्रीय शिक्षा नीति में सुझाव के लिए बढ़ी अवधि
नई दिल्ली 29 जुलाईः शिक्षा समाज व देश की रीढ़ की हड्डी होती है और यह सम्मेलन एक समाज, एक देश नहीं अपितु समूचे विश्व के लिए विचार विमर्श हेतू है क्योंकि मूल्यों एवं आध्यात्मिकता सभी को आवश्यकता है, इसी से सुख शान्ति की प्राप्ति होती है जो सभी की जरूरत है। हम विश्व को अपना परिवार मानते है और परिवार में प्यार होता है। यह बातकेन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ0 रमेश पोखरियाल ने ब्रह्मा कुमारी संस्था के शिक्षा विभाग द्वारा भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के साथ स्थानीय अम्बेडकर इंटरनेशन सेन्टर में आज आयोजित नये ज्ञान द्वारा नया भारत राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन भाषण में कहीं।
माननीय प्रधानमंत्री के नये भारत निर्माण के संकल्प के साकार करने के संदर्भ में उन्होंने कहा कि लीडरशिप में इच्छा शक्ति होती है तो सारे परिवर्तन स्वतः होने लगते हैं और यह नई शिक्षा नीति उसी को सृदढ़ करने के लिए है जिससे देश शिखर पर पहुँच जायेगा।
उन्होंने ब्रह्मा कुमारी द्वारा 140 देशों में मूल्य शिक्षा के प्रंशसा करते हुए कहा कि आपका सोचना, बोलना, करना और उसका रिजल्ट इन्हीं विचारों को लेकर जा रहे हैं। उन्होंने ब्रह्मा कुमारी के शिक्षा प्रभाग द्वारा विभिन्न विश्वविद्यालयों के मूल्यनिष्ठ शिक्षा पाठ्यकम्र की गतिविधियों पर संकलित पुस्तिका का विमोचन किया तथा उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में सुझाव के लिए दो सप्ताह समय अवधि बढ़ाने का भी ऐलान किया।
ब्रह्मा कुमारी शिक्षा प्रभाग के अध्यक्ष तथा कार्यक्रम के मुख्य संयोजक ब्र0कु0मृत्युंजय ने कहा कि भारत सरकार की नई शिक्षा नीति में मूल्यनिष्ठ शिक्षा एवं आध्यमिक चरित्र उत्थान प्रणाली को शामिल करने के साथ-साथ हर शैक्षणिक संस्थान में आत्मचिंतन, प्रभुचिन्तन तथा मेडिटेशन की चिन्तन प्रयोगशाला का भी प्राविधान होना जरूरी है।
उन्होंने आगे कहा कि बाहरी वातावरण स्वच्छता के साथ-साथ मानसिक स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के लिए स्कूल कॉलेज विधार्थीयों को वृक्षारोपण और जल संरक्षण की दिशा में प्रेरित और प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। ब्रह्मा कुमारी संस्था द्वारा चलायी जा रही क्लीन द माईन्ड एण्ड ग्रीन द अर्थ अभियान इसी पर्यावरण संरक्षण की दिशा में है। भारत को विश्व गुरू बनाने की दिशा में उन्होंने भारत सरकार से एक ग्लोबल आध्यात्मिक विश्वविद्यालय की स्थापना की अपील भी की।
सुप्रसिद्ध प्रेरणादायी वक्ता ब्र0कु0शिवानी ने कहा कि स्कूल एवं कॉलेजो में पहला आधा घण्टा आध्यात्मिक शिक्षा का होना चाहिए, क्योंकि जो पढ़ते है, देखते हैं, सुनते हैं उसी से हमारे संस्कार बनते है और संस्कार से ही हमारा संसार बनता है। साथ ही संस्कार रूपी खुराक अच्छी हो तो हमारी इमोशनल हैल्थ अच्छी होगी जिससे मन की बिमारी डिप्रेशन के शिकार नहीं होगें।
यू.जी.सी.के अध्यक्ष प्रो0डी.पी.सिंह ने इस अवसर पर कहा कि भारत सरकार शिक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव कर रही है। शिक्षा में अध्यात्म और ध्यान बच्चों को सही दृष्टिकोण,जीवन जीने की कला और श्रेष्ठ संस्कार सिखायेगा जिससे उनका जीवन में सर्वांगीण विकास होगा।
मिडिल ईस्ट, उत्तरी अफ्रिका व दक्षिण एशिया के क्यू.एस. इन्टेलीजेन्स यूनिट के निदेशक अश्विन ने कहा कि नई शिक्षा प्रणाली में लाईफ स्क्लि और आध्यात्मिक प्रज्ञा को जोड़ने की आवश्यकता है।
रूड़की के प्रोफसर व लेखक डॉ0 योगेन्द्र नाथ शर्मा ने कहा कि हमें संस्कार परिवार से मिलते है और शिक्षा स्कूल में मिलती हैं। अभिभावकों को अपनी इच्छा को बच्चों पर थोपना नहीं चाहिए।
रशिया स्थित ब्रह्मा कुमारी सेवाकेन्द्रों की निदेशिका राजयोगिनी चक्रधारी ने कहा कि अस्पतालों, वकीलों, जजों, थानों की संख्या बढ़ती जा रही है जिससे यह पता चलता है कि हम कितने अस्वस्थ हैं और कितनों झगड़ों में फंसते जा रहे हैं जिसका कारण है मन का अस्वस्थ होना। हम बाहरी स्वच्छता का तो ध्यान दे रहे हैं किन्तु उससे ज्यादा जरूरी है आन्तरिक स्वच्छता जिसे राजयोग की शिक्षा से प्राप्त कर जीवन को स्वस्थ, समृद्ध, सुसंस्कारित एवं सुखी बना सकते है।
ब्रह्मा कुमारी के ओमशान्ति रीट्रिट सेन्टर की निदेशिका ब्र0कु0शुक्ला ने बताया कि संस्था द्वारा 1937 से ही भारत के नव निर्माण की कलम लगाने का कार्य प्रारम्भ किया जा चुका है जो लाखों लोगों में आध्यात्मिक शिक्षा द्वारा जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला रहा है।
दोपहर के सत्र में ‘चहुंमुखी स्वास्थ्य एवं पर्यावरण जागृति’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी पर सुप्रसिद्ध प्रेरणादायी वक्ता ब्र0कु0शिवानी एवं दिल्ली फॉमासुटीकल साईसिंस एण्ड रिसर्च यूनिवर्सिटी के उप कुलपति प्रो0 रमेश के.गोयल ने अपने विचार व्यक्त किये।
सम्मेलन के सायंकालीन पत्र में ‘समाजिक परिवर्तन के लिए नया ज्ञान’ विषय पर जामिया हमदर्द विश्वविद्यालय के सईद अखतर, रेवेनशा विश्वविद्यालय के पूर्व उपकुलपति बैशनव चरण त्रिपाठी, डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय एग्रीकल्चर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 प्रफुल्ल कुमार मिश्रा, पंताजली विश्वविद्यालय के उपकुलपति प्रो0 महावीर, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा काउंसिल के अध्यक्ष डॉ0 ंअनिल डी.सहस्रबुद्धे आदि शिक्षाविद्ों ने अपने विचार रखे।
दो दिवसीय भगवद गीता महासम्मेलन संपन्न
गीता का युद्ध सांकेतिक एवं अहिंसक था- बीके बृजमोहन
आत्म ज्ञान में स्थित होने से प्राप्त होगी परमशक्ति – गौरीशंकर
नई दिल्ली, 28 जुलाई। प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा भगवद गीता का नया अभिप्राय’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय भगवद गीता महासम्मेलन का आज दिल्ली के सीरी फोर्ट सभागार में समापन हुआ।
इस अवसर पर संस्था के अतिरिक्त महासचिव एवं महासम्मेलन के आयोजक राजयोगी बीके बृजमोहन ने कहा कि गीता में वर्णित युद्ध सांकेतिक एवं अहिंसक था। असल युद्ध मानव के भीतर चल रहा है, विकार एवं कमजोरियों के विरुद्ध। निराकार ज्ञान दाता परमात्मा शिव है। परमात्मा ने ही ज्ञान गंगा बहायी। असल में गीता में कर्मों की फिलॉसफी बताई गई है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि कैसे योग के माध्यम से संस्कारों का परिवर्तन हो सकता है। इसके अलावा, गीता ने हमें पांच विकारों से युद्ध करना सिखाया है।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुरेंद्र मोहन मिश्रा ने इस अवसर पर कहा कि अहिंसा के बिना सत्य स्थापित नहीं हो सकता। बिना सत्य भारत की कल्पना नहीं हो सकती। गीता में वर्णित युद्ध एक सांकेतिक युद्ध था। अहिंसक था, जिसे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी सराहा था। आज जिस तरह से राष्ट्र का मूल्य बोध चरमरा रहा है। काम, क्रोध, लोभ के कारण राष्ट्रीय जीवन में पतन आया है। आज आवश्यकता काम शत्रु से युद्ध करने की है।
कर्नाटक के हुबली स्थित ब्रह्मा कुमारीज केंद्र के निदेशक एवं गीता विशेषज्ञ , राजऋषि बीके.बसवराज ने कहा कि गीता में वर्णित युद्ध मानस युद्ध था। उन्होंने कहा कि गीता की व्याख्या चार बिंदुओं से की जाती है, पौराणिक, ऐतिहासिक, तार्किक एवं आध्यात्मिक।
श्रीनगर के गढ़वाल विश्वविद्यालय के प्रो. योगेंद्र नाथ शर्मा ‘अरुण’ ने कहा कि गीता प्रतीकात्मक है। इसके आठवें अध्याय में भगवानुवाच है कि मैं ‘ओम’ हूं। यह युद्ध भ्रांति से शांति तक पहुंचने का है। विकृति आती है, तो दुर्योधन बन जाते हैं। भ्रांति से क्रांति आती है और क्रांति से शांति। विश्व को सत की तरफ जाना है, तो शांति लानी होगी। दुर्योधन को फिर से सुर्योधन बनना होगा।
नेपाल के अमृतानुभव संघ ट्रस्ट के ब्रह्म ऋषि गौरीशंकराचार्य महाराज ने कहा कि गीता को लेकर कई तरह के विरोधाभास हैं। संपूर्ण शास्त्रों का सार परोपकार है, तो गीता में अंतर्युद्ध की बात की गई है। उन्होंने कहा कि लक्ष्य तक पहुंचने का जो रास्ता है, वह महाभारत है और उसमें आने वाली बाधाओं का समाधान गीता ज्ञान से होता है। गीता में मूल रूप से तीन बातें समायी हैं। मैं कौन, ये जगत क्या है और जगत का नियंता कौन है। मैं आत्मा हूं और जगत के नियंता परमशक्ति, प्रकाशवान, अखिल विश्व के स्वामी परमात्मा हैं। आत्म ज्ञान में स्थित होने से परम शक्ति की प्राप्ति होती है।
गुरुग्राम स्थित ओम शांति रीट्रीट सेंटर की निदेशक बीके आशा ने कहा कि गीता में मातृ शक्ति को महत्व दिया गया है। हम साल में दो बार नवरात्रि मनाते हैं। नदियों के नाम बहनों पर हैं। वे पवित्र पावनी कही जाती हैं। ज्ञान को बांटने का कार्य माताओं पर है। देवियों ने समाज का निर्माण किया है। दैवी संप्रदाय के निर्माण में मातृशक्ति का योगदान भरपूर रहा है।
माउंट आबू से पधारीं गीता विशेषज्ञ राजयोगिनी उषा दीदी ने कहा कि गीता के 18वें अध्याय में उपदेश दिया गया है मनमनाभव का। इंद्रियों को जीतने से ही मन को जीता जा सकता है। मन एक चंचल घोड़े की तरह है। उसकी दिशा उस ओर है, जहां कई तरह के विकार हैं। आध्यात्मिक ज्ञान से ही मन को नई दिशा दे सकते हैं। मन को मारना नहीं, मोड़ना है। ईश्वर की तरफ मन का मुख कर देंगे, तो वह नियंत्रित हो जाएगा। मन को जितना सकारात्मक, श्रेष्ठ, सुंदर बनाएंगे, उतना मनोयुद्ध से लड़ पाएंगे और विजयी बनेंगे। मन को मित्र बनाएं।
इससे पूर्व, शनिवार को इस महासम्मेलन का शुभारंभ संस्था के गुरुग्राम स्थित ओम शांति रीट्रीट सेंटर में हुआ था। जिसमें हरिद्वार, कुरुक्षेत्र, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हैदराबाद, कर्नाटक, जबलपुर, ओडिसा, आदि राज्यों से गणमान्य गीता विशेषज्ञ, संत, महात्माओं ने सम्मिलित होकर दो खुले सत्र और चार प्लेनरी सेशन के माध्यम से गीता में वर्णित भारत के पुरातन राजयोग तथा विकारों रूपी शत्रुओं के ऊपर अंतर्युद्ध के बारे में गहराई से विचार विमर्श किया।
Press Release
2-Day National Convention on Bhagvad Gita Concludes
“Yoga a Misnomer”, say Gita Scholars
New Delhi, July 28: Describing physical exercises as yoga misleads people away from the real yoga taught by the Gita, which is remembrance of God, Bhagvad Gita scholars and religious leaders said in a public program organized by the Brahma Kumaris at Sirifort Auditorium here today.
Addressing this public event on last day of a 2-Day National Convention of Saints and Scholars on ‘New Learning from The Bhagavad Gita’, they also said that the God of Gita is incorporeal, not a physical being, and the war mentioned in the holy book is the battle in human minds between good and evil tendencies, not a physical war.
The Gita, which is a treatise on yoga, nowhere mentions physical kriyas and asanas, which have become the most popular form of ‘yoga’ across the world, particularly after the UN declared June 21 as the International Day of Yoga, the scholars said.
“The Gita says that remembrance of God, not physical exercises, remove our sorrow,” said Prof. Prafulla Kumar Mishra, former head of department, Sanskrit, Utkal University, Bhubaneswar.
The panel asked the audience to be discerning and understand the deeper meaning of the metaphors used in the Gita, otherwise the knowledge could become confusing.
“The war mentioned in the Gita is symbolic of the war between good and evil on the battlefield of the mind which goes on within everyone, said BK Basavaraj Rajrushi, Gita research scholar from Hubli.
BK Usha, Rajyoga teacher from Mount Abu, said that Arjuna is time and again asked to win over his mind to emphasise on the skill of mastering the self. “We must steer the mind, not suppress it, is the message of the Gita,” she said.
BK Brij Mohan, Additional Secretary-General of the Brahma Kumaris, said that yoga taught in the Gita was the only means of removing social evils, which are rooted in vices that corrupt the mind and lead to wrong actions.
Speaking on the role of women, BK Asha, Director, Brahma Kumaris’ Om Shanti Retreat Centre (ORC), Gurugram, said it was impossible to transform society without the essential feminine qualities of nurturing, compassion, tolerance and patience.
The event was inaugurated a day before at ORC. Several open sessions and panel discussions, which were part of the programme, attempted to demystify the truths in the Gita so that its knowledge becomes accessible and useful to the people.
माउंट आबू (ज्ञान सरोवर), २७ जुलाई २०१९। आज ज्ञान सरोवर स्थित हार्मनी हॉल में ब्रह्माकुमारीज एवं आर ई आर एफ की भगिनी संस्था, “वैज्ञानिक और अभियंता प्रभाग” के संयुक्त तत्वावधान में एक अखिल भारतीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन का विषय था ‘व्यक्तिगत प्रभावशीलता’। इस सम्मेलन में देश के सैकड़ों प्रतिनिधिओं ने भाग लिया। दीप प्रज्वलन के द्वारा सम्मेलन का उद्घाटन सम्पन्न हुआ।
ब्रह्माकुमारीज की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी जानकी जी ने वीडियो संदेश के माध्यम से सम्मेलन में पधारे प्रतिनिधिओं को अपना संदेश सुनाया। आपने कहा “साइंस अपना काम अच्छा कर रहा है। मगर साइलेंस भी कम नहीं। ना कुछ बोलना है और ना ही कुछ सोचना है। परमात्मा की याद में रह कर पूरी दुनिया को परमात्मा का प्रकाश पहुँचाना है। पॉजिटिव वाइब्स पहुँचाना है।”
डालमिया सीमेंट, दिल्ली के एम्. डी. तथा सी. ई. ओ. महेंद्र के सिंह ने मुख्य अतिथि के रूप में अपना व्याख्यान रखा। आपने कहा कि मैं आज गौरवान्वित हूँ यहां आकर। जो कोई भी यहाँ आ गया है उनकी प्रभावशीलता में तो वृद्धि आ ही गयी है। यह इतना उत्तम स्थान है। मैं आयोजकों को धन्यवाद देता हूँ और उनके सामने नतमस्तक हूँ। हम सभी अपना कार्य बेहतर से बेहतर करना चाहते हैं। सकारात्मक सोच से हमारी प्रभावशीलता बढ़ जायेगी। मैंने विचार किया कि मुझे डालमिया सीमेंट को प्रथम ५ में लाना है और मुझे वैसा करने में सफलता मिली। अगर मैं प्रथम ३ में आने के बारे में विचार करता तो शायद वह भी हो जाता। अर्थात अपना लक्ष्य भी ऊंचा रखें तो अच्छी सफलता मिलेगी। अब पर्यावरण शुद्धि की दिशा में हम आगे जा रहे हैं और हमें सभी का सहयोग भी मिल रहा है। और समय के पूर्व हम वैसा कर पाएंगे।
वैज्ञानिक और अभियंता प्रभाग के अध्यक्ष राजयोगी मोहन सिंघल ने आज के विषय पर प्रकाश डाला। कहा – हमारी संस्कृति का आधार ही आध्यात्म है। इस संस्कृति के अनुसार यह संसार पुरुष और प्रकृति का खेल है। अर्थात आत्मा और शरीर का खेल है। आत्मा ही पुरुष है। वैसे तो लोग इस दुनिया में सब कुछ छोड़ कर जाते हैं। मगर पुरुष, अर्थात आत्मा अपने साथ जीवन मूल्यों को लेकर जा सकती है। देना एक सर्वश्रेष्ठ मूल्य है। देते-देते आत्मा प्रभावशील बन जाती है। हमारी प्रभावशीलता बढ़ती जाती है। मन को जीतना भी बड़ी बात है। मगर राजयोग के अभ्यास से यह काफी आसान है।
वैज्ञानिक और अभियंता प्रभाग, दिल्ली के राष्ट्रीय संयोजक बी के जवाहर मेहता ने सम्मेलन को शुभ कामनाएं इन शब्दों में दीं, कहा जहां चाह – वहाँ राह. एक व्यक्ति क्या नहीं कर सकता। इस संस्थान के संस्थापक प्रजापिता ब्रह्मा बाबा के जीवन का अध्ययन जब आप करेंगे तो आपको बल मिलेगा। आज लाखों लोग उनके अनुयायी बनकर आध्यात्म के मार्ग पर अग्रसर हो चुके हैं। यह उन एक वयक्ति के जीवन मूल्यों का ही प्रभाव है। अतः हम सभी को पहले अपनी प्रभावशीलता का विकास करना होगा। ऐसा विकास तभी होगा जब हम आध्यात्म का सहारा लेंगे। खुद को जानेंगे और शुरुआत वही से करेंगे।
वैज्ञानिक और अभियंता प्रभाग, मुंबई के संयोजक राजयोगिनी गोदावरी दीदी ने सम्मेलन को अपना आशीर्वचन दिया। “हीरा मुख से ना कहे -लाख टका मेरा मोल” – ब्रह्मा बाबा की प्रभावशाली व्यक्तित्व के लिये ऐसा कहा जा सकता है। प्रभावशीलता की यह एक बड़ी सी पहचान है। मुख से कुछ भी कहने की जरूरत नहीं पड़ती। बस अपना निर्माण करना होता है। हमेशा अपना परिवर्तन करते रहो। एक्टिव बनो – अलर्ट बनो। परिवर्तन सकारात्मक होना चाहिए। लोगों को भला करते चलो। प्रभावशीलता में वृद्धि होती जायेगी।
वैज्ञानिक और अभियंता प्रभाग के राष्ट्रीय संयोजक बी के भारत भूषण ने सम्मेलन को अपनी शुभकामनाएं दीं। वैज्ञानिक और अभियंता प्रभाग, दिल्ली के संयोजक बी के पियूष ने संस्थान के महासचिव राजयोगी निर्वैर जी का भी संदेश पढ़ कर सुनाया गया। वैज्ञानिक और अभियंता प्रभाग के मुख्यालय संयोजक बी के भरत ने पधारे हुए अतिथियों का स्वागत किया। बी के माधुरी ने मंच का संचालन किया।
आंतरिक साम्र्थय को जागृत करता है मेडिटेशन
ज्ञान सरोवर में महिला प्रभाग सम्मेलन आरंभ
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माउंट आबू, राष्ट्रीय महिला आयोग अध्यक्षा श्रीमती रेखा शर्मा ने कहा कि त्याग, तपस्या व सेवा की प्रतिमूर्ति महिलाओं को मेडिटेशन के जरिए अपने साम्र्थय को जागृत करना होगा। रिश्तों में बढ़ते स्वार्थ को समाप्त करने के लिए विशेषकर महिलाओं को आत्मचिंतन करने की जरूरत है। महिला विभिन्न रूपों में परिवार, समाज व देश की सेवा करती है। महिलाओं की चार दीवारों से बाहर निकल कर राष्ट्र को अपना परिवार समझकर सेवा करने की जिम्मेवारी बढ़ गई है। पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से नई पीढ़ी की मानसिकता में आ रहा बदलाव परिवारों में दरारें पैदा कर रहा हैं। स्वयं को सशक्त बनाने वाले ही दूसरों को सशक्त बना सकते हैं। यह बात उन्होंने मुख्य अतिथि की हैसयित से शनिवार को ब्रह्माकुमारी संगठन के ज्ञान सरोवर अकादमी परिसर में महिला प्रभाग की ओर से आयोजित चार दिवसीय सम्मेलन के उदघाटन सत्र को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि मृगतृष्णा समान अनावश्यक इच्छाओं के चलते महिला अपनी आंतरिक शक्तियों को नहीं पहचान पाती है। वास्तविक शक्ति हमारी आत्मा में होती है जो शक्ति निश्चित तौर पर हमारे जीवन को बेहतर बनाती है। यहां की विचाराधारा की बदौलत संसार के अनेक समुदाय एक माला में पिरोये जा रहे हैं। इस संस्था से जुडक़र बहनों ने अपने जीवन को विश्व की सेवा के लिए समर्पित कर दिया है जो बहुत बड़ी सेवा हैं। संस्था के साथ जुडक़र समाज सेवा करना हम सबका दायित्व बनता है।
तामसिक विचारों को नष्ट करता मेडिटेशन
राजस्थान सरकार के महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री श्रीमती ममता भूपेश ने कहा कि मेडिटेशन तामसिक विचारों को नष्ट करता है। सशक्त होने का अर्थ यह नहीं कि महिलायें पढ़ लिख जायें बल्कि स्व्यं को आंतरिक शक्तियों से ऊर्जा का संचार करने वाली महिलायें ही सशक्त महिलायें हैं। महिलाओं को अपने विचारों से अपनी बेटी को राष्ट्र निर्माण के लिए तैयार करना चाहिए। आध्यात्मिक शक्तियों की ऊर्जा से परिपूर्ण ब्रह्माकुमारी बहनों का सानिध्य समाज को सकारात्मक दिशा में ले जाने में सक्षम हैं। विश्व के पुर्नोत्र्थान के लिए ब्रह्माकुमारी संगठन की बहनें अपना अमूल्य समय देकर विश्व के पांचों महाद्धीपों में राजस्थान की धरनी माउंट आबू से भारतीय संस्कृति की रोशनी पहुंचा रही है। पति-पत्नी एक ही सिक्के के दो पहूल हैं मेरे पति ने अपने जीवन को ब्रह्माकुमारी संगठन की शिक्षाओं को अपने जीवन में ग्रहण कर मेरे जीवन को भी सकारात्मक बनाने में अहम भूमिका अदा की है।
राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी सचिव व प्रवक्ता संगीता गर्ग ने कहा कि किसी भी परिस्थिति में महिलाओं को आशावादी मानसिकता नहीं छोडऩी चाहिए। मेडिटेशन के जरिए ईश्वर से मन के तार जोडऩे पर अलौकिक शक्ति प्राप्त होती है। जिससे आलोचना भरे महौल में स्वयं को सशक्त बनाया जा सकता है।
ज्ञान सरोवर अकादमी निदेशिका राजयोगिनी डॉ. निर्मला ने कहा कि बच्चों को श्रेष्ठ संस्कारों से सिंचन करना मां का महत्वपूर्ण कत्र्तव्य है। परिवार के विचारों को जोडऩे से घर परिवार का महौल शांतिमय बन जाता है। किसी के कुटिल स्वभाव, संस्कार को मन में नहीं रखकर उसके प्रति शुभ कामनाओं को स्थान दिया जाना चाहिए।
प्रभाग की अध्यक्षा राजयोगिनी चक्रधारी बहन ने कहा कि नारी शक्ति परिवार की धुर्री है। जो परिवार में शांति का महौल कायम रख सकती है। दहेज लेने की कुप्रथा को समाप्त कर बच्चों में आपसी समन्वय की स्नेहमयी भावनाओं के सूत्र में बांधने के कारगर प्रयास करने की जरूरत है। विशेषकर महिलाओं के ऊपर परिवार को एकजुट होकर रखने की जिम्मेवारी होती है।
शिक्षा प्रभाग उपाध्यक्ष, वरिष्ठ राजयोग प्रशिक्षिका बीके शीलू बहन ने कहा कि किसी की आवश्यक इच्छाओं का गला घोंट कर सुखी नहीं रहा जा सकता है। संसार में आधे झगडों का कारण मनुष्य के बोल होते हैं। अपनी सोच, अपने बोल, अपने शब्दों पर ध्यान देने की जरूरत है।
मुख्यालय संयोजिका डॉ. सविता ने कहा कि बच्चो को जिस महौल में पाला जाता है वही महौल उनके जीवन व्यवहार में झलकता है। बच्चों को प्रोत्साहन, प्रसन्नता, आत्मविश्वास, धैर्यता, मधुरता, सौम्य व्यवहार, स्नेह, सहयोग का महौल देना चाहिए। नम्रता व्यक्ति को सम्मान देती है, श्रद्धा व्यक्ति को मान देती है, योग्यता व्यक्ति को महान बना देती है। स्वयं को सुंस्कारित बनाने से ही बच्चों को श्रेष्ठ संस्कार दिये जा सकते हैं।
वरिष्ठ राजयोग प्रशिक्षिका बीके रानी ने राजयोग का अभ्यास कराते हुए गहन शान्ति की अनुभूति कराई।